हाय रे .!..मोदी का दिमाग ...................

हाय रे .!..मोदी का दिमाग ...................
News Photo: Chief Ministers Narendra Modi and Shivraj Singh Chauhan…

    नरेन्द्र मोदी ने राहुल गाँधी की ओर संकेत करते  हुए  कहा कि कोई बाहें चढ़ाकर यह कहे कि हमारी सरकार ने  इस एक्ट या उस एक्ट को लागू किया तो इस पर मेरा कहना  है कि ये आपकी सरकार ने नहीं किया है ,ये सब तो संविधान द्वारा दी गयी चीज़ें हैं ,केंद्र में जो भी सरकार होगी जनहित में एक्ट लागू करना उसकी जिम्मेदारी है ...मैं यह पढ़ ही रही थी कि मेरी कामवाली बाई एकदम बोल उठी कि दीदी ये क्या कह गए ये मोदी ?इनमे दिमाग भी है या नहीं .अब भला मैं आपके यहाँ काम करती हूँ तो जो काम मैं करती हूँ वह क्या नहीं कहूँगी कि मैंने किया है ?अब भला आप मुझे इसके पैसे देती हो तो मेरी ये जिम्मेदारी है पर काम जो मैं अच्छे से कर रही हूँ कहूँगी तो हूँ न ....मैं सहमति में सिर हिलाती इससे पहले ही एक साथी वकील बोल उठे बिल्कुल सही कह रही है यशोदा बिल्कुल सही ,...अब मैं केस लड़ता हूँ ,मुझे फीस मिलती है और मैं मेहनत कर उसे जीतता हूँ तो मैं यही तो कहूँगा कि मैंने ये केस लड़ा है और जीता है ,इसमें इन जनाब को दिक्कत क्यूं आ गयी?मैं भी असमंजस में पड़ गयी कि आखिर किसे सही कहूं किसे गलत ?पर तभी मेरा ध्यान ३ मार्च को नई दिल्ली में भाजपा की परिषद् की बैठक में दिए गए उनके भाषण पर गया जिसमे उन्होंने कहा -''कि गुजरात की कमान थामते  वक़्त राज्य लगभग 6700 करोड़ के घाटे में था ,लेकिन सुशासन के चलते अब  ४५०० करोड़ के फायदे में है .''क्या यह कहने का मोदी को कोई अधिकार है जबकि उनके स्वयं के अनुसार इसमें उनकी कोई भूमिका तो मानी ही नहीं जा सकती क्योंकि ये तो संविधान द्वारा दी गयी चीज़ें हैं इसलिए जो जहाँ की सरकार में होगा उसे जनहित में यह सब करना ही होगा किन्तु ये तो मोदी का दिमाग ही कहा जायेगा जिस पर नेहरु गाँधी परिवार की लोकप्रियता दहशत के रूप में हावी है .जिस प्रकार किसी की दहशत आदमी को कुछ और बोलने नहीं देती वैसे ही इस परिवार की दहशत वह भी आतंकी नहीं बल्कि जनता में लोकप्रियता की दहशत मोदी को बस राहुल-सोनिया का नाम ही रटने को मजबूर करती रहती है .
       एक तरफ स्वामी विवेकानंद को गुरु मानने वाले ,एक तरफ ''कानून नहीं काम ज़रूरी ''कहने वाले मोदी ''मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक''की तरह राहुल-सोनिया पथ पर ही दौड़ लगाते रहते हैं .हमारे नीतिशास्त्रों में कहा गया है कि ,''एक चुप सौ को हरावे ''और भारत के होते हुए मोदी इस बात को नहीं जानते और अनाप-शनाप कुछ भी बोलते रहते हैं जबकि सोनिया गाँधी ने विदेशी होते हुए भारत की बहू बन जिस सादगी से यहाँ के संस्कार अपनाएं हैं वे तारीफ के काबिल हैं .वे व्यक्तिगत आक्षेप होने के बावजूद अपने कार्य करती हैं और जनहित में जुटी रहती हैं .व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति न तो वे करती हैं और न ही राहुल गाँधी .स्वामी विवेकानंद का मोदी केवल नाम लेते हैं किन्तु वह लकीर जो सोनिया गाँधी -राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री पद से स्वयं को अलग कर खींची है उससे बड़ी लकीर खींचने की काबिलियत न मोदी में है और न ही उनकी पार्टी में ,जिसका महिमा-मंडन मोदी जोर-शोर से करते हैं कि भाजपा में लक्ष्य को अहमियत दी जाती है ,व्यक्ति या नेता को नहीं ,यही पार्टी है वह जिसमे पी.एम्.इन वेटिंग भी होते हैं ,यही वह पार्टी है जिसमे प्रधानमंत्री पद सँभालने वाले एकमात्र सद्भावी नेता को उनके घर बिठा दिया जाता है और यही वे मोदी हैं जिनके बारे में प्रसिद्ध  पत्रकार कुलदीप नैयर लिखते हैं -''मोदी ने गुजरात को झांसा दिया है .उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि गुजरात के लोग भारत के बाकी लोगों से अलग हैं .अगर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश  सिंह बादल ने ऐसा किया होता तो सारा देश उनके खिलाफ यह कहते हुए खड़ा हो जाता कि सिख आतंकवाद  को उकसा रहे हैं .''गोधरा के कलंक से घिरे मोदी जब यह कहते हैं ,''कि गुजरात में बोलने से डरती है कॉंग्रेस  ...''तो लगता है कि सही करती है कॉंग्रेस ,आखिर कई मुखौटे रखने वाले इस व्यक्ति की दहशत तो माननी ही चाहिए .
      मधुमेह की बीमारी से जहाँ सारा विश्व आक्रांत है और मीठी मीठी बातों को जहाँ चोर की भाषा कहा जाता है वहां के ज्ञान भंडार में सोनिया के भाषण को ''फीका ''कह मोदी स्वयं उसका महत्व बढ़ा देते हैं .इस तरह बात बात में राहुल-सोनिया का जिक्र कर मोदी अपनी दिमागी अपरिपक्वता का परिचय तो देते ही हैं साथ ही प्रधानमंत्री पद के लिए बढती लालसा का भी जिसकी आकांक्षा में ,समाचार पत्रों के अनुसार वे ''गुजरात की चुनावी यात्रा में खुद को ऐसे पेश कर रहे थे जैसे मुख्यमंत्री नहीं बल्कि प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए लड़ रहे हों .''और ये हाल तो तब हैं जब न तो पार्टी अध्यक्ष और न ही पार्टी के नया वरिष्ठ नेता उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान रहे हों .
    अंत में ,मोदी का दिमाग वाकई मानना होगा क्योंकि वे कहते हैं कि ''पञ्च साल एक सरकार चले और पञ्च साल कोई और सरकार ,इस मामले में गुजरात ने लोकतंत्र की नयी परिभाषा पेश की है ,जबकि यह परिभाषा तो पश्चिमी बंगाल बहुत पहले ही पेश कर चुका है किन्तु क्या किया जाये ?आज मोदी का प्रचार कुलदीप नैयर जी के अनुसार उछालकर भाजपा यह देखना चाहती है कि उनकी गैर -धर्मनिरपेक्ष छवि सामान्य हिन्दू लोगों को आकर्षित करेगी या नहीं और यही वजह मोदी का दिमाग ख़राब इस कदर ख़राब कर रही है कि उनकी बाते सुन राहुल गाँधी-सोनिया गाँधी या कॉंग्रेस यही कहते होंगे-
''हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम ,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती .''
       शालिनी कौशिक
        [कौशल]

