ऐसे नहीं होगा अपराध का सफाया
१५ नवम्बर २०१२ उत्तर प्रदेश सरकार ने यहाँ की महिलाओं के लिए एक राहत भरे दिवस के रूप में स्थापित किया यहाँ वूमेन पावर हेल्पलाइन 1090 की शुरुआत कर. इस सेवा के सूत्रधार लखनऊ रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक नवनीत सिकेरा का कहना है कि वूमेन पावर लाइन उत्तर प्रदेश पुलिस की एक ऐसी सेवा है जिसका सिद्धांत एक राज्य एक नंबर है .महिलाओं के लिए यह सीधी सेवा है इसमें कोई पुरुष शिकायत दर्ज नहीं करा सकेगा और खास बात ये है कि शिकायत सुनने के लिए महिला पुलिस अधिकारी हैं .ये हेल्प लाइन महिलाओं को जहाँ तक अनुमान है अपराध से छुटकारा दिलाने में कुछ हद तक कामयाब अवश्य रहेगी किन्तु पूरी तरह से मददगर साबित होगी ये कल्पना तक असंभव है और इसका प्रमाण हमारे समाचार पत्र तो देते ही हैं हमारे आस पास की बहुत से घटनाएँ भी इसका पुख्ता साक्ष्य हमें दे जाती हैं
समाचार पत्र तो ऐसी घटनाओं से नित्य भरे हैं जिनमे महिलाओं को अपराध से रु-ब-रु होना पड़ता है .कानून व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने हेतु जो थाने प्रशासन द्वारा स्थापित किये जाते हैं उनमे महिलाओं के साथ किये गए दुर्व्यवहार की घटना के लिए यदि हम असंख्य घटनाओं को नज़रंदाज़ भी कर दें तो नित्य टाल-मटोल जो थानों में फरियादियों के साथ की जाती है उसे भुलाना संभव प्रतीत नहीं होता .
१६ नवम्बर को शामली में थाने में ही महिला अपने गले पर फांसी का फंदा लगाने के चिन्ह सहित पहुंची किन्तु रिपोर्ट नहीं लिखने के नाम वहां उसे निराश ही किया गया क्या ये केवल इसलिए कि वह फांसी के फंदे का निशान लेकर जीवित ही थाने पहुँच गयी ?क्या इस तरह रिपोर्ट नहीं लिखे जाने से प्रदेश अपराध मुक्त की श्रेणी में आ जायगा ?क्या इस तरह यहाँ की महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकेंगी.?जबकि अपराध किये जाते समय अपराधी को स्वयं पकड़ कर भी पुलिस में देने पर पुलिस दबंगों के प्रभाव में आकर उन्हें खुलेआम घूमने की छूट देती है .कांधला [शामली] में एक महिला के यहाँ जो कि अकेली रहती है के यहाँ शाम के सात बजे एक चोर घुस आया और उसने टेलीविज़न देखते हुए उसपर लाठी से प्रहार किया जिसका उस महिला ने जमकर मुकाबला किया और उसे मोहल्ले के लोगों के साथ पुलिस के हवाले कर दिया .अधिक चोट लगने पर वह अपने इलाज के लिए बाहर चली गयी और लौट कर जब आई तो देखती है कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया है क्या यही है वह सुरक्षा जो प्रशासन महिलाओं को दे रहा है है और जब इतना सहस दिखने पर इतने खुलेआम ये जिम्मेदार पुलिस निभा रही है तो हेल्प लाइन के माध्यम पर कैसे भरोसा किया जा सकता है ?सरकार यदि महिलाओं को वास्तव में सुरक्षा देना चाहती है तो पहले ज़मीनी स्तर पर अपने प्रशासनिक अमले को दुरुस्त करे यूँ रिपोर्ट न लिखने और कुछ दबंगों के प्रभाव में आकर यदि पुलिस अपराध का सफाया करती रही तो एक दिन जनता का विश्वास इस व्यवस्था से उठ जायेगा और फिर वह दिन दूर नहीं जब लोग कानून हाथ में लेने आरम्भ कर देंगे और शायद वह स्थिति किसी के लिए भी शुभ नहीं होगी न सरकार के लिए और न ही जनता के लिए इसलिए समय रहते सरकार को इस तरह की घटनाओं से निबटने के लिए कुशल रणनीति बनानी ही होगी .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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recent post...: अपने साये में जीने दो.