देशभक्ति जूनून है कानून नहीं .
शिक्षण संस्थाओं में तिरंगा फहराना अनिवार्य
मदरसों में तिरंगा जरूर फहराया जाए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में 15 अगस्त और 26 जनवरी को अनिवार्य रूप से तिरंगा झंडा फहराया जाए। संविधान के अनुच्छेद 51 ए का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यह प्रत्येक नागरिक का कत्तर्व्य है कि वह जाति, धर्र्म, लिंग आदि से ऊपर उठकर ध्वजारोहण करे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसों में तिरंगा फहराना अनिवार्य घोषित किया है जबकि भारतीय ध्वज संहिता ऐसा कोई कर्तव्य ऐसी किसी संस्था पर नहीं आरोपित करती जिसमे तिरंगा फहराना उसके लिए अनिवार्य हो। भारतीय ध्वज संहिता २००२ कहती है -
भारतीय ध्वज संहिता
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भारतीय ध्वज संहिता भारतीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में दिये गए निर्देश हैं। इस संहिता का आविर्भाव २००२ में किया गया था। भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहिता-२००२ में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। ध्वज संहिता-भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-२००२ को २६ जनवरी २००२ से लागू किया गया है।[1]
- जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
- सरकारी भवन पर झंडा रविवार और अन्य छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।
- झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
- जब झंडा किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
- झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिने ओर हो।
- झंडा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।
- फटा या मैला झंडा नहीं फहराया जाता है।
- झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
- किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।
- झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।
- जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।
संशोधन[संपादित करें]
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके।[2] गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गये प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। कांग्रेस नेता जिंदल को दिये गये संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गयी है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून २००९ में मंत्रालय को दिये गये प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराये जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज १०० फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराये गये होते हैं।
साथ ही भारतीय संविधान के भाग-४ में अनुच्छेद ५१ क में बताये गए मूल कर्तव्यों में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो इसे अनिवार्य बनाये। अनुच्छेद ५१ क का भाग क कहता है कि -
[क] संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों ,संस्थाओं ,राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
इसलिए भारतीय कानून का वर्तमान स्वरुप इस अनिवार्यता की राह में बाधा है और यह तभी अनिवार्य हो सकता है जब सम्बंधित कानून में संशोधन हो और आश्चर्य इस बात का है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ऐसा कह रही है कि यह प्रत्येक नागरिक का कत्तर्व्य है कि वह जाति, धर्र्म, लिंग आदि से ऊपर उठकर ध्वजारोहण करे जबकि हमारे संविधान तक में ये कर्तव्य सम्मिलित नहीं है संविधान राष्ट्रध्वज के आदर के लिए कहता है आरोहण के लिए नहीं ये तो हम भारतवासियों की राष्ट्रीय भावनाओं की बात है कि हम नवीन जिंदल की तरह इसे ज्यादा से ज्यादा फहराने का अधिकार मांगें न कि इसे बोझ समझकर फहराने को आगे बढ़ें।
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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