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यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को .-२०१६ शुभ हो

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अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को , अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को . ............................................................ अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर  आये  , घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को . ........................................................................... मिलजुल कर जब किया अलाव  गर्मी आई अर्दली बन , अलका बनकर ये शीतलता  छेड़े जाकर कोमल तृण को . .................................................................. आकंपित हुआ है जीवन फिर भी आतुर उत्सव को , यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को ................................................................................................................... पायें उन्नति हर पग चलकर खुशियाँ मिलें झोली भरकर , शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को . ........................................................... शालिनी कौशिक [कौशल] शब्दार्थ :अमरावती -स्वर्ग ,इन्द्रनगरी ,अरुणिमा -लालिमा ,अरुणोदय-उषाकाल ,अर्दली -चपरासी ,अर