क्या केजरीवाल का ये तरीका सही है ?
क्या केजरीवाल का ये तरीका सही है ?
अक्सर मन में विचार आता है कि क्या अरविन्द केजरीवाल द्वारा लगातार ढूंढ ढूंढकर भ्रष्ट नेताओं को निशाना बनाना व् आरोपों की झड़ी लगाने का तरीका सही है ?सभी जानते हैं कि राजनीति एक दलदल है और इसमें लगभग सभी नेता गहरे तक समाये हैं .भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए भारतीय राजनीतिज्ञों में से ढूंढकर जो वे आरोपों प्रत्यारोपों द्वारा अपना स्थान बनाना चाह रहे हैं क्या वह हमारे देश से भ्रष्टाचार को हटाने में कारगर साबित हो पायेगा ?सभी जानते हैं कि अधिकांश राजनीतिज्ञ भ्रष्टाचार में घिरे हैं ऐसे में जहाँ तक मेरा विचार है केजरीवाल ये सही नहीं कर रहे हैं .इस तरह वे अपने व्यक्तित्व को उबाऊ रूप दे रहे हैं धीरे धीरे इस तरह उनके भाषणों से लोगों को ऊब महसूस होगी और वे हंसी का रूप ले लेंगे .आज अगर वे सच्चे इरादे से भ्रष्टाचार रुपी बुराई से देश को निजात दिलाना चाहते हैं तो उन्हें अपने को साबित करना होगा वैसे वे स्वयं को अपनी सिविल सर्विस द्वारा भी साबित कर सकते थे .उदाहरण के लिए ''खेमका '' को ही देखिये जिनकी 20 साल की नौकरी में ४० तबादले हुए और आज भी वे कर्मठता व् ईमानदारी से कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं .ऐसे ही केजरीवाल के हाथ में भी ये शक्ति आई थी लेकिन चलिए उन्होंने इसे त्याग कर राजनीति के पथ पर आगे बढ़ भ्रष्टाचार का मुकाबला करने को ज्यादा शक्तिशाली पथ ढंग माना और उसमे आगे बढ़ अपनी हिम्मत से राजनीतिज्ञों को नाकों चने चबाने को मजबूर किया .आज उन्हें जन समर्थन प्राप्त है और इसे वोट में तब्दील करना होगा और फिर उन्हें चुनाव जीतकर भ्रष्टाचार का जड़ से विनाश करने में पूर्ण सहयोग दे जनता को दिखाना होगा कि वे उनके सपनों से खेलने वाले नहीं बल्कि साकार करने वाले हैं .इसलिए आज उन्हें ये आरोप -प्रत्यारोप की आग उगलनी छोडनी होगी क्योंकि ये जो आज सबको काट कर फैंक रही है कल उनकी अभिव्यक्ति के धार को ही काट कर रख देगी .क्या आप भी यही मानते हैं ?
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
RECENT POST : समय की पुकार है,
होता है क्या ?
आपकी ये बात ठीक है कि ये आरोप प्रत्यारोप का दौर ज्यादा दिनों तक नहीं चलाया जा सकता और न ही इससे कुछ बहुत बडा हासिल किया जा सकता है , किंतु इन सबके बीच इतना तो हो ही रहा है लोगों को वो बातें पता चल रही हैं जो शायद इससे पहले पता नहीं चल पाई थी ।
जरूरी है दिल्ली में पटाखों का प्रदूषण
आम
आदमी कह नहीं पा रहा है .लेकिन इस देश में तो रोज़
औसतन एक घोटाला होता है .घोटाला हर किस्म का गिनाने को एक उम्र ना -काफी है .आग को संकेंद्रित रखना चाहिए .कहीं बिखर कर यह सात्विक
आंच अपनी तपिश न खो दे ,
ठंडी न हो जाए फिर इतने सारे दुश्मनों के बीच सवाल
सर्वशक्तिमान सर्वसमर्थ की उत्तरजीविता का भी है .
थके न जीवट ,"वाल "केजरी "सही सलामत बने रहें ,
शार्क और मगरमच्छों से बच-बच नव निर्माण करें .
.आभार आपका यह रचना साझा करने के लिए। कल
(4नव .)
