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सत्ता और न्यायालय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुनहगार

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बेंच पर सरकार का गोलमोल जवाब रालोद ने उठाया मुद्दा, विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने का आग्रह अमर उजाला ब्यूरो लखनऊ। विधानसभा में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय लोकदल के दलबीर सिंह ने पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग उठाई। उन्होंने इसके लिए सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया। सरकार ने इस मुद्दों पर गोलमोल जवाब दिया। हालांकि बसपा ने कहा कि प्रदेश विभाजन होने से बेंच की मांग खुद पूरी हो जाएगी। दलबीर सिंह ने कहा कि सस्ते और सुलभ न्याय के लिए पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की स्थापना जरूरी है। पश्चिमी यूपी के कई जिलों के लोगों को न्याय पाने के लिए 800 किमी की दूरी तय करके इलाहाबाद जाना जाना पड़ता है। 22 जिलों में बेंच के लिए आंदोलन चल रहा है। वकील सप्ताह में एक दिन हड़ताल पर रहते हैं। संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने कहा कि बुनियादी तौर पर यह मांग केंद्र सरकार से जुड़ी है। सदन से पहले प्रस्ताव पारित करके भेजा जा चुका है। उन्होंने दलबीर सिंह को सलाह दी कि इस मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करें। हाईकोर्ट के आदेश हो जाएंगे तो ब

पहले अपना घर तो सुधारे भाजपा .

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आज के समय में चारों तरफ उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हो रहे हमलों को लेकर एक खौफनाक दृश्य उपस्थित किया जा रहा है और ऐसे हालत उपस्थित किये जा रहे हैं जैसे उत्तर प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य हो जहाँ ऐसा हो रहा है जबकि हालत इस समय पूरे देश में लगभग यही हैं बस बदनाम केवल उत्तर प्रदेश को किया जा रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जिसकी लोकसभा में सर्वाधिक सीट हैं और यहाँ पर शासन करने का भाजपा का पुराना व् सबसे हसीन  सपना रहा है और इसीलिए सारे देश में उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है उसे अपने ही शासित राज्य नहीं दिखाई दे रहे जहाँ स्थिति कमोबेश यही है और महिला वहां भी सुरक्षित नहीं है .ये बात महज एक बात नहीं है बल्कि निम्नलिखित समाचार भी इसकी पुष्टि करने हेतु पर्याप्त हैं - उत्तर प्रदेश  तस्वीरें: लखनऊ में चलती कार में छात्रा से हुआ गैंगरेप, कोहराम राजधानी लखनऊ में दिनदहाड़े हुए रेप की वारदात ने लोगों को हिलाकर रख दिया हैं। वहीं, घटना पर पुलिस के रूख से भी लोगों में नाराजगी है। UP: आठवीं की छात्रा से कार में गैंगरेप कर सड़क पर फेंका छात्रा स्कूल से निकलन

आजादी ,आन्दोलन और हम

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आजादी ,आन्दोलन और हम [गूगल से साभार] आज सुबह जब मैं नाश्ता तैयार कर रही थी तभी तभी खिड़की की ओर से  दो आवाज़ सुनाई दी एक दूसरे से पूछ रहा था ,''स्कूल नहीं गया?'' ,तो जवाब सुनाई दिया ,''कि नहीं !आज छुट्टी है ''कितने अफ़सोस की बात है कि जिस दिन के लिए हमारे वीरों ने अपने प्राणों की क़ुरबानी दी हम उस दिन के लिए  ऐसे  भाव रखते हैं.'' यूँ तो पहले से ही अफ़सोस था कि आज हम अपनी छत पर तिरंगा नहीं फहरा पाए और वह केवल इस कारण कि हमारे यहाँ बन्दर बहुत हैं और अभी २६ जनवरी को उन्होंने हमारे तिरंगे को कुछ नुकसान पहुंचा दिया था और हम कुछ नहीं कर पाए थे .हम नहीं चाहते थे कि हमारी थोड़ी सी लापरवाही हमारे तिरंगे के लिए हानिकारक साबित हो ,वो भी उस तिरंगे के लिए जिसकी आन के लिए न  जाने कितने वीर शहीद हो गए . जिसके लिए महात्मा गाँधी ने कहा था -''लाखों लोगों ने ध्वज की आन के लिए कुर्बानियां दी हैं .भारत में रहने वाले हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख ,ईसाई सभी के लिए ज़रूरी है कि एक ध्वज के लिए जिए और मरें. '' हमारे घर में तो हमें स्वतंत्रता का

