tag:blogger.com,1999:blog-86056016429217310892024-03-17T20:04:05.240-07:00! कौशल !मन चाहे खुश हो या दुखी कुछ कहता ज़रूर है.दुःख बाँटने से कम होता है और सुख बाँटने से बढ़ता है तो क्यों ना मन की बात आपसे बांटू ......Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comBlogger999125tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-28124690211356394292024-02-18T03:52:00.000-08:002024-02-18T03:52:15.798-08:00बेटी का जीवन बचाने में सरकार और कानून दोनों असफल <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4KKT9QRD6N2fN45M2alLGmECKlYjd12eHmKcYHX4IiaD6EinxSQTBEN4QIC6xLtcYTvdSBq_5uJixV6LAQhBT4Xt4jEwXm2VnNhBI7gPLbkSGq7APhPHe0znVkVKdH-0WpHAdQBAJ54pfbDR7qZn82Zj7S6gkqMv0_YRQtwlFBR6WFFYFQQuDhSU-cBN6/s1080/IMG_20240218_162945.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="736" data-original-width="1080" height="218" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4KKT9QRD6N2fN45M2alLGmECKlYjd12eHmKcYHX4IiaD6EinxSQTBEN4QIC6xLtcYTvdSBq_5uJixV6LAQhBT4Xt4jEwXm2VnNhBI7gPLbkSGq7APhPHe0znVkVKdH-0WpHAdQBAJ54pfbDR7qZn82Zj7S6gkqMv0_YRQtwlFBR6WFFYFQQuDhSU-cBN6/s320/IMG_20240218_162945.jpg" width="320" /></a></div><br /><p>आजकल रोज समाचारपत्रों में महिलाओं की मौत के समाचार सुर्खियों में हैं जिनमे से 90 प्रतिशत समाचार दहेज हत्याओं के हैं. जहां एक ओर सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए गाँव और तहसील स्तर पर "मिशन शक्ति" कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही है, सरकारी आदेशों के मुताबिक परिवार न्यायालयों में महिला के पक्ष को ही ज्यादा मह्त्व दिया जाता है वहीं सामाजिक रूप से महिला अभी भी कमजोर ही कही जाएगी क्योंकि बेटी के विवाह में दिए जाने वाली "दहेज की कुरीति" पर नियंत्रण लगाने में सरकार और कानून दोनों ही अक्षम रहे हैं. </p><p> एक ऐसा जीवन जिसमे निरंतर कंटीले पथ पर चलना और वो भी नंगे पैर सोचिये कितना कठिन होगा पर बेटी ऐसे ही जीवन के साथ इस धरती पर आती है .बहुत कम ही माँ-बाप के मुख ऐसे होते होंगे जो ''बेटी पैदा हुई है ,या लक्ष्मी घर आई है ''सुनकर खिल उठते हों .</p><p> 'पैदा हुई है बेटी खबर माँ-बाप ने सुनी ,</p><p> उम्मीदों का बवंडर उसी पल में थम गया .''</p><p>बचपन से लेकर बड़े हों तक बेटी को अपना घर शायद ही कभी अपना लगता हो क्योंकि बात बात में उसे ''पराया धन ''व् ''दूसरे घर जाएगी तो क्या ऐसे लच्छन [लक्षण ]लेकर जाएगी ''जैसी उक्तियों से संबोधित कर उसके उत्साह को ठंडा कर दिया जाता है .ऐसा नहीं है कि उसे माँ-बाप के घर में खुशियाँ नहीं मिलती ,मिलती हैं ,बहुत मिलती हैं किन्तु ''पराया धन '' या ''माँ-बाप पर बौझ '' ऐसे कटाक्ष हैं जो उसके कोमल मन को तार तार कर देते हैं .ऐसे में जिंदगी गुज़ारते गुज़ारते जब एक बेटी का ससुराल में पदार्पण होता है तब उसके जीवन में उस दौर की शुरुआत होती है जिसे हम अग्नि-परीक्षा कह सकते हैं इस तरह माँ-बाप के घर नाजुक कली से फूल बनकर पली-बढ़ी बेटी को ससुराल में आकर घोर यातना को सहना पड़ता है. दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं।</p><p> यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।</p><p> दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 की धारा-3 के अनुसार - </p><p> दहेज लेने या देने का अपराध करने वाले को कम से कम पाँच वर्ष के कारावास साथ में कम से कम पन्द्रह हजार रूपये या उतनी राशि जितनी कीमत उपहार की हो, इनमें से जो भी ज्यादा हो, के जुर्माने की सजा दी जा सकती है लेकिन शादी के समय वर या वधू को जो उपहार दिया जाएगा और उसे नियमानुसार सूची में अंकित किया जाएगा वह दहेज की परिभाषा से बाहर होगा।</p><p>धारा 4 के अनुसार - </p><p>दहेज की मांग के लिए जुर्माना-</p><p> यदि किसी पक्षकार के माता पिता, अभिभावक या रिश्तेदार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दहेज की मांग करते हैं तो उन्हें कम से कम छः मास और अधिकतम दो वर्षों के कारावास की सजा और दस हजार रूपये तक जुर्माना हो सकता है।</p><p> हमारा दहेज़ कानून दहेज़ के लेन-देन को अपराध घोषित करता है किन्तु न तो वह दहेज़ का लेना रोक सकता है न ही देना क्योंकि हमारी सामाजिक परम्पराएँ हमारे कानूनों पर आज भी हावी हैं .स्वयं की बेटी को दहेज़ की बलिवेदी पर चढाने वाले माँ-बाप भी अपने बेटे के विवाह में दहेज़ के लिए झोले लटकाए घूमते हैं, किन्तु जिस तरह दहेज़ के भूखे भेड़ियों की निंदा की जाती है उस तरह दहेज के दानी कर्णधारों की आलोचना क्यूँ नहीं की जाती है. </p><p> जब हमारे कानून ने दहेज के लेन और देन दोनों को अपराध घोषित किया है तो जब भी कोई दहेज हत्या का केस कोर्ट में दायर किया जाता है तो बेटी के सास ससुर के साथ साथ बेटी के माता पिता पर केस क्यूँ नहीं चलाया जाता है. हमारे समाज में बेटी की शादी किया जाना जरूरी है किन्तु क्या बेटी की शादी का मतलब उसे इस दुष्ट संसार में अकेले छोड़ देना है. बेटी के सास ससुर बहू को अपने बेटे के लिए ब्याह कर अपने घर लाते हैं वे उसे पैदा थोड़े ही करते हैं किन्तु जो माँ बाप उसे पैदा करते हैं वे उसे कैसे ससुराल में दुख सहन करने के लिए अकेला छोड़ देते हैं. आज तक कितने ही मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमें दहेज के लोभी ससुराल वालों से तंग आकर बहू ने ससुराल में आत्महत्या कर ली और उस आत्महत्या की जिम्मेवारी भी ससुरालवालों पर डालकर केवल उन्हीं पर केस दर्ज किया गया और न्यायालयों द्वारा उन्हें ही सजा सुनाई गई जबकि ससुराल में बहुओं द्वारा आत्महत्या का एक पक्ष यह भी है कि जब मायके वालों ने भी साथ देने से हाथ खड़े कर दिए तो उस बहू /बेटी के आगे अपनी जिंदगी के ख़त्म करने के अलावा कोई रास्ता न बचने पर उसने आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम को उठाने का फैसला किया और ऐसे में जितने दोषी ससुराल वाले होते हैं उतने ही दोषी बहू/बेटी के मायके वाले भी होते हैं किन्तु वे बेचारे ही बने रहते हैं. </p><p> बेटी को उसके ससुराल में खुश दिखाने का दिखावा स्वयं बेटी पर कितना भारी पड़ सकता है इसका अंदाजा हमारे समाज में निश दिन आने वाली दहेज हत्या या बहू द्वारा आत्महत्याओं की खबरें हैं. जिन पर रोक लगाने के लिए सरकार और कानून से भी आगे बेटी के माँ बाप को ही आना होगा और उन्हें यह समझना होगा कि बेटी की शादी जरूरी है किन्तु उसका साथ छोड़ना जरूरी नहीं है. यदि ससुराल वाले बेटी को दहेज के लिए प्रताडित करते हैं, तंग करते हैं तो अपनी बेटी को अपने घर वापस लाकर जिंदगी दीजिए और तब कानून की शरण में जाकर उसे न्याय दिलाईये, यह नहीं कि पहले ससुराल वालों की प्रताड़ना से बचाने के लिए उनकी गलत मांगों को पूरा करते रहें और फिर उनके द्वारा बेटी की हत्या कर दिए जाने पर उन्हें सजा दिलाएं और मृत पुत्री को न्याय क्योंकि मृत्यु के बाद जब शरीर से आत्मा मुक्त हो जाती है तो बेटी को दुख में अकेले छोड़ देना पुत्री के माता पिता के भी पाप में ही आता है और जब तक बेटी को अपने माता पिता का ऐसा मजबूत साथ नहीं मिल जाता है तब तक बेटी का जीवन बचाने में वास्तव में सरकार और कानून भी असफल ही नजर आता है. </p><p> शालिनी कौशिक</p><p> एडवोकेट </p><p> कैराना (शामली) </p><p> </p><p> </p><p> </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-73264646314201468422023-08-16T23:44:00.001-07:002023-08-16T23:44:14.668-07:00हरियाली तीज -झूला झूलने की परंपरा पुनर्जीवित हो. <p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiHvZUHuxH1k66m7ORuPhNeD6jFl4MXuvX2rfUx1gIEbcTRp_AAsps3JqT4UD5_ZTyjTuZmaE4VxgISw0XcsZ_yR4mB9Mz6BuAp_QNQUhprekOh7X695o3SuzTiXvwZqdP_Ej_fkd0xs6XMopWZrAoG2yD5EqX6sigxedoO_6vXJ9FJmpGvmJOEwlxqa2Nv/s300/download%20(1).jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="168" data-original-width="300" height="168" 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में मनाते हैं। सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत महत्व रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों ओर हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। इस अवसर पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और आनन्द मनाती हैं। हरियाली तीज का उत्सव भारत के अनेक भागों में मनाया जाता है , परन्तु हरियाणा, चण्डीगढ़, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुरू और ब्रज आँचल में विशेषकर इसका अधिक महत्त्व है।</p><p> हरियाली तीज के अवसर से पहले बहुत से मिष्ठान और पकवान बनाये जाते हैं जो विवाहित पुत्री के घर सिंधारे के रूप मेें दिये जाते हैं। यह पकवान फिर पूरे श्रावण माह में खाये जाते हैं। तीज पर विशेष रूप से पकवान भगवान उमा-शंकर को भोग में चढ़ाये जाते हैं। भगवान शिव को प्रिय खीर और मालपुऐं बनाये जाते हैं। पश्चिमी यू पी में घेवर व्यंजन विशेष रूप से बनाया जाता है। लंबे समय तक चलने वाले व्यंजन जैसे गुलगुले, शक्करपारे, सेवियाँ, मण्डे आदि भी पकाये जाते हैं। हरियाणा में सुहाली व्यंजन भी बनाया जाता है।</p><p> इस दिन महिलायें अपने हाथों, कलाइयों और पैरों आदि पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेंहदी रचाती हैं। इसलिए हम इसे मेहंदी पर्व भी कह सकते हैं। इस दिन सुहागिन महिलायों द्वारा मेहँदी रचाने के पश्चात् अपने कुल की वृद्ध महिलाओं से आशीर्वाद लेने की भी एक परम्परा है।</p><p> ऐसा कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की साधना के पश्चात् भगवान् शिव से मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया फिर भी माता को पति के रूप में शिव प्राप्त न हो सके। 108 वीं बार माता पार्वती ने जब जन्म लिया तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हो सके। तभी से इस व्रत का प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव -पार्वती की पूजा करती हैं उनका सुहाग लम्बी अवधि तक बना रहता है। साथ ही देवी पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी और शिव पार्वती की पूजा करेगी उनके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी साथ ही योग्य वर की प्राप्ति होगी। सुहागन स्त्रियों को इस व्रत से सौभाग्य की प्राप्ति होगी और लंबे समय तक पति के साथ वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त करेगी। इसलिए कुंवारी और सुहागन दोनों ही इस व्रत का रखती हैं।</p><p>सनातन धर्म के ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रवण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं निर्जला तीज का व्रत रख कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती है. मान्यता है कि हरियाली तीज पर व्रत रखने वाली महिलाओं के पति की उम्र लंबी होती है और वो सदा सुहागन रहती हैं. हरियाली तीज का व्रत रखने वाली कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.</p><p>सावन के महीने में आने वाली हरियाली तीज इस बार 19 अगस्त, 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां निर्जला व्रत रख कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करेंगी. इस व्रत को रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन पर माता पार्वती भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है.</p><p> ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त 2023 को रात 8:01 बजे से होगी और 19 अगस्त 2023 को रात 10:19 पर समाप्त होगी. इसीलिए इस बार हरियाली तीज 19 अगस्त, 2023 को मनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि हरियाली तीज के दिन महिलाओं को ब्रह्म मुहुर्त में उठ कर स्नान करने के बाद चौकी पर पीला वस्त्र बिछा कर भगवान शिव और मां पार्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और भांग, बेलपत्र, चावल, दूर्वा घास, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, पंचामृत, शहद, सुपारी, जटा नारियल, जनेऊ और शमी पत्र पूजा में रखें. मां पार्वती को सुहाग का सामान चूड़ी, साड़ी, सिंदूर और बिंदी अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें.</p><p> सनातन धर्म के प्रकांड पंडित आचार्य पंडित अरुणेश मिश्रा ने बताया कि शिव पुराण में बताया गया है कि माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए हरियाली तीज का निर्जला व्रत रखा था, जिसके बाद भगवान शिव से उनका विवाह हुआ था. इसीलिए कहा जाता है कि जो कुंवारी कन्या हरियाली तीज का व्रत विधि विधान से करती हैं उसे सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. जबकि, जो सुहागन महिला इस व्रत को करती है उसके पति की आयु लंबी होती है. उन्होंने कहा कि हरियाली तीज में इन तीन बातों का विशेष महत्व रखें.</p><p>व्रत की पूजा और अनुष्ठान </p><p>हरियाली तीज के व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं सुबह सबसे पहले स्नान करने के बाद विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें . फिर अगले दिन अपने व्रत का पारण करें . कहीं कहीं पर यह व्रत निर्जला रखा जाता है जबकि पश्चिमी यू पी में इसे अन्य व्रतों की ही तरह रखकर सुहागिनों द्वारा थाली में बायना निकालकर अपनी सास को देने के बाद एक समय भोजन ग्रहण किया जाता है और सास द्वारा अगले दिन बहू को साड़ी, चूडिय़ां, मिष्ठान आदि उपहार स्वरुप देकर थाली को वापस दिया जाता है. </p><p>हरे रंग की वस्तुओं से श्रंगार </p><p> हरियाली तीज सुहाग का त्योहार है. सावन में हरियाली तीज आने से इसका महत्व दोगुना हो जाता है. भगवान शिव को हरा रंग अति प्रिय है इसीलिए इस दिन महिलाएं हरी साड़ी, हरी मेहंदी, हरी चूड़ियों के साथ सोलह श्रृंगार कर के पूजा-अर्चना करती हैं.</p><p>झूले का महत्व</p><p> हरियाली तीज के अवसर पर झूला झूलने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं झूला पेड़ पर डाल कर झूला झूलती हैं. भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए लोक गीत गाती हैं.</p><p> आज जैसे जैसे समाज आधुनिकीकरण की ओर बढ़ा है, हरियाली तीज की प्राचीन परंपराओं में भी परिवर्तन आया है. आज प्रकृति का दोहन इसके लिए जिम्मेदार कहा जा सकता है. पेड़ों पर झूले डालकर झूला झूलने की परंपरा लगभग लुप्त ही होती जा रही है बल्कि इसकी जगह अब आधुनिक नारियों द्वारा " तीज क्वीन" जैसी परम्परा की नींव डालकर भारतीय संस्कृति को आधुनिकता का चोला ओढ़ाने की कोशिश की जा रही है. </p><p> ऐसे में, वर्तमान बीजेपी की सरकार उत्तर प्रदेश में आशा की किरण कही जा सकती है. प्राचीन परंपराओं को उभार कर आधुनिक भारतीय समाज में फिर से धार्मिक रीति रिवाज के बीज बोये जा रहे हैं जिनके सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं और ऐसे में, माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन है कि वे हिंदू धर्म के इस पवित्र हरियाली तीज के त्यौहार की परम्परागत रीतियों को भी उभारने के लिए प्रयत्न करें और फिर से श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रद्धा और उल्लास पूर्वक मनाए जाने के साथ साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में झूला झूलने की परंपरा को भी पुनर्जीवित करें जिस पर फिर से महिलाएं और छोटी बच्चियां " आया तीज का त्योहार" गाते-झूलते नजर आ सकें.</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_KqD5zwSkYoUzJI5elbtCvmxlJiBJ7uMTvlnrNnLjocHjKeY2zFPTImb93Bjla6TGhZklw5WVdGQh00QS-MNHJBRIXEv301j6bmMjQGhHEwPR_Gchu9rgPGsxZXu_RO3iEqllGFUx-vDx4G362Nr948y-zQmBMEw_Dkhh_39_VgaAtjvyRxbhQv0feoQQ/s1200/quint-hindi_2017-07_e799c023-1ef2-4e7e-8c6b-e33781d36489_HARIYALI.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="675" data-original-width="1200" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_KqD5zwSkYoUzJI5elbtCvmxlJiBJ7uMTvlnrNnLjocHjKeY2zFPTImb93Bjla6TGhZklw5WVdGQh00QS-MNHJBRIXEv301j6bmMjQGhHEwPR_Gchu9rgPGsxZXu_RO3iEqllGFUx-vDx4G362Nr948y-zQmBMEw_Dkhh_39_VgaAtjvyRxbhQv0feoQQ/s320/quint-hindi_2017-07_e799c023-1ef2-4e7e-8c6b-e33781d36489_HARIYALI.jpg" width="320" /></a></div><br /><p><br /></p><p> शालिनी कौशिक एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-22158729218975215552023-08-10T23:29:00.002-07:002023-08-10T23:29:38.360-07:00योगी आदित्यनाथ जी कैराना में स्थापित करें जनपद न्यायालय शामली <p> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghLaAnfyFdQvePp78wfJCsI9Qhdk2djS6e4NKje8rr0tKtxJOUGfHrExosPV5x1EcocnVkdD4PjoQSm7z9bzeH0MwRies5Vs-IG5fJmGiPRJHWuPhneYTI_cX0ce3TGV1mH2kylwKbLLOH4HYhCotJlJo4NaLm46yzeU-R0vm4T8EIr62CeP2l75-b6g/s200/images%20(21).jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-align: center;"><img border="0" data-original-height="128" data-original-width="200" height="205" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghLaAnfyFdQvePp78wfJCsI9Qhdk2djS6e4NKje8rr0tKtxJOUGfHrExosPV5x1EcocnVkdD4PjoQSm7z9bzeH0MwRies5Vs-IG5fJmGiPRJHWuPhneYTI_cX0ce3TGV1mH2kylwKbLLOH4HYhCotJlJo4NaLm46yzeU-R0vm4T8EIr62CeP2l75-b6g/w320-h205/images%20(21).jpeg" width="320" /></a></p><br /><p> 2011 में 28 सितंबर को शामली जिले का सृजन किया गया. तब उसमें केवल शामली और कैराना तहसील शामिल थी. इससे पहले शामली और कैराना तहसील मुजफ्फरनगर जनपद के अंतर्गत आती थी. कुछ समय बाद शामली जिले में ऊन तहसील बनने के बाद अब शामली जिले के अंतर्गत तीन तहसील कार्यरत हैं. 