संदेश

मई, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

महात्मा गांधी को दबाने में जुटी संघी फौज

चित्र
       भारतीय लोकतंत्र आज जिस बुरे दौर से गुजर रहा है उसकी कल्पना करना भी एक आम भारतीय के लिए कठिन है. ऊपर से लेकर नीचे तक देश आज वह कार्य कर रहा है जिसके लिए इस देश को अंग्रेजों से आजाद कराकर लाने वाले स्वतंत्रता सेनानी कभी भी इजाज़त नहीं देते. पूरा विश्व जानता है कि 150 वर्षों तक चले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेकों वीर भारतीयों ने अपनी शहादत दी और अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ सफल आंदोलन से विश्व प्रसिद्ध हुए महात्मा गांधी ने सत्य अहिंसा के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया और स्वामी श्रद्धानंद जी द्वारा महात्मा गांधी और महान सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा राष्ट्रपिता की उपाधि से सम्मानित किये गये. देश के लिए अपना उज्जवल भविष्य अपने पूरे परिवार सहित पूरा जीवन लगाने वाले महात्मा गांधी को अंग्रेजों की भारत को बांटने की साजिश देखनी पड़ी, उनका हृदय भारत पाक बँटवारे के कारण छलनी छलनी हो गया. देश के बँटवारे के लिए उनके शब्द थे - भारत का बँटवारा मेरी लाश पर होगा. देश के स्वतंत्र होने के बाद संघीय सोच के नाथूराम गोडसे की गोली और सावरकर की साजिश का शिकार हुए.        अप

"नौतपा" आ रहा है.

चित्र
      आजकल पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. ऐसे में एक शब्द जो गूगल पर छाया हुआ है वह है "नौतपा". मानव मन जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है. इसलिए जब "नौतपा" शब्द सामने आया तो उसके बारे में जानने की इच्छा भी हुई. जिसके बारे में पता चला है कि - "गर्मी के मौसम में भीषण गर्मी के शुरू के 9 दिन सबसे अध‍िक गर्म होते हैं. इन 9 द‍िनों को ही 'नौतपा' कहते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मई के आखिरी सप्‍ताह में सूर्य और पृथ्‍वी के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है. सूर्य की किरणें इन दिनों सीधे धरती पर पड़ती हैं."       इस साल सूर्य 24 मई की मध्यरात्रि के बाद 3 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा. इसलिए नौतपा 25 तारीख से माना जाएगा. नौतपा का आरंभ 25 मई से होगा और 2 जून तक रहेगा. इन 9 दिनों में भीषण गर्मी होती है. आसमान से आग बरसने लगती है. इसका असर न केवल मनुष्यों पर होता है बल्कि पेड़-पौधे नदी तालाब पर भी देखने को मिलता है.(गूगल से साभार)             बढ़ती गर्मी मनुष्यों के लिए तो असहनीय होती ही है. इसी के साथ प्रकृति पर भी प्रचंड गर्मी का

सभी सनातन धर्मावलंबी 10 मई को मनाएं अक्षय तृतीया - परशुराम जयंती

 अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की यह तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। बचपन से ही अक्षय तृतीया के बारे में घर के बड़े बुजुर्गों से सुनते आए हैं, आज तक इस पवित्र दिवस की सबसे विशेष पहचान हिन्दू विवाह के अबूझ मुहूर्त के रूप में होती रही है. कहते हैं कि जिसकी शादी का कोई मुहूर्त नहीं मिल पा रहा हो, उसके विवाह के लिए अक्षय तृतीया का दिन पंडितों द्वारा सुझा दिया जाता है किन्तु इस बार अक्षय तृतीया के दिन विवाह नहीं हो रहे हैं क्योंकि विवाह के प्रमुख कारक ग्रह गुरु एवं शुक्र दोनों ही अस्त हो गए हैं और जब ये दोनों ग्रह जाग्रत अवस्था में न हों तो शादी विवाह नहीं होते हैं, किन्तु ऐसा नहीं है कि अक्षय तृतीया की महत्ता केवल विवाह शादी को लेकर ही हो, अक्षय तृतीया का हमारे धर्म शास्त्रों में, शुभ कार्यों में, दान पुण्यों के कार्य में बहुत महत्त्व