संदेश

मार्च, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बढ़ चलो ए जिंदगी

चित्र
बढ़ चलो ए जिंदगी                              हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा. गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर, डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा. आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले, कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा. तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले, जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा. संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम, चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा. जुड़ सकेंगे पंख उसमे आशा और विश्वास के , ''शालिनी'' का नाम भी पहचान नयी पायेगा.       भारतीय हॉकी टीम के हौसले बुलंद करने में लगी शिखा कौशिक जी की एक शानदार प्रस्तुति को यहाँ आप सभी के सहयोग हेतु प्रस्तुत कर रही हूँ आशा है आप सभी का इस पुनीत कार्य में शिखा जी को अभूतपूर्व सहयोग अवश्य प्राप्त होगा.उनकी प्रस्तुति के लिए इस लिंक पर जाएँ- हॉकी  हमारा राष्ट्रीय खेल                       शालिनी कौशिक    

हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.

चित्र
हे!माँ  मेरे जिले के नेता  को  सी .एम् .बना  दो.             आज के समाचार पत्रों में जब हमने बिजली के बारे में मुख्यमंत्री जी के निर्देश पढ़े तो यही विचार मन में तेजी से उभरे.निर्देश थे- १-बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए शाम को ६ बजे से रात के १०  बजे तक बिना रूकावट बिजली की उपलब्धता. २-इटावा, कन्नौज और रामपुर को २४ घंटे बिजली.       पहला निर्देश तो परीक्षार्थियों की सुविधा की दृष्टि से निष्पक्ष निर्देश के रूप में चिन्हित किया जा सकता है किन्तु कमी  ये है की ये समय तो उनकी पढाई की आवश्यकता को देखते हुए बहुत कम है.रात्रि में जब पढाई का सबसे महत्वपूर्ण समय है तब उनकी पढाई के लिए २४ घंटे बिजली का वादा करने वाले सपा सरकार  क्या इंतजाम  कर  रही है और ये निर्देश केवल २० अप्रैल तक हैं और वे भी बोर्ड परीक्षा को दृष्टिगत  रखते  हुए 29 मार्च  से जो विश्व विद्यालय  परीक्षा आरम्भ  हो रही है उसके लिए मुख्यमंत्री क्या अलग  से कुछ  बिजली की व्यवस्था करने की सोच  रहे हैं?              पर जो निर्देश मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली  को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के समकक्ष खड़े कर रहे हैं वह है उनके गृहजिले

क्या यही लोकतंत्र है?

चित्र
क्या यही लोकतंत्र है?   अमेरिका के  राष्ट्रपति अब्राहम  लिंकन की सर्वप्रसिद्ध परिभाषा  इस प्रकार है- "प्रजातंत्र जनता का,जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है."                               और आज भारत में यही जनता शासन कर रही है .आज से नहीं बल्कि २६ जनवरी १९५० से जिस दिन हमारा गणतंत्र लागू हुआ था किन्तु क्या हम वास्तव  में इस शासन को अपने यहाँ महसूस  कर सकते हैं?शायद नहीं कारण साफ है जिन दलों के आधार पर हम अपने प्रतिनिधि  चुन  कर सरकार  बनाते  हैं जब उन दलों में ही लोकतंत्र नहीं है तो हम कैसे सच्चा लोकतंत्र अपने देश में कह सकते हैं?               माननीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी जी ने इसबार  पूरे आत्मविश्वास से रेल बजट प्रस्तुत किया किन्तु उन्हें बदले में उन्ही के दल तृणमूल की प्रमुख ममता बैनर्जी  ने रेल किराया बढ़ाने को लेकर पद से इस्तीफा देने का फरमान जारी कर दिया .            मैं पूछती  हूँ ममता जी से क्या उन्हें ऐसा करने का हक़ था ?जब दिनेश त्रिवेदी जी रेल मंत्री हैं और अपना बजट सदन में प्रस्तुत कर चुके हैं तो क्या सदन जिका कार्य उस पर विचार करना है क्या इस सम्बन्ध

यह चिंगारी मज़हब की."

चित्र
यह चिंगारी मज़हब की."      "स्वयं सवारों को खाती है,          गलत सवारी मज़हब की.  ऐसा  न हो देश जला दे,      यह चिंगारी मज़हब की."           आज राजनीति में सबसे ज्यादा प्रमुखता पा रहा है "धर्म-जाति का मुद्दा".आज वोट पाने के  लिए राजनेता जिस मुद्दे को सर्वाधिक भुना रहे हैं वह यही है और इसी मुद्दे को सिरमौर बना आज सपा उत्तर प्रदेश में सत्ता पाने में सफल रही है और ये उसकी बड़ी बात है कि वह सत्ता पाने के बाद भी अपने वादे को भूली नहीं है और इसी अहसानमंदगी का सबूत है सपा के सत्तासीन होते ही  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने  वाले 33 वें  मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव जी द्वारा मुस्लिम बालिकाओं को कक्षा १० पास  करने पर तीस हज़ार के अनुदान की घोषणा .घोषणा प्रशंसनीय है क्योंकि हम सभी देखते हैं कि मुस्लिम बालिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में उतनी  आगे नहीं जा पा रही हैं जितनी आगे अन्य धर्मों की बालिकाएं पहुँच रही हैं किन्तु यदि यह घोषणा सभी धर्मों की बालिकाओं के लिए की जाती तो इसकी महत्ता चार गुनी  हो जाती क्योंकि हमारे क्षेत्र में भी बहुत सी अन्य धर्मों

ये वंशवाद नहीं है क्या?