2018 के अगस्त तक शामली जिले का कानूनी कार्य मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत ही कार्यान्वित रहा किन्तु अगस्त 2018 में शामली जिले की कोर्ट शामली जिले में जगह का चयन न हो पाने के कारण कैराना में आ गई और इसे नाम दिया गया -" जिला एवं सत्र न्यायालय शामली स्थित कैराना. "</p><p> 2018 से अब तक मतलब अगस्त 2023 तक शामली जिले के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जिला जज की कोर्ट के लिए जगह का चयन हो जाने के बाद शासन द्वारा 51 एकड़ भूमि जिला न्यायालय कार्यालय और आवासीय भवनों के लिए आवंटित की गयी थी, जिसमें चाहरदीवारी के निर्माण के लिए 4 करोड़ की धन राशि अवमुक्त की गई थी जिससे अब तक केवल बाउंड्रीवाल का ही निर्माण हो पाया है. उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जिला न्यायालय कार्यालय और आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 295 करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया था किंतु शासन द्वारा वर्तमान तक भी कोई धनराशि अवमुक्त नहीं की गई. </p><p> अब तक हमने बात की केवल उन महत्वाकांक्षाओं की जिनके मद्देनजर बगैर किसी व्यवस्थित योजना के शामली जिले का निर्माण पहले प्रबुद्ध नगर के नाम से और बाद में जनता के दबाव में शामली जिले के ही नाम से कर दिया गया. अब यदि वास्तविकता की बात करें तो शामली जिले में केवल तहसील स्तर का ही कार्य सम्पन्न हो रहा है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वहां कानूनी विभाग लगभग शून्यता की स्थिति में है और वहां जिला जज की कोर्ट की स्थापना के साथ साथ मुंसिफ कोर्ट से लेकर जिला जज की कोर्ट की स्थापना करने के लिए बहुत बड़े स्तर का कार्य सम्पन्न करना होगा, जबकि शामली जिले की तहसील कैराना में जिला जज की कोर्ट से एक नंबर कम की कही जाने वाली कोर्ट ए डी जे कोर्ट की स्थापना ही 2011 में हो चुकी है और कैराना तहसील में स्थापित न्यायालय परिसर शामली जिले के मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और फिर ज़िला न्यायालय शामली के कार्यालय और आवासीय भवनों का निर्माण अब भी तो शामली मुख्यालय पर नहीं किया जाना है अब भी तो वह शामली के गाँव बनत में किया जाना है और वह भी केवल शामली के अधिवक्ताओं और जनता की इस जिद पर कि शामली जिले का ही सर ऊंचा रहना चाहिए, जबकि कैराना भी तो शामली जिले की ही तहसील है और अगर उत्तर प्रदेश सरकार कैराना के न्यायालय तक के क्षेत्र को शामली जिले के ही क्षेत्र में सम्मिलित कर यहां स्थापित न्यायालयों को मुख्य न्यायालय का दर्जा प्रदान करती है तो जितने बजट की आवश्यकता शामली जिले के बनत गाँव में न्यायालय भवनों हेतु है उसके एक चौथाई से भी कम खर्च में शामली जिले के जनपद न्यायालय की समस्या का निवारण हो जाएगा, किन्तु मानवीय हठ इस साधारण सी बात को एक प्रदेश स्तरीय समस्या का रूप प्रदान कर रही है. </p><p> ऐसे में, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन है कि वे कैराना की सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था, कैराना में फैली अपराधियों की जड़ें और शामली जिले की बदहाल कर देने वाली जाम की समस्या को देखते हुए कैराना में ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय को शामली जिले का मुख्य न्यायालय घोषित करें और यदि इसके लिए उन्हें कैराना में न्यायालय परिसर तक के क्षेत्र को शामली जिले के अंतर्गत ही घोषित करना पड़े तो करें क्योंकि शामली जिले में जिस जगह का चयन जिला कोर्ट के लिए किया गया है वहां तक क्षेत्र के निवासियों का पहुंचना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है क्योंकि शामली जिला इतना सघन रूप से बसा हुआ है कि मात्र एक किलोमीटर पार करने में भी 1-2 घण्टे से ऊपर का समय लग रहा है. ऐसे में न्याय पाने के लिए पीड़ितों को या तो रात में ही घर से निकलना पड़ेगा या फिर न्याय पाने की आशा को ही खो देना पड़ेगा. साथ ही, यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कैराना स्थित जनपद न्यायालय को मुख्य न्यायालय का दर्जा दिया जाता है तो सरकार का बहुत सारा धन भी बचेगा और कैराना तहसील में लगभग खंडहर पड़े बहुत सारे क्षेत्र का न्यायालय और अधिवक्ताओं के चेम्बर के रूप में इस्तेमाल भी हो सकेगा. </p><p> अतः माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी कम से कम एक बार जांच कमेटी बिठाकर कैराना स्थित जनपद न्यायालय को ही शामली जिले के मुख्य न्यायालय का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करें. </p><p><br /></p><p> 🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏</p><p><br /></p><p>शालिनी कौशिक एडवोकेट</p><p>कैराना (शामली)</p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-28466395408164718132023-08-02T23:32:00.002-07:002023-08-02T23:40:51.382-07:00बंदर और उत्तर प्रदेश <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXm4ZEh-x_uaUUeS8IfZ5xkbwuFyVWL6au478oEJ2PVlPdR9TIv7OsbbWdEB0GZQkHfX7NPLLK3eM_-k1Z8cIdeEiqU8Np63yUMogd9ccfqEdUmBH6zGBxUZ_8PIxQUrnnVDRs3GTJ9v5VP_0k1tsl66UPOsYfymDSvFNKUOlrEpwjBVN5rIfLNAvE6hsL/s320/IMG-20220716-WA0038.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="320" data-original-width="256" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXm4ZEh-x_uaUUeS8IfZ5xkbwuFyVWL6au478oEJ2PVlPdR9TIv7OsbbWdEB0GZQkHfX7NPLLK3eM_-k1Z8cIdeEiqU8Np63yUMogd9ccfqEdUmBH6zGBxUZ_8PIxQUrnnVDRs3GTJ9v5VP_0k1tsl66UPOsYfymDSvFNKUOlrEpwjBVN5rIfLNAvE6hsL/s1600/IMG-20220716-WA0038.jpg" width="256" /></a></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><p> आज उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चाओं में अगर कोई शब्द है तो वह है " विकास", जो कि सत्ता पक्ष की नजरों में बहुत ज्यादा हो रहा है और विपक्ष की नजरों में गायब हो गया है किन्तु जो सच्चाई आम जनता के सामने है, जिस भयावह सच को उत्तर प्रदेश की जनता भुगत रही है, वह यह है कि घर के अंदर, घर के बाहर, मन्दिर, मस्जिद, कार्यस्थल, न्यायालय - कचहरी परिसर, सडकें, बिजली के खंबे, पानी की टंकियां, खुले घास के मैदान, वाहनों के पार्किंग स्थल आदि आदि क्या क्या कहा जाए, सभी बन्दरों के परिवार - खानदान से आतंकित हैं और इनके खौफ में कोई अपनी जिंदगी से हाथ धो रहा है तो कोई अपने हाथ पैर से तो कोई अपने बच्चों या बूढे माँ बाप से, किन्तु आश्चर्य इस बात का है कि जनता के हृदय पर विराजमान सरकार के दिल पर तो क्या असर करेगी, उसके कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही है.</p><p> जबसे इस धरती पर जन्म लिया, बंदरों की बहुत बड़ी संख्या का सामना किया है. घर के ऊंचे ऊंचे जीनों से बन्दरों से बचने के लिए छलांग तक लगाई है. मम्मी को दो दो बार, एक बार रात में छत पर सोते समय और एक बार रसोई से बाहर आते समय बन्दरों ने काटा है, पापा को कैराना कचहरी में कोर्ट की ओर जाते समय बन्दर ने काटा है. मुझे खुदको बन्दर ने छत पर पकड़ लिया था, वो तो और बन्दरों के शोर को सुनकर मेरे मुँह के पास तक पहुंचा बन्दर मुझे छोडकर भाग गया था और मैं वे दर्दनाक इंजेक्शन लगवाने से बच गई थी जो मम्मी को दो बार और पापा को एक बार लगवाने पड़े थे.</p><p> यही नहीं, दुःखद स्थिति तब रही जब कैराना के भाजपा नेता अनिल चौहान जी की धर्मपत्नी को बन्दरों के हमले के कारण असमय मृत्यु का शिकार होना पड़ा. बन्दरों का आतंक, उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक लम्बे समय से फैला हुआ है, शामली, कैराना, कांधला, थाना भवन में बन्दरों के हमले में आम आदमी को घातक दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ रहा है, 8 सितंबर 2021 को कैराना के भाजपा नेता अनिल चौहान की पत्नी सुषमा चौहान बन्दरों के हमले में छत से गिरी थी और मृत्यु का शिकार हुई थी, शामली के काका नगर में एक युवक को 9 मार्च 2020 को बन्दरों ने नोच नोच कर घायल कर दिया था जिससे बचने के लिए युवक ऊंचाई से गिरकर मृत्यु का शिकार हो गया था, थाना भवन में एक बच्ची को बन्दरों ने बुरी तरह घायल कर दिया था. प्रतिदिन क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में बन्दरों के हमले में घायल लोगों द्वारा बहुत बड़ी संख्या में जाकर एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाए जा रहे हैं. वर्तमान में हाल यह है कि पूरे प्रदेश में कभी कोई पिता अपने बच्चे को बचाते हुए बन्दरों के हमले में छत से गिर रहा है और चोटिल हो रहा है. कभी कहीं बन्दर वकीलों के कोट, फाइल उठा कर उन्हें घण्टों परेशान कर रहे हैं. रोज अखबारों में कहीं न कहीं की बंदरों के हमलों की खबरें आती रहती हैं, कहीं बन्दर घरों की दीवारें तोड़ रहे हैं, कहीं हरे भरे बाग उजाड़ रहे हैं, पेड़ों पर लगे चिड़ियाओं के घौंसले तोड़ रहे हैं, कहीं बिजली के खंबे से लगे तारों पर झूल कर उन्हें अपने आवा जाही का जरिया बना रहे हैं, जिससे बिजली के तार खम्भों पर ढीले हो रहे हैं और बिजली के आने पर स्पार्किंग के कारण खंबे के नीचे खड़े हुए लोग चिंगारियों से झुलस रहे हैं. रोज सरकारी अस्पतालों में बंदरों के काटने पर इंजेक्शन लगवाने वालों की भीड़ रहती है किन्तु उत्तर प्रदेश की सरकार तक एक सारस की खबर तो पहुंच जाती है किन्तु बन्दरों के आतंक से दहले ज़न जीवन की कोई सूचना सरकार के पास या तो पहुंच ही नहीं रही है या सरकार ने बंदरों के प्रति धार्मिक आस्था को अधिक महत्त्व देते हुए ज़न ज़न की पीड़ा से मुँह मोड़ लिया है.</p><p> मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ आदि कुछ जगहों पर बन्दरों के हमले में मारे गए या घायल हुए लोगों के लिए वन विभाग द्वारा मुआवजे का प्रावधान किया है किन्तु उत्तर प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था वन विभाग द्वारा नहीं की गई है. उत्तर प्रदेश की सरकार उदार है, जीव मात्र के सुरक्षित जीवन को लेकर संवेदनशील है किन्तु इंसान को, आम जनता को भी तो एक सुरक्षित जीवन की जरूरत होती है. सामर्थ्यवान लोग जाल आदि लगाकर, कुत्ते पालकर अपने जीवन को सुरक्षित कर लेते हैं किन्तु जिनके लिए दो वक़्त की रोटी, रोज पहनने के कपड़े और सर पर छत को जुटाना ही भारी हो क्या वे बन्दरों के हमलों से बचने के अधिकारी नहीं हैं?</p><p> उत्तर प्रदेश की एक जागरूक नागरिक होने के नाते मेरा माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी से कर बद्ध निवेदन है कि आम जनता के प्रति भी थोड़ा उदार रवैय्या अपनाएं, ताकि वह अपनी रोज की जरूरतों को पूरा करने की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर सके और पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की राह पर चलते हुए जिन पौधों का रोपण किया है उन पौधों को बन्दरों के हमलों से बचाते हुए पेड़ बनते हुए देख सकें. साथ ही, जनता की परेशानी को देखते हुए बंदरों के हमलों में घायल या मारे गए लोगों की सहायता हेतु उत्तर प्रदेश के वन विभाग को लंगूरों की व्यवस्था और मुआवजे का प्रावधान किए जाने का भी आदेश दें.</p><p>शालिनी कौशिक एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-90613492511514694812023-07-20T05:36:00.003-07:002023-07-20T05:36:35.802-07:00नारी शक्ति है क्या <p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRhGEYQvMmoikde-xN7wzo6kUGSk8i3keUU8ulAtYEV-5dQzs_p-3EVME3hKgyM3VTEtSLRvilqKx5PfTGBRBsw1rthWa0TmlNjnhcPX2UC4Riwejp59k6c4dKg4gY9elKWICiplfX4wQQhJ8PLmRZdhPU-rtbtxw2lH-LfTaNPGfH-L_3jHyG_nZOxA2u/s1343/20230720_174716.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1343" data-original-width="1079" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRhGEYQvMmoikde-xN7wzo6kUGSk8i3keUU8ulAtYEV-5dQzs_p-3EVME3hKgyM3VTEtSLRvilqKx5PfTGBRBsw1rthWa0TmlNjnhcPX2UC4Riwejp59k6c4dKg4gY9elKWICiplfX4wQQhJ8PLmRZdhPU-rtbtxw2lH-LfTaNPGfH-L_3jHyG_nZOxA2u/w161-h200/20230720_174716.jpg" width="161" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"> </div> मणिपुर वीभत्स घटना आज पूरे देश के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर छाई हुई है. महिलाओं के लिए मौजूदा समय कितना दुखदायी है निरन्तर आंखों के सामने खुलता जा रहा है. यूँ तो, आरंभ से नारी की जिंदगी माँ के गर्भ में आने से लेकर मृत्यु तक शोचनीय ही रहती है. वह चाहे बेटी हो, पत्नी हो या माँ, सभी की नजर में बेचारी ही रहती है. आज एक ओर सरकारी योजनाओं में मिशन शक्ति, विधिक सेवा प्राधिकरण आदि माध्यम से सरकार नारी को सशक्त किए जाने का अथक प्रयास कर रही है किन्तु यह प्रयास भी भारतीय पुरातन सोच को परिवर्तित करने में विफल ही नजर आते हैं. नारी को अबला और भोग्या ही समझने वाला पुरुष सत्ता धारी समाज नारी की सामाजिक स्थिति को उन्नत होते हुए नहीं देख सकता है और वह जब भी, जैसे भी नारी को शोषित करने का कोई भी दुष्कर्म कर सकता है, करता है. बृज भूषण सिंह हो, कुलदीप सेंगर हो या मणिपुरी आदिवासी समाज - महिला को अपमानित करने से कहीं भी पीछे नहीं हटते हैं और ऐसे में इन पुरुष सामंतवाद के समर्थकों पर फर्क नहीं पड़ता है नारी के कमजोर या सबल होने से और सबसे दुःखद स्थिति यह है कि आज सत्ता के शीर्ष पर बैठी नारी शक्ति की मिसाल भी नारी अपमान के मुद्दों पर नारी के साथ खड़ी दिखाई नहीं देती हैं और इतनी ऊपर पहुंचकर भी नारी के "अबला और बेचारी" होने की कहावत को ही चरितार्थ करती हैं.<p></p><p>शालिनी कौशिक एडवोकेट</p><p>कैराना (शामली) </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-11733740883140183582023-07-17T00:28:00.001-07:002023-07-17T00:28:05.142-07:00कांधला-कैराना की सड़क जल्द ठीक हो <p><br /></p><p><br /></p><p>कांधला से कैराना कहा जाए या कैराना से कांधला - एक ही बात है. पूरे यू पी या कहें तो बीजेपी की केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़कों का जाल सा बिछा दिया है सारे में, सड़कों को लेकर बहुत कार्य किया गया है भाजपा सरकार में, किन्तु यह कांधला - कैराना के रास्ते में पड़ते नीलकण्ठ महादेव मन्दिर (वैष्णो देवी मन्दिर) के ठीक सामने पड़ती सड़क पर कांधला में और कांधला से कैराना की ओर निकलते हुए ग्राम असदपुर जिढाना से पहले और ग्राम में काफी लम्बे क्षेत्र की सड़क का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि इस पर माननीय मोदी जी या माननीय योगी जी की नजरें नहीं पड़ी और यह ज़बर्दस्त गड्ढे और टूट फूट भरी सड़क होते हुए और बड़े हादसों की वज़ह होते हुए भी बस लीपापोती से ही ठीक दिखाई जाती रही. आज स्थिति यह है कि चार पहिया वाहन तो इस पर किसी तरह लुढ़क लुढ़क कर घसीटते हुए चला लिए जा रहे हैं किन्तु मोटर साइकिल, स्कूटी, साईकिल, ई-रिक्शा चालक मजबूरी में और कोई रास्ता न होने के कारण इस पर निकल रहे हैं और हादसों के शिकार हो रहे हैं और ऐसे में निरन्तर बारिश ने कंगाली में आटा गीला वाला कार्य किया है. जिसे देखते हुए कांधला से ऊंचा गाँव तक की सड़क का जल्द ठीक किया जाना बेहद जरूरी है ताकि क्षेत्रीय निवासियों के जान माल की सुरक्षा की जा सके.</p><p> शालिनी कौशिक एडवोकेट</p><p> अध्यक्ष</p><p>मन्दिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड)</p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-74165103004007281782023-06-20T05:39:00.002-07:002023-06-20T05:39:54.085-07:00मनोज मुन्तशिर का लेखन सीमा में बंधे <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFcy9Vokbg7wN2BFxU6F-sMD_IwJvnrFl-0b_E2AbPCq7GQ6UqO1GEbf6IRVUmecCGl5Jil4LjCtZWpoeVQM0WN1jifTjiyxYIrDU79X6pDeMyXJ4xMuBXj7wVv7Fx-KEturkdLWVR0e2tBVy47-J204Qbx_r7TfVd_Z6w7pf4AND8TfJFmAqsNpVSGF8B/s649/images.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="472" data-original-width="649" height="146" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFcy9Vokbg7wN2BFxU6F-sMD_IwJvnrFl-0b_E2AbPCq7GQ6UqO1GEbf6IRVUmecCGl5Jil4LjCtZWpoeVQM0WN1jifTjiyxYIrDU79X6pDeMyXJ4xMuBXj7wVv7Fx-KEturkdLWVR0e2tBVy47-J204Qbx_r7TfVd_Z6w7pf4AND8TfJFmAqsNpVSGF8B/w200-h146/images.jpeg" width="200" /></a></div><br /> <p></p><p>"कपड़ा तेरे बाप का,</p><p> तेल तेरे बाप का, </p><p> आग भी तेरे बाप की </p><p> और जलेगी भी तेरे बाप की"</p><p> भक्त शिरोमणि हनुमानजी के मुख से इस तरह के सड़क छाप डायलाग कहलाती "आदिपुरुष" के डायलाग राइटर "मनोज मुन्तशिर" शायद लंकेश रावण के पश्चात दूसरे ब्राह्मण होंगे जिन्होंने श्री राम के चरित्र के साथ खिलवाड़ करने का असहनीय कृत्य किया है. जिस दिन से" आदिपुरुष" सनातन धर्मावलंबियों के सामने आई है शायद ही कोई सच्चा सनातनी होगा जो मनोज मुन्तशिर के अनोखे ज्ञान को लेकर कम से कम दो शब्द विरोध में न बोला हो और जिस तरह से हमेशा होता आया है गलत अपनी गलतियों को कभी स्वीकार नहीं करता अपितु और नई गलतियां करना आरंभ कर देता है. पहले तो असभ्यता, अश्लीलता की सीमाएं पार कर "आदिपुरुष" ने हिन्दू धर्म को कलंकित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी, अब मनोज मुन्तशिर और कहने के लिए आगे बढ़े हैं, रामायण के गहरे जानकार मनोज मुन्तशिर कहते हैं -</p><p>"बजरंग बली ने भगवान राम की तरह से संवाद नहीं किए हैं। क्योंकि वे भगवान नहीं भक्त हैं, भगवान हमने उन्हें बनाया है, उनकी भक्ति में वह शक्ति थी।"</p><p> कलियुग के एकमात्र प्रत्यक्ष भगवान के रूप में हम हनुमानजी की पूजा आराधना करते आ रहे हैं और अचानक पता चलता है एक प्रकांड विद्धान" मनोज मुन्तशिर " से कि हनुमानजी तो हमारे जैसे ही हैं बहुत गहरा धक्का पहुंचता है हमारी आस्था पर, अब ऐसे में मन यही कहता है कि कम से कम एक बार तो बुद्धिमानी का दिखावटी चोला धारण किए मनोज मुन्तशिर को आईना दिखा ही दिया जाए.