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प्लैजर मैरिज

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     विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया में वर्तमान में निकाह का एक ढंग ट्रेडिंग हो रहा है , जिसमें गरीबी का जीवन गुजार रही महिलाओं और बालिकाओं की शादी वहां आने वाले पर्यटकों से कर दी जाती है. धीरे धीरे यह ट्रेंड इंडोनेशिया में इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि निकाह मुताह (या अस्थायी शादी) की प्रथा ने गरीब समुदायों में गहरी जड़ें जमा रहा है।  मुता निकाह         मुस्लिम समुदाय में मुताह निकाह या अस्थायी शादी किसे कहते हैं सबसे पहले हम उसी पर ध्यान दे रहे हैं. मुताह विवाह, इस्लाम में अस्थायी विवाह का एक रूप है. इसे निकाह मुताह भी कहा जाता है. मुताह विवाह के बारे में ज़रूरी बातेंः   *मुता विवाह, पुरुष और महिला के बीच एक अनुबंध होता है. यह एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जो एक घंटे से लेकर 99 साल तक हो सकती है.   *मुता विवाह, केवल शियाओं द्वारा मान्यता प्राप्त है. सुन्नी समुदाय में इसे मान्यता नहीं मिली है.  * मुता विवाह में पति और पत्नी के बीच उत्तराधिकार का कोई अधिकार नहीं होता.   *मुता विवाह में पत्नी को भरण-पोषण या विरासत पर कोई अधिकार नहीं होता.  * मुता विवाह से पैदा

कन्या पूजन के ही दिनों में कन्या की हत्या - सबसे दुष्ट माँ

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  11 अक्टूबर वह दिन जब हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा शारदीय नवरात्रि पर्व में दुर्गा अष्टमी / दुर्गा नवमी पर्व मनाते हुए कन्या पूजन किया जा रहा था, विश्व अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा था और समाचार पत्र में पढ़ने के लिए मिलता है एक ऐसा समाचार, जो शर्मसार कर देता है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा चलाए जा रहे "बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ" अभियान को.        एक बेटी महिला के गर्भ में आते ही जिंदगी के लिए जूझना आरंभ कर देती है और उसे इस समाज के व्यभिचारी तत्वों से कहीं ज्यादा खतरा होता है अपने ही रुढियों में फंसे परिवार से किन्तु माँ की ओर से फिर भी उसे एक सुरक्षा का आभास रहता ही है जो सुरक्षा भोपा (मुजफ्फरनगर) की बेचारी शगुन को नहीं मिल पाई. सौतेली माँ को तो हमेशा से बच्चों की दुश्मन दिखाया गया है किन्तु सौतेला बाप और सगी माँ ही जब बेटी की जान लेने पर उतारू हो जाएं तो वही दुर्दशा होती है जो बेचारी शगुन की हुई. सौतेला बाप सगी माँ मिलकर बच्ची का गला दबाते हैं, शव खेत में फेंकते हैं फिर उठाकर नहर में फेंक आते हैं और ये सब वे एक उस बच्ची के साथ करते हैं जो अभ

नारी पर अपराध "छोटे अपराध" - यति नरसिंहानंद

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      आज यति नरसिंहानंद विवादों में हैं. ऐतिहासिक और आध्यात्मिक चरित्रों के बारे में अनाप शनाप बयानों को लेकर. साथ ही, उनकी सोच बता रही है भारतीय पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री की दयनीय दशा के बारे में. नरसिंहानंद कहते हैं कि - आज मैं केवल एक व्यक्ति के प्रति संवेदना जताता हूं। मेघनाथ को हम हर साल जलाते हैं। मेघनाथ जैसा चरित्रवान व्यक्ति इस धरती पर दूसरा कोई पैदा नहीं हुआ। हम हर साल कुंभकरण को जलाते हैं। ​​​कुंभकरण जैसा वैचारिक योद्धा इस धरती पर पैदा नहीं हुआ। उनकी गलती ये थी कि रावण ने एक छोटा सा अपराध किया।     अब यदि हम छोटे से अपराध की भारतीय कानून के मुताबिक परिभाषा पर जाते हैं तो पहले भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 95 और अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 33 में जिन अपराधों को छोटे अपराधों की श्रेणी में रखा गया है उनके लिए कहा गया है कि - "कोई बात इस कारण से अपराध नहीं है कि उससे कोई अपहानि कारित होती है या कारित की जानी आशयित है या कारित होने की सम्भाव्यता ज्ञात है, यदि वह इतनी तुच्छ है कि मामूली समझ और स्वभाव वाला कोई व्यक्ति उसकी शिकायत नहीं करेगा."       ऐसे में,

