tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post1665082494476723703..comments2024-02-18T20:15:46.760-08:00Comments on ! कौशल !: [कहानी] शालिनी कौशिक :अब पछताए क्या होतShalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-16734906125924222192012-10-09T09:07:53.995-07:002012-10-09T09:07:53.995-07:00Virendra Kumar SharmaOctober 9, 2012 6:24 AM
.मित्...<br /><br />Virendra Kumar SharmaOctober 9, 2012 6:24 AM<br />.मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्यादा थी .दिलफेंक ,आशिक ,आवारा ,दीवाना न जाने ऐसी कितनी ही उपाधियाँ विनय को मिलती रात को पापा के आने पर मम्मी ने उन्हें ऐसी बातें सुने......(सुनाईं).... कि पापा की बोलती बंद कर दी ..''वो बड़े घर का लड़का है ,जवान है ,फिर दोस्ती क्या बुरी चीज़ है ...अब आप तो बुड्ढे हो गए हो क्या समझोगे उसकी भावनाओं को और ज्यादा ही है तो उसकी शादी कर दो सब ठीक हो जायेगा ,विनय के पापा को यह बात जँच गयी .<br /><br />.कारोबार पापा ही सँभालते रहे ..विनय तो बस एक दो घंटे को जाता और उसके बाद रातो रातो......(रातों रातों )..... अपनी मित्र मण्डली में घूमता फिरता .<br /><br />जिस मामले का आपसे मतलब नहीं है उसमे......(उसमें ).... आप नहीं बोलें तो अच्छा !कभी मेरे लिए या अपने बेटे <br /><br />उधर अवंतिका ,अपने पापा के नक़्शे कदम पर आगे बढती जा रही थी ,दिनभर लडको......(लड़कों ).... के साथ घूमना ,फिरना और रात में मोबाइल पर बाते करना यही दिनचर्या थी उसकी <br /><br />मैंने तुझे कब रोका जो उसे रोकती ...मम्मी मुझमे....(मुझमें ).... और उसमे....(उसमें )... अंतर............कहते हुए खुद को रोक लिया विनय ने ..आखिर वह भी तो लड़कियों के साथ ही मौज मस्ती करता था और आज जब अपनी बेटी वही करने चली तो अंतर दिख रहा था उसे ....विनय सोचता हुआ घर से निकल गया .<br /><br />उसमे ....(उसमें )....यही होना था <br /><br />परिवेश प्रधान बेहद सशक्त कहानी .सोहबत और संस्कार दूर तलक पीढ़ी -दर-पीढ़ी जाते हैं .यही इस वातावरण प्रधान कहानी का हासिल है .बधाई .सशक्त कहानी के लिए .शुभकामनाएं .शालिनी जी .<br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012<br />प्रौद्योगिकी का सेहत के मामलों में बढ़ता दखल (समापन किस्त )<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-75461491909868083872012-10-08T17:53:55.457-07:002012-10-08T17:53:55.457-07:00.मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्या....मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्यादा थी .दिलफेंक ,आशिक ,आवारा ,दीवाना न जाने ऐसी कितनी ही उपाधियाँ विनय को मिलती रात को पापा के आने पर मम्मी ने उन्हें ऐसी बातें सुने......(सुनाईं).... कि पापा की बोलती बंद कर दी ..''वो बड़े घर का लड़का है ,जवान है ,फिर दोस्ती क्या बुरी चीज़ है ...अब आप तो बुड्ढे हो गए हो क्या समझोगे उसकी भावनाओं को और ज्यादा ही है तो उसकी शादी कर दो सब ठीक हो जायेगा ,विनय के पापा को यह बात जँच गयी .<br /><br />.कारोबार पापा ही सँभालते रहे ..विनय तो बस एक दो घंटे को जाता और उसके बाद रातो रातो......(रातों रातों )..... अपनी मित्र मण्डली में घूमता फिरता .<br /><br /> जिस मामले का आपसे मतलब नहीं है उसमे......(उसमें ).... आप नहीं बोलें तो अच्छा !कभी मेरे लिए या अपने बेटे <br /><br />उधर अवंतिका ,अपने पापा के नक़्शे कदम पर आगे बढती जा रही थी ,दिनभर लडको......(लड़कों ).... के साथ घूमना ,फिरना और रात में मोबाइल पर बाते करना यही दिनचर्या थी उसकी <br /><br />मैंने तुझे कब रोका जो उसे रोकती ...मम्मी मुझमे....(मुझमें ).... और उसमे....(उसमें )... अंतर............कहते हुए खुद को रोक लिया विनय ने ..आखिर वह भी तो लड़कियों के साथ ही मौज मस्ती करता था और आज जब अपनी बेटी वही करने चली तो अंतर दिख रहा था उसे ....विनय सोचता हुआ घर से निकल गया .<br /><br /> उसमे ....(उसमें )....यही होना था <br /><br />परिवेश प्रधान बेहद सशक्त कहानी .सोहबत और संस्कार दूर तलक पीढ़ी -दर-पीढ़ी जाते हैं .यही इस वातावरण प्रधान कहानी का हासिल है .बधाई .सशक्त कहानी के लिए .शुभकामनाएं .शालिनी जी .