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बेंच खत्म कर रही बार से सुमधुर सम्बन्ध

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  29 अक्टूबर 2024 को न्याय के इतिहास का काला दिन अगर कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि इस दिन एक न्यायाधीश द्वारा न्याय के पैरोकार अधिवक्ताओं पर न्यायालय कक्ष में ही पुलिस बुलाकर लाठीचार्ज करवा दिया जाता है, मात्र इसलिए कि वे अपने केस की जल्द सुनवाई की मांग कर रहे थे और जिसके लिए न्यायाधीश के पास समय न होने पर केस अन्य कोर्ट में स्थानांतरित किये जाने का आग्रह कर रहे थे, जो कि न्याय प्रक्रिया के नियमों में पहले से ही सम्मिलित है.       अभी हाल ही में न्याय के क्षेत्र में बहुत से ऐसे कार्य हो रहे हैं जिन्हें न्यायिक दृष्टि में कदापि खरे नहीं उतरते और इन्ही कार्यों में एक कार्य हुआ है "न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी का उतारा जाना" जिसे कोई भी न्यायविद सही नहीं कह सकता क्योंकि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बांधने का मतलब निष्पक्ष न्याय से है जिसके बारे में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि -     "आंखों पर पट्टी बांधने का मतलब है कि न्याय समान रूप से और निष्पक्ष रूप से किया जाना चाहिए, चाहे अदालत में कोई भी खड़ा हो। इससे कोई फर्क नहीं

योगी आदित्यनाथ इस तरह बना रहे उत्तर प्रदेश को बना रहे उत्तम प्रदेश

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   26 अक्टूबर 2024 के समाचारपत्रों की सुर्खियां "जिले के आठ केंद्रों पर होगी पीसीएस की प्री-परीक्षा" न केवल शामली जिले का गौरव बढ़ा रही थी बल्कि प्रदेश के युवाओं, छोटे व्यापारियों, दुकानदारों के लिए जीवन में एक नए उजाले की ऊर्जा भर रही थी.     दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित समाचार के अनुसार यूपीपीसीएस की परीक्षा जो पहले 26 व 27 अक्तूबर को प्रस्तावित थी, को टालकर सात और आठ दिसंबर कर दिए जाने के बाद जनपद में परीक्षा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। परीक्षा के लिए शामली जनपद में आठ केंद्र बनाये गये हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक जेएस शाक्य के अनुसार "इस बार जनपद में भी पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2024 का आयोजन होना है। आयोग के सचिव की ओर से पिछले दिनों डीएम को पत्र भेजकर केंद्रों की सूचना मांगी गई थी। उन्होंने बताया कि पत्र के अनुसार परीक्षा दो पाली में आयोजित होगी। जिसमें पहली पाली सुबह 9.30 से 11.30 तक रहेगी। जबकि दूसरी पाली दोपहर 2.30 से 4.30 बजे तक रहेगी। जिलाधिकारी से 17 अक्तूबर तक 480 और कम से कम 384 अभ्यर्थियों के बैठने की क्षमता वाले केंद्रों की सूची मांगी गई थी।उन्होंने

वकीलों से निरन्तर दुर्व्यवहार

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सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक वकील द्वारा गलती से न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय को "न्यायमूर्ति हृषिकेश मुखर्जी" कह दिए जाने पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने तुरंत वकील को टोका और कहा कि एक वकील को न्यायाधीशों के नाम मालूम होने चाहिए। इस मामले का जिक्र करते हुए वकील ने कहा, "यह मामला न्यायमूर्ति हृषिकेश मुखर्जी के सामने था।" इस पर चीफ जस्टिस ने तुरंत उन्हें टोकते हुए कहा, "हृषिकेश मुखर्जी या न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय? अगर आप रॉय को मुखर्जी बना देंगे तो... आपको अपने जजों के नाम मालूम होने चाहिए। यह तो हद है। कृपया वेबसाइट पर जाकर नाम चेक कीजिए।"        अपने कार्यकाल के दौरान यह कोई पहला वाकया नहीं है जब माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा वकीलों का अपमान किया गया है. जरा सी शब्दों की चूक या प्रक्रिया के पालन में थोड़ी कमी को माननीय मुख्य न्यायाधीश तुरंत नोट करते हैं और वकीलों को मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार लताड़ते या डांटते रहते हैं. वकील द्वारा जस्टिस हृषीकेश राय का नाम हृषीकेश मुखर्जी कह देना एक जरा सी संबोधन की चूक है जिसका कोई महत्त्व इतने बड़े स्तर

