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रामा - श्यामा तुलसी - लगाने के नियम

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  श्यामा तुलसी - श्यामा तुलसी के पत्ते गहरे हरे रंग या बैंगनी रंग के होते हैं. श्यामा तुलसी का श्रीकृष्ण को बेहद पसंद थी. कहते हैं इसके पत्ते श्रीकृष्ण के रंग के समान होते हैं. कान्हा का एक नाम श्याम भी है इसलिए इसे श्यामा के नाम से जाना जाता है. रामा के मुकाबले इससे पत्तों में मीठापन नहीं होता. रामा तुलसी - रामा तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते हैं. मान्यता है कि रामा तुलसी श्री राम को अति प्रिय थी इसलिए इसे रामा तुलसी के नाम से जाना जाता है. रामा तुलसी के पत्ते मीठे होते हैं. इसे घर में लगाने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. पूजा पाठ में रामा तुलसी का उपयोग किया जाता है. घर में कौन सी तुलसी लगाएं - शास्त्रों के अनुसार रामा और श्यामा दोनों तुलसी का अपना महत्व है इसलिए दोनों को घर में लगाया जा सकता है. ज्यादातर घरों में रामा तुलसी का प्रयोग किया जाता है. इससे तरक्की के रास्ते खुलते हैं .तुलसी लगाने का शुभ दिन शास्त्रों के अनुसार तुलसी लगाने के लिए गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार का दिन शुभ माना गया है. गुरुवार तुलसी लगाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है. वहीं शनिवार को तुलसी का पौधा ल

हिन्दी को मान दिलवाने में सक्षम - हिंदी ब्लॉगिंग

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             हिंदी ब्लॉग्गिंग आज लोकप्रियता के नए नए पायदान चढ़ने में व्यस्त है .विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं की तानाशाही आज टूट रही है क्योंकि उनके द्वारा अपने कुछ चयनित रचनाकारों को ही वरीयता देना अनेकों नवोदित कवियों ,रचनाकारों आदि को हतोत्साहित करना होता था और अनेकों को गुमनामी के अंधेरों में धकेल देता था किन्तु आज ब्लॉगिंग के जरिये वे अपने समाज ,क्षेत्र और देश-विदेश से जुड़ रहे हैं और अपनी भाषा ,संस्कृति ,समस्याएं सबके सामने ला रहे हैं . ब्लॉगिंग के क्षेत्र में आज सर्वाधिक हिंदी क्षेत्रों के चिट्ठाकार जुड़े हैं और.अंग्रेजी शुदा इस ज़माने में हिंदी के निरन्तर कुचले हुए स्वरुप को देख आहत हैं किन्तु हिंदी को उसका सही स्थान दिलाने में जुटे हैं और इस पुनीत कार्य में ज़माने से जुड़े रहने को अंग्रेजी से २४ घंटे जुड़े रहने वाले भी हिंदी में ब्लॉग लेखन में व्यस्त हैं . हम सभी जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं मातृभाषा भी है और दिल की गहराइयों से जो अभिव्यक्ति हमारी ही कही जा सकती है वह हिंदी में ही हो सकती है क्योंकि अंग्रेजी बोलते लिखते वक़्त हम अपने देश से ,समाज से ,अपने परिव