ऐसे ही सिर उठाएगा ये मुल्क शान से -स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ‏

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फरमा रहा है फख्र से ,ये मुल्क शान से , कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से। .................................................. फराखी छाये देश में ,फरेब न पले , कटवा दिए शहीदों ने यूँ शीश शान से . .................................................. देने को साँस लेने के ,काबिल वो फिजायें , कुर्बानी की राहों पे चले ,मस्त शान से . .................................................. आज़ादी रही माशूका जिन शूरवीरों की , साफ़े की जगह बाँध चले कफ़न शान से . ..................................................................... कुर्बानी दे वतन को जो आज़ाद कर गए , शाकिर है शहादत की हर  नस्ल  शान से . ................................................................. इस मुल्क का गुरूर है वीरों की शहादत , फहरा रही पताका यूँ आज शान से . ............................................................... मकरूज़ ये हिन्दोस्तां शहीदों तुम्हारा , नवायेगा सदा ही सिर सरदर शान से . .........................................................................

पुलिस को प्रतिबन्ध का अधिकार नहीं

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हिन्दू धर्मावलम्बी के लिए हर वर्ष कांवड़ यात्रा एक ऐसा धार्मिक समारोह है जिसे लेकर हर उम्र का हिन्दू धर्मावलम्बी उल्लास व् भक्ति से परिपूर्ण रहता है और पुलिस प्रशासन के लिए यह समय बहुत अधिक मुस्तैदी से कार्य करने का होता है क्योंकि ज़रा सी चूक बड़े बवाल को जन्म देती है और यही हुआ है मुरादाबाद मंडल में जहां कांवड़ के बेड़ों से डीजे उतारने पर कटघर में बवाल हो गया - कांवड़ के बेड़ों से डीजे उतारने पर कटघर में बवाल, लाठीचार्ज डीजे पर प्रतिबंध से सुलगा मुरादाबाद मंडल, फोर्स तैनात पुलिस चौकी पर पथराव, पुलिस ने लाठियां भांजकर खदेड़ा, देर रात तक हंगामा अमर उजाला ब्यूरो मुरादाबाद। कांवड़ बेड़ों में डीजे पर प्रतिबंध को लेकर विरोध की चिंगारी पूरे मंडल में फैल गई है। मंगलवार को रामपुर, संभल, अमरोहा और मुरादाबाद में कांवड़ियों व हिंदू संगठनों ने डीजे पर प्रतिबंध के खिलाफ पूरा दिन जगह-जगह जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किए और मुख्यमंत्री के पुतले फूंके। शाम होते-होते ये चिंगारी बवाल में तब्दील हो गई। संभल में पब्लिक ने हाईवे जाम करके हंगामा किया तो मुरादाबाद में कटघर थाने की दस सराय चौकी पर भीड़ ने पथर

याकूब या कोली :फांसी नहीं न्याय की हमजोली

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1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के बाद भारत में फांसी की सजा खत्म करने की आवाज तेज हो रही है। तमाम सामाजिक संगठनों के बाद अब भाजपा सांसद वरुण गांधी भी इस बहस में कूद पड़े हैं और इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार ने भी इस्तीफा दिया है सर्वोच्च न्यायालय के डिप्टी रजिस्ट्रार और डेथ पेनाल्टी रिसर्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर प्रो.अनूप सुरेन्द्र नाथ ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की आलोचना करते हुए इस्तीफा दे दिया है, जिसमें न्यायालय ने 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की आखिरी दया याचिका खारिज कर दी थी। वरुण गांधी ने फांसी की सजा का पुरजोर विरोध किया है। एक लेख में वरुण ने मौत की सजा पर कई सवाल उठाए हैं। उनके लेख में किसी एक शख्स की फांसी का जिक्र नहीं है, लेकिन उन्होंने फांसी की सजा को क्रूर बताया है। वरुण ने कहा है कि मौत की सजा पाने वालों में से 75 फीसदी सामाजिक और आर्थिक स्तर पर दरकिनार श्रेणी के लोग हैं। ऐसे मामलों में 94 फीसदी लोग दलित समुदाय या अल्पसंख्यक हैं। मौत की सजा गरीबी की वजह से कमजोर कानूनी लड़ाई का नतीजा है। हालाँकि वरु