ये नौकरी तो कोई भी न करे...
समुंदर के किसी भी पार रहना, मगर तूफ़ान से होशियार रहना. लगाओ तुम मेरी कीमत लगाओ मगर बिकने को भी तैयार रहना. "नवाज़ देवबंदी"का यह शेर आज के जिलाधिकारियों पर पूरी तरह से सही बैठता प्रतीत होता है जिन्हें हर काम करते वक़्त अपनी नौकरी को दांव पर लगाने को तैयार रहना पड़ता है कल के समाचार पत्रों की मुख्य खबर के रूप में "मुज़फ्फरनगर के नए डी.एम्.पंकज कुमार "छाये हुए हैं और मुज़फ्फरनगर के डी.एम्. संतोष यादव को वेटिंग सूची में डाल दिया गया है.इस सर्विस को लेकर आज के युवा बहुत से सपने पाले रहते हैं .सोचते हैं कि इसमें आकर देश सेवा का अद्भुत अवसर मिलेगा किन्तु सच्चाई जो है वह सबके सामने है.मुज़फ्फरनगर जैसे अपराध के लिए प्रसिद्द जिले में श्री संतोष यादव जितनी ईमानदारी व् मुस्तैदी से प्रशासन कार्य कर रहे थे उससे कोई भी अन्जान नहीं है.अभी १ जनवरी को ही उन्हें तोहफा देने के नाम पर ५० हजार रूपये की रिश्वत देने पहुंचे परियोजना निदेशक एस.के.भरद्वाज को उन्होंने गिरफ्तार करा...