हीरालाल कश्यप भी दोषी
भारत वर्ष में दहेज़ को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में भी प्रावधान हैं और इसके लिए अलग से दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम भी बनाया गया है जिसकी जानकारी आप मेरे ब्लॉग कानूनी ज्ञान की इस पोस्ट ''कानून है तब भी " से ले सकते हैं किन्तु इस सबके बावजूद दहेज़ हत्याओं में कमी नहीं आयी है और एक बार को गरीब तबके को छोड़ भी दें वो इसलिए कि पहले तो उनमे इसका इतना प्रचलन नहीं है क्योंकि इसके लिए बड़े तबकों के लोग यह कह देते हैं कि ''इन्हें लड़की मिलती ही कहाँ है ये तो लड़की को खरीदते हैं ''किन्तु अपने गिरेबान में अगर ये बड़े तबके झांक लें तो इनमे लड़की को खरीदने जैसी कुप्रथा तो नहीं अपितु लड़कों को बेचने जैसी माखन लपेट सुप्रथा का प्रचलन है और इसी तबके में आज भी लड़कियां दहेज़ के लिए मारी जा रही हैं ,जलाई जा रही हैं। और इसका जीता जागता प्रमाण है कल देश के ६९ वें गणतंत्र दिवस पर समाचारों की सुर्ख़ियों में रही यह खबर -'' पिता मिनिस्टर तो ससुर सांसद रहे, फिर भी इतनी टॉर्चर हुई थी ये लड़की'' कल इस मामले में कोर्ट का फैसला आया जिसमे पूर्व स...