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प्रियंका - राहुल की मजबूती ही राजीव जी को सच्ची श्रद्धांजलि

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बहुत दुखद है आज का दिन, 21 मई 1991 रात 10.20, एक तरह से खत्म हो गया हमारा राजनीतिक रुझान, राजीव गांधी जी की हत्या कोई साधारण बात नहीं थी, जहां एक तरफ राजीव जी के परिवार का दुख था वहीं दूसरी तरफ ग़म के सागर में डुबो रहा था ऐसा अमानवीय अत्याचार जो राजीव गांधी जैसी शानदार देशभक्त शख्सियत के साथ किया गया था, वर्णन करना बहुत मुश्किल है, राजीव गांधी जी के बारे में कुछ अमूल्य बातेँ जो कि पता चली हैं अमर उजाला से, वही आज यहाँ  प्रकाशित कर रही हूं -  प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा करने वाले राजीव गांधी, नेहरू-गांधी परिवार के अब तक के सबसे बाद के सदस्य थे जो राजनीति में इतने शीर्ष तक पहुंचे। राजनीति में आने से पहले वे पेशे से पायलट थे। राजीव को अपने नाना और मां की तरह राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने पायलट बनने से पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की भी बहुत कोशिश की थी, लेकिन किताबी ज्ञान में सीमित हो जाना उन्हें रास नहीं आया। लंदन में पढ़ाई करने के बाद वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए। वहां तीन साल पढ़ने के बाद भी उन्हें डिग्री नहीं मिली, फिर उन्होंने लंदन के ही इंपीरियल कॉलेज में म

राजीव गांधी अमर रहें, जय हिंद 🇮🇳

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एक  नमन  राजीव  जी  को  आज उनकी  पुण्यतिथि के  अवसर पर.राजीव जी बचपन से हमारे प्रिय नेता रहे आज भी याद है कि इंदिरा जी के निधन के समय हम सभी कैसे चाह रहे थे कि राजीव जी आयें और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ जाएँ क्योंकि ये बच्चों की समझ थी कि जो जल्दी से आकर कुर्सी पर बैठ जायेगा वही प्रधानमंत्री हो जायेगा.तब हमारे दिमाग की क्या कहें वह तो उनके व्यक्तित्व पर ही मोहित था जो एक शायर के शब्दों में यूँ था- लताफत राजीव गाँधी,नफासत राजीव गाँधी , थे सिर से कदम तक एक शराफत राजीव गांधी नज़र आते थे कितने खूबसूरत राजीव गांधी .'' राजीव जी का  जन्म २० अगस्त १९४४ को हुआ था और राजनीति से कोसों दूर रहने वाले राजीव जी अपनी माता श्रीमती इंदिरा जी के  कारण राजनीति में  आये और देश को पंचायत राज और युवा मताधिकार जैसे उपहार उन्होंने दिए .आज  उनकी  पुण्यतिथि के अवसर पर मैं उन्हें याद करने से स्वयं को नही रोक पाई किन्तु जानती हूँ कि राजीव जी भी राजनीति में आने के कारण बोफोर्स जैसे मुद्दे  अपने माथे पर लगाये २१ मई १९९१  को एक आत्मघाती हमले का शिकार होकर हम सभी को छोड़ गए आज भी याद है वह रात जब १०.२० मिन