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सितंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इसलिए सोनिया-राहुल पर ये प्रहार किये जाते हैं .

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जगमगाते अपने तारे गगन पर गैर मुल्कों के , तब घमंड से भारतीय सीने फुलाते हैं . टिमटिमायें दीप यहाँ आकर विदेशों से , धिक्कार जैसे शब्द मुहं से निकल आते हैं . ........................................................... नौकरी करें हैं जाकर हिन्दुस्तानी और कहीं , तब उसे भारतीयों की काबिलियत बताते हैं . करे सेवा बाहर से आकर गर कोई यहाँ , हमारी संस्कृति की विशेषता बताते हैं . राजनीति में विराजें ऊँचे पदों पे अगर , हिन्दवासियों के यशोगान गाये जाते हैं . लोकप्रिय विदेशी को आगे बढ़ देख यहाँ , खून-खराबे और बबाल किये जाते हैं. क़त्ल होता अपनों का गैर मुल्कों में अगर , आन्दोलन करके विरोध किये जाते हैं . अतिथि देवो भवः गाने वाले भारतीय , इनके प्रति अशोभनीय आचरण दिखाते हैं . ............................................................. विश्व व्यापी रूप अपनी संस्था को देने वाले , संघी मानसिकता से उबार नहीं पाते हैं . भारतीय कहकर गर्दन उठाने वाले , वसुधैव कुटुंबकम कहाँ अपनाते हैं भारत का

नारी और आदर :दूर की कौड़ी

 रामायण में लव-कुश रामायण देखी मन विह्वल हो गया और आंसू से भीग गए अपने नयन किन्तु नहीं झुठला सकता वह सत्य जो सीता माता माँ वसुंधरा की गोद में जाते हुए कहती हैं - ''माँ ! मुझे अपनी गोद में ले लो ,इस धरती पर परीक्षा देते देते मैं थक गयी हूँ ,यहाँ नारी का आदर नहीं हो सकता .'' एक सत्य जो न केवल माता सीता ने बल्कि यहाँ जन्म लेने वाली हर नारी ने भुगता है .एक परीक्षा जो नारी को कदम कदम पर देनी पड़ती है किन्तु कोई भी परीक्षा उसे खरा साबित नहीं करती बल्कि उसके लिए आगे का मार्ग और अधिक कठिन कर देती है . माता सीता ने जो अपराध नहीं किया उसका दंड उन्हें भुगतना पड़ा .लंकाधिपति रावन उनका हरण कर ले गया और उन्हें ढूँढने में भगवान राम को और रावन का वध करने में जो समय उन्हें लगा वे उस समय में वहां रहने के लिए बाध्य थी इसलिए ऐसे में उन्हें वहां रहने के लिए कलंकित करना पहले ही गलत कृत्य था और राजधर्म के नाम पर माता सीता का त्याग तो पूर्णतया गलत कृत्य ,क्योंकि यूँ तो माता सीता तो देवी थी इसलिए उनका त्याग तो वैसे भी असहनीय ही रहा किन्तु इस कार्य ने एक गलत परंपरा की नीव रखी क्योंकि इ

देशभक्ति जूनून है कानून नहीं .

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शिक्षण संस्थाओं में तिरंगा फहराना अनिवार्य मदरसों में तिरंगा जरूर फहराया जाए  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में 15 अगस्त और 26 जनवरी को अनिवार्य रूप से तिरंगा झंडा फहराया जाए। संविधान के अनुच्छेद 51 ए का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यह प्रत्येक नागरिक का कत्तर्व्य है कि वह जाति, धर्र्म, लिंग आदि से ऊपर उठकर ध्वजारोहण करे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसों में तिरंगा फहराना अनिवार्य घोषित किया है जबकि भारतीय ध्वज संहिता ऐसा कोई कर्तव्य ऐसी किसी संस्था पर नहीं आरोपित करती जिसमे तिरंगा फहराना उसके लिए अनिवार्य हो। भारतीय ध्वज संहिता २००२ कहती है - भारतीय ध्वज संहिता https://hi.wikipedia.org/s/on4 मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से लाल किला, दिल्ली  की प्राचीर पर फहराता तिरंगा भारतीय ध्वज संहिता   भारतीय ध्वज  को फहराने व प्रयोग करने के बारे में दिये गए निर्देश हैं। इस संहिता का आविर्भाव २००२ में किया गया था। भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह राष्ट्रीय गौरव का

ये ''कामवालियां'' ही-- करवाएं राज़ .

