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जून, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जम्मू-कश्मीर में पहली बार पंचायती राज‏

खुशबू(इन्द्री)  जम्मू पंचायती राज कानून देश में भले ही तीन दशक पहले लागू हो गया हो, लेकिन जम्मू कश्मीर में तो यह पहली बार पूर्णतया और प्रभावी रूप से लागू होने जा रहा है। सूबे के 22 जिलों की 81 तहसीलों के 7050 गांवों में तीन महीनों तक चली 16 चरणों वाली चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। राज्य सरकार 30 जून कर पंचायती राज अधिनियम 1989 के तहत नोटिफिकेशन जारी कर सूबे में पंचायती राज लागू कर देगी। इसके साथ ही ग्रामीणों को दस साल बाद एक बार फिर अपने फैसले खुद करने का अधिकार हासिल हो जाएगा। इतना ही नहीं, राज्य को केंद्र की ओर से ग्रामीण विकास के लिए सालाना करीब पांच सौ करोड़ की राशि जारी होने लगेगी, जो पंचायतें न होने के कारण पिछले पांच सालों से नहीं मिल रही थी। राज्य के विभिन्न 22 जिलों की 81 तहसीलों के 7050 गांव हैं, जिनमें 16 चरणों में मतदान की प्रक्रिया 18 जून तक चली। इनमें 4130 सरपंच और 29719 पंच चुने गए हैं। राज्य के कुल 143 ब्लॉकों में से 141 की डाटा एंट्री की प्रक्रिया जोरों पर है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी बीआर शर्मा 27 जून को कारगिल के दो ब्लॉकों में चुनाव करवाने के बाद पंचायत चुनाव प

वो जैसे भंवर में फंसा कर गए.

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ज़रा आये ठहरे चले फिर गए,      हमारे दिलों में जगह कर गए. न कह पाए मन की  न सुन पाए उनकी ,    बस देखते आना जाना रह गए. बिछाए हुए थे उनकी राहों में पलकें,    नयन भी हमारे खुले रह गए. न रुकना था उनको नहीं था ठहरना ,   फिर आयेंगे कहकर चले वो गए. न मिलने की चाहत न रुकने की हसरत,    फिर आने का वादा क्यों कर गए. हमें लौट कर फिर जीना था वैसे ,    वो जैसे भंवर में फंसा कर गए.          शालिनी कौशिक 

महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम:महिलाओं को समर्पित देश का पहला हाट तैयार‏

  नई दिल्ली महिलाओं को समर्पित देश में पहला महिला हाट जल्द ही गुलजार होने जा रहा है। स्टॉल सिर्फ महिलाओं को ही सामान की बिक्री के लिए आवंटित किए जाएंगे। साथ ही इनमें खरीददारी करने के लिए सिर्फ कपल्स को ही जाने की इजाजत होगी। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से एमसीडी ने वर्ष 2007 में इसका निर्माण शुरू किया था। तत्कालीन मेयर आरती मेहरा ने इसकी नींव रखी थीं। गत महीने जब निर्माण कार्य संपन्न हुआ तो एमसीडी ने वह शर्ते भी तैयार कर ली जिसके आधार पर महिलाओं को स्टॉल आवंटित किए जाएंगे। राजधानी के दक्षिणी, बाहरी और पश्चिमी दिल्ली स्थित आईएनए, पीतमपुरा और जनकपुरी दिल्ली हाट की तर्ज पर एमसीडी ने महिला हाट तैयार किया है। आसिफ अली रोड की भूमिगत पार्किग के ऊपर बने इस हाट की खासियत यह होगी कि यहां के 39 स्टॉल सिर्फ महिलाओं को आवंटित किए जाएंगे। इसे वे चलाएंगी। खाने-पीने के सामान की बिक्री के लिए जो दो कैफेटेरिया बनाए गए हैं, इनका संचालन भी महिलाएं करेंगी। कैफेटेरिया का लाइसेंस दो साल के लिए एमसीडी जारी करेगी। हस्तकरघा सामान की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए एक महिला को 30 दिन के लिए ही स्टॉल दिए जा

महंगाई तो मार ही गयी पर हमारी महत्वाकांक्षा का क्या....