</p><p> हनुमान भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त एवं अमर बालाजी के रूप में हम सभी सनातन धर्मावलंबियों की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं. हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की भक्ति (हिन्दू धर्म में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में प्रधान हैं। वह भगवान शिवजी के सभी अवतारों में सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। ऐसा भी जगत में प्रसिद्ध है कि जब श्री राम ने सरयू नदी के जल में महाप्रयाण का निश्चय किया तब उन्होंने हनुमानजी को जगत के प्राणियों की रक्षा के लिए धरती पर ही रहने का आदेश दिया और तब से हनुमानजी धरती पर ही निवास करते हैं और जहां जहां भी रामायण पाठ होता है वहां अवश्य पहुंचते हैं. इसी कारण रामायण पाठ के आरंभ में</p><p>"कथा प्रारम्भ होत है -, आओ वीर हनुमान,</p><p>ऊंचे आसन बैठकर करो सदा कल्याण"</p><p>और, रामायण पाठ पूर्ण होने पर </p><p>"कथा समाप्त होत है, जाओ वीर हनुमान,</p><p>राम लखन श्री जानकी सहित करो सदा कल्याण"</p><p> कहने का विधान है और धरती पर बहुत से भक्त जनों ने हनुमानजी की उपस्थिति को प्रत्यक्षतः अनुभव भी किया है. आज मनोज मुन्तशिर जैसे सड़क छाप लेखक हिन्दू धर्म की गहरी आस्था के केंद्र सियाराम और हनुमानजी के चरित्र से ही खिलवाड़ पर उतर आए हैं और ऐसा तब हो रहा है जब केंद्र और उत्तर प्रदेश में बैठी सरकार हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए कृत संकल्प है. ऐसे में, आदिपुरुष बैन होनी चाहिए और मनोज मुन्तशिर के लेखन का सीमा बंधन होना चाहिए.</p><p>शालिनी कौशिक </p><p> एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-71949372877541248372023-03-19T21:51:00.003-07:002023-03-19T21:51:28.568-07:00लोक अदालत का आज की न्याय व्यवस्था में स्थान <p> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_aE5NQbGP5tebd-lxh3AHjeWcoxNchtHy27dzFxdP36ffx8WSglvjd6J4fk_zJv-8rT0gHz5r5hfNDu7xOGsPF1_zBCMdTVaEzsQ6GZmGJl52WVfy0sizKtXs6XpMSEWD-ywtLfAVRzyl0mNVeOxLPiGe_WX7XKnwEJJZf9JbLVfiCVQx0i6Rrce05w/s459/images%20(8)%20(13).jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-align: center;"><img border="0" data-original-height="285" data-original-width="459" height="199" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_aE5NQbGP5tebd-lxh3AHjeWcoxNchtHy27dzFxdP36ffx8WSglvjd6J4fk_zJv-8rT0gHz5r5hfNDu7xOGsPF1_zBCMdTVaEzsQ6GZmGJl52WVfy0sizKtXs6XpMSEWD-ywtLfAVRzyl0mNVeOxLPiGe_WX7XKnwEJJZf9JbLVfiCVQx0i6Rrce05w/s320/images%20(8)%20(13).jpeg" width="320" /></a></p><br /><p><br /></p><p> राजस्थान हाइकोर्ट द्वारा अपने निर्णय </p><p> "श्याम बच्चन बनाम राजस्थान राज्य एस.बी. आपराधिक रिट याचिका नंबर 365/2023" में यह स्पष्ट किया गया है कि लोक अदालतों के फैसले पक्षकारों की आपसी सहमति पर ही दिए जा सकते हैं. </p><p> राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि लोक अदालतों के पास कोई न्यायनिर्णय शक्ति नहीं है और केवल पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर अवार्ड दे सकती है।</p><p>अदालत के सामने यह सवाल उठाया गया कि क्या विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अध्याय VI के तहत लोक अदालतों के पास न्यायिक शक्ति है या केवल पक्षकारों के बीच आम सहमति पर निर्णय पारित करने की आवश्यकता है।</p><p>अदालत ने कहा,</p><p>"उपर्युक्त प्रावधानों का एकमात्र अवलोकन यह स्पष्ट करता है कि जब न्यायालय के समक्ष लंबित मामला (जैसा कि वर्तमान मामले में) को लोक अदालत में भेजा जाता है तो उसके पक्षकारों को संदर्भ के लिए सहमत होना चाहिए। यदि कोई एक पक्ष केवल इस तरह के संदर्भ के लिए न्यायालय में आवेदन करता है तो दूसरे पक्ष के पास न्यायालय द्वारा निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पहले से ही सुनवाई का अवसर होना चाहिए कि मामला लोक अदालत में भेजने के लिए उपयुक्त है।</p><p>पक्षकारों के बीच समझौता होने पर ही अधिनिर्णय दिया जा सकता है और यदि पक्षकार किसी समझौते पर नहीं पहुंचते हैं तो लोक अदालत अधिनियम की धारा 20 की उप-धारा (6) के तहत मामले को न्यायालय के समक्ष वापस भेजने के लिए बाध्य है।"</p><p>इस प्रकार यह माना जा सकता है कि लोक अदालतों के पास कोई न्यायिक शक्ति नहीं है किन्तु जो शक्ति लोक अदालत अपने पास रखती है वह बेहद महत्वपूर्ण है. पक्षकारों की आपसी सहमति पर आधारित लोक अदालतों के निर्णय एक डिक्री की तरह होते हैं और यही कारण है कि लोक अदालतों के निर्णय के खिलाफ कोई अपील किसी भी अन्य न्यायालय में पेश नहीं की जा सकती है. </p><p> उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण निःशुल्क कानूनी सहायता के क्षेत्र में प्रयासरत है. लोक अदालतों को निःशुल्क कानूनी सहायता का एक बहुत ही सशक्त माध्यम कहा जा सकता है. जिसमें अदालतों द्वारा विवादग्रस्त मामलों को पक्षकारों की आपसी सहमति से निबटा कर मुकदमों के बोझ को तो हल्का किया ही जा रहा है साथ ही, पक्षकारों पर न्याय प्राप्ति के लिए महंगी पड़ रही न्याय व्यवस्था को भी सस्ता करने का प्रयास किया जा रहा है. अदालतों में लम्बित मुकदमों की भरमार को देखते हुए लोक अदालतों की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है और उनमें न केवल पहले से ही दायर मुकदमे वरन ऐसे सभी विवाद भी जो अभी न्यायालय के समक्ष नहीं आए हैं, प्री लिटिगेशन के आधार पर निबटाने के प्रयास जारी हैं और इसी को देखते हुए विशेष लोक अदालतों का आयोजन भी किया जा रहा है जिनमे चेक बाउंस, बैंक वसूली, नगरपालिका के संपत्ति कर आदि मामले निबटाये जा रहे हैं. </p><p>प्रस्तुति</p><p>शालिनी कौशिक </p><p> एडवोकेट</p><p>रिसोर्स पर्सन </p><p>जिला विधिक सेवा प्राधिकरण </p><p>शामली </p><p><br /></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-47993819191125113252023-02-07T02:26:00.002-08:002023-02-07T18:14:16.227-08:00 तुलसीदास का पुरुष अहं भारी एक संस्कृत उक्ति है -<div>"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता."</div><div> किन्तु केवल पुस्तकों और धर्म शास्त्रों तक ही सिमट कर रह गई है यह उक्ति. सदैव से स्त्री को पुरुष सत्ता के द्वारा दोयम दर्जा ही प्रदान किया जाता रहा है. धर्म शास्त्रों ने पुरुष के द्वारा किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को उसकी धर्मपत्नी के अभाव में किए जाने की स्वीकृति नहीं दी और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमने श्री राम द्वारा अश्वमेघ यज्ञ के समय उनके वामांग देवी सीता की विराजमान मूर्ति के रूप में देखा है. हमने अपने बाल्यकाल में गार्गी, अपाला जैसी विदुषियों का मुनि याज्ञवल्क्य जैसे महर्षि से शास्त्रार्थ के विषय में भी पढ़ा है किन्तु धीरे धीरे नारी को दबाने का चलन बढ़ा और इसके लिए ढाल बने महाकवि तुलसीदास, जिन्होंने श्री रामचरितमानस में लिख दिया </div><div> "ढोल, गँवार, शूद्र, पशु, नारी - </div><div> ये सब ताड़न के अधिकारी" </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi24LtDQg6BDykhmCDUMLKaq_e1PudMKhKQBeCeUYqPg6yELVoVCb1etgu1GgeKtJ6OkE_7O9BS4q-pArgRplbYiBHqPawMVtRUVjisBrAgRzwqnn63gfeA7KQkm03gVG2Fi90FBMF3iqPgnoPUOIfaICK75X6Uu9hZ7W5KRWrGsORBVXzDozmRx7ix4g/s1080/IMG_20230207_145505.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="561" data-original-width="1080" height="166" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi24LtDQg6BDykhmCDUMLKaq_e1PudMKhKQBeCeUYqPg6yELVoVCb1etgu1GgeKtJ6OkE_7O9BS4q-pArgRplbYiBHqPawMVtRUVjisBrAgRzwqnn63gfeA7KQkm03gVG2Fi90FBMF3iqPgnoPUOIfaICK75X6Uu9hZ7W5KRWrGsORBVXzDozmRx7ix4g/s320/IMG_20230207_145505.jpg" width="320" /></a></div><br /><div><br /></div><div> अब तुलसीदास जी के इस लिखे को पढ़े लिखों ने अपने हिसाब से, अनपढ़ों ने अपने हिसाब से, पुरूष समुदाय ने अपने दिमाग से, नारी वर्ग ने अपने दिल से, सभ्य समाज ने सभ्यता की सीमाओं में, असभ्य - अभद्र लोगों ने मर्यादा की सीमाएं लाँघकर वर्णित किया, किंतु सबसे ज्यादा मार पड़ी नारी जाति पर, जिसका योगदान महाकवि के द्वारा रचित पवित्र पुण्य महाकाव्य श्री रामचरित मानस में सर्वाधिक था और उसी नारी जाति के लिए महाकवि दो शब्द धन्यवाद के लिखने के स्थान पर यह कई अर्थ भरी उक्ति लिख गए. अब नारी जाति का श्री रामचरित मानस लिखने मे क्या योगदान है, यह भी समझ लिया जाना चाहिए -</div><div> बाल्यकाल से ही तुलसी के जीवन में संघर्ष रहा, माता पिता का सुख तो कभी नहीं मिला क्योंकि वे मूल् नक्षत्र में पैदा हुए थे और पैदा होते ही उनकी माता जी के स्वर्गवास होने पर पिता ने उन्हें त्याग दिया था. मामा के घर रहे वहां शिक्षा का समय आ गया, वह भी पूरी कर ली। लेकिन जब इनका विवाह बनारस की एक बड़ी सुंदर स्त्री, रत्नावली से हुआ, पहली बार अपना परिवार पाया, तो पत्नी के प्रति आसक्ति कुछ अधिक ही हो गई। एक बार पत्नी मायके गई, अब पत्नी से मिलने की इच्छा में रात में ही पत्नी से मिलने पहुँच गए, द्वार बंद पाया तो पत्नी तक पहुंचने के लिए तेज बारिश में साँप को रस्सी समझकर उसे ही पकड़कर ऊपर चढ़ गए. पत्नी रत्नावली ने पति को ऐसे आया देखा तो उसे पति तुलसीदास पर बहुत क्रोध आया और उसने जो कहा वह पति तुलसीदास के लिए प्रभु का संदेश बन गया </div><div> "लाज न आवत आपको, </div><div> दौरे आयहू साथ, </div><div> धिक-धिक ऐसे प्रेम को </div><div> कहा कहहुं मैं नाथ. </div><div> अस्थि चर्ममय देह मम </div><div> ता में ऐसी प्रीती </div><div> तैसी जो श्रीराम में </div><div> कबहु न हो भव भीती." </div><div><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg6uIiC5xVs-lHTnEN9AI4MvIpORlqdhmTnsg2yoGFwpgFZeEt4Mhve1iumU8dW0V0cfZoDb_TK4GbMmswhwrK-NeTELPXAFK9IkbRt0ER2yrKUesuJ3Kraff9YenbuzTMOvGlxJr0EmEYYX4BLkIwwMlHUfUd3MU_Xh6y9zRTcbgGKeVuenGCG4X6LlA/s720/4DzX9615.webp" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="720" data-original-width="720" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg6uIiC5xVs-lHTnEN9AI4MvIpORlqdhmTnsg2yoGFwpgFZeEt4Mhve1iumU8dW0V0cfZoDb_TK4GbMmswhwrK-NeTELPXAFK9IkbRt0ER2yrKUesuJ3Kraff9YenbuzTMOvGlxJr0EmEYYX4BLkIwwMlHUfUd3MU_Xh6y9zRTcbgGKeVuenGCG4X6LlA/s320/4DzX9615.webp" width="320" /></a></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div><br /></div><div> अर्थात तुलसीदास जी से उनकी पत्नी कहती हैं, कि आपको लाज नहीं आई जो दौड़ते हुए मेरे पास आ गए।</div><div>हे नाथ! अब मैं आपसे क्या कहूँ। आपके ऐसे प्रेम पर धिक्कार है। मेरे प्रति जितना प्रेम आप दिखा रहे हैं उसका आधा प्रेम भी अगर आप प्रभु श्री राम के प्रति दिखा देते, तो आप इस संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति पा जाते. </div><div>इस हाड़-माँस की देह के प्रति प्रेम और अनुराग करने से कोई लाभ नहीं। यदि आपको प्रेम करना है, तो प्रभु श्री राम से कीजिए, जिनकी भक्ति से आप संसार के भय से मुक्त हो जाएंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति हो जायेगी।" </div><div> और पत्नी रत्नावली का यह कहना मात्र ही तुलसीदास जी के जीवन का ध्येय बन गया और उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन चरित पर आधारित युगान्तरकारी कालजयी ग्रंथ श्री रामचरित मानस की रचना की किन्तु अपने पुरुष अहं को ऊपर रखते हुए पत्नी - नारी रत्नावली का धन्यवाद अर्पित नहीं किया और लिख गए नारी को ताड़न की अधिकारी - जिसे भले ही सभ्य समाज कितना सही रूप में परिभाषित कर नारी के पक्ष में प्रचारित कर ले, असभ्य-अभद्र समाज नारी की ताड़ना करता ही रहेगा नारी को अपमानित करता ही रहेगा क्योंकि भले ही लव कुश ने अपनी माता सीता का सच्चरित्र अयोध्या वासियों के सामने रख दिया हो, भले ही महर्षि वाल्मीकि ने रामायण का सुखद अंत किए जाने की चेष्टा में अपना सारा पुण्य ज्ञान लगा दिया हो किन्तु माता सीता को तो धरती माँ की गोद में ही समाना पड़ा था. इसलिए महाकवि तुलसीदास जी का पुरुष अहं नारी समुदाय पर सदैव भारी हो पड़ेगा. </div><div>शालिनी कौशिक </div><div> एडवोकेट </div><div>कैराना (शामली) </div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-60764451766643884652022-12-25T23:57:00.009-08:002022-12-26T04:32:16.585-08:00श्री राहुल गांधी - एक महान राष्ट्रनायक <p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqAzzg-6u-TX_y_PKnEphxiK5muitaURl84NTi9y6v6zjEZflEvv3VoN_Et_QSymdzt6buhCoq3QbX7EgGCORvnZjZzMwm5ksBXVSAYoYST4RE271sOgncs0PhVcV5bt1LfwSh7dBuuE-4oNijl5WAFjiWoQOIKrca4E4RcU1GgyFqLOL9QxrszlO2BQ/s2168/Photo%20Collage%20Maker_KpSAdX.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqAzzg-6u-TX_y_PKnEphxiK5muitaURl84NTi9y6v6zjEZflEvv3VoN_Et_QSymdzt6buhCoq3QbX7EgGCORvnZjZzMwm5ksBXVSAYoYST4RE271sOgncs0PhVcV5bt1LfwSh7dBuuE-4oNijl5WAFjiWoQOIKrca4E4RcU1GgyFqLOL9QxrszlO2BQ/s320/Photo%20Collage%20Maker_KpSAdX.png" width="320" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div> श्री राहुल गांधी जी आज भारत में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक आम भारतीयों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ चुके हैं. भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने भारत को तोड़ने का इरादा रखने वालों के दिलों को बहुत तगड़ा झटका दिया है और इसी कारण राहुल गांधी जी के विरोधी कभी राहुल गांधी द्वारा महिलाओं, ल़डकियों से हाथ मिलाने को लेकर उन पर कटाक्ष करते हैं तो कभी यात्रा में मात्र सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी बताकर राहुल गांधी जी के भारत जोड़ने के प्रयास की हँसी उड़ाते हैं ऊपर से गोदी मीडिया के द्वारा भरसक कोशिश की जाती है कि भारत जोड़ो यात्रा को भारत में कोई प्रचार न मिले किन्तु आज भारत जोड़ो यात्रा एक क्रांति बन चुकी है और इतिहास गवाह है कि क्रांति कभी दबाई नहीं जा सकती है बल्कि क्रांति को जितना दबाया जाता है वह उतना ही रौद्र रूप लेकर उभरती है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम इसकी गवाही देता है और आज भारत जोड़ो यात्रा भी एक ऐसी ही क्रांति बन गई है जिसमें कॉंग्रेस पार्टी के युवा नेता पूर्व कॉंग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी ने अपनी पूरी जीवन शक्ति लगा दी है.<p></p><p> कन्याकुमारी से आरंभ होकर भारत जोड़ो यात्रा जैसे ही उत्तर की ओर बढ़ी, सियासी हल्कों में हलचल आरंभ हो गई और राजस्थान में उमड़ पड़े जनसमुदाय ने राहुल गांधी जी के विरोधियों में आग सी लग गई और शुरू हो गई कोरोना के फैलने की खबरें. जिस भारत जोड़ो यात्रा में अब तक विरोधियों के अनुसार इक्का-दुक्का ही लोग आ रहे थे उसे रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री राहुल गांधी जी को भारत जोड़ो यात्रा रोकने के लिए पत्र लिखने बैठ गए.</p><p> यही नहीं राहुल गांधी जी की राष्ट्रीयता यहीं पर नहीं रुकी बल्कि यात्रा के दिल्ली आने पर वे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के समाधि स्थल पर गए और यहां उन्होंने एक बार फिर दिखा दिया कि उनमें है वह भावना-जो एक सच्चे और महान राष्ट्रनायक में होनी चाहिए.</p><p> राहुल गांधी सर्वप्रथम अपने पिता और देश के सातवें प्रधान मंत्री स्व श्री राजीव गांधी जी की समाधि स्थल वीर भूमि पर गए, इंदिरा गांधी जी की समाधि शक्ति स्थल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट, पंडित नेहरू की समाधि शांति वन, लाल बहादुर शास्त्री जी की समाधि विजय घाट, चौधरी चरण सिंह जी की समाधि स्थल किसान घाट पर गए, पर यह कोई महान कार्य नहीं था क्योंकि ये सभी कॉंग्रेस पार्टी के आदर्श चरित्र और नेता रहे हैं, राहुल गांधी जी की महानता कही जाएगी उनका भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी जी की समाधि स्थल सदैव अटल पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित करना. ऐसा नहीं है कि स्व अटल बिहारी वाजपेयी जी उनकी श्रद्धांजली के पात्र नहीं थे, अटल बिहारी वाजपेयी जी सदैव भारतीयों के हृदय में सम्मान के पात्र हैं और रहेंगे किन्तु देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जी क्या भाजपाई प्रधानमंत्री और भाजपाई राष्ट्रपति के द्वारा सम्मान के पात्र नहीं होने चाहिए. वर्तमान और वर्ष 2000 के बाद का देश का इतिहास गवाह है भाजपा द्वारा बनाए गए पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जी के जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर देश में कहीं और का प्रवास कार्यक्रम तय कर लेते थे और इनकी समाधि स्थल पर जाकर अपनी पुष्पांजलि अर्पित नहीं करते थे और यही रवैय्या भाजपा के वर्तमान नेतृत्व का है जो देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले कॉंग्रेस पार्टी के इन महान प्रधानमंत्रियों की जयंती और पुण्यतिथि पर ट्विटर पर ट्वीट द्वारा ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं.</p><p> ऐसे में, एक राष्ट्रनायक वही होना चाहिए जो दलगत राजनीति से परे रहता हो, केवल राष्ट्र का सम्मान ही सर्वोपरि रखता हो और कॉंग्रेस पार्टी से जुड़े होने पर भी राहुल गांधी के द्वारा भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की समाधि पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित करना उन्हें राष्ट्रनायक की छवि प्रदान करता है और एक आम भारतीय आज उनमें अपने भारत राष्ट्र का महान नायक होने का अक्स देख रहा है. राहुल गांधी जिंदाबाद 🇮🇳</p><p>शालिनी कौशिक</p><p> एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p><p><br /></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-29899143668023250712022-12-24T00:24:00.006-08:002022-12-24T00:40:01.327-08:00हिन्दू बड़े दिलवाले-Marry Christmas <div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiyujukKOg67QXabpC6vPO0yyrPFepNBoA9TyuSpgzmtKZQVoCu-mPpv2ilvPhALy8JoRIRQLL4V7xW9xUVbt9edefj7HXblN4p_nWoEDnJAa3FBifbq17nHoXwgy0gchfvBo2uK35j-s144attOXYZJItgwaTIBoKuylULZrsIlo_AUpSurC4rMBl0jg/s2168/Photo%20Collage%20Maker_qHI5bN.png" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiyujukKOg67QXabpC6vPO0yyrPFepNBoA9TyuSpgzmtKZQVoCu-mPpv2ilvPhALy8JoRIRQLL4V7xW9xUVbt9edefj7HXblN4p_nWoEDnJAa3FBifbq17nHoXwgy0gchfvBo2uK35j-s144attOXYZJItgwaTIBoKuylULZrsIlo_AUpSurC4rMBl0jg/s320/Photo%20Collage%20Maker_qHI5bN.png" width="320" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"><br /></span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> व्हाटसएप और ट्विटर पर आज राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में लगभग हर किसी के खाते नज़र आते हैं और इसीलिए मन की हर बात को इन पर साझा किया जाना एक आम चलन बनता जा रहा है और इसी कारण ये अकाउंट सामाजिक सौहार्द और भारतीय संस्कृति के लिए काफी हद तक, अगर सच ही कहा जाए तो, खतरनाक बनते जा रहे हैं. </span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> पिछले कुछ दिनों से ट्विटर और व्हाटसएप के स्टेटस पर 25 दिसंबर के लिए कट्टर हिन्दुत्व, स्वयंसेवक बनने और तुलसी पूजन जैसे संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं और वह मात्र इसलिए कि 25 दिसंबर को ईसाई धर्मावलंबियों का पवित्र त्यौहार "क्रिसमस" मनाया जाता है. ऐसी ट्वीट, ऐसे स्टेटस एक चिंता सी पैदा कर रहे हैं कि क्या यही लिखा है हमारे महान भारत की महान संस्कृति में कि हम दूसरे की खुशियों में आग लगाने का कार्य करें. वह संस्कृति जो कबीरदास की पन्क्तियों में हमें प्रेरित करती है </span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;">"ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए, </span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> औरन को सीतल करे, आपहु सीतल होय." </span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> आज उसी भारतीय संस्कृति को मैला करने का, दूषित करने का आगाज हो रहा है और यह कहना भी देरी ही होगी कि आज ऐसा करना आरंभ किया गया है जबकि बीते भारत के कुछ साल एक खास वर्ग इसी साज़िश को अंजाम दे रहा है जिससे निबटने के लिए देश के एक प्रमुख राजनेता श्री राहुल गांधी जी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की सफल शुरूआत की है. </span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> भारतीय संस्कृति के महान विद्वान् डाॅ. रामधारी सिंह जी दिनकर ने भारतीय संस्कृति की व्याख्या करते हुए लिखा है, कि भारतीय संस्कृति का महत्व स्वयं सिद्ध है। यह व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की धरोहर है। संस्कृति के वरदहस्त से ही हमारा राष्ट्र निरंतर प्रगति के पथ पर प्रशस्त है। भारतीय संस्कृति आंतरिक भावना है। इसके अंतर्गत व्यक्ति के आचार विचार उसके जीवन मूल्य, उसकी नैतिकता, संस्कार, आदर्श, शिक्षा, धर्म, साहित्य और कला का समावेश होता है अतः भारतीय संस्कृति एक व्यापक तत्व है। निश्चित ही भारतीय संस्कृति मानव की साधना की सर्वोत्तम परिणति है।"</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;" /></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">‘‘भारतीय संस्कृति में धर्म की स्वीकृति है, किन्तु धर्म किसी संकीणर्ता या अंधविश्वास का पर्याय नहीं है।’’ वर्तमान समय ही नहीं बल्कि प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति का आधार धार्मिक एकता व सहिष्णुता रहा है। राम, कृष्ण, शिव तथा बुद्ध, महावीर इत्यादि की मान्यताओं के अलावा भारत में देवी-देवताओं की संख्या अनगिनत है। फिर भी इनकी विचारधाराओं में एकता का मूल है, क्योंकि विभिन्न रूप स्वीकार करने पर भी एक-ईश्वर में भारतीय मानस का विश्वास सुदृढ़ है। </div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">ऋग्वदे की प्रसिद्ध ऋचा - ‘एक सद्धिप्रा बहुधा वदन्ति’ के अनुसार एक शक्ति के स्वरूप अनेक है। सगुण रूप मे इष्टदेव के नामभेद होने पर भी निराकार ब्रह्म की सत्ता सब हिन्दू मतो में मान्य है। अहिंसा, दया, तप आदि सभी गृहस्थ और वैराग्य धर्मों का सिद्धान्त है। चाहे वे बौद्ध, जैन या वैष्णव किसी भी मत के मानने वाले हों। </div><div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति मे सहनशीलता का भी बड़ा विशिष्ट गुण है। इसी का परिणाम है कि देश में अनेक जातियाँ और धर्मों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं फिर भी भारतीय संस्कृति विलीन नहीं हुई है। आदान-प्रदान की प्रक्रिया द्वारा भारतीय संस्कृति अपने स्वरूप को संजोये हुए ‘अनेकता में एकता’ की स्थापना प्रकट करती है। भारत की धर्म परायणता से न तो इस्लाम को ठेस पहुँची और न ईसाईयत को कोई हानि हुई। हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई भारत में केवल एक धर्म ही नहीं हैं बल्कि भारत की पहचान के चार मजबूत स्तंभ हैं. धर्म और अध्यात्म द्वारा भारतीय संस्कृति जन-जीवन को आश्वस्त बनाने में सफल हैं। </div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"> भारतीय संस्कृति के इस गुण को बताते हुए पृथ्वी कुमार अग्रवाल लिखते हैं - ‘आपसी भेद का कारण भारतीय संस्कृति में धर्म कभी नहीं बन सका। एक-दो उदाहरण हो तो उसके मूल में अन्य तथ्य प्रमुख है। संस्कृति की एक विशेषता को न केवल विचारक दार्शनिकों ने स्थापित किया, बल्कि राजनयिकों और सम्राटो ने भी समझा। </div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;">स्वयं अशोक का कथन है कि उसने धार्मिक मेल-जोल को बढ़ावा देने का सफल प्रयत्न किया है। इस सहिष्णुतापूर्ण समन्वय भावना को मुगल बादशाह अकबर ने भी स्वीकार किया और तदनुसार इस्लाम जैसा विपरीत मत भी भारतीयता का अंग बन गया।’ विश्व इतिहास में हम धर्म के नाम पर अनेक अत्याचारों का होना पाते हैं। यूनान में सुकरात, फिलिस्तीन में ईसा मसीह को बलि होना पड़ा। परन्तु भारतीय संस्कृति में हिंसा धर्मान्धता के वशीभूत नही हुई। सहिष्णुता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है।</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;" /></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> खुली दृष्टि और ग्रहण शीलता भारतीय संस्कृति का एक मन्त्र है। बाह्य संस्कृतियों और जातियों से आदान-प्रदान प्रभावों को आत्मसात करना, नए लक्ष्य की प्राप्ति आदि उसी विचारधारा के अंग है। सामाजिक व्यवस्था की उदारता और ग्रहण क्षमता उसके लक्षण है। डॉ विजयेन्द्र स्नातक लिखते हैं कि भारतीय संस्कृति का मूलाधार - ‘‘जीयो और जीने दो है। हमारी संस्कृति की यही खुली विचारधारा है। समय-समय पर अनेक जातियाँ भारतवर्ष में आकर यही घुल-मिल गई। राजनीतिक विजय के बावजूद भी ये भारत की संस्कृति पर विजय नहीं पा सकी। इनकी अच्छी विचारधारा को भारतीय संस्कृति ने अपने अन्दर समाहित कर लिया।</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;" /></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;">इसी प्रकार की विचारधारा को दिनकर जी ने भी व्यक्त किया है - ‘भारतीय संस्कृति में जो एक प्रकार की विश्वसनीयता उत्पन्न हुई, वह संसार के लिए सचमुच वरदान है। इसके लिए सारा संसार उसका प्रशंसक रहा है। निःसंदेह वर्तमान में भी यही विचारधारा भारतीय संस्कृति को संपोषित कर रही है।</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;" /></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतवर्ष में भौगोलिक व सांस्कृतिक विविधता होते हुए भी यह देश अपनी एकता के लिए विख्यात है। इस देश को ’संसार का संक्षिप्त प्रतिरूप’ कहा गया है। यह धरती अनेक जनो वाली विविध भाषा, अनेक धर्म और यथेच्छ घरो वाली है। भाषा और धर्म देश में विविधता के आज भी लक्षण है। किन्तु वे एक सूत्रबद्ध है। भारतीय संस्कृति की ‘विविधता में एकता’ की विचारधारा पर रामधारी सिंह दिनकर लिखते हैं - ‘‘भारतवर्ष मे सभी जाति मिलकर एक अलग समाज का निर्माण करती हैं जैसे - कई प्रकार की औषधियों को कड़ाही में डालकर जब काढ़ा बनाते हैं तब उस काढ़ा का स्वाद दूर एक औषधि के अलग स्वाद से सर्वथा भिन्न हो जाता है। असल में उस काढ़ा का स्वाद सभी औषधियों के स्वादों के मिश्रण का परिणाम होता है। </div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> भारतीय संस्कृति ने विश्व की किसी भी संस्कृति को हेय दृष्टि से नहीं देखा है। किसी को भी स्वयं से तुच्छ आंकना हमारी संस्कृति में सिखाया ही नहीं गया है. इसने अन्य सभ्यताओं के गुणों को आत्मसात करने के साथ-साथ उनके अवगुणों का परिष्कार भी किया है। यह हमारी ही संस्कृति है जो सच्चाई के लिए अगर मिटना जानती है तो अपनों का साथ देने के लिए मिटा देना भी जानती है. शायद यही कारण है कि हमारी संस्कृति वर्तमान में भी ज्यो की त्यों अपनी प्रसिद्धि बनाये हुए हैं। इस प्रकार हमारी संस्कृति विश्व की ओजस्वी संस्कृति है।</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;" /></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> </span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;"> डाॅ. हरिनारायण दुबे ने भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए लिखा है, कि ‘‘भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व आध्यात्मिक है। इसमें ऐहिक एवं भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है। भारतीय संस्कृति में धर्मान्धता का कोई स्थान नहीं है। इस संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।"</span></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span face="-apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif" style="background-color: white; color: #282829; font-size: 15px;">" भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विरासत इसमें अंतर्निहित सहिष्णुता की भावना मानी जा सकती है। यद्यपि प्राचीन काल से ही भारत में अनेक धर्म एवं सम्प्रदाय रहे हैं किंतु इतिहास साक्षी है कि धर्म के नाम पर अत्याचार और रक्तपात प्राचीन भारत में नहीं हुआ. इस प्रकार भारत भूमि का यह सतत् सौभाग्य रहा है कि यहां अनादिकाल से मानवमात्र को ही नहीं वरन प्राणिमात्र को एकता एवं भाईचारे की भावना में जोड़ने की प्रबल संस्कृति प्रवाहमान है।"</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;" /></div><div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"> महान् साहित्यकार कवि और विद्वान् श्री रवींद्रनाथ टैगोर के अनुसार ‘‘भारतीय संस्कृति की आध्यात्म और मानवता की भावना अनुकरणीय है। भारतीय संस्कृति का दृष्टिकोण उदार और विशाल है क्योंकि मूलतः उसका विकास प्रकृति के स्वच्छन्द वातावरण में और उसके साथ सहयोग करते हुए हुआ है। इसी कारण भारतीय संस्कृति में सहयोग समन्वय, उदारता तथा समझौते की प्रवृत्ति मूलरूप से विद्यमान है।"</div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"> " डाॅ. एल. पी. शर्मा ने भारतीय संस्कृति की व्याख्या करते हुए उसकी निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-<span style="background-color: initial;"> </span><span style="background-color: initial;"> </span></div><ol style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px;"><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम् संस्कृति है। </li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति में विविधता होते हुए भी एकता विद्यमान है। </li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति में धार्मिक सहिष्णुता सदैव रही है।</li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"> भारतीय संस्कृति एक धर्म प्रधान संस्कृति है। </li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति सदैव प्रगतिशील रही है। </li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति में भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति का मिश्रण है। </li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति में विश्व बंधुत्व की भावना निहित है। </li><li style="background: 0px 0px; border: 0px; box-sizing: border-box; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">भारतीय संस्कृति की प्रकृति सहयोगात्मक है. </li></ol><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;"> </span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;"> इस प्रकार, विश्व बंधुत्व का संदेश देने वाली, वसुधैव कुटुंबकम की भावना संजोने वाली भारतीय संस्कृति आज स्वार्थ की राजनीति का शिकार होकर क्या इतना नीचे गिर जाएगी कि दूसरे की खुशियों को आग लगाकर अपनी दुनिया को रोशन करेगी. जिस संस्कृति में अतिथि तक को देवता का स्थान दिया गया है, उस संस्कृति में अपनी आने वाली पीढ़ी को अपने भाइयों के ही साथ भेदभाव की सीख दी जाएगी. तुलसी पूजन दिवस कह कर हिन्दुओं की भावनाएं उद्वेलित करने वाले धर्म के ठेकेदारों ने क्या अभी कार्तिक माह के पूरे महीने में माँ तुलसी की आराधना नहीं की है और फिर तुलसी हमारे लिए पूजनीय पौधा है क्या इसके लिए हम मात्र 25 दिसंबर को ही चुनेंगे और वो भी इसलिए कि क्रिसमस पर एक ट्री को सजा कर ईसाई अपनी खुशियाँ मनाते हैं. क्यूँ छोटा कर रहे हैं हिन्दू अपने हृदय की विशालता को, जो साल भर सत्कार पाने वाली माँ तुलसी को एक क्रिसमस ट्री के समक्ष खड़ा कर छोटा कर रहे हैं. संता के रूप में ईसाईयों के छोटे मासूम बच्चों की मासूमियत को क्यूँ अपनी राजनीति के लिए अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं? कहाँ तो विद्यालयों में राजनीति के प्रवेश तक का विरोध किया जाता था और कहां आज सत्ता के लिए, अपनी राजनीति चमकाने के लिए छोटे छोटे मासूम बच्चों की मासूमियत को कट्टरता में बदलने की कोशिश की जा रही है. इस तरह खतम हो जाएगा ये बचपन, ये समाज, ये देश और इस तरह ये सारी सभ्यता. </span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;"> इसलिए मत संकीर्ण कीजिए खुद की सोच को, खुद के दिल के दरवाजे बंद मत कीजिए, हवाओं को आने दीजिए और सामाजिक समरसता, धार्मिक सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहने दीजिए, हिन्दू धर्मावलंबियों ने अभी श्री कृष्ण जन्माष्टमी, नवरात्रि, विजयादशमी, दीपावली आदि बहुत से त्योहार मनाए हैं और उसमें अपने ईसाई, मुस्लिम, सिख भाई - बहनों से बहुत सी हार्दिक शुभकामनाएं प्राप्त की हैं. तो अब अपना भी दिल खुला रखिए और खुले दिल से अपने ईसाई भाई बहनों को भी क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कीजिए. </span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;">🌲🌹HAPPY CHRISTMAS 🌹🌲</span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;">द्वारा </span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;">शालिनी कौशिक </span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;">एडवोकेट </span></div><div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; box-sizing: border-box; color: #282829; font-family: -apple-system, system-ui, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, Oxygen-Sans, Ubuntu, Cantarell, "Helvetica Neue", sans-serif; font-size: 15px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><span style="background-color: initial;">कैराना (शामली)</span></div></div></div></div></div></div>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-87921652293108127062022-12-05T02:35:00.000-08:002022-12-05T02:35:12.245-08:00राहुल गांधी - कलियुग के श्री राम <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_oz3b1PM3Ggk7DgsMrB8_L4AyDKYw_5t5VBqT4SQPW_jvUM0Q-RgbuRVwBqjYxc9bqW6qbVwL-AmmYBW5gkF-GXabUPqVlahr1kITTDfNZ1fwU879APjFKaaEfV5xMKPqcl__ewG5zizNIxt7JXAaFI6CneO68U7eFKV7vonl7ysmVbdravAcbulr8w/s2168/Photo%20Collage%20Maker_vtOjJ4.png" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_oz3b1PM3Ggk7DgsMrB8_L4AyDKYw_5t5VBqT4SQPW_jvUM0Q-RgbuRVwBqjYxc9bqW6qbVwL-AmmYBW5gkF-GXabUPqVlahr1kITTDfNZ1fwU879APjFKaaEfV5xMKPqcl__ewG5zizNIxt7JXAaFI6CneO68U7eFKV7vonl7ysmVbdravAcbulr8w/s320/Photo%20Collage%20Maker_vtOjJ4.png" width="320" /></a></div><br />7 सितंबर 2022 से भारत जोड़ो यात्रा का आरंभ और तब से निरंतर देशवासियों के समक्ष राहुल गांधी जी के देशभक्त, कर्तव्यनिष्ठ, लोकप्रिय चेहरे का सामने आना राहुल गांधी जी के व्यक्तित्व में एक विराट स्वरूप का परिचय कराने के लिए पर्याप्त है. रह रहकर राहुल गांधी जी को लेकर भारतीय मीडिया और बीजेपी आईटी सेल ने जो कटाक्ष राहुल गांधी जी पर किए हैं उन्हें देखते हुए और उनके निर्णयों की दृढ़ता को देखते हुए मन में एकबारगी राहुल गांधी जी का विचार आने पर श्री राम की छवि उभरकर सामने आती है और आज लेखनी राहुल गांधी में श्री राम की छवि का ही तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर रही है - </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">श्री राम के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय तब आरंभ होता है, जब श्री राम के राजतिलक की महाराजा दशरथ तैयारी आरंभ करते हैं और तभी महारानी कैकयी श्री राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लेती हैं और प्रभु श्री राम यह पता लगते ही महाराजा दशरथ की आज्ञा के बिना ही सत्ता को त्याग कर वनवास स्वीकार कर लेते हैं. भाजपा यदि तब अयोध्या में होती तो निश्चित रूप से श्री राम के लिए भी "पप्पू" शब्द का ही इस्तेमाल करती क्योंकि यह बिल्कुल वह घड़ी है कलियुग में जब कॉंग्रेस पार्टी 2009 में दोबारा सत्ता में आती है और राहुल गांधी जी से यह आशा की जाती है कि वे यू पी ए के प्रमुख घटक दल कॉंग्रेस पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद स्वीकार कर लेंगे किन्तु राहुल गांधी श्री राम की तरह अपने सिद्धांतों को ऊपर रखते हैं और मिली जुली सरकार का प्रतिनिधित्व करने से इंकार कर देते हैं और ऐसा सुनहरा अवसर गंवाने पर भाजपा के द्वारा "पप्पू" की संज्ञा से विभूषित कर दिए जाते हैं. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">अब आता है श्री राम के वनवास का दौर, जिसे श्री राम अपने पुण्य उदित होने के रूप में स्वीकार करते हैं और वनवास के नियमों का पालन करते हुए सभी राज सुखों का परित्याग कर पैदल वनों में चलते हैं, वनों में रहकर राक्षसों का अंत करते हुए साधू - संतों की समस्या का समाधान करते हैं. 7 सितंबर 2022 को राहुल गांधी जी भी श्री राम की राह का अनुसरण करते हुए "भारत जोड़ो यात्रा" आरंभ करते हैं और कन्याकुमारी से कश्मीर तक के अपने इस अभियान में पैदल चलते हुए आम जनता से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान या तो तुरंत ही कर देते हैं जैसे कि एक बच्चे के पास लैपटॉप उपलब्ध कराते हैं या फिर उनके द्वारा लिखित में लेकर भविष्य में पूरा करने का आश्वासन देते हैं और आम जनता में उनके आश्वासन को लेकर जो विश्वास है वह आम जनता की लाखों की संख्या में उपस्थिति से अनुभव किया जा सकता है. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh6AtdCpe72DDvrD3IYhW9LjdBNcRZUxgoCtRINif-5EQzDXzjUm6y8yuG1QRC_zhPMlf-Gv5imQNbcl0_XZ2JAOBriMRnhKBtZavVrUkUmMNUhN5jq8cTNcHDFCrxSr2yDGCiwSFgaWM_Z_Dg_Eoqme_2slLQNH0hbOvEAbnkI8aROYby8Rhmeex0hVQ/s2168/Photo%20Collage%20Maker_SRNloj.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh6AtdCpe72DDvrD3IYhW9LjdBNcRZUxgoCtRINif-5EQzDXzjUm6y8yuG1QRC_zhPMlf-Gv5imQNbcl0_XZ2JAOBriMRnhKBtZavVrUkUmMNUhN5jq8cTNcHDFCrxSr2yDGCiwSFgaWM_Z_Dg_Eoqme_2slLQNH0hbOvEAbnkI8aROYby8Rhmeex0hVQ/s320/Photo%20Collage%20Maker_SRNloj.png" width="320" /></a></div><div><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">सीता - जनक नन्दिनी - राम प्रिया - रघुकुल की महारानी जिनके लिए श्री राम ने अखिल जगत में नारी का सम्मान स्थापित करने के लिए लंकेश रावण का उनके समूचे कुल सहित संहार किया, आज राहुल गांधी जी भी माँ सीता के माध्यम से देश में महिलाओं का सम्मान स्थापित कराए जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और भगवान श्रीराम का नाम ले सत्ता की सीढियां चढ़ने वाली आरएसएस - बीजेपी के "जय श्री राम" उद्घोष पर कड़ा प्रहार करते हुए कहते हैं - "कि राम ने किसी के साथ अन्याय नहीं किया... आरएसएस के लोग सियाराम का उद्घोष कर ही नहीं सकते क्योंकि उनके संगठन में सीता तो है ही नहीं, सीता को तो उन्होंने बाहर कर दिया, "सीता और राम" एक ही हैं. इसलिए मेरे आरएसएस के मित्रों "जय सियाराम" का उद्घोष कीजिए और सीता जी का अपमान मत कीजिए."</div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"> यही नहीं, आज राहुल गांधी ने बहुत से ऐसे कार्य किए हैं, विचार प्रस्तुत किये हैं कि उनकी छवि को कलियुग में श्री राम के समक्ष लाया जा सकता है. श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया, राहुल गांधी जी ने भारत जोड़ो यात्रा में उपस्थित महिलाओं से जिस तरह पुत्रवत व्यवहार किया है, भाई के रूप में जिस तरह उन्हें स्नेह दिया है सुरक्षा का एहसास दिया है उनमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की छवि के दर्शन होते हैं. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">श्री राम को धीर-वीर-गंभीर कहा गया है और जिस तरह से बीजेपी द्वारा राहुल गांधी की छवि को खराब करने के लिए, उन्हें पप्पू साबित करने के लिए अरबों रुपये खर्च किए गए हैं और उन्हें देखते ही जनता के दिलों दिमाग में जिस तरह से पप्पू शब्द का उच्चारण स्थापित कर दिया गया है उसे ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी जी का धैर्यपूर्वक सब सहन करना और जनता के बीच में आकर अपनी योग्यता उजागर कर बीजेपी द्वारा फैलाई गई अफवाहों पर विराम लगाना उनके धीर-वीर-गम्भीर स्वरुप को सामने लाता है. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">श्री राम को सखा स्नेही भी कहा गया, निषादराज से उनकी मित्रता इसका प्रमाण है वहीं अमेठी के पंडित दिनेश शर्मा जी से राहुल गांधी जी की मित्रता का यह प्रमाण उन्हें सखा स्नेही की श्रेणी में भी खड़ा कर देता है कि पंडित दिनेश शर्मा द्वारा राहुल गांधी जी को प्रधान मंत्री बनाए जाने के लिए पिछले 12 साल से पैदल नंगे पैर चलने का व्रत धारण किया गया है. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">श्री राम ने कभी किसी को नीचा रहने ही नहीं दिया और राहुल गांधी जी ने अपने मन में कभी किसी भेदभाव-छूआछूत को जगह नहीं दी और इसके गवाह आज के भारत जोड़ो यात्रा के यात्री हैं जो 2000 किलोमीटर से भी लम्बी दूरी तक राहुल गांधी जी के साथ चल रहे हैं. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">श्री राम को गरीबनिवाज भी कहा जाता है उनके समय में गरीबों के लिए, ब्राह्मणों के लिए खजाने के द्वार खुले रहते थे. श्री राम ने राजा का पैसा गरीब जनता में पहुंचाने का कार्य किया और राहुल गांधी जी द्वारा आदिवासियों की जमीन का मुद्दा उठाना, भट्टा-पारसौल मुद्दे पर किसानों के पास पहुंचना, किसान-मजदूर-नाई-छोटे दुकानदारों को तपस्वी की संज्ञा देना उनके हृदय की उदारता को परिलक्षित करता है और उनके हृदय में श्री राम के प्रति सम्मान को वास्तव में स्वीकार आदर्श के रूप में स्थापित करता है जो श्री राम के नाम को राजनीति के लिए इस्तेमाल किए जाने वालों के हृदय में कहीं भी दिखाई नहीं देता है. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">राहुल गांधी जी को लेकर जो भी अफवाहें उड़ाई गई थी वे सभी भारत जोड़ो यात्रा का आगाज कर निर्मूल कर दी गई हैं और अब स्थिति यह आ गई है कि बीजेपी की आईटी सेल राहुल गांधी जी को निशाना बनाने के लिए भगवान भोलेनाथ, श्री कृष्ण, श्री राम, किसानों, नाई, मजदूर, छोटे दुकानदारों को राहुल गांधी द्वारा तपस्वी कहे जाने की हँसी उड़ा रहे हैं. आज राहुल गांधी जी ने ऐसी विषम परिस्थितियों में जिस उदात्त चरित्र का, संतुलित व्यवहार का प्रदर्शन किया है वह उन्हें कलियुग के श्री राम के रूप में अवतरित कर रहा है. </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">🚩🪴🌹जय सियाराम 🌹🪴🚩</div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">द्वारा </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">शालिनी कौशिक </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">एडवोकेट </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">कैराना (शामली) </div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"> </div><p></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-41870520956796458572022-12-02T08:34:00.002-08:002022-12-02T08:52:15.066-08:00अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹<p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5GIuVyUrzy9sf--wN-lQ2k8VbFs6-IhOhFjZ6GMUDmP5Ul3DDGQv-amjc4VOzQdY7Y3ifVwVqe7CqRhRA5Kj_tmV0cZmE0B7WyBfirvxKXKx7cNxcU0tQbXuIM7cyDucNGXmK9MzBGgsG_o8xEBqFENNsjr5K_xugIiCkSgLLODl2TUcfD6j-WeEZ5Q/s2168/Photo%20Collage%20Maker_IPTjSq.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5GIuVyUrzy9sf--wN-lQ2k8VbFs6-IhOhFjZ6GMUDmP5Ul3DDGQv-amjc4VOzQdY7Y3ifVwVqe7CqRhRA5Kj_tmV0cZmE0B7WyBfirvxKXKx7cNxcU0tQbXuIM7cyDucNGXmK9MzBGgsG_o8xEBqFENNsjr5K_xugIiCkSgLLODl2TUcfD6j-WeEZ5Q/s320/Photo%20Collage%20Maker_IPTjSq.png" width="320" /></a></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><br /><p></p><p> 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया जाता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस पर भारत भर में अधिवक्ता दिवस होता है। राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थें, इन सबके पहले वह वक़ील रहें हैं. </p><p> वकालत विश्व भर में अत्यंत सम्मानीय और गरिमामय पेशा है। भारत में भी वकालत गरिमामय और सत्कार के पेशे के तौर पर हर दौर में बना रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों से अधिक योगदान किसी और पेशे का नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों ने जमकर लोहा लिया है।</p><p> अधिवक्ता समुदाय भारतीय राजनीति में स्वतंत्रता के पश्चात से ही नहीं बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन से ही महती भूमिका निभाता रहा है. 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम होने पर देश में स्वतंत्रता के लिए देश में आंदोलनों का आरंभ हुआ और हुआ देश हित में सबसे सक्रिय अधिवक्ता समुदाय का स्वतंत्रता आंदोलनों में पदार्पण. </p><p> महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, पंडित मोतीलाल नेहरू, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू, सी. आर. दास, आसफ अली आदि एक से बढ़कर एक अधिवक्ताओं ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सेवाएं दी. स्वतंत्रता आंदोलनों के आरंभ में ही भारतीय राजनीति की मुख्यधारा में महात्मा गांधी के प्रवेश को भी चिह्नित किया गया. गांधी, पेशे से वकील भी, दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे, जहां उन्होंने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ और लोगों की नागरिक स्वतंत्रता के लिए एक सफल सत्याग्रह किया था। इस बीच, गांधी ने चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह में अपनी सफलता से पहले ही भारत में अपनी पहचान बना ली थी। गांधी ने जमींदारों के खिलाफ संगठित विरोध और हड़ताल का नेतृत्व किया, जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के मार्गदर्शन में, क्षेत्र के गरीब किसानों को खेती पर अधिक मुआवजा और नियंत्रण देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, और अकाल समाप्त होने तक राजस्व वृद्धि और इसके संग्रह को रद्द कर दिया। खेड़ा में, पेशे से वकील, सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ बातचीत में किसानों का प्रतिनिधित्व किया, जिन्होंने राजस्व संग्रह को निलंबित कर दिया और सभी कैदियों को रिहा कर दिया। पटेल ने बाद में गुजरात में खेड़ा, बोरसाड और बारडोली के किसानों को ब्रिटिश राज द्वारा थोपी गई दमनकारी नीतियों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा में संगठित किया; इस भूमिका में, वह गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।एक प्रख्यात वकील और भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी चंपारण आंदोलन में गांधी के साथ शामिल थे। एक अन्य वकील और राजनेता भुलाभाई देसाई ने 1928 में बारडोली सत्याग्रह के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई जांच में गुजरात के किसानों का प्रतिनिधित्व किया। भूलाभाई ने किसानों के मामले का मजबूती से प्रतिनिधित्व किया, और संघर्ष की अंतिम सफलता के लिए महत्वपूर्ण थे। पंडित मोतीलाल नेहरू, प्रयागराज के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं ब्रिटिशकालीन राजनेता थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे। 1919 में अमृतसर में अंग्रेजों द्वारा सैकड़ों भारतीयों के नरसंहार ने मोतीलाल को महात्मा गांधी के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया. असहयोग आंदोलन , कानून में अपना करियर छोड़ना और जीवन की एक सरल, गैर-अंग्रेजी शैली में बदलना। 1921 में उन्हें और जवाहरलाल दोनों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और छह महीने के लिए जेल में डाल दिया। मोतीलाल ने 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया, जो नमक मार्च से संबंधित था , जिसके लिए उन्हें जेल में डाल दिया गया था। रिहाई के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई। आसफ अली देश के सबसे सम्मानित वकीलों में से एक, उन्होंने वकील के रूप में बटुकेश्वर दत्त का बचाव किया. गांधीजी ने गुजरात में अपना प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह और दांडी मार्च शुरू करने पर सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंकने के आरोप में क्रांतिकारियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को गिरफ्तार किया गया था। एक स्वतंत्रता सेनानी और एक प्रमुख वकील आसफ अली ने क्रांतिकारियों का बचाव किया गया. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आसफ अली को कई बार कैद की सजा सुनाई गई थी, जो अगस्त 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा अपनाए गए 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव के मद्देनजर थी। उन्हें जवाहरलाल नेहरू और अन्य के साथ अहमदनगर किले की जेल में हिरासत में लिया गया था।असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू की भागीदारी भी देखी गई जिन्होंने इस दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में खुद को डुबो दिया। लंदन में पढ़े-लिखे वकील, नेहरू ने अपना समय देश का दौरा करने और गांधीवादी विचारों को फैलाने और आम लोगों की समस्याओं से खुद को परिचित कराने में बिताया था। राजगोपालाचारी, लाला लाजपत राय, मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, सीआर दास और सरदार पटेल अन्य वकील थे जिन्होंने असहयोग आंदोलन में अपना पूरा योगदान दिया। पटेल ने 300,000 से अधिक सदस्यों की भर्ती के लिए राज्य का दौरा किया और रुपये जुटाए। असहयोग आंदोलन के लिए 1.5 मिलियन फंड और अहमदाबाद और गुजरात में ब्रिटिश सामानों की अलाव आयोजित करने में मदद की। उन्होंने चौरी चौरा कांड के मद्देनजर गांधी के विवादास्पद प्रतिरोध निलंबन का भी समर्थन किया। अधिकांश वकीलों ने अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए मार्शल लॉ के असहाय पीड़ितों के बचाव के लिए, अपने स्वयं के कानूनी अभ्यास की कीमत पर, स्वतंत्र रूप से अपना समय दिया, जिन्हें फांसी की सजा दी गई थी या कारावास की लंबी अवधि की सजा सुनाई गई थी।</p><p> स्वतंत्रता ही नहीं अपितु जब स्वतंत्रता मिली और नए भारत को गढ़ने का समय आया तब भी वकीलों की महत्ता बनी रही। महात्मा गांधी से लेकर बी आर अम्बेडकर तक लोग वकालत के पेशे से अपने जीवन की शुरुआत करने वाले रहे हैं। इन सब भारत की महान विभूतियों के प्रारंभिक पेशे वकालत ही रहे बाद में यह लोग भले राष्ट्रपति मंत्री हुए परन्तु प्रारंभ में वकील ही रहे।</p><p> राजनीति के प्रदार्पण के पहले वकालत एक तरह की परंपरा रही है। अधिकांश राजनेताओं का प्रारंभिक पेशा वकालत है। मौजूदा मोदी सरकार में भी 18 केबिनेट मंत्री वक़ील है। लगभग इतने ही वकील भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में भी रहें हैं।</p><p> स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी अधिवक्ता समुदाय देश के नव निर्माण में भागीदार रहा है और देश की प्रतिष्ठा का परचम अपने बुद्धि के बल पर समय समय पर फहराता रहा है. देश पर पूर्व में हुए मुस्लिम आक्रांताओं के हमले, भारतीय संस्कृति को छिन्न भिन्न करने की कोशिश करने वाले मुगलों की सत्ता के दुष्परिणामों से और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अँग्रेजों द्वारा लगभग बर्बाद किए जा चुके भारत के नव निर्माण में अपना जीवन लगाने वाली कॉंग्रेस पार्टी के नेता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी वकील थे.भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी भी वकील थे वहीं वर्तमान में कांग्रेस के बड़े नेताओं में से ऐसे लोग हैं जो राजनेता के साथ-साथ नामी वकील भी हैं. </p><p>* देश के टॉप वकीलों की कतार में अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट के सबसे कम उम्र के नामित सीनियर एडवोकेट थे. मूलत: राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले अभिषेक मनु सिंघवी के पिता लक्ष्मीमल सिंघवी भी जाने-माने वकील रहे हैं. वो ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त भी थे.</p><p>* 34 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी कुमार को सीनियर काउंसल नियुक्त किया था. कांग्रेस पार्टी की सरकार में वो कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं.</p><p>* देश के नामी वकीलों में शुमार और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद यूपीए सरकार में कई मंत्रालय संभाल चुके हैं. इनके पिता खुर्शीद आलम खान पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के दामाद थे. अलीगढ़ के रहने वाले खुर्शीद ने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय में विशेष अधिकारी के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. वो प्रख्यात लेखक और कानून शिक्षक भी रहे हैं.