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फ़रवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अकेलापन पुरुष का :ज्यादा घातक

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अकेलापन एक ज़हर के सामान होता है किन्तु इसे जितना गहरा ज़हर नारी के लिए कहा जाता है उतना गहरा पुरुष के लिए नहीं कहा जाता जबकि जिंदगी  का अकेलापन दोनों के लिए ही बराबर ज़हर का काम करता है .नारी  जहाँ तक घर के बाहर की बात है आज भी लगभग पुरुष वर्ग पर आश्रित है कोई भी लड़की यदि घर से बाहर जाएगी तो उसके साथ आम तौर पर कोई न कोई ज़रूर साथ होगा भले ही वह तीन-चार साल का लड़का ही हो इससे उसकी सुरक्षा की उसके घर के लोगों में और स्वयं भी मन में सुरक्षा की गारंटी होती है और इस तरह से यदि देखा जाये तो नारी के लिए पुरुषों के कारण भी अकेलापन घातक है क्योंकि पुरुष वर्ग नारी को स्वतंत्रता से रहते नहीं देख सकता और यह तो वह सहन ही नहीं कर सकता कि एक नारी पुरुष के सहारे के बगैर कैसे आराम से रह रही है इसलिए वह नारी के लिए अकेलेपन को एक डर का रूप दे देता  है और यदि पुरुषों के लिए अकेलेपन के ज़हर की हम बात करें तो ये नारी के अकेलेपन से ज्यादा खतरनाक है न केवल स्वयं उस पुरुष के लिए बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए क्योंकि ये तो सभी जानते हैं कि ''खाली दिमाग शैतान का घर होता है ''ऐसे में समाज मे

.......मर्दों के यूँ न कटें पर .

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फिरते थे आरज़ू में कभी तेरी दर-बदर , अब आ पड़ी मियां की जूती मियां के सर . ............................................................. लगती थी तुम गुलाब हमको यूँ दरअसल , करते ही निकाह तुमसे काँटों से भरा घर . ........................................................ पहले हमारे फाके निभाने के थे वादे , अब मेरी जान खाकर तुम पेट रही भर . ............................................................... कहती थी मेरे अपनों को अपना तुम समझोगी , अब उनको मार ताने घर से किया बेघर . ................................................................. पहले तो सिर को ढककर पैर बड़ों के छूती , अब फिरती हो मुंह खोले न रहा कोई डर . ............................................................... माँ देती है औलाद को तहज़ीब की दौलत , मक्कारी से तुमने ही उनको किया है तर . ................................................................... औरत के बिना सूना घर कहते तो सभी हैं , औरत ने ही बिगाड़े दुनिया में कितने नर . .......................................................... माँ-पिता,बहन

आखिर कब तक गांधी-नेहरू परिवार का पल्लू थामे रहेंगे कॉंग्रेसी

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इधर छुट्टी पर राहुल, उधर प्रियंका के लिए छपे पोस्टर राहुल गांधी के छुट्टी पर जाते ही कॉंग्रेसियों में प्रियंका गांधी के सक्रिय रूप से कांग्रेस की कमान सँभालने के लिए जोश भर आया है और हमेशा से किसी चमत्कार की उम्मीद लगाये बैठे ये कॉंग्रेसी स्वयं कुछ न करते हुए हमेशा गांधी परिवार के कन्धों पर ही बैठकर बन्दूक चलाना चाहते हैं .जब कांग्रेस सत्ता में हो तब अपने नाम की जयजयकार बुलवाना कॉंग्रेसियों की पुराने आदत हो चली है और जब सत्ता से बाहर तो गांधी परिवार पर दोष मढ़कर अपना दामन पाक साफ़ कर लेते हैं .राजीव गांधी जी की हत्या के बाद जब गांधी परिवार का कोई कांग्रेस में सक्रिय रूप से कुछ नहीं कर रहा था तब इन्हीं कोंग्रेसियों ने कांग्रेस का भट्टा बिठा दिया था और तब सोनिया गांधी जी ने ही आकर इस कांग्रेस को बुलंदियों पर पहुँचाया आज जब कांग्रेस अपने बुरे दौर में है तब इन्हीं कोंग्रेसियों को राहुल गांधी में कमी नज़र आ रही है सोनिया जी में चमत्कार नहीं नज़र आ रहा है अब केवल राजनीति से दूरी बनाये बैठी प्रियंका गांधी ही इन्हें अपनी डूबती नैया की खेवनहार नज़र आ रही हैं कि शायद वे ही आकर इन्हें संभा

मौके -बेमौके ''शालिनी''ने भी कोशिश ये की है .

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बात न ये दिल्लगी की ,न खलिश की है , जिंदगी की हैसियत मौत की दासी की है . ................................................................... न कुछ लेकर आये हम ,न कुछ लेकर जायेंगें , फिर भी जमा खर्च में देह ज़ाया  की है . ..................................................................... पैदा किया किसी ने रहे साथ किसी के , रूहानी संबंधों की डोर हमसे बंधी है . ........................................................................ नाते नहीं होते हैं कभी पहले बाद में , खोया इन्हें तो रोने में आँखें तबाह की हैं. ................................................................... मौत के मुहं में समाती रोज़ दुनिया देखते , सोचते इस पर फ़तेह  हमने हासिल की है . ..................................................................... जिंदगी गले लगा कर मौत से भागें सभी , मौके -बेमौके ''शालिनी''ने भी कोशिश ये की है . ........................................................................... शालिनी कौशिक [कौशल ]

अगले सप्ताह जम्मू कश्मीर में हो जाएगा सरकार का गठन-और ये है सिद्धांतो का पतन भाजपा के

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जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भाजपा के बीच सहमति बन गई है। इसके तहत पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद का सीएम बनना तय हुआ है। एक हफ्ते में सरकार बनने की संभावना है। मोदी से मिलेंगे मुफ्ती: मुफ्ती सईद अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और तभी सरकार गठन की घोषणा होने की संभावना है। विवादित मुद्दों पर बात बनी: मुंबई में एक हफ्ता बिताकर शुक्रवार को कश्मीर लौटे मुफ्ती सईद के एक निकटवर्ती सूत्र ने बताया कि दोनों दलों में सभी विवादित मुद्दों पर सहमति बन गई। इनमें अनुच्छेद 370, सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम और पश्चिमी पाक शरणार्थियों की स्थिति जैसे मुद्दे शामिल हैं। भाजपा ने धारा 370 पर अपनी घोषित नीति में बदलाव किया है। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के इस अनुच्छेद को हटाने के बजाए पार्टी पहले इस पर देशव्यापी चर्चा की बात करने लगी फिर  प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जम्मू रैली में नीतियों में बदलाव के साफ संकेत दिए और अब ३७० हटाने की बात का खुलकर विरोध करने वाली प