महंगाई तो मार ही गयी पर हमारी महत्वाकांक्षा  का क्या. आप सोच रहे होंगे की मैं फिर उलटी बात करने बैठ गयी आज सभी समाचार पत्रों में गैस ,डीजल और केरोसिन के दाम बढ़ने की सूचना  प्रमुखता से प्रकशित है .सरकार की जिम्मेदारी जनता जनार्दन के बजट की बेहतरी देखना है ये मैं मानती हूँ और यह भी मानती हूँ की सरकार इस कार्य में पूर्णतया विफल रही है किन्तु जहाँ तक सरकार की बात है उसे पूरी जनता को देखना होता है और एक स्थिति एक के लिए अच्छी तो एक के लिए बुरी भी हो सकती है किन्तु हम हैं जिन्हें केवल स्वयं को और अपने परिवार को देखना होता है और हम यह काम भी नहीं कर पाते.        आज जो यह महंगाई की स्थिति है इसके कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं .मेरी इस सोच के पीछे जो वजह है वह यह है की मैं देखती हूँ कि  हमारे क्षेत्र में जहाँ पैदल भी बहुत से कार्य किये जा सकते हैं लोग यदि सुबह को दूध लेने भी जाते हैं तो मोटर सायकिल पर बैठ कर जाते हैं जबकि वे  यदि सही ढंग से कार्य करें तो  मोर्निंग वाक के साथ दूध लाकर अपनी सेहत भी बना सकते हैं.सिर्फ यही नहीं कितने ही लोग ऐसे हैं जो सारे दिन अपने स्कूटर .कार को बेवजह दौडाए फ

उत्तर प्रदेश की पुलिस उत्पीड़न में नंबर वन‏

खुशबू(इन्द्री) नोएडा में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार्रवाई के लिए आलोचनाएं झेल रही उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सर्वाधिक शिकायतें मिली हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2010-11 में यूपी पुलिस के खिलाफ आयोग को 8,768 शिकायतें मिलीं। इनमें हिरासत में मौत, प्रताड़ना, अत्याचार, फर्जी मुठभेड़ और कानूनी कार्रवाई करने में नाकामी जैसे मामले शामिल हैं। पुलिस के खिलाफ मिली शिकायतों के मामले में राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली।,023 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके बाद हरियाणा (782 शिकायतें), राजस्थान (571), बिहार (533) का नंबर है। शिकायतों का यह सिलसिला 2011-12 में भी जारी है और यूपी से 25 अप्रैल तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 619 शिकायतें और दिल्ली से 85 शिकायतें मिल चुकी हैं। पुलिस के खिलाफ दादरा और नागर हवेली से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक शिकायत, नगालैंड से दो शिकायतें, मिजोरम तथा त्रिपुरा से तीन-तीन और पुडुचेरी तथा अरुणाचल प्रदेश से सात-सात शिकायतें मिली हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को वर्ष 2010 से 12 में उत्तर प्र

एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया..

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मुस्कुरा कर कहा उसने एक बार जो,      सुनते ही दिल मेरा बाग-बाग हो गया. कोई और चाह न रही मन में,      एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया. भूली कितना गम सहा मेरे मन ने,      शब्द सुनते ही यहाँ  दिल रम गया. कोई और चाह न रही मन में,      एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया. हमने चाहा उनसे मिलकर कुछ कहें,      पास उनके जिंदगी भर हम रहें. सोचते ही सोचते दिल थम गया,      एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.                      साभार गूगल                                        शालिनी कौशिक              http://shalinikaushik2.blogspot.com

''रिश्ते''

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कभी हमारे मन भाते हैं,      कभी हैं इनसे दिल जलते, कभी हमें ख़ुशी दे जाते हैं,       कभी हैं इनसे गम मिलते, कभी निभाना मुश्किल इनको,      कभी हैं इनसे दिन चलते, कभी तोड़ देते ये दिल को,       कभी होंठ इनसे हिलते, कभी ये लेते कीमत खुद की,       कभी ये खुद ही हैं लुटते, कभी जोड़ लेते ये जग को,      कभी रोशनी से कटते, कभी चमक दे जाते मुख पर,      कभी हैं इनसे हम छिपते, कभी हमारे दुःख हैं बांटते,      कभी यही हैं दुःख देते, इतने पर भी हर जीवन के प्राणों में ये हैं बसते, और नहीं कोई नाम है इनका हम सबके प्यारे''रिश्ते''                    शालिनी  कौशिक  http://shalinikaushik2.blogspot.com  

शुभकामनायें सब पापा को

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     बस कुछ शब्दों में- ''एक बच्चे के जीवन में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत ''                शालिनी कौशिक

लोकनिर्माण विभाग क्या कर रहा है?

