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ऐसे ही सिर उठाएगा ये मुल्क शान से .

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फरमा रहा है फख्र से ,ये मुल्क शान से , कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से। .................................................. फराखी छाये देश में ,फरेब न पले , कटवा दिए शहीदों ने यूँ शीश शान से . ..................................................  देने को साँस लेने के ,काबिल वो फिजायें , कुर्बानी की राहों पे चले ,मस्त शान से . .................................................. आज़ादी रही माशूका जिन शूरवीरों की , साफ़े की जगह बाँध चले कफ़न शान से . ..................................................................... कुर्बानी दे वतन को जो आज़ाद कर गए , शाकिर है शहादत की हर  नस्ल  शान से . ................................................................. इस मुल्क का गुरूर है वीरों की शहादत , फहरा रही पताका यूँ आज शान से . ............................................................... मकरूज़ ये हिन्दोस्तां शहीदों तुम्हारा , नवायेगा सदा ही सिर सरदर शान से . ......................................................................... पैगाम आज दे रही कुर्बानिया