संदेश

अक्तूबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

''तेरहवीं''

''तेरहवीं'' ''पापा''अब क्या करोगे ,दीदी की शादी को महीना भर ही रह गया है और ऐसे में दादाजी की मृत्यु, ये तो बहुत बड़ा खर्चा पड़ गया ,विजय ने परेशान होते हुए अपने पापा मनोज से कहा .मनोज बोला -''बेटा;क्यों परेशान होता है ,ये तो हमारे लिए बहुत आराम का समय है .वो कैसे पापा?  वो ऐसे बेटा कीमैं तो तेरे चाचाओं  से  पहले ही कह दूंगा की मुझे तो अपनी बेटी की शादी की तैयारी करनी है इसलिए न तो मैं अंतिम संस्कार ही कर पाऊँगा और न ही इससे सम्बंधित कोई खर्चा ,वैसे भी हम वैश्य जातिऔर सभी जानते हैं की वैश्य जाति में शादी में कितना खर्चा होता है .पापा की बात सुन विजय के चेहरे पर भी चमक आ गयी ,तभी जैसे उसे कुछ याद आया और वह बोला ,''पर पापा चाचा तो बाबाजी के पैसे मांगेगे और कहेंगे कीहमें वे ही दे दो हम उनसे ही उनके अंतिम संस्कार  का खर्चा निकाल लेंगे ,अरे बेटा तू तो बहुत आगे की सोच रहा है ,पिताजी के पास अब कोई पैसा था ही कहाँ ,वो तो सारा ही बाँट चुके थे और रहा जो उनके बक्से में कुछ पैसा रखा है उसे उठा और अपने कमरे में ले चल ,वो कह देंगे की उनके खाने

जन सहयोग जरूरी पर स्वच्छ मन से

चित्र
   2 अक्टूबर का दिन और इंडिया गेट हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं किन्तु अचानक अति महत्वपूर्ण श्रेणी में आ गए तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस दिन इस स्थान पर अपनी महत्वाकांक्षी योजना ''स्वच्छ भारत अभियान ''की शुरुआत की और देशवासियों को माँ भारती को स्वच्छ रखने के लिए काम से काम १०० घंटे का श्रमदान करने की शपथ दिलाई .दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ पर उन्होंने शपथ दिलवाई ''न गंदगी करूँगा न करने दूंगा।''    गंदगी जो आज भारत में विस्तृत अर्थों में व् विस्तृत क्षेत्रों में फैली हुई है .७९ लाख टन कचरा भारत में प्रतिवर्ष निकलता है और ८०%गंदगी शहरों से प्रतिवर्ष पवित्र गंगा में आती है .      पी आई वी के स्रोत से प्राप्त जानकारी के अनुसार हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता की भारी कमी है ,अगर ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ भारत अभियान को ठीक से चलाया जायेगा तो निश्चित रूप से लोगों के जीवन स्तर में तो सुधार होगा ही ,स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च भी घटेगा .       २०११ की जनगणना की शौचालय सुविधा पर आधारित आंकड़े बताते हैं कि सबसे कम ग्रामीण स्वच्छता वाले राज्य हैं

अब पछताए क्या होत-[कहानी]

चित्र
विनय के घर आज हाहाकार मचा था .विनय के पिता का कल रात ही लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया .विनय के पिता चलने फिरने में कठिनाई अनुभव करते थे .सब जानते थे कि वे बेचारे किसी तरह जिंदगी के दिन काट रहे थे  और सभी अन्दर ही अन्दर मौत की असली वजह भी जानते थे किन्तु अपने मन को समझाने के लिए सभी बीमारी को ही मौत का कारण मानकर खुद को भुलावा देने की कोशिश में थे .विनय की माँ के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे . बच्चे और पत्नी इधर उधर के कामों में व्यस्त थे ....नहीं थी तो बस अवंतिका......विनय की बेटी....कहाँ है अवंतिका ...छोटी सी  सबकी आँखों का तारा  आज कहाँ है ,दादा जी के आगे पीछे डोल डोल कर कभी टॉफी  ,कभी आइसक्रीम के लिए उन्हें मनाने वाली अवंतिका .....सोचते सोचते विनय अतीत में पहुँच गया. मम्मी पापा का इकलौता बेटा होने का खूब सुख उठाया विनय ने ,जो भी इच्छा होती तत्काल पूरी की जाती ,अब कॉलिज जाने लगा था .मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों  से ज्यादा थी .दिलफेंक ,आशिक ,आवारा ,दीवाना न जाने ऐसी कितनी ही उपाधियाँ विनय को मिलती रहती पर मम्मी ,वो तो शायद बेटे के प्या