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना

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      आज भारतीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मना रहे है. मैं भी देश के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले देश के इन दोनों अनमोल रत्नों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. मैं इन दोनों महापुरुषों के योगदान को समझ सकती हूं क्योंकि मैं अपने पिता स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी में इनकी छवि के एक साथ दर्शन करती हूं. कैराना में अधिवक्ताओं के उज्जवल भविष्य हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले मेरे पिता जीवन की ऐसी कोई सुविधा नहीं थी जिसे वे हासिल न कर सकते हों, जो व्यक्ति अपने संपर्कों के दम पर कैराना में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ले आए, ए डी जे कोर्ट ले आए, जिनके दम पर अधिवक्ता यह कह सकते हों कि हम आंदोलन करने के लिए आगे बढ़ जाते थे क्योंकि पता था कि बाबू कौशल हमें बचा ही लेंगे, वह व्यक्ति अगर केवल अपनी प्रेक्टिस पर ध्यान देता तो कितनों का ही कहना है कि वे अपनी कोठी कार बना सकते थे किंतु उन्होंने नहीं चुना यह सुख आराम, उन्होंने चुना अधिवक्ता हित और अधिवक्ताओं का उज्जवल भविष्य और इसी कारण वे शायद पहले ऐसे अध्यक्ष बार एसोसिएशन

बेटी बचाओ अभियान केवल ट्रकों पर

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     भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 22 जनवरी 2015 को पानीपत में "बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ" अभियान की शुरुआत की गई. प्रधानमन्त्री मोदी जी ने कहा कि “आइए कन्या के जन्म का उत्सव मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि अपनी बेटी के जन्मोत्सव पर आप पांच पेड़ लगाएं।”         बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिली  और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान  हुआ. यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की गई अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय।एनडीए सरकार द्वारा इस योजना से कन्या शिशु के प्रति समाज के नजरिए में परिवर्तनकारी बदलाव लाने का प्रयास किया गया.       प्रधान मंत्री मोदी जी द्वारा अपने मन की बात में हरियाणा के बीबीपुर के एक सरपंच की तारीफ की गई जिसने ‘Selfie With Daughter’ पहल की शुरूआत की। प्रधान मंत्री ने लोगों से बेटियों के साथ अपनी सेल्फी भेजने का अनुरोध भी किया और जल्द ही यह विश्व भर म

मिठाई खरीदें पर ध्यान से

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        देश प्रदेश में इस समय श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के आगमन की धूम है. मिठाई विक्रेताओं के यहां ग्राहकों की भीड़ जुटी हुई है. जहां ग्राहक जल्दबाजी में उत्तर प्रदेश सरकार के इस सम्बन्ध में बनाए गए कानून की जानकारी के अभाव में ज्यादा पैसे चुकाकर कम मिठाई खरीद रहे हैं. तो आप सभी जान लीजिए उत्तर प्रदेश में अब मिठाई के साथ डिब्बे का भी वजन शामिल करने पर दुकानदार को पांच हजार रुपया तक जुर्माना देना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में किसी भी शहर, जिले, कस्बे या गांव में अगर दुकानदार आपको गत्ते के डिब्बे के साथ मिठाई तोलकर देता है तो तत्काल आप इसकी शिकायत करें, ऐसा करने वाले दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।       उत्तर प्रदेश में सामानों की घटतौली की शिकायत को लेकर घटतौली करने वालों के खिलाफ सरकार के निर्देश पर बाट माप विभाग ने कार्रवाई की रणनीति बनाई. बाजार में मिठाई लेते समय काफी दुकानों पर देखा जाता है कि जितनी महंगी मिठाई होती है, उतना ही डिब्बे का मूल्य लगता है. विशेष रूप से त्योहारों के समय तो मिठाई की मांग बढ़ने पर मिठाई के साथ डिब्बे का वजन तौलने की संभावना बढ़ जाती है जैसे डिब्बे

जय हिंद जय भारत 🇮🇳

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  कल 15 अगस्त है. हम भारतीयों के लिए यह दिन अपने शहीदों को याद करने और जिस स्वतंत्रता की खातिर उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर किए उस स्वतंत्रता दिवस को मनाने का दिन है. इस दिन हम अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराकर अपने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं साथ ही अपनी सेनाओं के साहस और शौर्य को सलाम करते हैं. तिरंगा फहराने के कुछ नियम हैं जिन्हें जानना आप सभी के लिए बहुत जरूरी है जिससे कि किसी भी प्रकार से तिरंगे झंडे का अपमान न हो सके। भारतीय ध्वज संहिता 2002 के अनुसार तिरंगे के उपयोग, ध्वजारोहण के लिए नियम और तिरंगे की माप आदि निर्धारित की गई है। भारतीय ध्वज सहिंता के अनुसार झंडा आयताकार होना चाहिए और उसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा। झंडे पर किसी भी भाषा में कोई भी शब्द नहीं लिखा जाना चाहिए।। कटा-फटा या किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त झंडा फहराने के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। *ध्वजारोहण के समय इन बातों का भी आप ध्यान रखें -  ध्वजारोहण के लिए उपयोग किये जा रहे तिरंगे में किसी भी प्रकार की गन्दगी नहीं होनी चाहिए। ध्वजारोहण के समय तिरंगा झंडा किसी भी प्रकार से जमीन को नहीं