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लड़ती हैं खूब झगड़ती हैं चाहे जितना भी दो उनको संतुष्ट कभी नहीं दिखती हैं खुद खाओ या तुम न खाओ अपने लिए भले रसोईघर बंद रहे पर वे आ जाएँगी लेने दिन का खाना और रात का भी मेहमानों के बर्तन झूठे धोने से हम सब बचते हैं मैला घर के ही लोगों का देख के नाक सिकोड़ते हैं वे करती हैं ये सारे काम सफाई भेंट में हमको दें और हम उन्हीं को 'गन्दी 'कह अभिमान करें हैं अपने पे माता का दर्जा है इनका लक्ष्मी से इनके काम-काज ये ''कामवालियां'' ही हमको रानी की तरह करवाएं राज़ . ..................... शालिनी कौशिक [कौशल ]

मीडिया की तो राम ही भली करें

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मीडिया आजकल क्या कर रहा है किसी की भी समझ में नहीं आ रहा है किन्तु इतना साफ है कि मीडिया अपनी भूमिका का सही निर्वहन नहीं कर रहा है .सच्चाई को निष्पक्ष रूप से सबके सामने लाना मीडिया का सर्वप्रमुख कार्य है किन्तु मीडिया सच्चाई को सामने लाता है घुमा-फिरा कर .परिणाम यह होता है कि अर्थ का अनर्थ हो जाता है और समाचार जनता में भ्रम की स्थिति पैदा करता है .अभी २ दिन पहले की ही बात है लालू यादव ने राहुल गांधी की रैली में शामिल होने से इंकार किया तो समाचार प्रकाशित किया गया अमर उजाला दैनिक के मुख्य पृष्ठ ३ पर जो कि १ व् २ पेज पर विज्ञापन के कारण नंबर ३ ही था देखिये- {राहुल की रैली में नहीं जाएंगे लालू पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने में असमर्थता जाहिर की है। इसलिए वह अपनी जगह अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को 19 सितंबर को चंपारण में आयोजित राहुल की रैली में भेजेंगे। विस्तृत पेज 14 पर} और वे राहुल गांधी के साथ मंच साझा क्यों नहीं करेंगे इसका कारण छिपाकर पेज १४ पर प्रकाशित किया गया जिसमे इसका मुख्य कारण बताया गया है और वह है लाल

जन्मदिन दो प्रथम पूजनीयों का :हार्दिक शुभकामनायें

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इस वर्ष १७ सितम्बर का दिन हर भारतीय के लिए विशेष महत्व रखता है धार्मिक रूप से भी और राजनीतिक रूप से भी.१७ सितम्बर को इस वर्ष गणेश चतुर्थी और देश की राजनीति को एक नया आयाम देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन है .जिस तरह हर शुभ कार्य के पूर्व सभी के लिए हिन्दू धर्म में गणेश जी को मनाना अनिवार्य है और अपनी त्रुटियों को दूर करने के लिए उनका आह्वान किया जाना आवश्यक है वैसे ही आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए राजनीति में लोकतंत्र के महत्व को जानने के लिए नरेंद्र मोदी जी को स्मरण किया जाना एक ऐसा ही काम बन जायेगा क्योंकि अकेले दम पर प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने न केवल विपक्ष के समूचे समूह को धूल चटा दी है बल्कि अपनी पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में बिठाया है और अपना ऐसा स्थान बनाया है कि उनके निर्णय के आगे उनकी पार्टी के किसी नेता की ऊँगली तक उठाने की हिम्मत ही नहीं है .ऐसे में उनका स्थान उनकी पार्टी और समूचे भारतीय लोकतंत्र के लिए भगवान गणेश के समान ही प्रथम पूजनीय हो गया है .इसलिए इस शुभावसर पर सभी को गणेश चतुर्थी और भारतीय लोकतंत्र के नवीन प्रथम पूजनीय प्रधानमंत्री नरें