रवानगी मुंबई के लिए है लुफ्थांसा से 5.45 संध्या फ्लाईट ,मुंबई पहुंचेगी 6नव .प्रात :1.15 .इधर से वापसी के वक्त एक दिन का नुक्सान हो जाता है
और
अमरीका आते वक्त एक दिन का फायदा .यह सब अंतर -राष्ट्रीय
तिथि रेखा के पार आने जाने से होता है . मसलन आते वक्त हम 23 जून को चलके 23 जून को ही पहुँच गए थे उड़ान अवधि ही 20 घंटे की रहती है .एक जगह विमान भी बदला जाता है . इसके
बाद जैट लेग .
जैट लेग बोले तो शरीर हमारी जैव घड़ी अपनी कैण्टन केस्थानीय समय के हिसाब से चलाता रहेगा और हम एक के बाद एक टाइम ज़ोन में आते रहेंगे
.ऐसे में शरीर की जैव घड़ी डेस्टिनेशन (मुंबई )पहुँचते
पहुँचते भ्रम पैदा करने लगती है .जहां इस जैव घड़ी के हिसाब से दिन होना चाहिए था वहां रात मिलती है ,रात की जगह दिन .
फिर भारत की तरफ आने का मतलब है भाव से अभाव की ओर कूच ,यहाँ हर चीज़ इफरात से वहां हर चीज़ की तंगी जिसका एहसास हवाई अड्डे पर भी
होने लगता है .बेशक मुम्बई नगरी का नागर भाव
सिविलिती का स्तर हिन्दुस्तान के शेष नगरों से बहुत ऊपर है ,इस लिए यहाँ यह एहसास उतना कचोटता नहीं है जितना दिल्ली लौटने पर नोचता है
काया और मन दोनों को .सब धुआं धुआं ,केजरीवाल और
भ्रष्टाचार ,कौरवों के बीच अभिमन्यु अकेला .
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
मैँ वरुण कुमार साह मैने कई ब्लोग के पोस्ट एक ही जगह पढे जा सके ईसलिए sanatanbloggers.blogspot.com एक ब्लोग बनाया आप भी इस ब्लोग मेँ अपनी पोस्ट करे इसके लिए लिए आप ब्लोग के लेखक बन जायेँ ये ब्लोग आपकी जरा भी समय नही लेगी क्योकि आप जो पोस्ट अपने ब्लोग पर लिखते हैँ उसकी प्रतिलीपी इस पर करना हैँ यहाँ पर अन्य आप के तरह ब्लोगर के साथ आपके पोस्ट भी चमकेँगी जिससे आपके ब्लोग कि ट्रैफिक तो बढेगी साथ ही साथ जो आपके ब्लोग को नही जानते उन्हे भी आपकी पोस्ट पठने के साथ ब्लोग के बारेँ मे जानकारी मिलेगी पोस्ट के टाईटल के पहले बाद अपना नाम अपने ब्लोग का नाम और फिर अंत मे अपने ब्लोग के बारेँ मे दो लाईन लिखे इससे ज्ञानोदय तो होगा ही और आप ईस मंच के लिए भी कुछ यहाँ पर पोस्ट कर पायेँगे।
मैँ वरुण कुमार साह मैने कई ब्लोग के पोस्ट एक ही जगह पढे जा सके ईसलिए sanatanbloggers.blogspot.com एक ब्लोग बनाया आप भी इस ब्लोग मेँ अपनी पोस्ट करे इसके लिए लिए आप ब्लोग के लेखक बन जायेँ ये ब्लोग आपकी जरा भी समय नही लेगी क्योकि आप जो पोस्ट अपने ब्लोग पर लिखते हैँ उसकी प्रतिलीपी इस पर करना हैँ यहाँ पर अन्य आप के तरह ब्लोगर के साथ आपके पोस्ट भी चमकेँगी जिससे आपके ब्लोग कि ट्रैफिक तो बढेगी साथ ही साथ जो आपके ब्लोग को नही जानते उन्हे भी आपकी पोस्ट पठने के साथ ब्लोग के बारेँ मे जानकारी मिलेगी पोस्ट के टाईटल के पहले बाद अपना नाम अपने ब्लोग का नाम और फिर अंत मे अपने ब्लोग के बारेँ मे दो लाईन लिखे इससे ज्ञानोदय तो होगा ही और आप ईस मंच के लिए भी कुछ यहाँ पर पोस्ट कर पायेँगे।