शीश नवायेंगें मैया को ;दर पर चलकर जायेंगे
शीश नवायेंगें मैया को ; दर पर चलकर जायेंगे , मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें . [मेरा भजन मेरे स्वर में ] हर बेटी में रूप है माँ का इसीलिए पूजे मिलकर ; सफल सभ्यता तभी हमारी बेटी रहेगी जब खिलकर ; हम बेटी को जीवन देकर माँ का क़र्ज़ चुकायेंगे . मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें . जय माता दी ! शालिनी कौशिक [कौशल ]