संदेश

फ़रवरी, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इम्तिहान-ए-तहम्मुल लिए जा रहे हैं ये ,

चित्र
सरज़मीन नीलाम करा रहे हैं ये , सरफ़रोश बन दिखा रहे हैं ये , सरसब्ज़ मुल्क के बनने को सरबराह सरगोशी खुलेआम किये जा रहे हैं ये . .................................. मैकश हैं गफलती में जिए जा रहे हैं ये, तसल्ली तमाशाइयों से पा रहे हैं ये , अवाम के जज़्बात की मजहब से नज़दीकी जरिया सियासी राह का बना रहे हैं ये . ...................................................... ईमान में लेकर फरेब आ रहे हैं ये , मजहब को सियासत में रँगे जा रहे हैं ये , वक़्त इंतखाब का अब आ रहा करीब वोटें बनाने हमको चले आ रहे हैं ये . ..................................................... बेइंतहां आज़ादी यहाँ पा रहे हैं ये , इज़हारे-ख्यालात किये जा रहे हैं ये , ज़मीन अपने पैरों के नीचे खिसक रही फिकरे मुख़ालिफ़ों पे कसे जा रहे हैं ये . ............................................ फिरकापरस्त ताकतें उकसा रहे हैं ये , फिरंगी दुश्मनों से मिले जा रहे हैं ये , कुर्बानियां जो दे रहे हैं मुल्क की खातिर उन्हीं को दाग-ए-मुल्क कहे जा रहे हैं ये . ............................................. इम्तिहान-ए-तहम्मुल लिए जा रहे हैं ये , त

अभी राजनीति सीखनी होगी भाजपा को

चित्र
'मोदी मूंछ के बाल हैं, राहुल पूंछ के बाल' लोकसभा चुनाव का एक-एक दिन करीब आ रहा है और नेता एक-दूसरे पर हमला बोलते हुए मर्यादा या संयम का लिहाज भूलते जा रहे हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भाजपा के पीएम पद के दावेदार नरेंद्र मोदी को 'नपुंसक' करार दिया, तो बवाल हो गया।[अमर उजाला से साभार ] आजकल के समाचार पत्र भरे पड़े हैं ऐसी शीर्षक युक्त चटपटी सुर्ख़ियों से यही कही जा सकती हैं ऐसी टिप्पणियाँ और ये ऐसे दलों द्वारा की जा रही हैं जो कि इस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां हैं.देश की बागडोर सँभालने का जिम्मा मुख्यतया इन्हीं दोनों के कन्धों पर है .इन दोनों दलों में अनुभव ,सत्ता की दावेदारी ,लोकप्रियता ,सदस्य संख्या आदि मोर्चों पर कॉंग्रेस भाजपा से आगे है वहीँ महत्वाकांक्षा ,लोकतंत्र ,मुखालफत आदि मोर्चों पर भाजपा कॉंग्रेस से ,ऐसे में अभी अभी एक नया मोर्चा और उभरा है और वह है ''राजनीतिक शब्दावली का ज्ञान ''राजनीतिक शब्दावली अर्थात वह भाषा जिससे राजनेता अपने विपक्षियों को विभूषित करते हैं उनके परिवारों अर्थात सम्बंधित पार्टी पर कटाक्ष करते हैं

माफ़ी मांगने की अक्ल भाजपाईयों में अभी क्यूँ ?