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं -''शालिनी''के दीप हजारों काम यही कर जायेंगे -

चित्र
''शालिनी''के दीप हजारों काम यही कर जायेंगे -दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं  वसुंधरा के हर कोने को जगमग आज बनायेंगे , जाति-धर्म का भेद-भूलकर मिलकर दीप जलाएंगे . ....................................................................... पूजन मात्र आराधन से मात विराजें कभी नहीं , होत कृपा जब गृहलक्ष्मी को हम सम्मान दिलायेंगें . ............................................................................. आतिशबाजी छोड़-छोड़कर बुरी शक्तियां नहीं मरें , करें प्रण अब बुरे भाव को दिल से दूर भगायेंगे . .............................................................................. चौदह बरस के बिछड़े भाई आज के दिन ही गले मिले , गले लगाकर आज अयोध्या भारत देश बनायेंगे . ................................................................................... सफल दीवाली तभी हमारी शिक्षित हो हर एक बच्चा , छाप अंगूठे का दिलद्दर घर घर से दूर हटायेंगे . ............................................................................... भ्रष्टाचार ने मारा धक्का मुहं खोले महंगाई खड़ी , स्वार्थ को

good servant but a bad master -सोशल साइट्स

चित्र
जनलोकपाल का मुद्दा और जनांदोलन कोई ऐसी नयी बात नहीं थी पहले भी ऐसे बहुत से मुद्दे लेकर जनांदोलन होते रहे  और थोड़ी बहुत असहज परिस्थितियां सरकार के लिए उत्पन्न करते रहे किन्तु यह आंदोलन अन्ना और केजरीवाल की अगुआई में एक ऐसा आंदोलन बना कि सरकार की जड़ें हिला दी कारण था इसका सोशल साइट्स से भी जुड़ा होना और सोशल साइट्स के माध्यम से जनता के एक बहुत बड़े वर्ग की इसमें भागीदारी और इसी का परिणाम रहा दशकों से लटके जनलोकपाल के मुद्दे पर सरकार का सकारात्मक कदम उठाना। रेप ,गैंगरेप रोज़ होते हैं थोड़ी चर्चा का विषय बनते हैं और फिर भुला दिए जाते हैं किन्तु १६ दिसंबर २०१२ की रात को हुआ दामिनी गैंगरेप कांड देश ही नहीं सम्पूर्ण विश्व को हिला गया और इसका कारण भी वही था सोशल साइट्स ,सोशल साइट्स के माध्यम से रातो रात ये खबर सारे विश्व में फ़ैल गयी और इन सोशल साइट्स ने ही जगा दी संवेदना सदियों से सोयी उस दुनिया की जो रेप ,गैंगरेप की दोषी पीड़िता को ही मानते रहे सदा सर्वदा और पहली बार दुनिया उठ खड़ी हुई एक पीड़िता के साथ इस अपराध के खिलाफ उसके लिए न्याय की मांग करने को . महंगाई ,भ्रष्टाचार ,महिलाओं के प्रति बढ़त

करवा चौथ - श्री नरेंद्र मोदी जी और जशोदा बेन

चित्र
      11 अक्टूबर को हिन्दू सुहागिन स्त्रियां उल्लास व् उत्साह से भरकर करवा चौथ का पर्व मनाएंगी जिनमे से अधिकांश को छलनी में चन्द्रमा देवता के दर्शन के बाद अपने पति के मुख का प्रत्यक्ष दर्शन करने का सौभाग्य भी प्राप्त होगा और जिनके पति उनके पास नहीं हैं उनके पति उनसे आधुनिक संचार तकनीक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये रु-ब-रु होंगे किन्तु एक विवाहिता ऐसी भी है जो दशकों से अपने पति के लिए व्रत भी रख रही है और उनके आने का इंतज़ार भी ,जो पति का साथ देने को कुछ भी करने को तैयार है ,बरसों बरस के त्याग के अपमान का गरल पीने के बावजूद वह धरती माँ की गोद में माता सीता की भांति शरण नहीं मांगती अपितु अपने पति को क्षमा कर पति के साथ रहने को तैयार है। Jashodaben to Modi: I am extremely happy he is becoming PM, he accepted me as wife      क्या शिक्षक दिवस पर बच्चों की क्लास लगाकर बच्चों का दिल जीतने वाले और विजयादशमी पर्व पर मन की बात के जरिये जनता जनार्दन से जुड़ने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अपनी धर्मपत्नी जशोदा बेन को इस करवा चौथ पर उनकी  त्याग -तपस्या का फल उन्हें अपनाकर