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आजकल सभी और अफरातफरी का माहौल है आप सभी को पता भी होगा  और कितने ही होंगे जो इस विपदा को झेल भी रहे होंगे .चलिए पहले कुछ चित्र ही देख कर समझ लें-  अमर उजाला व् हिंदुस्तान दैनिक से साभार  देखा आपने यही हाल है बरसात के इस मौसम में  जानते हैं  मैं  क्या कहना चाह रही हूँ यही  कि उत्तर प्रदेश का लोक निर्माण विभाग सड़कों का निर्माण कुछ इस प्रकार कर रहा है कि जो घर सड़क से काफी ऊँचे बनाये गए थे वे धीरे धीरे सड़क पर ही आते जा रहे हैं.कहने का मतलब ये है कि जब वे घर बनाये गए थे तो सड़क से इतने ऊँचे बनाये गए थे कि बारिश का पानी उन में नहीं घुस सकता था किन्तु अब स्थिति ये है कि जरा सी बारिश होते ही बारिश का पानी घरों में घुस जाता है और स्थिति यही होती है जो ऊपर के चित्रों में दिखाई दे रही है.सड़कें जब भी बनाई जा रही हैं तब ही हर बार वे ऊँची उठ जाती हैं.हाल ये है कि एक समय जो चबूतरे दीखते थे आज वे सड़क का भाग ही दिखाई दे रहे हैं.   इसके साथ ही सड़कों पर पहले जो नालियां बनती थी वे ऐसी बनती थी कि उन पर कोई चैनल न लगा होने पर भी वे सही रहती थी और बरसात में उनमे इतनी जल्दी भराव की स्थिति नहीं आती थी औ

गरीबों और भिखारियों का देश भारत‏

भारत देश को आज़ाद हुए 63 साल बीत चुके हैं|इन 63 सालों में भारत ने तकनीकी,,आर्थिक.राजनीतिक एवं सांस्कृतिक आदि सभी शेत्रों में प्रगति के शिखर को छुआ| आज भारत का औद्योगिक ढांचा इतना मजबूत हो चुका है कि विदेशी कम्पनियां भारत में निवेश करने कि इच्छुक हैं|  बावजूद इस प्रगति के भरत की सामाजिक स्थिति आज भी निम्न स्तर की है|आज भी भारत गरीबों और बिखारियों का देश है|आज भी भारत की 35 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से निचे जीवन बसर कर रही है|देश की 27 प्रतिशत जनसंख्या भिखारियों का जीवन बिता रही है|कहा जाये तो देश का उच्च वर्ग तो हर तरह की प्रगतिशील और विकासपरक सुख सुविधाएँ प्राप्त कर रहा है|मध्यम वर्ग को तो हाडतोड़ मेहनत कर दो वक्त की रोटी जुटानी पडती है|लेकिन देश का निम्न वर्ग इतना विकास होने के बाद भी गरीब है|यहाँ तक कि इस वर्ग को भीख मांग मांग कर अपना पेट भरना पड़ता है|न तो इनके लिए रोजगार की व्यवस्था है न ही शिक्षा की| देश में दिन प्रतिदिन इस तरह के लोगों की संख्या बढती जा रही है|जब कभी हम घर से बहर निकलते हैं तो सड़क पर,रेड सिग्नलों पर,बस स्टेंड पर,अस्पतालों में महिलाओं को,बच्चों को और वृद्ध आदम

मेरा मेल मुझे वापस मिल गया -हिप हिप हुर्रे ;;;;

