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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दुनिया सर झुकाती है रसूख देखकर इसका 🇮🇳

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तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए , फतह की ये है निशानी ,फ़लक पर आज फहराए . ............................................... रहे महफूज़ अपना देश ,साये में सदा इसके , मुस्तकिल पाए बुलंदी फ़लक पर आज फहराए . ............................................. मिली जो आज़ादी हमको ,शरीक़ उसमे है ये भी, शाकिर हम सभी इसके फ़लक पर आज फहराए . ............................... क़सम खाई तले इसके ,भगा देंगे फिरंगी को , इरादों को दी मज़बूती फ़लक पर आज फहराए . .................................. शाहिद ये गुलामी का ,शाहिद ये फ़राखी का , हमसफ़र फिल हकीक़त में ,फ़लक पर आज फहराए . .................................. वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका , पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए . ........................ दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका , ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए . ............................ शालिनी कौशिक [कौशल]

अभी पूरी नहीं कोर्ट सुरक्षा

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बिजनौर कोर्ट में हुई घटना के बाद प्रशासन अदालतों की सुरक्षा के लिए सक्रिय हुआ है और उसे लेकर अदालतों के परिसर की दीवार ऊंची कराना, अदालतों में प्रवेश के लिए मेटल डिटेक्टर लगाया जाना, वकीलों को, मुन्शीयों को परिचय पत्र जारी किया जाना आदि कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसे में बहुत कुछ सराहनीय किया जा रहा है तो बहुत कुछ ऐसा है जो कि अनदेखा किया जा रहा है.            अदालतों में कोर्ट में जाने का काम वकीलों का है और उनके मुन्शीयों का है किन्तु अगर देख लिया जाए कि अदालतों के परिसर में वादकारियों के अलावा और भी बहुत सी भीड़ रहती है जिसका भी वहां के अदालती कार्यवाही में काफी हस्तक्षेप रहता है और वह भीड़ है वहां के टाइपिस्ट और कैंटीन वालों की और अभी इनके संबंध में कोई भी दिशानिर्देश न अदालतों को और न ही संबंधित बार एसोसिएशन को मिल पाए हैं.          अतः इलाहाबाद हाई कोर्ट से यह विनम्र निवेदन है कि वह इस संबंध में अति शीघ्र संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करे क्योंकि टाइपिस्ट व कैन्टीन वाले इस संबंध में संदिग्ध सूची में शामिल होने की कगार पर हैं और...

जनता अधिवक्ता जिंदाबाद का नारा बुलंद हो 🇮🇳

           वेस्ट यू पी हाई कोर्ट बेंच एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर अब वेस्ट यू पी के वकील भी यह विश्वास करने से बच रहे हैं कि यह कभी भी सफल होगा क्योंकि अगर देखा जाए तो इस आंदोलन को लेकर सरकार का रवैय्या तो भेदभावपूर्ण रहा ही है साथ ही, अधिवक्ता भी इसे लेकर बंटे हुए ही नजर आए हैं क्योंकि अधिवक्ताओं का एक वर्ग इसे अपने लिए और अपने क्षेत्र के निवासियों के लिए हितकारी मानता है मगर एक वर्ग ऐसा भी है जो देखता है कि अगर वेस्ट यू पी में हाई कोर्ट बेंच स्थापित हो गयी तो इससे उनके काम पर फर्क़ पड़ेगा और मुवक्किल हाई कोर्ट में कार्यरत वकीलों को उनसे ऊपर तरजीह देगा और अपनी इसी सोच को लेकर वह आंदोलन के लिए उपेक्षित रवैय्या रख असहयोगी मुद्रा को अपनाए हुए है किन्तु यह असहयोगी अधिवक्ता वर्ग आन्दोलन की अब तक की असफलता के लिए उतना जिम्मेदार नहीं है जितना जिम्मेदार आंदोलन में लगा हुआ अधिवक्ता वर्ग है क्योंकि उसके द्वारा आंदोलन के लिए बहुत से जरूरी कदम आज तक उठाए ही नहीं गए हैं जिनका उठाया जाना आंदोलन के लिए न केवल जरूरी बल्कि परमावश्यक भी है.         ...

हाई कोर्ट बेंच के लिए वकील बनें मोदी - शाह

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बेंच स्थापना संघर्ष समिति की बैठक कल दिनाँक 4.1.2020 को बिजनौर में हुई, बैठक में सभी दलों के नेताओं ने एक सुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग का समर्थन किया। जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा नेता साकेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट बेंच वेस्ट यूपी में खुल गई तो वादकारियों को अपने केस लड़ने के लिए प्रयागराज नहीं जाना होगा। जनता का पैसा और समय दोनों ही बचेंगे। इस मांग को हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए। पूर्व मंत्री सपा नेता स्वामी ओमवेश ने कहा कि जिस दिन वकीलों के दिलो दिमाग में यह बात आ जाएगी कि उन्हें बेंच चाहिए तो उस दिन उन्हें बेंच मिल जाएगी। इसके लिए अभी वकील ही तैयार नहीं हैं।         बैठक में  सपा नेता स्वामी ओम वेश की बात ही सर्वाधिक विचारणीय है कि जिस दिन वकीलों के दिमाग में यह बात आ जाएगी कि उन्हें बेंच चाहिए तो उस दिन उन्हें बेंच मिल जाएगी और इस बात में वकीलों के लिए सर्वाधिक कचोटने वाली उनकी यह बात रही कि इसके लिए अभी वकील ही तैयार नहीं हैं कितना बड़ा कटाक्ष है यह वकीलों पर कि वे अभी बेंच के लिए तैयार नहीं हैं...