मोदी का सच -... तो खरीददार कौन ?
बचपन में अपने स्कूली पाठ्यक्रम में एक कहानी पढ़ी थी .जिसमे जंगल में एक जीव भागा जा रहा है और उससे जब अन्य जानवर ये पूछते हैं कि वह क्यों भागा जा रहा है तब वह कहता है ''कि आसमान गिर रहा है ,आसमान गिर रहा है ,पहले कोई यकीन नहीं करता पर जब वह भागते-भागते बार-बार यही दोहराता रहता है तो अन्य जानवर भी यही सोचकर कि आसमान गिर रहा है ,वहां से भाग लेते हैं .अपनी सामान्य ज़िंदगी में भी बहुत सी बार ऐसे पल आते हैं जब कोई हमसे बार बार कोई बात कहता है तो हमें उसकी बात सच लगने ही लगती है .चाहे वह हमारे कपड़ों को लेकर हो या हमारे घर को लेकर ,खाने को लेकर हो या आदतों को लेकर ,बार बार किसी का कोई बात कहकर टोकना हमें सही लगने लगता है और हमें लगता है कि वह हमारे से बार-बार ऐसा कह रहा है उसकी कोई हमारे से दुश्मनी थोड़े ही है ,वह हमारा अच्छा ही सोचकर ऐसा कह रहा होगा और बस फिर हम उसकी बात पर विश्वास कर स्वयं को उसके अनुसार ढालने की कोशिश में लग जाते हैं . अब इसी बात के सन्दर्भ में भाजपा व् मोदी जी की कही गयी बहुत सी बातों की तरफ गौर करने का मन हुआ तो मुझे सबसे ज्य...