</p><p>* पूर्व सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री मनीष तिवारी पेशे से वकील हैं. उनकी पहचान गरीबों का मुफ्त केस लड़ने को लेकर है. </p><p>* कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केटीएस तुलसी भी इसी कतार में हैं. 7 नवंबर 1947 को होशियारपुर पंजाब भारत में जन्मे तुलसी ने पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में कला स्नातक की उपाधि ली फिर 1971 में एलएलबी करके वकालत शुरू कर दी. तुलसी की पहचान कई नामी केस लड़ने से हुई. </p><p> यही नहीं, वर्तमान सत्ताधारी दल भाजपा से भी अधिवक्ता समुदाय का एक बड़ा धड़ा आज भी जुड़ा हुआ है और देश सेवा में संलग्न है. वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली एक प्रतिष्ठित एडवोकेट थे. स्व सुषमा स्वराज एक प्रख्यात एडवोकेट थी, पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. कैबिनेट में उन्हें शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा गया. दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सहित मोदी कैबिनेट में वकील भरे हुए हैं। इसमें जेपी नड्डा, चौधरी बीरेंद्र सिंह, रामकृपाल यादव और राजेन मोहन गोहन, अर्जुन मेघवाल, पीपी चौधरी भी शामिल हैं। वर्तमान लोकसभा में कुल सांसद हैं 543। इनमें अकेले 7% के पास वकालत की डिग्री है और ये भी अधिवक्ता समुदाय के लिए गौरव की बात है कि आज देश के उपराष्ट्रपति पद पर विराजमान श्री जगदीप धनखड़ जी भी एक अधिवक्ता हैं.</p><p> अधिवक्ता समुदाय को आज 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और देश के प्रथम राष्ट्रपति, महान स्वतंत्रता सेनानी और विद्वान अधिवक्ता स्व. डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को जयंती पर कोटि कोटि नमन 💐🙏💐</p><p>शालिनी कौशिक </p><p>एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-87483376177259261242022-11-26T22:42:00.002-08:002022-11-26T23:07:22.584-08:00संविधान दिवस आयोजन - भारत जोड़ो यात्रा की सफ़लता <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWvVGF0gxLlGhCUSGD-v8_8YdHOn6WApapSRfNJiI-J_xcoMCFSBIIWL-K0zIZtMH3lYka8OPWca0RzHenpRYv-6Iam6dmJDxOMaMEJgpd6TYuqSMq-sPQihD7wlSrT1bQXrmDifF_NfE-i2s8wqME_sH87JJuua7fZWhsEcBd-u7MA1__1sB62q2_Aw/s2168/Photo%20Collage%20Maker_JZiT1n.png" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWvVGF0gxLlGhCUSGD-v8_8YdHOn6WApapSRfNJiI-J_xcoMCFSBIIWL-K0zIZtMH3lYka8OPWca0RzHenpRYv-6Iam6dmJDxOMaMEJgpd6TYuqSMq-sPQihD7wlSrT1bQXrmDifF_NfE-i2s8wqME_sH87JJuua7fZWhsEcBd-u7MA1__1sB62q2_Aw/s320/Photo%20Collage%20Maker_JZiT1n.png" width="320" /></a></div><br /><br /><p></p><p> 26 नवंबर - विधि दिवस - संविधान दिवस के रूप में 1949 से स्थापित हो गया था। भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया और तभी से भारत गणराज्य में 26 नवंबर का दिन "संविधान दिवस - विधि दिवस" के रूप में मनाया जाता है. </p><p> देश में एक लम्बे समय तक कॉंग्रेस पार्टी की ही सरकार रही है और क्योंकि कॉंग्रेस पार्टी के ही अनथक प्रयासों से देश में संविधान का शासन स्थापित हुआ है इसलिए कॉंग्रेस पार्टी के द्वारा संविधान दिवस मनाया जाना आरंभ से ही उसकी कार्यप्रणाली में सम्मिलित रहा है किन्तु आज देश में कॉंग्रेस विरोधी विचारधारा सत्ता में है और उस विचारधारा ने कॉंग्रेस की विचारधारा और कार्यप्रणाली के ही विपरीत आचरण को ही सदैव अपने आचरण में सम्मिलित किया है और इसी का परिणाम है कि आज देश में बहुत से ऐसे शासनादेश सामने आए हैं जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करते हुए नजर आए हैं और इन्ही कुछ परिस्थितियों के मद्देनजर कॉंग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सांसद श्री राहुल गांधी जी द्वारा देश में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक 7 सितंबर 2022 से भारत जोड़ो यात्रा आरंभ की गई, जिसमें उमड़े हुए अपार ज़न समूह को देखकर और राहुल गांधी के प्रति जनसमुदाय के प्यार को देखकर कॉंग्रेस पार्टी के विपक्षी खेमे को गहरा झटका लगा है और वह कैसे भी करके, कभी महिलाओं का राहुल गांधी जी द्वारा हाथ पकड़ने को लेकर तो कभी राहुल गांधी जी की दाढ़ी को लेकर, कभी भीड़ को फोटो शॉप कहकर भारत जोड़ो यात्रा को बदनाम करने की कोशिश में लगे हुए हैं. </p><p> भारत जोड़ो यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण असर ही कहा जाएगा कि पिछले 8 साल से सत्ता में आया कॉंग्रेस पार्टी का विपक्षी खेमा अपनी विचारधारा के विपरीत देश के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों - कलेक्ट्रेट, पुलिस थाने, विकास विभाग, महाविद्यालय, इंटर कॉलेज आदि सभी जगह संविधान दिवस मनाए जाने के आदेश पारित किए जाते हैं, सभी संस्थानों के अफसर संविधान की शपथ ग्रहण करते हैं. संविधान की श्रेष्ठता पर बड़े बड़े भाषण दिए जाते हैं. ये राहुल गांधी जी की भारत जोड़ो यात्रा की बहुत बड़ी सफ़लता कही जाएगी क्योंकि आज कॉंग्रेस पार्टी का विपक्षी खेमा वह सब कुछ कर रहा है जिसे उसने कभी अपनी कार्यप्रणाली, अपनी संस्कृति, अपनी विचारधारा मे कोई जगह नहीं दी. वह संविधान की शपथ ले रहे हैं जो संविधान के शासन के ही खिलाफ थे, वे हर घर तिरंगा अभियान चला रहे हैं जो कभी अपने कार्यालय तक पर तिरंगे को फहराने की ज़हमत नहीं उठाते थे. </p><p> आज राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा देश ही नहीं, विदेश में भी सुर्खियों में है और इसमें उमड़ता हुआ अपार ज़न समूह इसकी बुलंदियां ज़ाहिर करने के लिए पर्याप्त है. जय हिंद - जय भारत 🇮🇳🇮🇳</p><p>शालिनी कौशिक </p><p>एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p><p><br /></p><p><br /></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-63468601042644742672022-11-18T08:16:00.002-08:002022-11-18T08:20:58.390-08:00भारत की शेरनी प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी - कोटि कोटि नमन 💐<p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqPBue7HetAmZ4yiKVGSRd8LoLySgRdDSg5mEft3CUbWPBU_1-vaAjekNziHPPL9gOCbzAS8ORnFcL6ptpO_sPswH_ruh57r-X7eQBSxfWBwEANfIbVTYdGaGO0k-jREiPqMq-a5qNIYxPdiGh5XnwY9C34Arg2GmLwarV6whbronTxEXrV5fwRag9Hg/s720/e607f8961654e8f800dabd9820319e09e5c9f.webp" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqPBue7HetAmZ4yiKVGSRd8LoLySgRdDSg5mEft3CUbWPBU_1-vaAjekNziHPPL9gOCbzAS8ORnFcL6ptpO_sPswH_ruh57r-X7eQBSxfWBwEANfIbVTYdGaGO0k-jREiPqMq-a5qNIYxPdiGh5XnwY9C34Arg2GmLwarV6whbronTxEXrV5fwRag9Hg/s320/e607f8961654e8f800dabd9820319e09e5c9f.webp" width="320" /></a></div><br /><p></p><div style="font-family: Georgia, "Times New Roman", "Bitstream Charter", Times, serif; line-height: 19px;">अदा रखती थी मुख्तलिफ ,इरादे नेक रखती थी ,</div><div style="font-family: Georgia, "Times New Roman", "Bitstream Charter", Times, serif; line-height: 19px;">वतन की खातिर मिटने को सदा तैयार रहती थी .<br />.....................................................................<br />मोम की गुड़िया की जैसी ,वे नेता वानर दल की थी ,,<br />मुल्क पर कुर्बां होने का वो जज़बा दिल में रखती थी .<br />.......................................................................<br />पाक की खातिर नामर्दी झेली जो हिन्द ने अपने ,<br />वे उसका बदला लेने को मर्द बन जाया करती थी .<br />.......................................................................<br />मदद से सेना की जिसने कराये पाक के टुकड़े ,<br />शेरनी ऐसी वे नारी यहाँ कहलाया करती थी .<br />.......................................................................<br />बना है पञ्च-अग्नि आज छुपी है पीछे जो ताकत ,<br />उसी से चीन की रूहें तभी से कांपा करती थी .<br />.......................................................................<br />जहाँ दोयम दर्जा नारी निकल न सकती घूंघट से ,<br />वहीँ पर ये आगे बढ़कर हुकुम मनवाया करती थी .<br />........................................................................<br />कान जो सुन न सकते थे औरतों के मुहं से कुछ बोल ,<br />वो इनके भाषण सुनने को दौड़कर आया करती थी .<br />...........................................................................<br />न चाहती थी जो बेटी का कभी भी जन्म घर में हो ,<br />मिले ऐसी बेटी उनको वो रब से माँगा करती थी .<br />.........................................................................<br />जन्मदिन ये मुबारक हो उसी इंदिरा की जनता को ,<br />जिसे वे जान से ज्यादा हमेशा चाहा करती थी .</div><div style="font-family: Georgia, "Times New Roman", "Bitstream Charter", Times, serif; line-height: 19px;"><br /></div><div style="font-family: Georgia, "Times New Roman", "Bitstream Charter", Times, serif; line-height: 19px;">शालिनी कौशिक<br />[एडवोकेट ]</div><div style="font-family: Georgia, "Times New Roman", "Bitstream Charter", Times, serif; line-height: 19px;">कैराना (शामली) </div>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-78111038818918272922022-11-13T22:56:00.002-08:002022-11-13T22:56:29.965-08:00बाल दिवस विशेष - बच्चों के प्रति लापरवाही गलत <p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJm6GzRKCP0j9GPSnQLQkA9wM_FG-R3wJn26iqRB12kHIkW2pUQ_0A_w-y-I4RBAuXN2479H3W4akj-4s-g00uZQSWBDcszYZEf-MXhtKGUrIChzOOeg8sAsO6HiT3g_TfVWqi97tYXqj7U4exDgNZt2D3IumZLxfb2iOIIlJEzrtuZa5hQOZMi8AQpQ/s2168/Photo%20Collage%20Maker_miFvkK.png" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2168" data-original-width="2168" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJm6GzRKCP0j9GPSnQLQkA9wM_FG-R3wJn26iqRB12kHIkW2pUQ_0A_w-y-I4RBAuXN2479H3W4akj-4s-g00uZQSWBDcszYZEf-MXhtKGUrIChzOOeg8sAsO6HiT3g_TfVWqi97tYXqj7U4exDgNZt2D3IumZLxfb2iOIIlJEzrtuZa5hQOZMi8AQpQ/s320/Photo%20Collage%20Maker_miFvkK.png" width="320" /></a></div><br /><p></p><p>"वक़्त करता है परवरिश बरसों </p><p>हादिसा एक दम नहीं होता" </p><p>सभी जानते हैं कि हादसे एक दम जन्म नहीं लेते, एक लम्बे समय से परिस्थितियों के प्रति बरती गई लापरवाही हादसों की पैदाइश का मुख्य कारण होती है. भले ही अवैध रूप से चलाई जा रही पटाखा फैक्ट्री के हादसे हों या सड़कों में बनते जा रहे गड्ढों के कारण इ-रिक्शा पलटने के हादसे, बन्दरों के हमलों के कारण घरों में छोटी मोटी चोट लगने के हादसे, सब चलते रहते हैं और आम जनता से लेकर प्रशासन तक सभी इन्हें " बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले" कहकर टालते रहते हैं, क़दम उठाए जाते हैं तब जब पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के कारण दो - तीन गरीब महिला या कामगार बच्चे के शरीर के चीथड़े उड़ जाते हैं, जब इ-रिक्शा पलटने से स्कूल जाती हुई बच्ची की लाश उसके घर पहुंचाई जाती है, जब बन्दरों के हमले के कारण मन्दिर से घर आई सुषमा चौहान को असमय काल का ग्रास बनना पड़ता है.</p><p> क्यूँ नहीं विचार किया जाता इन परिस्थितियों पर इनके हादसे में तब्दील होने से पहले, प्रशासन की, सरकारी विभागों की तो छोड़िए वे तो तब ध्यान देंगे जब ऊपर से इन परिस्थितियों के राजनीतिक लाभ लेने के लिए कार्रवाई किए जाने के आदेश होंगे किन्तु बड़ा सवाल यह है कि भुक्त भोगी तो हम "आम जनता" अर्थात "हम भारत के लोग" होते हैं, हम ध्यान क्यूँ नहीं देते?</p><p> बच्चों के साथ होने वाले हादसे रोज अखबारों की सुर्खियों में हैं. कितने ही बच्चे गायब हो रहे हैं, कितने ही बच्चों को दुष्ट लोगों के द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है. कल ही बागपत में 112 पुलिस वाहन द्वारा दो बच्चों को टक्कर मारने का मामला पब्लिक ऐप पर छाया हुआ है. कस्बा कांधला के मोहल्ला सरावज्ञान में सीता चौक पर एक चौहान डेयरी की दुकान है जहां पिछले कुछ समय से शाम को 3-4 साल से 8-10 साल तक के बच्चों की दूध की बर्नी हाथ में लिए दौड़ भाग किए जाने की भरमार रहती है. बच्चों की लड़ाई होती है, मार पीट भी होती है जिसे बहुत सी बार आने जाने वाले लोगों द्वारा डांट फटकार कर रोका जाता है. आश्चर्यजनक बात यह है कि इतने छोटे बच्चों को रात के अंधेरे में दूध लेने के लिए घर से भेज दिया जाता है और कितना ही अंधेरा हो जाए, किसी का भी कोई ध्यान भी इस ओर नहीं जाता. जो बच्चे खुद को भी ठीक तरह से नहीं सम्भाल सकते उन्हें अंधेरे रास्तों पर दूध दुकान से लेने और घर तक आने के लिए अंधेरी गलियों में दूध भरा हुआ बर्तन लाने की जिम्मेदारी दे दी गई है और कहीं कोई चिंता नहीं, कोई परवाह नहीं, साथ में किसी भी बड़े का कोई संरक्षण नहीं, क्या गारन्टी है कि आज सब कुछ ठीक है तो कल भी सब ठीक रहेगा. दुकान पर आने वाले बड़ी उम्र के किसी भी आदमी औरत को इन बच्चों की सहायता करते हुए नहीं देखा जाता, कोई नहीं कहता कि बेटा /बेटी पहले तुम ले लो. पहले शाम 7 बजे और अब शाम 6 बजे खुलने वाली दूध की दुकान पर इन बच्चों को दूध तब मिलता है जब बड़ी उम्र के ग्राहक दूध लेकर निकल चुके होते हैं और तब तक छोटे छोटे बच्चे अंधेरे में खेलते रहते हैं, लड़ते रहते हैं और कभी कभी चोट खाते रहते हैं. पर किसी का कोई ध्यान नहीं जबकि अभी 7 नवम्बर 2022 से कांधला के ही एक मोहल्ले का 15 साल का लड़का गायब है, पहले भी लगभग 2 साल पहले एक 7-8 साल की लड़की गायब हो चुकी है जिसका आज तक कोई पता नहीं चल पाया है. क्यूँ नहीं विचार करते हम इन सभी खतरों पर, एक आध दिन की मजबूरी अलग बात है कि भेजना पड़ जाए बच्चे को, किन्तु रोज रोज के लिए ऐसा करना गलत लोगों के गलत इरादों को शह देना है. ये सोचना कि आज कुछ नहीं हुआ तो कल भी नहीं होगा, बेवकूफ़ी है. </p><p> ऐसे में, न केवल प्रशासन बल्कि बच्चों के माता पिता और संरक्षकों को जागरूक होकर ध्यान देना होगा क्योंकि बच्चे तो भोले होते हैं उनके साथ कोई भी हादसा अगर होता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वतः ही बड़े पर आ जाएगी. इसलिए बडों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस ओर ध्यान देना ही होगा और बच्चों की कम उम्र को देखते हुए उन्हें इस तरह स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी भरे कार्य में न डाला जाए बल्कि सुरक्षित अह्सास प्रदान कर सही गलत की समझ विकसित कर ही कार्य सौंपा जाए और तब सही तरीके में बाल दिवस मनाया जाए. सभी बालक - बालिकाओं को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹</p><p>शालिनी कौशिक </p><p>एडवोकेट </p><p>कैराना (शामली) </p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-36714984417564854792022-11-06T22:06:00.003-08:002022-11-06T22:20:33.231-08:00कैराना पत्रकारिता का अजीम मंसूरी दौर <p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi95awMbljzdcVPGjJm4DDJgL4jnWz5L_XfIEU-asLYfxGJSSFq8YQIfO2c9Womjmu1WKHTOiLKxyWMeqXs1QZ5iNC1nUd8r1W77_lPY0iGFyIVI0MtPKeN1QobOc3PxZsbUnrRqy6_pA_C3-CJfsizaCMn3nrtlld7_Atj-ULkv1GZ9o2OeoGFDDYT7g/s1080/IMG_20221107_113507.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="776" data-original-width="1080" height="230" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi95awMbljzdcVPGjJm4DDJgL4jnWz5L_XfIEU-asLYfxGJSSFq8YQIfO2c9Womjmu1WKHTOiLKxyWMeqXs1QZ5iNC1nUd8r1W77_lPY0iGFyIVI0MtPKeN1QobOc3PxZsbUnrRqy6_pA_C3-CJfsizaCMn3nrtlld7_Atj-ULkv1GZ9o2OeoGFDDYT7g/s320/IMG_20221107_113507.jpg" width="320" /></a></div><br /><p></p><p> भारतीय मीडिया इतना पथभ्रष्ट कभी नहीं था, जितना अभी पिछले कुछ सालों से हुआ है. पत्रकारिता और राजनीति एक दूसरे के बहुत महत्वपूर्ण पर्याय रहे हैं , पत्रकारिता ने हमेशा राजनीति की बखिया उधेड कर रख दी हैं, राजनीतिज्ञों की कोई भी योजना रही हो, किसी भी दल की, पत्रकारों की पारखी नजरों से कोई भी राजनीतिक चाल कभी छुपी नहीं रह सकी, यही नहीं भारतीय राजनीति में एक दबदबा कायम रहा है कैराना के राजनीतिज्ञों और पत्रकारों का जिसके कारण कैराना राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर चर्चाओं का मुद्दा रहा है किन्तु ये सब तथ्य अब पुराने पड़ चुके हैं, अब राजनीति का जो स्वरूप सामने है वह चापलूसी को ऊपर रखता है और कैराना वह राजनीति के हल्के में स्व बाबू हुकुम सिंह जी और मरहूम मुनव्वर हसन के बाद से अपनी पहचान खोता जा रहा है और पत्रकारिता भटक गई है केवल एक मसखरे अजीम मंसूरी की खबरों में, जो पहले अपने निकाह कराने की दरख्वास्त को लेकर प्रशासन को तंग करता है, फिर बरात ले जाने, निकाह स्थल पर गोदी में ले जाने, फिर दुल्हन बुशरा को घर लाने, उसकी मुँह दिखाई, बुशरा की डिमांड और अब खुशी में चुन्नी ओढ़कर नाचने की खबरों को लेकर चर्चाओं में है और कैराना का मीडिया पूरी कवरेज दे रहा है एक मसखरे की मसखरी चर्चाओं को, कैराना की पत्रकारिता का स्तर इतना नीचे कभी नहीं गिरा होगा कि मात्र चर्चाओं में बने रहने के लिए पत्रकार एक मसखरे का सहारा लें. क्या कैराना अपराधियों के जंजाल से मुक्त हो गया, क्या कैराना की सडकें गड्ढा मुक्त हो गई, क्या डी. के. कॉन्वेंट स्कूल में हादसे का शिकार हुई बेटी अनुष्का को न्याय मिल गया, क्या बन्दरों के हमले में मृत सुषमा चौहान की मृत्यु के कारण से अन्य कैराना वालों को बचाने में प्रशासन ने सफलता प्राप्त कर ली? क्यूँ नहीं ध्यान दे रहे हैं कैराना के पत्रकार अपने जरूरी कर्तव्य पर क्या वास्तव में बिक चुकी है पत्रकारिता और भटक चुके हैं आज के पत्रकार, क्या फिर से किसी जामवंत को आना होगा हनुमान रूपी पत्रकारों को उनकी शक्ति याद दिलाने के लिए. </p><p> शालिनी कौशिक </p><p> एडवोकेट </p><p> कैराना (शामली) </p><p></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-5593788772002944642022-10-30T23:07:00.002-07:002022-10-30T23:08:27.021-07:00ध्रुव तारा भारत का - इंदिरा गांधी जी <p> </p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dzXLMxH-oFF63klsSxAwI1fnB2Vov_NOkNxAq0RPSWxGveWrTSk99fVZTaFZCUq6TN7dqEbVP_dAiAZux-yrg' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></div><br /> </div><img alt="" height="320" mce_src="https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ37CZl4aQpjGyK09Gk8iYUWAxoGuVkIaNlwPsgikTUZoW2ohJbB5j-1jyz" mce_style="cursor: move" src="https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ37CZl4aQpjGyK09Gk8iYUWAxoGuVkIaNlwPsgikTUZoW2ohJbB5j-1jyz" style="border: 0px;" width="215" /><br /><p></p><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">"ध्रुव तारा भारत का" जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है और इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी ऐसा ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान रहेगा।