कर जाता है....

कर जाता है....


दिखाता मुख की सुन्दरता,टूट जाता इक  झटके में,
वहम हम रखते हैं जितने खत्म उनको कर जाता है.

है हमने जब भी ये चाहा,करें पूरे वादे अपने,
दिखा कर अक्स हमको ये, दफ़न उनको कर जाता है.

करें हम वादे कितने भी,नहीं पूरे होते ऐसे,
दिखा कर असलियत हमको, जुबां ये बंद कर जाता है 

कहें वो आगे बढ़ हमसे ,करो मिलने का तुम वादा,
बांध हमको मजबूरी में, दगा उनको दे जाता है.
                       शालिनी कौशिक 
-- 

टिप्पणियाँ

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर!
Unknown ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । बहुत अच्छा लिखा आपने ।
रविकर ने कहा…
यही दुनिया का दस्तूर बना जाता है |
सुन्दर रचना ||
चारो मिसरे बहुत अच्छे हैं मगर मतला और मक्ता नहीं है इसमें!
चारो मिसरे बहुत अच्छे हैं मगर मतला और मक्ता नहीं है इसमें!
Unknown ने कहा…
है हमने जब भी ये चाहा,करें पूरे वादे अपने,
दिखा कर अक्स हमको ये, दफ़न उनको कर जाता है.

बहुत सुन्दर पंक्ति
vikasgarg23.blogspot.com
S.N SHUKLA ने कहा…
sundar bhavabhivyakti ,sundar rachana
सुन्दर अभिव्यक्ति
क्या कहने, बहुत सुंदर

करें हम वादे कितने भी,नहीं पूरे होते ऐसे,
दिखा कर असलियत हमको, जुबां ये बंद कर जाता है
क्या कहने, बहुत सुंदर

करें हम वादे कितने भी,नहीं पूरे होते ऐसे,
दिखा कर असलियत हमको, जुबां ये बंद कर जाता है
क्या कहने, बहुत सुंदर

करें हम वादे कितने भी,नहीं पूरे होते ऐसे,
दिखा कर असलियत हमको, जुबां ये बंद कर जाता है
अजय कुमार ने कहा…
अच्छी रचना , बधाई

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