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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या राहुल सोनिया के कहने पर कुँए में कूदेंगी जयंती ?

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नईम अहमद ' नईम ' ने कहा है - '' हथेली जल रही है फिर भी हिम्मत कर रहा हूँ मैं ,   हवाओं से चिरागों की हिफाज़त कर रहा हूँ मैं .'' बिलकुल यही अंदाज़ दिखाते हुए पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने शुक्रवार ३० जनवरी २०१५ को कांग्रेस पार्टी छोड़ दी .राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्होंने जो किया उसके सम्बन्ध में तो उन्हें सही कहना गलत होगा किन्तु ये अवश्य कहना होगा कि ये करते हुए उन्होंने राष्ट्रपिता के ' सत्य ' के सिद्धांत का अवश्य पालन किया और वह यह कहते हुए कि ' मैंने कुछ गलत नहीं किया ' सही कह रही हैं जयंती नटराजन ,उन्होंने गलत नहीं किया और इसलिए अपने पिछले कर्मो के सम्बन्ध में जो उन्होंने राहुल गांधी के कहने पर किये उनके लिए तो उन्हें जेल जाने या फांसी चढ़ने का डर अपने मन से निकाल ही देना चाहिए और अब ये तो वक्त के ऊपर निर्भर है कि वह दिखाए कि वे सच की हिफाजत कर रही थी या स्वयं की .    जयंती ने कहा कि उन्होंने परियोजनाओं को मंजूरी देने में कांग्रेस उपाध्यक्ष के निर्देश का पालन किया .नटराजन के मुताबिक राहुल के निर्देश पर

...आखिर न्याय पर पुरुषों का भी हक़ है .

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दैनिक जनवाणी से साभार  [False dowry case? Man kills self Express news service  Posted: Feb 07, 2008 at 0321 hrs Lucknow, February 6  A 30-year-old man, Pushkar Singh, committed suicide by hanging himself from a ceiling fan at his home in Jankipuram area of Vikas Nagar, on Wednesday.In a suicide note, addressed to the Allahabad High Court, Singh alleges that he was framed in a dowry case by his wife Vinita and her relatives, due to which he had to spend time in judicial custody for four months. The Vikas Nagar police registered a case later in the day. “During the investigation, if we find it necessary to question Vinita, we will definitely record her statement,” said BP Singh, Station Officer, Vikas Nagar. Pleading innocence and holding his wife responsible for the extreme step he was taking, Singh’s note states: “I was sent to jail after a false dowry case was lodged against me by Vinita and her family, who had demanded Rs 14 lakh as a compensation. Neither my

लोकनिर्माण विभाग -एक सिरदर्द

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आजकल सभी और अफरातफरी का माहौल है आप सभी को पता भी होगा  और कितने ही होंगे जो इस विपदा को झेल भी रहे होंगे .चलिए पहले कुछ चित्र ही देख कर समझ  लें-  अमर उजाला व् हिंदुस्तान दैनिक से साभार  देखा आपने यही हाल है बरसात के इस मौसम में  जानते हैं  मैं  क्या कहना चाह रही हूँ यही  कि उत्तर प्रदेश का लोक निर्माण विभाग सड़कों का निर्माण कुछ इस प्रकार कर रहा है कि जो घर सड़क से काफी ऊँचे बनाये गए थे वे धीरे धीरे सड़क पर ही आते जा रहे हैं.कहने का मतलब ये है कि जब वे घर बनाये गए थे तो सड़क से इतने ऊँचे बनाये गए थे कि बारिश का पानी उन में नहीं घुस सकता था किन्तु अब स्थिति ये है कि जरा सी बारिश होते ही बारिश का पानी घरों में घुस जाता है और स्थिति यही होती है जो ऊपर के चित्रों में दिखाई दे रही है.सड़कें जब भी बनाई जा रही हैं तब ही हर बार वे ऊँची उठ जाती हैं.हाल ये है कि एक समय जो चबूतरे दीखते थे आज वे सड़क का भाग ही दिखाई दे रहे हैं.   इसके साथ ही सड़कों पर पहले जो नालियां बनती थी वे ऐसी बनती थी कि उन पर कोई चैनल न लगा होने पर भी वे सही रहती थी और बरसात में उनमे इतनी जल्दी भराव

भारतीय संविधान अपने उद्देश्य में असफल :प्रधानमंत्री जी एक मन की बात इस विषय पर भी

न्यायाधिपति श्री सुब्बाराव के शब्दों में -''उद्देशिका किसी अधिनियम के मुख्य आदर्शों एवं आकांक्षाओं का उल्लेख करती है .'' इन री बेरुबारी यूनियन ,ए. आई.आर. १९६०, एस. सी. ८४५ में उच्चतम न्यायालय के अनुसार ,'' उद्देशिका संविधान निर्माताओं के विचारों को जानने की कुंजी है .'' संविधान की रचना के समय निर्माताओं का क्या उद्देश्य था या वे किन उच्चादर्शों की स्थापना भारतीय संविधान में करना चाहते थे ,इन सबको जानने का माध्यम उद्देशिका ही होती है .हमारे संविधान की उद्देशिका इस प्रकार है -     '' हम भारत के लोग , भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न ,समाजवादी ,पंथ निरपेक्ष ,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को -सामाजिक ,आर्थिक और राजनैतिक न्याय,विचार,अभिव्यक्ति ,विश्वास ,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता ,प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख २६ नवम्बर १९४९ को एतत्द्वारा इस संविधान को

मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए -तिरंगा शान है अपनी

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तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए , फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए . ............................................... रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके , मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए . ............................................. मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी, शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए . ............................... क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को , इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए . .................................. शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का , हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए . .................................. वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका , पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए . ........................ दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका , ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए . ............................ शालिनी कौशिक [कौशल]