चित्र
लगता है कि चुनावों का समय बहुत करीब आ गया है और अब भाजपा जो मूलतः हिंदुओं को साथ लेकर चलने का दम भरती है और हिंदुओं के ही साथ से सत्ता में अपने लिए कुर्सी पक्की  करने की कोशिश करती है अब मुस्लिमों के वोट भी अपने लिए महत्वपूर्ण समझ रही है और उनसे अपनी किसी गलती के लिए सर झुकाकर माफ़ी मांगने को भी स्वयं को प्रस्तुत कर रही है .राजनाथ जी कहते हैं कि यदि हमसे कोई भी गलती [कोई भी गलती ]का यदि आकलन किया जाये तो जो भाजपा ने आज तक किया है वह मात्र गलती नहीं कही जा सकती वह गुनाह कहा जाता है .बाबरी मस्जिद का विध्वंस न केवल धर्म विशेष के इबादत स्थल का विनाश था बल्कि वह हमारे देश की सहिष्णु संस्कृति का भी विनाश था और ऐसा करना भाजपा ने केवल अपने सत्ता की राह को सुविधाजनक बनाने के लिए किया और ऐसा कर वह जिस समुदाय को अपने से जोड़ रही थी उसकी महत्वाकांक्षा राम मंदिर के रूप में भी वह पूर्ण नहीं कर पायी बल्कि उसके कितने ही नवयुवकों को इसी भाजपा ने धर्म की ऐसी आग में धकेला कि उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया .गोधरा के दंगे इस बात का प्रमाण हैं कि मोदी कितने सहिष्णु हैं देश के इन धर्मावलम्बियों के प्रति

चंहु ओर विराजमान !

चित्र
 सुन्दर कर्म पुण्य और दान फल भविष्य में अगले जन्म में , दुःख ,पाप , संताप कष्ट वर्त्तमान में इसी जन्म में फिर मनुज की प्रतीक्षा वर्त्तमान या भविष्य चयन मात्र वर्त्तमान तभी पाप का साम्राज्य कष्ट का अस्तित्व दुःख की उपस्थिति संताप की प्रत्यक्षता आज है चंहु ओर विराजमान अपने सशक्त स्वरुप में चंहु ओर विराजमान !  शालिनी कौशिक [कौशल ]

मेरी चाय में कहे तू कैसे ,स्वाद नहीं है आता,

चित्र
चले पहनकर सिर पर टोपी .अचकन और पजामी , मियां शराफत ने हाथों में ले ली बेंत बदामी . ....................................................... इत्र लगाया बांह पर अपनी ,मूंछ को किया रंगीन , जूती पहनी पाकिस्तानी ,पैर न छुए ज़मीन . .............................................................. मिले अकड़कर गले दोस्त के ,बोले भाई सलाम , तुमसे मिलने हम हैं आये ,छोड़ के काम तमाम . .................................................. अबकी बार खड़ा हूँ तेरे ,शहर विधायक पद पर , जिम्मेदारी मुझे जिताने की ,तेरे काँधे पर . .............................................................. हम दोनों की जात एक है ,काम भी एक है प्यारे , मेरा साथ अगर तू दे दे ,होंगे वारे न्यारे . ............................................................ मैं बेचूं हूँ रोज़ तरक्की ,तुझको ख्वाब दिखाकर , तू बेचे है आटा चावल ,कंकड़ धूल मिलाकर . ...................................................... मेरी चाय में कहे तू कैसे ,स्वाद नहीं है आता, तेरे घर से दूध में पानी ,आता दूध से ज्यादा . .........................................

हँसे जा रहा है हँसे जा रहा है .

चित्र
मृत्यु का आलिंगन मनुष्य के लिए स्वयं करना है कायरता जीवन व्यतीत करना भले बने मनुज के लिए एक विवशता फिर भी कायर न कहलाये खून के घूँट पीता जीये जा रहा है और ईश्वर देख अपनी माया की सफलता मोह की ज़ंज़ीरों में उसे बंधा समझ पालन के कर्त्तव्य में होकर विफल भी हँसे जा रहा है हँसे जा रहा है . ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; शालिनी कौशिक [कौशल ]

आभास और संकेत

चित्र
कल्पना ख्वाब गफलत आभास एक नारी मन का ! हकीकत चेतन यथार्थ संकेत एक पुरुष सोच का ! कल्पना कर नारी सजाये सुन्दर घर ख्वाब देख रखे खुशियों की तमन्ना गफलत में माने सब अपना . हकीकत दिखाए जीवन की पुरुष सबको चेतन अवस्था में ले आये शिथिल मन को यथार्थ ला उजाड़े ख्वाबों के उपवन को . शालिनी कौशिक [woman about man]