</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">''वह भारत की नई आत्मा है .''</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने उनकी शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् शांति निकेतन से विदाई के समय नेहरु जी को पत्र में लिखा था -</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">''हमने भारी मन से इंदिरा को विदा किया है .वह इस स्थान की शोभा थी .मैंने उसे निकट से देखा है और आपने जिस प्रकार उसका लालन पालन किया है उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता .'' </div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal"> सन 1962 में चीन ने विश्वासघात करके भारत पर आक्रमण किया था तब देश के कर्णधारों की स्वर्णदान की पुकार पर वह प्रथम भारतीय महिला थी जिन्होंने अपने समस्त पैतृक आभूषणों को देश की बलिवेदी पर चढ़ा दिया था इन आभूषणों में न जाने कितनी ही जीवन की मधुरिम स्मृतियाँ जुडी हुई थी और इन्हें संजोये इंदिरा जी कभी कभी प्रसन्न हो उठती थी .पाकिस्तान युद्ध के समय भी वे सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु युद्ध के अंतिम मोर्चों तक निर्भीक होकर गयी .</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">आज देश अग्नि -5 के संरक्षण में अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा है इसकी नीव में भी इंदिरा जी की भूमिका को हम सच्चे भारतीय ही महसूस कर सकते हैं .भूतपूर्व राष्ट्रपति और भारत में मिसाइल कार्यक्रम के जनक डॉ.ऐ.पी.जे अब्दुल कलाम बताते हैं -</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal"> ''1983 में केबिनेट ने 400 करोड़ की लगत वाला एकीकृत मिसाइल कार्यक्रम स्वीकृत किया .इसके बाद 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी डी.आर.डी एल .लैब हैदराबाद में आई .हम उन्हें प्रैजन्टेशन दे रहे थे.सामने विश्व का मैप टंगा था .इंदिरा जी ने बीच में प्रेजेंटेशन रोक दिया और कहा -</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">''कलाम ! पूरब की तरफ का यह स्थान देखो .उन्होंने एक जगह पर हाथ रखा ,यहाँ तक पहुँचने वाली मिसाइल कब बना सकते हैं ?"</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal"> जिस स्थान पर उन्होंने हाथ रखा था वह भारतीय सीमा से 5000 किलोमीटर दूर था .</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">इस तरह की इंदिरा जी की देश प्रेम से ओत-प्रोत घटनाओं से हमारा इतिहास भरा पड़ा है और हम आज देश की सरजमीं पर उनके प्रयत्नों से किये गए सुधारों को स्वयं अनुभव करते है,उनके खून की एक एक बूँद हमारे देश को नित नई ऊँचाइयों पर पहुंचा रही है और आगे भी पहुंचाती रहेगी.</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal"> आज का ये दिन हमारे देश के लिए एक अश्रु पूर्ण श्रद्धांजली का दिवस है और इस दिन हम सभी इंदिरा जी को श्रृद्धापूर्वक नमन करते है और उनके हौसलों की उडान को दिल से सलाम करते हैं. इंदिरा गांधी अमर रहें 💐🙏💐</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">शालिनी कौशिक</div><div mce_style="margin: 0px;font-family: 'Times New Roman';font-size: medium;line-height: normal">[एडवोकेट ]</div>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-19456367012184941042022-10-21T22:55:00.002-07:002022-10-21T22:58:47.699-07:00धनतेरस संबधी सूचना <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgPqmbNhjhzfnNzdstXSg2qQieebVMAdXEkXlJUn6DGKCqtMK7HN0pJLwY8oo9ClG-YLFpawjY0WbntoGf-1ak2UMT01ujem24EMxqax-_24Mj6oSGiKZRv-DPE6mt-w_4RZ_BhYLD25xQICpaM-RjwZ4NuAXXfwQsQlSW3wSnBBTYH5OFXVnSAbsc3jg/s954/IMG-20221022-WA0016.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="954" data-original-width="720" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgPqmbNhjhzfnNzdstXSg2qQieebVMAdXEkXlJUn6DGKCqtMK7HN0pJLwY8oo9ClG-YLFpawjY0WbntoGf-1ak2UMT01ujem24EMxqax-_24Mj6oSGiKZRv-DPE6mt-w_4RZ_BhYLD25xQICpaM-RjwZ4NuAXXfwQsQlSW3wSnBBTYH5OFXVnSAbsc3jg/s320/IMG-20221022-WA0016.jpg" width="242" /></a></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div> आज 22 अक्टूबर 2022 को सभी सनातन धर्मावलंबियों द्वारा धनतेरस का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यह बहुत ही पावन पर्व है और हिन्दुओं की आस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है किन्तु कुछ भ्रम के कारण और कुछ 25 अक्टूबर 2022 को सूर्य ग्रहण होने के कारण आज प्रातः काल से ही धनतेरस की खरीदारी आरंभ हो गई है जबकि धनतेरस की शुभ खरीदारी की बेला 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ होगी. <p></p><p> अधिकांश रूप से धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत का भी विधान होता है और उसका कारण यह है कि प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि में आरम्भ होता है और त्रयोदशी तिथि में व्रत का परायण होता है. सांय काल 6 बजकर 2 मिनट पर त्रयोदशी तिथि आरंभ होने के कारण आज शनि प्रदोष व्रत किया जा रहा है. धनतेरस त्रयोदशी तिथि में मनाया जाता है और त्रयोदशी तिथि सांय काल में 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो रही है. जो कि कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 3 मिनट तक रहेगी और हिन्दू धर्म में सूर्योदय कालीन तिथि से ही तिथि की मान्यता होती है ऐसे में धनतेरस का पर्व कल दिनाँक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जाना सही और मान्य कहा जाएगा किन्तु यदि कोई श्रद्धालु गण रात्री में ही धनतेरस की खरीदारी कर सकते हैं तो वे 22 अक्टूबर 2022 को सांय काल 6 बजकर 2 मिनट के बाद के ही समय का चयन कर सकते हैं जो कि धार्मिक और मांगलिक दृष्टि से उत्तम और शुभ दायक रहेगा . सभी सनातन धर्मावलंबियों को पांच दिवसीय महापर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹</p><p>🌹</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgC7qfdOcRJthPq38w3oFW0yGiW5oaMKyidYFayLP7FvZ7GH45zxx_8CPISf2Idx6pGimHLBxflKzI30aJRJ5-OVFlb-hOGY_7w5DGDMVUvsBDTs4-zH2A5KuDxl5m4I_PVzdEy1s5Gsx4-n_KiFCp5CEYV2mfaVfpJlf8v3f0Le5bNMjSo_3RN-h9ymw/s1094/IMG-20210716-WA0010.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1094" data-original-width="1065" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgC7qfdOcRJthPq38w3oFW0yGiW5oaMKyidYFayLP7FvZ7GH45zxx_8CPISf2Idx6pGimHLBxflKzI30aJRJ5-OVFlb-hOGY_7w5DGDMVUvsBDTs4-zH2A5KuDxl5m4I_PVzdEy1s5Gsx4-n_KiFCp5CEYV2mfaVfpJlf8v3f0Le5bNMjSo_3RN-h9ymw/s320/IMG-20210716-WA0010.jpg" width="312" /></a></div><br /><p></p><p>द्वारा </p><p>शालिनी कौशिक एडवोकेट </p><p>अध्यक्ष </p><p>मंदिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड) <br /> </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-50620533909306381832022-10-20T09:06:00.002-07:002022-10-20T09:06:19.287-07:00ग्रहण और तुलसी <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhIGVdKM-O9b-B1SZonW-EzMeDD6EJoNVUY4v2QszzW5gzmi2-EIStXUtt97hHKLE6fEM_q-efYRc9b5U7DDqp18REwcmvXc4B8YlCOlJDhXzRzMiEnacPu8bvWzdAiQR6_B3lPu0z7nGyDVwzaUHafWFiMG0QS6TLxF3OfpW0kmGJ6nTumO2eHW_MjIQ/s226/images%20(8)%20(1).jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="226" data-original-width="223" height="226" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhIGVdKM-O9b-B1SZonW-EzMeDD6EJoNVUY4v2QszzW5gzmi2-EIStXUtt97hHKLE6fEM_q-efYRc9b5U7DDqp18REwcmvXc4B8YlCOlJDhXzRzMiEnacPu8bvWzdAiQR6_B3lPu0z7nGyDVwzaUHafWFiMG0QS6TLxF3OfpW0kmGJ6nTumO2eHW_MjIQ/s1600/images%20(8)%20(1).jpeg" width="223" /></a></div><br /><p><br /></p><p> विशेष सूचना</p><p>सभी सनातन धर्मावलंबी ध्यान दें कि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है इसलिए दीपावली का पर्व 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होने के कारण भोजन पानी की समस्त सामग्री में तुलसी के पत्ते डालकर उन्हें ग्रहण में सूर्य की नकारात्मक किरणों के विकिरण से दूषित होने से बचाने की सनातन धर्म में प्राचीन परंपरा है और इसके लिए आपको निम्न सावधानी बरतनी हैं -</p><p>1 - 24 अक्टूबर को अमावस्या सांय 5 बजकर 27 मिनट पर आरंभ हो रही है, ऐसे में तुलसी के पत्ते इससे पूर्व ही तोड़कर रख लें.</p><p>2- तुलसी को हमारे सनातन धर्म में पूजनीय की संज्ञा दी गई है, ऐसे में तुलसी के पत्ते तोड़ने से पूर्व तुलसी के आगे हाथ जोड़कर श्रद्धा पूर्वक तुलसी से पत्ते तोड़ने की अनुमति मांगनी चाहिए. </p><p>3- तुलसी के पत्ते वैसे तोड़ने नहीं चाहिए किन्तु यदि बहुत जरूरत में तोड़ने पड़ जाएं तो तुलसी के पत्ते तोड़ने में नाखून का प्रयोग न करें.</p><p> सूचनार्थ प्रस्तुत</p><p>शालिनी कौशिक एडवोकेट </p><p>अध्यक्ष </p><p>मंदिर महादेव मारूफ शिवाला कांधला धर्मार्थ ट्रस्ट (रजिस्टर्ड)</p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-67198114048944983862022-09-25T10:43:00.001-07:002022-09-25T10:43:25.282-07:00 रामा - श्यामा तुलसी - लगाने के नियम <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzWrTgADo-skdYR5HmY0NXUaWOqy72P8KHkQYZaWIzwM0NZV254RN6o3RCmdSbzpvrVhQUJ-5pTeC26B3C3gZGl5tmReRlPk6Yjj4p1q3TMNGofrqH8EGZwShcYxmC1JYSUOkstl2d5t6sL1yWPQQboHI0XMEslE4Njx8j9nn7uo77y6FYYikY4HXEEA/s720/6a74d6df052881c65124b3eb08a85e34e171b.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzWrTgADo-skdYR5HmY0NXUaWOqy72P8KHkQYZaWIzwM0NZV254RN6o3RCmdSbzpvrVhQUJ-5pTeC26B3C3gZGl5tmReRlPk6Yjj4p1q3TMNGofrqH8EGZwShcYxmC1JYSUOkstl2d5t6sL1yWPQQboHI0XMEslE4Njx8j9nn7uo77y6FYYikY4HXEEA/s320/6a74d6df052881c65124b3eb08a85e34e171b.jpg" width="320" /></a></div><br /> <span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">श्यामा तुलसी - श्यामा तुलसी के पत्ते गहरे हरे रंग या बैंगनी रंग के होते हैं. श्यामा तुलसी का श्रीकृष्ण को बेहद पसंद थी. कहते हैं इसके पत्ते श्रीकृष्ण के रंग के समान होते हैं. कान्हा का एक नाम श्याम भी है इसलिए इसे श्यामा के नाम से जाना जाता है. रामा के मुकाबले इससे पत्तों में मीठापन नहीं होता.</span><p></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZG7_xSC7Yq4Zq1Z5vxSsFmhyNzocaJVQ6QSLwUz8XYw6UGPVT06gK43dqa-geJVbsqDjumIgMQ3oxLxf6sqUTXvEClRV6w04Kj2XQA0XLX7Lr4ZmOhTSkROnUfQ0AZEYzHFzEwytwstdYfqD--bbwngtuf9E9t9ud25B-ep2sVVoZYw9w_RmEWV01Xg/s720/58b5d1ffbef27f90d6057091b45fa7f5bbb4b.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZG7_xSC7Yq4Zq1Z5vxSsFmhyNzocaJVQ6QSLwUz8XYw6UGPVT06gK43dqa-geJVbsqDjumIgMQ3oxLxf6sqUTXvEClRV6w04Kj2XQA0XLX7Lr4ZmOhTSkROnUfQ0AZEYzHFzEwytwstdYfqD--bbwngtuf9E9t9ud25B-ep2sVVoZYw9w_RmEWV01Xg/s320/58b5d1ffbef27f90d6057091b45fa7f5bbb4b.jpg" width="320" /></a></div><br /><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">रामा तुलसी - रामा तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते हैं. मान्यता है कि रामा तुलसी श्री राम को अति प्रिय थी इसलिए इसे रामा तुलसी के नाम से जाना जाता है. रामा तुलसी के पत्ते मीठे होते हैं. इसे घर में लगाने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. पूजा पाठ में रामा तुलसी का उपयोग किया जाता है.</span><p></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisqWKMsbBW09OOkI2KOgGJfNhK8RAWk-n2iIUL0xuT8goRLlcVVmGvKANfO7ZWmOipZ6eOkEEDRQKwD0ZOmUl3GuOjW-gfy1OCZwgDBFf7Z9OLdhpSTO6QnwS66S6wBwHLJq8c0CrAaxO_AADgHiWk3oeMwhMKBzEwvYZbaIp-Uyq01VovhG0SeGXn3g/s720/ac0a23468bfe572cad13edac7ebb9a653cac1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisqWKMsbBW09OOkI2KOgGJfNhK8RAWk-n2iIUL0xuT8goRLlcVVmGvKANfO7ZWmOipZ6eOkEEDRQKwD0ZOmUl3GuOjW-gfy1OCZwgDBFf7Z9OLdhpSTO6QnwS66S6wBwHLJq8c0CrAaxO_AADgHiWk3oeMwhMKBzEwvYZbaIp-Uyq01VovhG0SeGXn3g/s320/ac0a23468bfe572cad13edac7ebb9a653cac1.jpg" width="320" /></a></div><br /><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;"><br /></span><p></p><p><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">घर में कौन सी तुलसी लगाएं - शास्त्रों के अनुसार रामा और श्यामा दोनों तुलसी का अपना महत्व है इसलिए दोनों को घर में लगाया जा सकता है. ज्यादातर घरों में रामा तुलसी का प्रयोग किया जाता है. इससे तरक्की के रास्ते खुलते हैं</span></p><p><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;"></span></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaNOD6j4NbD2j7dJkAmz4HevkytrEZWXrYr0vdeIdqHP9qvIa9CrCs8HEqnwb6vXzfo5mzLgzKADl1zitf4HBoipN_a9PXCxtx9RwUVKfDJudz_lSFXeoCUrKxipwlF7XY25ach7NqMQiCOohxIlIJat3xnufQfERdGvGsz_UdeO6do_wx-SJKlCy6ZA/s720/e846d697dd8e6284909d68e822d0502ea8fca.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="467" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaNOD6j4NbD2j7dJkAmz4HevkytrEZWXrYr0vdeIdqHP9qvIa9CrCs8HEqnwb6vXzfo5mzLgzKADl1zitf4HBoipN_a9PXCxtx9RwUVKfDJudz_lSFXeoCUrKxipwlF7XY25ach7NqMQiCOohxIlIJat3xnufQfERdGvGsz_UdeO6do_wx-SJKlCy6ZA/w623-h467/e846d697dd8e6284909d68e822d0502ea8fca.jpg" width="623" /></a></div><br />.तुलसी लगाने का शुभ दिन शास्त्रों के अनुसार तुलसी लगाने के लिए गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार का दिन शुभ माना गया है. गुरुवार तुलसी लगाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है. वहीं शनिवार को तुलसी का पौधा लगाने से धन से संबंधित परेशानियां दूर होती है.<p></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrWHUQRzqQ9bUTpG5P7s6qq4og0_4T9CpFaWfjUNm78SvO9TxQt8YAkbPrpAJdUkc66l09VnRt870kbMGenK4Nw4hj_vCPg3yi_pgUvn7mYYbp1AU8ksd2dnQL9t555DH25pyM5VEhsfeF0LqMkLdm9-uYNFd6vKx_2ylvnQYBpmHW_lEELtK-qPkDNQ/s720/ff8af31e8964a98e0cb5b7cafbb6a40bbc361.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="720" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrWHUQRzqQ9bUTpG5P7s6qq4og0_4T9CpFaWfjUNm78SvO9TxQt8YAkbPrpAJdUkc66l09VnRt870kbMGenK4Nw4hj_vCPg3yi_pgUvn7mYYbp1AU8ksd2dnQL9t555DH25pyM5VEhsfeF0LqMkLdm9-uYNFd6vKx_2ylvnQYBpmHW_lEELtK-qPkDNQ/s320/ff8af31e8964a98e0cb5b7cafbb6a40bbc361.jpg" width="320" /></a></div><br /><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">तुलसी कब न लगाएं- एकदाशी, रविवार, सोमवार, बुधवार और ग्रहण के दिन तुलसी का पौधा नहीं लगाना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. साथ ही इन दिनों में तुलसी पत्र तोड़ना भी नहीं चाहिए.</span><p></p><p><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">(ABP न्यूज से साभार)</span></p><p><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">प्रस्तुति</span></p><p><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;">शालिनी कौशिक</span></p><p><span style="background-color: white; color: #666666; font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, "Segoe UI", Roboto, "Helvetica Neue", Arial, "Noto Sans", sans-serif, "Apple Color Emoji", "Segoe UI Emoji", "Segoe UI Symbol", "Noto Color Emoji"; font-size: 16px;"> एडवोकेट </span></p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-57204394713881388492022-09-14T03:26:00.002-07:002022-09-14T03:26:30.219-07:00हिन्दी को मान दिलवाने में सक्षम - हिंदी ब्लॉगिंग <p> </p> <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEje24S0CGuVQxS5ox8DcUKitI3MtcPnmjF8oZ6S3TxMXJncoKnFxABSItiZ5ku1WgRu-5kQoQUjjTx3MYkBq7wn_pdDmjVau0PT7vSBxZ3VlzBtWpdoNYt4CVhNNUsmOPidFnxWSEOSb2XDlseK6AFPbnur4BPTG4jQYqtO2am0QzM6VLrxSwj9r1mVNA/s320/IMG-20170914-WA0002.