बहुत खुश हूँ मैं इस वक़्त और आप सभी मेरी ख़ुशी में बराबर के हिस्सेदार हैं क्योंकि आप सभी के सहयोग और मुझ पर विश्वास ने मुझे इतनी दिमागी राहत  दी की मैं अपना इ-मेल आई डी पुनः प्राप्त करने में सफल हो गयी.रात १.३० पर मेरी बहन शिखा के निरंतर प्रयत्न ने हमें वापस मेरे मेल के पास पहुंचा दिया और तब जाकर मुझे राहत मिली और मैं रात को चैन से सो पाई. मेरे मेल जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण  हैं उनके खोने से मेरे दिमाग ने काम  करना ही बंद कर दिया था और सबसे ज्यादा दुःख हो रहा था जब मेरे दिमाग में आया की ख़ुशी गोयल करनाल का एक आर्टिकिल अभी मेरे मेल में ही है जो मैं प्रकाशित नहीं कर पाई हूँ.जब मेरे मेल मुझे वापस मिले तब शिखा ने यही कहा की देखो  ख़ुशी जी के आर्टिकिल ने हमें मेल वापस दिला दिए.अभी तक मैंने यही महसूस किया है की जिन मेल आई डी पर मैंने अभी दो तीन दिन में मेल भेजे थे उन मेल पर ही हैकर ने मेल भेज कर उन्हें परेशान किया है.जब मैंने अपने मेल का मुख्य पृष्ठ देखा तो उसमे हैकर  ने निम्न परिवर्तन किये थे- १-जन्म तिथि-२४.मार्च १९८८ कर दी थी . २-प्लेस-united states कर दी गयी थी  . ३-स्टेट -अलबामा कर द

मेरा इ-मेल हैक हो गया.

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  आज दिन से मेरे मेल नहीं खुल रहे थे और मैं सोच रही थी कि शायद गूगल में ही कुछ परेशानी आ गयी होगी किन्तु अभी रात्रि ९:५१ पर मेरा फोन बजा और जब मैंने फोन उठाया तो वह फोन मुझे ओपन बुक ऑनलाइन के संस्थापक श्री गणेश जी बागी का था और वे बता रहे थे कि उनके मेल में मेरे मेल से कोई १५०० यूरो का कोई मेल आया है बाद में वे भी ये ही मान गए कि  मेरा इ-मेल हैक हो गया.और उन्हें जो मेल मिला है वह ऊपर देखें .आप सभी में से यदि किसी को भी मेरे मेल से ऐसा मेल मिले तो कृपया इग्नोर करें और यदि हो सके तो मुझे ये बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए.             शालिनी कौशिक  

माचिस उद्योग है या धोखा उद्योग

पिछले कई महीनो से झेल रही हूँ इसीलिए आज लिख रही हूँ कि आज माचिस उद्योग अपने उपभोक्ताओं के साथ धोखा कर रहा है.हालाँकि ब्लॉग जगत में से अधिकांश लाइटर का इस्तेमाल करते होंगे किन्तु जहाँ तक मेरा मानना है मैं माचिस को इसके मुकाबले ज्यादा सही समझती हूँ मैंने भी अपनी आंटी के यहाँ लाइटर इस्तेमाल किया और या तो ये कहें कि मुझे इस्तेमाल करना नहीं आया या कहें कि उसे इस्तेमाल करने के लिए बहुत ताक़त चाहिए तो मुझमे वो भी नहीं है और मैं इसी वजह से कह लें तब भी माचिस को ही ज्यादा महत्व देती हूँ.               चलिए अब सुनिए मेरी आप बीती माचिस  के बारे में.मेरे कितने ही कपड़ों में इसकी तीली का मसाला उछल कर छेद कर चुका है और एक बार तो मेरी आँख भी इसके मसाले के हमले से बाल बाल बच गयी.इतना कुछ तो फिर भी माचिस के ब्रांड पलट पलट कर हम बर्दाश्त करते रहे किन्तु अब तो हद हो गयी है यदि ४-५ तीली न जला लो तो आप गैस जला ही नहीं सकते और हमारे क्षेत्र में आने वाली एक मात्र आई.एस.आई.ब्रांड ''ऊँट  ''भी इसी श्रेणी में है.उसे हम बहुत समय पहले उसके इन्ही कमियों के कारण छोड़ चुके हैं और अब यहाँ आने वाली '

भ्रष्ट भारत की तस्वीर‏

भारत को आजाद हुए 63 साल बीत चुके हैं। इन सालों में भारत ने हर क्षेत्र में इतनी उन्नति की आज भारत सूचना तकनीकी के शिखर पर है। आज भारतीयों के हाथ में मोबाइल,एटीएम,पैनकार्ड,थ्रीजी सेवाएं हैं। मीडिया के बाद सूचना प्रोद्यौगिकी को देश का पांचवां स्तम्भ माना जा चुका है। औद्योगिक स्तर पर भारत विश्व स्तर पर चमक रहा है। इन सभी के बावजूद आज भारत घोटालों,भ्रष्टाचार,गरीबी,बेरोजगारी,आतंकवाद,वोटबैंक की राजनीति के स्तर पर भी खड़ा है। कहने को सरकार गरीबी उन्मूलन एवं कल्याण योजनाएं बनाती है। सस्ते दामों पर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराती है। हर साल करोड़ों का बजट जनता  की सेवा में अर्पित किया जाता है। रोजाना शिक्षा विकास हेतु नए-नए सुझाव दिए जाते हैं। अब तो स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन और नि:शुल्क किताबें उपलब्ध करायी जाती हैं। सालाना हजारों नौकरियों के अवसर दिए जाते हैं और भी न जाने कितनी सुविधाएं यह देश अपनी एक अरब जनता को उपलब्ध कराता है। बावजूद इसके देश की जनता गरीबी की मार झेल रही है। आज भी लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती। नौकरियों के अवसर होने पर भी पढ़े-लिखे डिग्री होल्डर अनुभवी प्रतिभाए