कॉंग्रेस में ही है दम

आखिर कॉंग्रेस ने एक बार फिर दिखा दिया कि देश हित में वह किसी भी हद पर जाकर अपने दुश्मनों को भी साथ लेकर चल सकती है और उन्हें अपनी बात मानने को मजबूर कर सकती है .तेलंगाना पर अपनी धुर विरोधी भाजपा को कॉंग्रेस ने अपने साथ इस खूबी से जोड़ लिया कि वह कॉंग्रेस को कमजोर ,जनहित विरोधी सरकार कहते कहते न न करते हुए उससे अलग न हो सकी .यह खूबी कॉंग्रेस में ही है कि वह जो ठान ले उसे पूरा करके ही दम लेती है ऐसे में कॉंग्रेस से ही ये आशा की जा सकती है कि वह उत्तर प्रदेशके नागरिकों को भी इतने बड़े राज्य से उत्पन्न कठिनाइयों से छुटकारा दिलाएगी और मायावती जी द्वारा की गयी पहल के अनुसार उत्तर प्रदेश के चार टुकड़े कराकर यहाँ के नागरिकों को उनकी मेहनत के अनुसार सही फल दिलाएगी क्योंकि सभी दलों को सही राह दिखने की जो क्षमता कॉंग्रेस में है वह किसी में नहीं और ये कॉंग्रेस अध्यक्षा द्वारा देश हित के मुद्दों पर सभी दलों से और विपक्ष की नेता से बिना किसी अहम् के सहयोग की अपील किये जाने जैसे कृत्य स्वयंमेव ही साबित कर देते हैं .किसी शायर ने क्या खूब कहा है - ''कोई दुश्मन भी मिले तो करो बढ़कर सलाम, पहले खुद झ

भाजपा सर्वाधिक लोकतान्त्रिक-कॉंग्रेस की तारीफ क्यूँ ?

चित्र
नरेंद्र मोदी ने कहा, "उनके लिए लोकतंत्र का सीमित अर्थ है और वो है चुनाव के जरिया सत्ता तक पहुंचना। बाकी किसी प्रकार से कांग्रेस के जीवन में लोकतंत्र नहीं है। लोकतंत्र के चार दुश्मन - वंशवाद-परिवारवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, अवसरवाद। कांग्रेस में ये चारों चीजें हैं।" नरेंद्र मोदी जी का उक्त विश्लेषण ये तो स्पष्ट करता ही है कि उन्हें बहुत शीघ्र राजनीति में डॉक्ट्रेट की उपाधि मिलने वाली है किन्तु ये उपाधि उन्हें उनकी पार्टी से धक्के मारकर निकालने के बाद ही दी जायेगी क्योंकि उनका सारा ध्यान एकमात्र कॉंग्रेस पर ही लगा है और इस सारी लीपापोती में वे ये नहीं देख पा रहे हैं कि जो गुण वे कॉंग्रेस में बता रहे हैं वे आज लगभग सभी पार्टियों में रच बस गए हैं . वे कहते हैं कि लोकतंत्र के चार दुश्मन -जिसमे सबसे पहले वंशवाद -परिवारवाद-क्या केवल कॉंग्रेस में जबकि सपा के नेताजी के चश्मो चिराग अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं ,भाजपा में विजयराजे सिंधिया की सुपुत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं ,राजनाथ सिंह जो इस वक्त भाजपा के अध्यक्ष हैं उनके सुपुत्र पंकज सिंह

''प्यार कर्म प्यार धर्म प्यार प्रभु नाम है."