<br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012<br />प्रौद्योगिकी का सेहत के मामलों में बढ़ता दखल (समापन किस्त )virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-49849635137195736172012-10-08T17:46:24.841-07:002012-10-08T17:46:24.841-07:00मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्याद...मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्यादा थी .दिलफेंक ,आशिक ,आवारा ,दीवाना न जाने ऐसी कितनी ही उपाधियाँ विनय को मिलती रात को पापा के आने पर मम्मी ने उन्हें ऐसी बातें सुने......(सुनाईं).... कि पापा की बोलती बंद कर दी ..''वो बड़े घर का लड़का है ,जवान है ,फिर दोस्ती क्या बुरी चीज़ है ...अब आप तो बुड्ढे हो गए हो क्या समझोगे उसकी भावनाओं को और ज्यादा ही है तो उसकी शादी कर दो सब ठीक हो जायेगा ,विनय के पापा को यह बात जँच गयी .<br /><br />.कारोबार पापा ही सँभालते रहे ..विनय तो बस एक दो घंटे को जाता और उसके बाद रातो रातो......(रातों रातों )..... अपनी मित्र मण्डली में घूमता फिरता .<br /><br /> जिस मामले का आपसे मतलब नहीं है उसमे......(उसमें ).... आप नहीं बोलें तो अच्छा !कभी मेरे लिए या अपने बेटे <br /><br />उधर अवंतिका ,अपने पापा के नक़्शे कदम पर आगे बढती जा रही थी ,दिनभर लडको......(लड़कों ).... के साथ घूमना ,फिरना और रात में मोबाइल पर बाते करना यही दिनचर्या थी उसकी <br /><br />मैंने तुझे कब रोका जो उसे रोकती ...मम्मी मुझमे....(मुझमें ).... और उसमे....(उसमें )... अंतर............कहते हुए खुद को रोक लिया विनय ने ..आखिर वह भी तो लड़कियों के साथ ही मौज मस्ती करता था और आज जब अपनी बेटी वही करने चली तो अंतर दिख रहा था उसे ....विनय सोचता हुआ घर से निकल गया .<br /><br /> उसमे ....(उसमें )....यही होना था <br /><br />परिवेश प्रधान बेहद सशक्त कहानी .सोहबत और संस्कार दूर तलक पीढ़ी -दर-पीढ़ी जाते हैं .यही इस वातावरण प्रधान कहानी का हासिल है .बधाई .सशक्त कहानी के लिए .शुभकामनाएं .शालिनी जी .<br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012<br />प्रौद्योगिकी का सेहत के मामलों में बढ़ता दखल (समापन किस्त )virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-4756443802235893022012-10-08T09:42:20.873-07:002012-10-08T09:42:20.873-07:00आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ९/१...आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ९/१०/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-56214558266249220342012-10-08T07:25:29.798-07:002012-10-08T07:25:29.798-07:00.मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्या....मित्र मण्डली में लड़कियों की संख्या लडकों से ज्यादा थी .दिलफेंक ,आशिक ,आवारा ,दीवाना न जाने ऐसी कितनी ही उपाधियाँ विनय को मिलती रात को पापा के आने पर मम्मी ने उन्हें ऐसी बातें सुने......(सुनाईं).... कि पापा की बोलती बंद कर दी ..''वो बड़े घर का लड़का है ,जवान है ,फिर दोस्ती क्या बुरी चीज़ है ...अब आप तो बुड्ढे हो गए हो क्या समझोगे उसकी भावनाओं को और ज्यादा ही है तो उसकी शादी कर दो सब ठीक हो जायेगा ,विनय के पापा को यह बात जँच गयी .<br /><br />.कारोबार पापा ही सँभालते रहे ..विनय तो बस एक दो घंटे को जाता और उसके बाद रातो रातो......(रातों रातों )..... अपनी मित्र मण्डली में घूमता फिरता .<br /><br /> जिस मामले का आपसे मतलब नहीं है उसमे......(उसमें ).... आप नहीं बोलें तो अच्छा !कभी मेरे लिए या अपने बेटे <br /><br />उधर अवंतिका ,अपने पापा के नक़्शे कदम पर आगे बढती जा रही थी ,दिनभर लडको......(लड़कों ).... के साथ घूमना ,फिरना और रात में मोबाइल पर बाते करना यही दिनचर्या थी उसकी <br /><br />मैंने तुझे कब रोका जो उसे रोकती ...मम्मी मुझमे....(मुझमें ).... और उसमे....(उसमें )... अंतर............कहते हुए खुद को रोक लिया विनय ने ..आखिर वह भी तो लड़कियों के साथ ही मौज मस्ती करता था और आज जब अपनी बेटी वही करने चली तो अंतर दिख रहा था उसे ....विनय सोचता हुआ घर से निकल गया .<br /><br /> उसमे ....(उसमें )....यही होना था <br /><br />परिवेश प्रधान बेहद सशक्त कहानी .सोहबत और संस्कार दूर तलक पीढ़ी -दर-पीढ़ी जाते हैं .यही इस वातावरण प्रधान कहानी का हासिल है .बधाई .सशक्त कहानी के लिए .शुभकामनाएं .शालिनी जी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com