प्लैजर मैरिज

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     विश्व में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया में वर्तमान में निकाह का एक ढंग ट्रेडिंग हो रहा है , जिसमें गरीबी का जीवन गुजार रही महिलाओं और बालिकाओं की शादी वहां आने वाले पर्यटकों से कर दी जाती है. धीरे धीरे यह ट्रेंड इंडोनेशिया में इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि निकाह मुताह (या अस्थायी शादी) की प्रथा ने गरीब समुदायों में गहरी जड़ें जमा रहा है।  मुता निकाह         मुस्लिम समुदाय में मुताह निकाह या अस्थायी शादी किसे कहते हैं सबसे पहले हम उसी पर ध्यान दे रहे हैं. मुताह विवाह, इस्लाम में अस्थायी विवाह का एक रूप है. इसे निकाह मुताह भी कहा जाता है. मुताह विवाह के बारे में ज़रूरी बातेंः   *मुता विवाह, पुरुष और महिला के बीच एक अनुबंध होता है. यह एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जो एक घंटे से लेकर 99 साल तक हो सकती है.   *मुता विवाह, केवल शियाओं द्वारा मान्यता प्राप्त है. सुन्नी समुदाय में इसे मान्यता नहीं मिली है.  * मुता विवाह में पति और पत्नी के बीच उत्तराधिकार का कोई अधिकार नहीं होता.   *मुता विवाह में पत्नी को भरण-पोषण या विरासत पर कोई अधिकार नहीं होता.  * मुता विवाह से पैदा

कन्या पूजन के ही दिनों में कन्या की हत्या - सबसे दुष्ट माँ

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  11 अक्टूबर वह दिन जब हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा शारदीय नवरात्रि पर्व में दुर्गा अष्टमी / दुर्गा नवमी पर्व मनाते हुए कन्या पूजन किया जा रहा था, विश्व अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा था और समाचार पत्र में पढ़ने के लिए मिलता है एक ऐसा समाचार, जो शर्मसार कर देता है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा चलाए जा रहे "बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ" अभियान को.        एक बेटी महिला के गर्भ में आते ही जिंदगी के लिए जूझना आरंभ कर देती है और उसे इस समाज के व्यभिचारी तत्वों से कहीं ज्यादा खतरा होता है अपने ही रुढियों में फंसे परिवार से किन्तु माँ की ओर से फिर भी उसे एक सुरक्षा का आभास रहता ही है जो सुरक्षा भोपा (मुजफ्फरनगर) की बेचारी शगुन को नहीं मिल पाई. सौतेली माँ को तो हमेशा से बच्चों की दुश्मन दिखाया गया है किन्तु सौतेला बाप और सगी माँ ही जब बेटी की जान लेने पर उतारू हो जाएं तो वही दुर्दशा होती है जो बेचारी शगुन की हुई. सौतेला बाप सगी माँ मिलकर बच्ची का गला दबाते हैं, शव खेत में फेंकते हैं फिर उठाकर नहर में फेंक आते हैं और ये सब वे एक उस बच्ची के साथ करते हैं जो अभ

नारी पर अपराध "छोटे अपराध" - यति नरसिंहानंद

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      आज यति नरसिंहानंद विवादों में हैं. ऐतिहासिक और आध्यात्मिक चरित्रों के बारे में अनाप शनाप बयानों को लेकर. साथ ही, उनकी सोच बता रही है भारतीय पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री की दयनीय दशा के बारे में. नरसिंहानंद कहते हैं कि - आज मैं केवल एक व्यक्ति के प्रति संवेदना जताता हूं। मेघनाथ को हम हर साल जलाते हैं। मेघनाथ जैसा चरित्रवान व्यक्ति इस धरती पर दूसरा कोई पैदा नहीं हुआ। हम हर साल कुंभकरण को जलाते हैं। ​​​कुंभकरण जैसा वैचारिक योद्धा इस धरती पर पैदा नहीं हुआ। उनकी गलती ये थी कि रावण ने एक छोटा सा अपराध किया।     अब यदि हम छोटे से अपराध की भारतीय कानून के मुताबिक परिभाषा पर जाते हैं तो पहले भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 95 और अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 33 में जिन अपराधों को छोटे अपराधों की श्रेणी में रखा गया है उनके लिए कहा गया है कि - "कोई बात इस कारण से अपराध नहीं है कि उससे कोई अपहानि कारित होती है या कारित की जानी आशयित है या कारित होने की सम्भाव्यता ज्ञात है, यदि वह इतनी तुच्छ है कि मामूली समझ और स्वभाव वाला कोई व्यक्ति उसकी शिकायत नहीं करेगा."       ऐसे में,

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना

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      आज भारतीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मना रहे है. मैं भी देश के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले देश के इन दोनों अनमोल रत्नों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. मैं इन दोनों महापुरुषों के योगदान को समझ सकती हूं क्योंकि मैं अपने पिता स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी में इनकी छवि के एक साथ दर्शन करती हूं. कैराना में अधिवक्ताओं के उज्जवल भविष्य हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले मेरे पिता जीवन की ऐसी कोई सुविधा नहीं थी जिसे वे हासिल न कर सकते हों, जो व्यक्ति अपने संपर्कों के दम पर कैराना में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ले आए, ए डी जे कोर्ट ले आए, जिनके दम पर अधिवक्ता यह कह सकते हों कि हम आंदोलन करने के लिए आगे बढ़ जाते थे क्योंकि पता था कि बाबू कौशल हमें बचा ही लेंगे, वह व्यक्ति अगर केवल अपनी प्रेक्टिस पर ध्यान देता तो कितनों का ही कहना है कि वे अपनी कोठी कार बना सकते थे किंतु उन्होंने नहीं चुना यह सुख आराम, उन्होंने चुना अधिवक्ता हित और अधिवक्ताओं का उज्जवल भविष्य और इसी कारण वे शायद पहले ऐसे अध्यक्ष बार एसोसिएशन