हर्ष फायरिंग की अनुमति है ही क्यों ?

हर्ष फायरिंग एक ऐसा शब्द जो पूरी तरह से निरर्थक कार्य कहा जा सकता है और इससे ख़ुशी जिसे मिलती हो मिलती होगी लेकिन लगभग 10 हर्ष फायरिंग १ जान तो ले ही लेती है ये अनुमान संभवतया लगाया जा सकता है .अभी हाल ही में कैराना ब्लॉक प्रमुख के चुनाव की मतगणना के बाद हुई हर्ष फायरिंग में एक बच्चे को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया और  अभी

''हिसार में शादी के तैयारियों के बीच दुल्हन के दरवाजे पर हर्ष फायरिंग में गोली दूल्हे को जा लगी जिससे दूल्हा जख्मी हो गया। दूल्हे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।''

तब  भी इस पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया जा रहा जैसे की यह कोई बहुत आवश्यक कार्य हो जैसे किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा ज़रूरी है ,जैसे रामायण पाठ से पहले हनुमान जी का आह्वान आवश्यक है वैसे ही लगता है कि ये हर्ष फायरिंग भी ख़ुशी के इज़हार का सबसे ज़रूरी कार्य है और भले ही कितने लोग इसके कारण शोक में डूब जाएँ लेकिन इसका किया जाना प्रतिबंधित नहीं किया जायेगा आखिर क्यों ? एक ऐसा कार्य जो खुशियों को मातम में बदल दे ,एक जीते जागते इंसान को या तो मौत के द्वार तक पहुंचा दे या फिर मौत के घाट ही उतार दे उसे मात्र खुशियों का दिखावा करने के लिए जारी रखने की अनुमति इस देश का कानून क्यों देता है ? जब इस देश में कानून हाथ में लेना अपराध है और केवल आत्मसुरक्षा में ही हथियार उठाने की अनुमति है तब यहाँ किस कारण हथियार को हाथ में लेने की अनुमति दी जाती है ?


शालिनी कौशिक
     [कौशल ]


टिप्पणियाँ

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " कर्म और भाग्य - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Shikha Kaushik ने कहा…
YOUR VIEW IS VERY RIGHT .
सचमुच बहुत खतरनाक होती है ये फ़ायरिंग.
Unknown ने कहा…
शालिनी जी आपने बिल्कुल सही कहा है इस लेख के माध्यम से कि आजकल के लोग अपना बल दिखने के लिए हर्ष फायरिंग करतें जो कि गलत जरिया है उत्साह मनाने का.........आप अन्य लेख लिखने व अन्य रचनाकारों कि रचनाओं को शब्दनगरी के माध्यम से पढ़ भी सकतें हैं.......

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