बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ]

 
''मनोज सुन ''नरेन् ने आवाज़ लगाई ,हाँ ,क्या है ? ''फ्री है ?हाँ अभी तो एक घंटा फ्री ही हूँ ,तू बता न क्या कह रहा है ,पता है मनोज! मैंने आज सुबह सूर्योदय में एक खास सपना देखा है कि मैं राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहा हूँ और पता है ये सपना मैंने सुबह सुबह देखा है ,नरेन् का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था ,चल नरेन् तेरे तो मजे आ गए .कहते हैं सूर्योदय के समय देखे गए सपने तो १ से २ हफ्ते में फलदायी होते हैं ,फिर तो तेरे पास टाइम रहेगा नहीं चल मिठाई अभी खिला दे ,ये कह मनोज व् नरेन् रूम से बाहर निकलने ही वाले थे  कि गेट पर खड़े कन्हैय्या ने उन्हें रोकते हुए कहा ,''बाबूजी ! एक बात कहूँ ,देखिये बुरा मत मानियेगा ,कहूँ क्या ? हाँ ,हाँ ,कहो आज हमारा मूड बहुत अच्छा है बुरा मानने का तो सवाल ही नहीं उठता ,कहो जल्दी टाइम नहीं है ,मिठाई लेने जाना है ,व्यग्रता से नरेन् ने कन्हैय्या से से कहा ,''पता है बाबूजी ,मैंने भी आपकी ही तरह आज से दस साल पहले सुबह सुबह एक सपना देखा था कि मैं इस कॉलेज का प्रबंधक हो गया हूँ और मैंने ख़ुशी ख़ुशी अपना यह सपना सारे  मौहल्ले को सुना दिया था और मिठाई भी बाँट दी थी ,फिर ...फिर क्या हुआ?तुम फिर यहाँ एंट्री में क्या कर रहे हो ? बताता हूँ बाबूजी !मैं इसी ख़ुशी में कि सपना हफ्ते दस दिन में पूरा होने वाला है ,यहाँ भी आ गया और मैंने यहाँ के कॉलेज मैनेजमेंट को भी अपना सपना सुना दिया तो उसमे जो सबसे बुजुर्ग थे वे बोले -"कि कन्हैय्या ! तुमने अपना सपना हमें सुनाया और क्योंकि सपना सुनाने से वह निष्फल हो जाता है और इसी तरह से अशुभ सपने का प्रभाव कम किया जाता है .दूसरों को सुनाने से सपने के फल में कमी आती है और तुमने जो देखा था वह शुभ स्वप्न था जिसे तुमने अपनी व्यग्रता में निष्फल कर दिया  और क्योंकि यहाँ हफ्ते दस दिन में फलदायी होता तो ये तो वैसे भी निष्फल ही होना था क्योंकि यहाँ प्रबंधक का कोई चुनाव अभी साल भर से पहले नहीं होना है ,हाँ ! तुम अगर चाहो तो इसका फल कम होने पर भी इसका सबसे कम फल पा सकते हो हमारे यहाँ एंट्री की नौकरी है जहाँ यहाँ आने जाने वालों का बयोरा रखा जाता है तुम वह नौकरी पा सकते हो .''ये कहकर कन्हैय्या अपना रुंधा कंठ ले रूम से बाहर  निकल गया और नरेन् व् मनोज एक दूसरे का मुहं देखते रह गए .
      शालिनी कौशिक 
              [कौशल ]

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
nice...shalini ji.
inke sapne bhi sach hote dikh nhi rhe hein...hahaha
सपने तो सपने होते हैं !!
vishvnath ने कहा…
बढ़िया कटाक्ष किया है ,,,,सोचना होगा उन लोगो को ...

vishva
virendra sharma ने कहा…
बढ़िया मनोवैज्ञानिक कथ्य आखिर हम सपने ही तो बुनते हैं प्रजातंत्र में ,उन्हीं के सौदागर हैं राजनीतिक धंधे बाज़ .
सपना ही तो है देखने में क्या जाता है,,,

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ठीक कहा है !
जलने वालों से कभी, कहें न मन की बात |
पाँव तले रौंदें सभी, ये मन के जज्वात ||
kshama ने कहा…
Bahut achha laga aapko padhana...laga kisee apne se mil rahi hun!
Shikha Kaushik ने कहा…
बिल्कुल सही कहा है आपने ..मन को छू गयी आपकी कहानी .आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
Parul kanani ने कहा…
jab insaan sapnon ki sahi dastak sun leta hai..to uska vyktitva bahut uper utha jata hai...bahut acchi likhi hai..
vijai Rajbali Mathur ने कहा…
जिन मोदी साहब को यहाँ इंगित किया गया है उनको 'दिवा स्वप्न' दिखा कर पुदीने की फुनगी पर पहुंचाया जा रहा है फिर तो परिणाम जो होना है होगा ही।
Prashant Suhano ने कहा…
बहुत बढ़िया कटाक्ष किया है आपने.. शुभकामनाएं

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