सौतेला तो शब्द बुरा

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आमतौर पर यदि हम ध्यान दें तो जहाँ देखो सौतेली माँ की ही बुराई जोरों पर होती है.किसी भी बच्चे की माँ अगर सौतेली है तो उसके साथ सभी की सहानुभूति होती है किन्तु कहीं भी सौतेले बाप का जिक्र नहीं किया जाता जबकि मेरी अपनी जानकारी में यदि मैं देखती हूँ तो हर जगह भेदभाव ही पाती हूँ.अभी हाल में ही मेरी जानकारी की एक लड़की का निधन हो गया  वह लम्बे समय से बीमार थी किन्तु कहा गया कि लम्बे इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो पाई.सभी को उसके पिता से बहुत सहानुभूति थी और सभी यही कह रहे थे कि ये तो अपनी लड़की से बहुत प्यार करते थे और दुःख में इनके आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.ये मुझे बाद में पता चला की वह लड़की अपनी माँ के साथ आयी थी अर्थात उसकी माँ की ये दूसरी शादी थी और उस लड़की के वे दूसरे पिता थे.अब कीजिये गौर इसके दूसरे पहलू पर यदि यह स्थिति किसी महिला के साथ होती तो सब क्या कहते-''सौतेली माँ थी मगरमच्छी आंसू बहा रही थी.इसीने उसकी कोई देखभाल नहीं की इसीलिए वह मर गयी.''आखिर ये हर जगह नारी और पुरुष की स्थिति में अंतर क्यों कर दिया जाता है?       मेरी सहेली की बहन की जिससे शादी ह

जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान

नैनों में अश्रु बन छाया,होठों पर मुस्कान, जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान जीवन में सब पाने की जब अपने मन में ठानी, तभी सामने आ गयी जीवन की बेईमानी . देने को हमें कुछ न लाया ये जीवन महान, जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान, हमने जब कुछ भी है चाह हमें नहीं मिल पाया, जो पाया था इस जीवन में उसे भी हमने गंवाया, फिर क्यों हालत देख के अपनी होते हैं हैरान, जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान.                   शालिनी कौशिक 

आदमियों को हैवान बनाती जिस्मानी भूख‏

आजकल दुनिया में महिलाओं से सम्बन्धित जिस जिस तरह के दर्दनाक वाकये सुनने में आ रहे हैं,से ये बात बखूबी साबित हो जाती है कि जिस्मानी भूख मिटाने के लिए आदमी हैवानियत कि किसी भी हद तक जा सकता है|आदम जात के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी कि उनके कारण दूध पीती बच्चियां तक सुरक्षित नही हैं आज|हाल ही में कुरुक्षेत्र की स्वीटी के साथ जो कुछ भी हुआ,आदम जात की दरिंदगी का अब तक का सबसे भयानक चेहरा है| 23 दिनों की मशक्कत  के बाद हरियाणा की बदनाम पुलिस ने हत्यारों को पकड़ तो लिया अब सवाल ये उठता है कि इन हत्यारों को उनके किये की मुक्कमल सज़ा मिल पायेगी|क्या स्वीटी को सही में न्याय मिल पायेगा|हर किसी की जुबान पर ये सवाल हैं|क्योंकि भारतीय न्याय व्यवस्था पर लोग विश्वास नही करते| इससे भी पहले कई हादसे ऐसे हो चुके हैं जिनमे आदम जात ने अपनी हैवानियत के नमूने पेश किये हैं| कुछ दिन पहले नई दिल्ली राजधानी से एक युवक द्वारा एक युवती का शव अजमेर पार्सल करने का मामला सामने आया था| पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है| इस मामले में पुलिस जांच बेशक किसी भी दिशा में जा रही हो, मगर इस दौरान सामने आए तथ्य

इन्हें कुछ मत दें.....