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="198" data-original-width="320" height="198" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEje24S0CGuVQxS5ox8DcUKitI3MtcPnmjF8oZ6S3TxMXJncoKnFxABSItiZ5ku1WgRu-5kQoQUjjTx3MYkBq7wn_pdDmjVau0PT7vSBxZ3VlzBtWpdoNYt4CVhNNUsmOPidFnxWSEOSb2XDlseK6AFPbnur4BPTG4jQYqtO2am0QzM6VLrxSwj9r1mVNA/s1600/IMG-20170914-WA0002.jpg" width="320" /></a></div><br /><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div>हिंदी ब्लॉग्गिंग आज लोकप्रियता के नए नए पायदान चढ़ने में व्यस्त है .विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं की तानाशाही आज टूट रही है क्योंकि उनके द्वारा अपने कुछ चयनित रचनाकारों को ही वरीयता देना अनेकों नवोदित कवियों ,रचनाकारों आदि को हतोत्साहित करना होता था और अनेकों को गुमनामी के अंधेरों में धकेल देता था किन्तु आज ब्लॉगिंग के जरिये वे अपने समाज ,क्षेत्र और देश-विदेश से जुड़ रहे हैं और अपनी भाषा ,संस्कृति ,समस्याएं सबके सामने ला रहे हैं . ब्लॉगिंग के क्षेत्र में आज सर्वाधिक हिंदी क्षेत्रों के चिट्ठाकार जुड़े हैं और.अंग्रेजी शुदा इस ज़माने में हिंदी के निरन्तर कुचले हुए स्वरुप को देख आहत हैं किन्तु हिंदी को उसका सही स्थान दिलाने में जुटे हैं और इस पुनीत कार्य में ज़माने से जुड़े रहने को अंग्रेजी से २४ घंटे जुड़े रहने वाले भी हिंदी में ब्लॉग लेखन में व्यस्त हैं .<br /><br />हम सभी जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं मातृभाषा भी है और दिल की गहराइयों से जो अभिव्यक्ति हमारी ही कही जा सकती है वह हिंदी में ही हो सकती है क्योंकि अंग्रेजी बोलते लिखते वक़्त हम अपने देश से ,समाज से ,अपने परिवार से ,अपने अपनों से वह अपनत्व महसूस नहीं कर सकते जो हिंदी बोलते वक़्त करते हैं .<br /><br />हिंदी जहाँ अपनों को कभी आप ,कभी तुम व् कभी तू से स्नेह में बांधती है अपनेपन का एहसास कराती है वहीँ अंग्रेजी इस सबको ''यू ''पर टिका देती है और दूर बिठाकर रख देती है ..<br /><br />आज हिंदी ब्लॉग्गिंग के जरिये दूर-दराज बैठे ,बड़े बड़े पदों को सुशोभित कर औपचारिकता की टोपी पहनने वाले व्यक्तित्व साहित्यकार व् रचनाकार में परिवर्तित हो रहे हैं और इसी क्षेत्र में जुड़े अंजान ब्लोगर से जुड़ रहे हैं .अपनी अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया की इच्छा रख रहे हैं और अन्यों की अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और ये सब सुखद है इसलिए क्योंकि इससे अपने विचारों का दूसरों पर प्रभाव भी देखने में आसानी होती है और साथ ही यह भी पता चलता है कि आज भी लोगों के मन में हिंदी को लेकर मान है ,सम्मान है और हिंदी को उसका सही स्थान दिलाये जाने की महत्वाकांक्षा भी .<br /><br />आज हिंदी ब्लॉगिंग के जरिये दूर-दराज बैठे ,बड़े बड़े पदों को सुशोभित कर औपचारिकता की टोपी पहनने वाले व्यक्तित्व साहित्यकार व् रचनाकार में परिवर्तित हो रहे हैं और इसी क्षेत्र में जुड़े अंजान ब्लोगर से जुड़ रहे हैं .अपनी अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया की इच्छा रख रहे हैं और अन्यों की अभिव्यक्ति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और ये सब सुखद है इसलिए क्योंकि इससे अपने विचारों का दूसरों पर प्रभाव भी देखने में आसानी होती है और साथ ही यह भी पता चलता है कि आज भी लोगों के मन में हिंदी को लेकर मान है ,सम्मान है और हिंदी को उसका सही स्थान दिलाये जाने की महत्वाकांक्षा भी . आज हिंदी ब्लॉगिंग का बढ़ता प्रभाव ही समाचारपत्रों में ब्लॉग के लिए स्थान बना रहा है .पत्रकारों का एक बड़ा समूह हिंदी ब्लॉग्गिंग से जुड़ा है और समाचार पत्रों में संपादक के पृष्ठ पर ब्लॉग जगत को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है .पाठकों की जिन प्रतिक्रियाओं को समाचार पत्र कूड़े के डिब्बे के हवाले कर देते थे आज उनके ब्लॉग से अनुमति ले छाप रहे हैं क्योंकि जनमत के बहुमत को लोकतंत्र में वरीयता देना सभी के लिए चाहे वह हमारे लोकतंत्र का कोई सा भी स्तम्भ हो अनिवार्य है और इसी के जरिये मीडिया आज विभिन्न मुद्दों पर जनमत जुटा रहा है और यही हिंदी ब्लॉगिंग आज हिंदी भाषियों को तो जोड़ ही रही है विश्व में अहिन्दी भाषियों को भी इसे अपनाने को प्रेरित कर रही है .यही कारण है कि आज बड़े बड़े राजनेता भी जनता से जुड़ने के लिए ब्लॉगिंग से जुड़ रहे हैं .आज वे हिंदी की जगह अपने ब्लॉग पर अंग्रेजी में लिख रहे हैं किन्तु वह दिन भी दूर नहीं जब वे जनता को अपने करीबी दिखने के लिए हिंदी के करीब आयेंगे क्योंकि जनता इससे जुडी है और जनता से जुड़ना उनकी आवश्यकता भी है और मजबूरी भी . इसलिए ये निश्चित है कि जिस तरह से हिंदी ब्लॉगिंग विश्व में अपना डंका बजा रही है वह इन राजनेताओं को भी अपना बनावटी लबादा उतरने को विवश करेगी और अपनी ताकत से परिचित कराकर सही राह भी दिखाएगी और इस तरह जनता को अपने से जोड़ने के लिए उन्हें हिंदी का हमराही बनाएगी .वैसे भी अपनी ताकत हिंदी ब्लॉगिंग ने आजकल के विभिन्न हालातों पर हर समस्या के जिम्मेदार को कठघरे में खड़ा कर दिखा ही दी है .नित्यानंद जी के शब्द यहाँ हिंदी ब्लॉगिंग की उपयोगिता व् निर्भीकता को अभिव्यक्त करने के लिए उत्तम हैं -<br /><br />''उसे जो लिखना होता है ,वही वह लिखकर रहती है ,<br /><br />कलम को सरकलम होने का बिलकुल डर नहीं होता .''<br />शालिनी कौशिक<br /> (एडवोकेट) Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-2765886215872554382022-08-29T21:12:00.004-07:002022-08-29T21:32:27.885-07:00कैराना फिर अपराधियों के घेरे में <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrLzZ8sRSu7gb_tTceAzhfpJ55Ff14bt4G0md7i8An6tHK-rPknW7s3flAz7O5utmu0gqKVIUSRsGmhDJkHe440RM_LdzwUgv-Ycu_s3zKaG7JYqIkOgjXkcNK2pS9pK6vP0pzErqSGrXFuAWivN5YbabjotsZIuDggWSuBcgqaN9rNMR8dqn8zMIPwA/s1080/IMG_20220830_090029.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="616" data-original-width="1080" height="229" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrLzZ8sRSu7gb_tTceAzhfpJ55Ff14bt4G0md7i8An6tHK-rPknW7s3flAz7O5utmu0gqKVIUSRsGmhDJkHe440RM_LdzwUgv-Ycu_s3zKaG7JYqIkOgjXkcNK2pS9pK6vP0pzErqSGrXFuAWivN5YbabjotsZIuDggWSuBcgqaN9rNMR8dqn8zMIPwA/w400-h229/IMG_20220830_090029.jpg" width="400" /></a></div><br />कैराना वह कस्बा जो संगीत के क्षेत्र में किराना घराने की उपाधि से, धर्म के क्षेत्र में कांवड़ियों की मुख्य मध्यस्थ राह के रूप में, कानून के क्षेत्र में शामली जिले की जिला कोर्ट शामली स्थित कैराना के नाम से, राजनीतिक हल्कों में स्व बाबू हुकुम सिंह और मरहूम मुनव्वर हसन की कार्यस्थली और आपराधिक मामलों में व्यापारियों के भारी उत्पीड़न - हत्याओं के चलते कैराना पलायन से विश्व विख्यात रहा है और अपनी इसी खूबी के चलते राजनेताओं और सत्ता की धमक यहां नजर आती ही रहती है, इसी कारण वर्तमान योगी सरकार द्वारा कैराना क्षेत्र को लेकर खास ध्यान दिया गया और यहां पी ए सी कैंप की स्थापना की घोषणा की गई किन्तु पी ए सी कैंप की भूमि के शिलान्यास के कई माह बीतने के बावजूद सरकारी अन्य योजनाओं की भांति यह योजना भी ठंडे बस्ते में नजर आ रही है और इसका खासा असर दिखाई दे रहा है. <div><br /></div><div>कैराना के प्राचीन सिद्ध पीठ मन्दिरों पर, जहां 1 सप्ताह के भीतर ही दो सिद्ध पीठ मन्दिरों में बहुत बड़ी चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जाता है और पुलिस प्रशासन उन्हें खोलने में नाकाम दिखाई देता है.<p></p><p> ये चोरियां एक साधारण घटना के रूप में नहीं ली जा सकती हैं क्योंकि पहले तो अभी प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी की सरकार है जिनकी अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति है और ऐसे में योगी जी के राज्य में धर्म के प्रमुख प्रतिष्ठान मन्दिरों पर हमले सीधे सीधे उत्तर प्रदेश सरकार को चुनौती कही जा सकती है क्योंकि सिद्ध पीठ बरखंडी महादेव मंदिर कैराना में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि मन्दिर में और जगह तांबे के घण्टे लगे हुए हैं ऐसे में तांबे के शेषनाग को तोड़ना निश्चित रूप से उनकी आस्था पर गहरा प्रहार करना है.</p><p> योगी आदित्यनाथ जी की सरकार के द्वितीय कार्यकाल में शामली जिले में अपराध की घटनाएँ बढ़ी हैं न केवल मन्दिरों पर बल्कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमले बढ़े हैं, ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय अमल में लाने होंगे.</p><p>शालिनी कौशिक</p><p> एडवोकेट</p><p>कैराना (शामली) </p></div>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-33215519463298362822022-08-24T02:36:00.005-07:002022-08-24T06:10:07.278-07:00तेंदुआ कहाँ गया - शामली <p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaEXs_sF2m91vjClnzUn3F32z4sppF0Owcyeu0DqyNPiLfvBbhCSEFpl_pi5RRv5mjFCOy_C03ZRIPaDkQKiBOA0GwcCx9v3lwIOsC_JtvbgneOJHSz_bSTa_6wBuR6a6GxFxpjDOGnRzF-kZLSOECZ9SA3rX42IPDd5xTk6NTmVAjS-e_GWrwINOg4Q/s1080/IMG_20220824_143323.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="637" data-original-width="1080" height="189" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaEXs_sF2m91vjClnzUn3F32z4sppF0Owcyeu0DqyNPiLfvBbhCSEFpl_pi5RRv5mjFCOy_C03ZRIPaDkQKiBOA0GwcCx9v3lwIOsC_JtvbgneOJHSz_bSTa_6wBuR6a6GxFxpjDOGnRzF-kZLSOECZ9SA3rX42IPDd5xTk6NTmVAjS-e_GWrwINOg4Q/w320-h189/IMG_20220824_143323.jpg" width="320" /></a></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कांधला थाना क्षेत्र के गांव कनियान भनेडा के जंगल में पिछ्ले माह जुलाई की 26 तारीख से तेंदुआ होने की आहट थी, जहां रात को तेंदुआ देखे जाने के बाद से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था , ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने आसपास के जंगलों में सर्च अभियान चलाकर तेंदुए की तलाश शुरू की, सूचना के तत्काल पश्चात रेंजर वन विभाग राजेश कुमार सहित वन विभाग की टीम खूंखार तेंदुए को पकड़ने के मौके पर पहुंच गई तथा तेंदुए की तलाश में वन विभाग की टीम ने सर्च अभियान शुरू किया । काफी रात होने के चलते वन विभाग की टीम तेंदुए को नहीं पकड़ सकी। तेंदुए की धरपकड़ के लिए वन विभाग की टीम ने मौके पर सर्च अभियान चलाए. क्षेत्र में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में तेंदुआ देखे जाने की सूचना से दहशत व्याप्त होती रही । गांव कनियान के बाद अट्टा, भारसी, ग्राम पंचायत नाला में कुछ ग्रामीणों के द्वारा खेत के समीप तेंदुआ घूमते हुए देखे जाने की सूचना वन विभाग को दी गई पर तेंदुआ नहीं मिला और वन विभाग की टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. इसके बाद तेंदुआ होने की सूचना आई कैराना क्षेत्र कर गाँव जगनपुर से. <span style="text-align: left;">तेंदुए की वजह से जगनपुर के साथ ही आसपास के गांव कंडेला, शेखुपुरा, बराला और भूरा गांव के लोगों में भी दहशत व्याप्त है। किसान अपने खेतों पर जाने से घबरा रहे हैं। वहीं वन विभाग की टीम जगनपुर के जंगल में पिंजरा लगाकर रातभर सर्च अभियान चला कर भी तेंदुआ नहीं पकड़ सकी. </span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="text-align: left;"> पिंजरे के अंदर तेंदुए को आकर्षित करने के लिए कुत्ता बांधा गया. जगनपुर के ग्राम प्रधान राकेश ने बताया कि सुबह के समय कंडेला निवासी</span><span style="text-align: left;"> मदन ने फोन पर बताया </span><span style="text-align: left;"> कि उनके गांव के जंगल से तेंदुए को एक लावारिस घूमने वाले बछड़े को उठा कर ले जाते देखा गया। वहीं दरोगा जयकिशोर ने बताया कि मंगलवार सुबह उन्हें गोगवान के ग्रामीणों ने फोन करके बताया था कि सुबह करीब साढ़े 5 बजे गोगवान के खड़ंजे पर उन्होंने तेंदुआ जाते हुए देखा है। जिसके बाद वो गोगवान गए थे और ग्रामीणों से पूछताछ की थी लेकिन अभी तक तेंदुए द्वारा किसी भी ग्रामीण पर हमला करने की बात सामने नहीं आई है। उधर वन विभाग के बीट प्रभारी संदीप कुमार ने बताया कि जगनपुर में पिंजरा लगाया गया है लेकिन तेंदुए की अभी तक कोई सटीक सूचना नहीं मिली। ये सभी सूचनाएं 10 अगस्त तक मिलती रही और उसके बाद एकदम से बंद हो गई, 10 अगस्त 2022 के बाद न तो तेंदुए के देखे जाने की कोई सूचना आती है, न तेंदुए के पकड़े जाने की. आखिर कहां गया तेंदुआ? आखिर कब तक शामली जिले के ग्रामीण दहशत के साये में जीने के लिए मजबूर रहेंगे? क्या तेंदुआ पकड़ा जाएगा या फिर किसी की जिंदगी को लील जाएगा? अपराध, बन्दर, आवारा गौ वंश, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक शोषण के साथ साथ क्या क्या झेलना पड़ेगा शामली जिले के किसानों को, ग्रामीणों को, सब कुछ आज भविष्य के गर्त में है. </span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dwlknU8mI_CzpVn_9GLtWcg3ga-sn7apX220aS0qENc6sOnhG8Hg7D2H3n8mBt8N-y4qYWpKZ5_3G4nKN6pyw' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></div><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><br /></div><br /><span style="text-align: left;"><br /></span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="text-align: left;"><br /></span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="text-align: left;">शालिनी कौशिक </span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="text-align: left;">एडवोकेट </span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="text-align: left;">कैराना (शामली) </span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span style="text-align: left;"><br /></span></div><p></p><p> </p>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8605601642921731089.post-78322883377932986702022-08-14T10:40:00.001-07:002022-08-14T10:40:12.642-07:00फलक पर आज फहराए <p> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhSX59RgLqq5xCGR2Unbzfa2kYzSQLhv1KL-0JvrFUpgPH-NFTz4YUXhByXQDhPIjNtlyRkgi0UWyuDlqvQVfHr9ftWE0s9A9Os9r4RJdRWKYGdae240uzygHkdoh_JcKC56pS6Fy25U6Bw/s1600/images+%252849%2529.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-align: center;"><img border="0" data-original-height="144" data-original-width="224" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhSX59RgLqq5xCGR2Unbzfa2kYzSQLhv1KL-0JvrFUpgPH-NFTz4YUXhByXQDhPIjNtlyRkgi0UWyuDlqvQVfHr9ftWE0s9A9Os9r4RJdRWKYGdae240uzygHkdoh_JcKC56pS6Fy25U6Bw/s1600/images+%252849%2529.jpeg" /></a></p><p><span style="background-color: white; color: #b45f06; font-family: "times new roman"; font-size: x-large;">तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए ,</span></p><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">...............................................</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके ,</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">.............................................</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी,</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">...............................</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को ,</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">..................................</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का ,</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">..................................</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका ,</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #38761d;font-size: medium" style="color: #38761d;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">........................</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका ,</span></span></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए .</span></span></span></div><br /><div></div><br /><div style="-webkit-text-stroke-width: 0px;"><div style="margin: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; font-variant-east-asian: normal; font-variant-numeric: normal; line-height: normal;"><span mce_style="color: #b45f06;font-size: medium" style="color: #b45f06;"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;">............................</span></span></span></div><div style="margin: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: black; font-family: "times new roman"; font-stretch: normal; font-variant-east-asian: normal; font-variant-numeric: normal; line-height: normal;"><span mce_style="font-size: medium"><span mce_style="line-height: 32px" style="font-size: large; line-height: 32px;"><span mce_style="color: #b45f06" style="color: #b45f06;"></span><span mce_style="color: #38761d" style="color: #38761d;">शालिनी कौशिक</span></span></span></span></div><div style="margin: 0px;">एडवोकेट </div></div>Shalini kaushikhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com1