चित्र
ये वंशवाद नहीं है क्या?                उत्तर  प्रदेश में नयी सरकार  का गठन जोरों पर है .सपा ने बहुमत हासिल किया और सबकी जुबान पर एक ही नाम चढ़ गया माननीय मुख्यमंत्री पद के लिए और वह नाम है ''अखिलेश यादव''.जबकि चुनाव के दौरान अखिलेश स्वयं लगातार माननीय नेताजी शब्द का उच्चारण इस पद के लिए करते रहे  जिसमे साफ साफ यही दिखाई दे रहा था कि उनका इशारा कभी अपने पिताजी तो कभी अपनी ओर है  क्योंकि माननीय नेताजी तो कोई भी हो सकते हैं पिता हो या पुत्र और फिर यहाँ तो कहीं भी वंशवाद की छायामात्र   भी नहीं है दोनों ही राजनीतिज्ञ हैं और दोनों ही इस पद के योग्य भी .वे इस बारे में भले  ही कोई बात कहें  कहने के अधिकारी भी हैं और फिर उन्हें भारतीय माता की संतान होने  के कारण भारतीय मीडिया ने बोलने  का हक़ भी दिया है किन्तु कहाँ  है वह मीडिया जो नेहरु-गाँधी परिवार  के बच्चों  के राजनीति में आने पर जोर जोर से ''वंशवाद ''के खिलाफ बोलने लगता है क्या यहाँ उन्हें वंशवाद की झलक नहीं दिखती.  अखिलेश को चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया और चुनावों के बाद पि

भारतीय हॉकी पुरुष टीम को लन्दन ओलंपिक के लिए हार्दिक शुभकामनायें !

चित्र
आज  भारतीय  हॉकी  टीम सभी  के लिए चर्चा  का  विषय  बनी है वजह केवल एक है और  वह है लन्दन ओलम्पिक  गोल्ड सभी  की इच्छा है की इस बार ये गोल्ड हमारे देश की झोली में आ जाये.                                 कर दे गोल ..........कर दे गोल ! ना छक्का ना चौका ; दो हॉकी को मौका ; सजा लो लबों पर बोल  कर दे गोल ..........कर दे गोल ! शिखा कौशिक जी के द्वारा  रचित ये पंक्तियाँ स्वयं स्वरबद्ध की गयी हैं और  उनकी ये प्रस्तुति भारतीय टीम में जोश व् उत्साह का संचार करने में मेरे विचार में सक्षम है.शिखा  जी की भारतीय टीम के लिए यह सदभावना  काबिले तारीफ है. [सभी  फोटो  गूगलसे साभार]  प्रस्तुति-शालिनी  कौशिक 

आओ खेलें ज्ञान की होली,

चित्र
  [google se sabhar]  आज मुझे ब्लॉग परिवार में बहुत सी होली की शुभकामनायें मिली किन्तु दुःख यह रहा कि  इंटरनेट के सही रूप से काम  न कर पाने के कारण  मैं अभी तक किसी को भी होली की शुभकामनायें प्रेषित नहीं कर पाई हूँ फिर मैंने सोचा की क्यों न मैं एक पोस्ट के माध्यम से ये पुनीत कार्य कर ही डालूँ.     आज जब मैं बाज़ार से घर लौट रही थी तो देखा कि स्कूलों से बच्चे रंगे हुए लौट रहे हैं और वे खुश भी थे जबकि मैं उनकी यूनीफ़ॉर्म के रंग जाने के कारण ये सोच रही थी कि जब ये घर पहुंचेंगे तो इनकी मम्मी ज़रूर इन पर गुस्सा होंगी .बड़े होने पर हमारे मन में ऐसे ही भाव आ जाते हैं जबकि किसी भी त्यौहार का पूरा आनंद   बच्चे ही लेते हैं क्योंकि वे बिलकुल निश्छल भाव से भरे होते हैं और हमारे मन चिंताओं से ग्रसित हो जाते हैं किन्तु ये बड़ों का ही काम है कि वे बच्चों में ऐसी भावनाएं भरें जिससे बच्चे अच्छे ढंग से होली मनाएं.हमें चाहिए कि हम उनसे कहें कि होली आत्मीयता का त्यौहार है इसमें हम सभी को मिलजुल कर आपस में ही त्यौहार मानना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए की हमारे काम से किसी के दिल को चोट न पहुंचे.ये कह कर 

ये है मिशन लन्दन ओलंपिक !

चित्र
          आज  भारत  में  चारों ओर हॉकी  टीम ने  अपने प्रदर्शन से धूम मचा रखी है .८ वर्ष बाद ओलम्पिक में भाग लेने का ये जो सुनहरा अवसर भारतीय हॉकी   टीम ने हासिल किया है उसे लेकर  सारे भारत को उनसे बहुत आशाएं हैं और आज सारा भारत उनके लिए यही दुआ मांग रहा है कि २०१२ का हॉकी गोल्ड भारत को ही प्राप्त हो.                                 हॉकी में भारत का विश्व में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है.मेजर  ध्यानचंद  हॉकी के जादूगर  की  उपाधि से नवाजे गए हैं .                   हॉकी भारतवर्ष के राष्ट्रीय खेल  का स्थान रखता है और पिछले कुछ समय के प्रदर्शन के कारण इस खेल पर जो  उँगलियाँ उठने लगी थी अब उन्हें झुकाने का समय भारतीय टीम ने हासिल किया है.और हमें पूरी आशा है कि भारतीय टीम ये स्वर्णिम अवसर कभी नहीं गवायेंगी.                         भारतीय टीम को जोश से भरने हेतु ''शिखा कौशिक'' जी द्वारा स्वरबद्ध,स्वरचित ये गाना भी मैं यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ जिससे  मेरी  इस पोस्ट  की गुणवत्ता  में  अभिवृद्धि  होगी  और मैं ये मानती  हूँ  कि ये गाना भारतीय टीम में जोश भर