आजकल सडको पर जब हम जाते हैं तो झोले लटकाए टीका लगाये कभी गंदे कपड़ों में तो कभी साफ कपड़ों में कुछ आदमी और कुछ औरतें दिखाई दे जाती हैं.कभी कभी बच्चे भी दिखाई देते हैं और इन सभी का एक ही मकसद होता है जहाँ से भी मिले जैसे भी मिले पैसे बटोरना.हमारे घर के पास कुछ दुकाने  हैं और दोपहर १२-०० बजे के करीब वहां ५-६ लोग आते हैं और हर दुकान में घुसते हैं और जो निश्चित कर रखे हैं १-१ रुपैया लेकर निकलते हैं.ऐसे जैसे शहरों में हफ्ता बंधा होता है ऐसे ही कस्बों में लगता है कि हर दिन का दुकानदारों पर कुछ जुर्माना बांध दिया गया है.अभी कल ही की बात है हम अपने डॉ.अंकल के क्लिनिक पर थे कि एक औरत वहां आई और उसने उनसे कुछ कहा भी नहीं और वे अपने मेज की दराज में कुछ ढूँढने लगे.थोड़ी देर में हमने देखा कि वे उसे दो रूपए देकर उससे एक रूपया ले रहे थे.ऐसा लगा कि ये उनकी क्लिनिक का भी रोज़ का ही प्रचलन हो गया है. और हम और आप दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि जब हम एक को मांगने पर इस तरह पैसे देते हैं तो उसे देख दुसरे का भी हाथ अपनी और अनचाहे ही बढवा लेते हैं.हम अपने यहाँ घर से किसी भी मांगने वाले को पैसे नहीं

प्रतिबंध के बावजूद कुले आम बिक रहे प्लास्टिक पैकिंग में गुटखे, अधिकारी और प्रशासन बने मूकदर्शक‏: खुशबू(इन्द्री)करनाल

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यूँ तो भारत सरकार देश की सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के उदेश्य से आये दिन कोई न कोई कानून बना कर लागू  करती रहती है|  पर इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की बदकिस्मती देखिये की यहाँ कानून लागू  कर दिए जाते हैं लेकिन दिखावे के लिए क्योंकि उनका पालन सुनिश्चित नही कराया जाता|कहीं पर लोग कानून का पालन नही करते तो कहीं  पर खुद प्रशासनिक अधिकारी|लोगों को तो क्या कहें सबसे बड़ी खामी प्रशासन की है|हमारे अधिकारी कानूनों का सख्ती से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध नही हैं|उन्हें बैठे बैठे खाने की आदत है|एक बार कानून बना दिया और लागू कर दिया बस यहाँ उनकी जिम्मेवारी खत्म हो जाती अहि|जबकि कानून लागू  हो जाने के बाद उसकी पालना सुनिश्चित करना भी उनकी जिम्मेवारी है|आजकल देश में प्लास्टिक पैकिंग पर तथा प्लास्टिक पोलीथिन के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है|  सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी कर इस पर प्रतिबंध लगाया है|लेकिन सुप्रीम कोर्ट के प्लास्टिक गुटखा पैकिंग के प्रतिबन्धित करने के बाद से गुटखा के थोक व फुटकर विक्रेताओं की चांदी हो गई है।जिसके चलते फुटकर विक्रेताओं ने एक रूपये प्रिंट वाला गुटखा खुलेआम दो

माँ को शीश नवाना है.

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होगा जब भगवान् से मिलना हमें यही तब कहना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है. माँ ने ही सिखलाया हमको प्रभु को हर पल याद करो, मानव जीवन दिया है तुमको इसका धन्यवाद् करो. माँ से ही जाना है हमने क्या क्या तुमसे कहना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है. जीवन की कठिनाइयों को गर तुम्हे पार कर जाना है , प्रभु के आगे काम के पहले बाद में सर ये झुकाना है. शिक्षा माँ की है ये हमको तुमको ही अपनाना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है. माँ कहती है एक बार गर प्रभु के प्रिय बन जाओगे, इस धरती पर चहुँ दिशा में बेटा नाम कमाओगे. तुमसे मिलवाया है माँ ने इसीलिए ये कहना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.                शालिनी कौशिक  http://shalinikaushik2.blogspot.com