चित्र
"    प्यार है पवित्र पुंज ,प्यार पुण्य धाम है. पुण्य धाम जिसमे कि राधिका है श्याम  है . श्याम की मुरलिया की हर गूँज प्यार है. प्यार कर्म प्यार धर्म प्यार प्रभु नाम है." एक तरफ प्यार को "देवल आशीष"की उपरोक्त पंक्तियों से विभूषित किया जाता है तो एक तरफ प्यार को "बेकार बेदाम की चीज़ है"जैसे शब्दों से बदनाम किया जाता है.कोई कहता है जिसने जीवन में प्यार नहीं किया उसने क्या किया?प्यार के कई आयाम हैं जिसकी परतों में कई अंतर कथाएं    छिपी हैं .प्रेम विषयक दो विरोधी मान्यताएं हैं-एक मान्यता के अनुसार यह व्यर्थ चीज़ है तो एक के अनुसार यह  जीवन में सब कुछ है .पहली मान्यता को यदि देखा जाये तो वह भौतिकवाद  से जुडी है .जमाना कहता है कि लोग प्यार की अपेक्षा दौलत को अधिक महत्व देते हैं लेकिन यदि कुछ नए शोधों पर ध्यान दें तो प्यार का जीवन में स्थान केवल आकर्षण तक ही सीमित  नहीं है वरन प्यार का जीवन में कई द्रष्टिकोण  से महत्व है .न्यू   हेम्पशायर विश्व विध्यालय के प्रोफ़ेसर एडवर्ड लीमे और उनके येल विश्व विध्यालय के साथियों ने शोध में पाया कि जिन लोगों को

हसीबा को फिर से सामने लाओ -हर हाथ हसीबा के साथ

चित्र
  आजकल लोकसभा चुनाव २०१४ की तैयारियां ज़ोरों पर हैं .सभी दल अपनी अपनी तरह से चुनावों का प्रचार कर रहे हैं और सभी दलों को ऐसा अधिकार भी है किन्तु एक दल को यह अधिकार न तो हमारा मीडिया देना चाहता है और न ही विपक्षी दल .इसीलिए जैसे ही कॉंग्रेस ने अपना चुनाव प्रचार आरम्भ किया तो विपक्षी दलों व् मीडिया दोनों को ही आग सी लग गयी और दोनों ही जुट गए कॉंग्रेस के प्रचार में लगी प्रचारक पर प्रहार करने . दूरदर्शन पर जिस दिन से हसीबा अमीन ने कॉंग्रेस से २०१४ के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के सम्भावित उम्मीदवार राहुल गांधी जी के पक्ष में प्रचार आरम्भ किया तभी विभिन्न वेबसाइट हसीबा अमीन को राहुल गांधी से ठीक वैसे ही जोड़ने लगी जैसे आम भारतीय समाज में यदि कोई कामकाजी महिला किसी पुरुष सहकर्मी से बात कर लेती है तो फ़ौरन उसके साथ उसकी प्रेम कहानियां बतायी जाने लगती हैं यही नहीं कॉंग्रेस में इस नए चेहरे को इन वेबसाइट ने इतना महत्व दिया कि उसे ३०० करोड़ के घोटाले जैसे झूठ में भी फंसाने की साजिशें आरम्भ हो गयी जबकि हसीबा एकमात्र वह शख्सियत हैं जो इस स्वतंत्र भारत में अपने पसंद के दल से जुड़ते हैं

खिले कमल है कीचड में ही -हाथ से नाल जुडी है .

चित्र
आधी बांह का कुरता पहने ,उलटे हाथ घडी है , सिर पर पगड़ी पहन सुनहरी ,त्यौरी चढ़ी पड़ी है . ................................................................... अपने घर को छोड़ के भागे ,बाप का माल हड़पने , काम पड़े पर कहे तुनककर ,मेरी नहीं अड़ी है . .............................................................................. खुद के काम के ढोल बजाये ,और में कमी निकाले , अपनी बात की तारीफों की आदत इसे बड़ी है . .................................... शीशे के घर में रहकर ये ,मारे कंकड़ पत्थर , भूल गया खुद उसकी मूरत ,लाठी लिए खड़ी है . ......................... अपने दम आगे बढ़ने की ,हिम्मत नहीं है जिसमे , हाथ बांधकर वह हस्ती ही ,करने नक़ल बढ़ी है . ......................................... जिस ताकत ने किया मुल्क का ,नाम जहाँ में ऊँचा , उसे मिटाने की सौगंध ले ,थामी हाथ छड़ी है . ........................................ ख़तम अगर करने की कुव्वत ,ख़तम करो मक्कारी , जो सत्ता की दहलीजों में,दीमक लगी कड़ी है . ................................................................. खिले कमल है कीचड में ही ,सबने यहाँ है