tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post5900158170655831592..comments2024-02-18T20:15:46.760-08:00Comments on ! कौशल !: सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं .WHY ?Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-38691080562518672362016-02-06T17:41:51.758-08:002016-02-06T17:41:51.758-08:00विचारणीय है शालिनी जी माँ जो हर पल बच्चे के साथ रह...विचारणीय है शालिनी जी माँ जो हर पल बच्चे के साथ रहती है <br />उसकी छोटी सी डांट भी अगर चाहे कितनी सत्य हो बुरी लगेगी <br />अगर माँ सौतेली है तो परन्तु दूसरा पहलू पिता का रुखा व्यवहार जो कोई देख कर भी नहीं देखना चाहता।Ritu asooja rishikesh https://www.blogger.com/profile/07490709994284837334noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-10213573477840204432016-02-05T05:07:07.401-08:002016-02-05T05:07:07.401-08:00आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06-02-2016) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "घिर आए हैं ख्वाब" (चर्चा अंक-2244) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-15263696095279093292016-02-04T10:48:25.347-08:002016-02-04T10:48:25.347-08:00आम तौर पर समाज में महिलाओं को प्यार की मूर्त मानी ...आम तौर पर समाज में महिलाओं को प्यार की मूर्त मानी जाती है इसीलिए महिलाओं द्वारा अनजाने में भी की गयी छोटी सी बेख्याली को लोगों की मानसिकता सहन नहीं कर पाती और वे फिर छोटी बात को बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं। ऐसी मानसिकता सही या गलत पर पर्दा डाल कर भेदभाव को जन्म देती है।<br />लेकिन समाज पुरुष और महिलाओं दोनों के ही ऐसे ढेरों उद्धरणों से भरा पड़ा है।<br />विचार करने योग्य ☺<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><br />Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.com