टिप्पणियाँ

कमाल है। इस तरह तो अब तक किसी ने नहीं सोचा।
Gyan Darpan ने कहा…
मोदी का दिमाग नहीं अपने आपको सेकुलर कहने वाले छद्म सेकुलर लोगों की मानसिकता ख़राब है मोदी का कल का भाषण हमने भी सुना उसमे आत्म प्रशंसा देखने व सुनने वाले उसके विकास विजन को नहीं देख सुन पाते यही विडम्बना है|
सबको बस एक गुजरात दंगा ही दीखता है जैसे दंगा आजतक सिर्फ गुजरात में ही हुआ हो और वो भी जैसे मोदी ने ही कराया हो |
यदि गोधरा में ट्रेन नहीं जलाई जाती तो ये दंगे ही नहीं होते पर उसके बारे में कोई छद्म सेकुलर नहीं बोलेगा|
खैर ...अपनी अपनी मानसिकता है|

कानून बनवाते जाईये उन्हें लागू करने की तो कोई जरुरत ही नहीं !! देखने मात्र से ही काम चल जायेगा|
Gyan Darpan
शालिनी जी आप मोदी जी से क्यों परेशान हैं, कम से कम इस नेहरु गांधी परिवार की गुलामी अब तो छोड़ दो, जिसने देश को बर्बाद करके रख दिया हैं...ये आपका राहुल कम से कम किसी गाँव का प्रधान बनके अपनी काबिलियत तो दिखाए. जब भी देश पर कोई संकट आता हैं, दोनों माँ बेटे ऐसे गायब होते हैं जैस गधे के सर से सिंग, और उनका नौकर वह तो कभी मालकिन के सामने बोल ही नहीं सकता, बस म्याऊ -म्याऊ करता हैं...तरस आता हैं आप लोगो की बुद्धि पर..ऐसे ही लोगो के कारण से, १००० साल से ये देश गुलाम होता आया हैं ...वन्देमातरम...
vishvnath ने कहा…
बहुत अच्छा लिखा है आपने ,,,,हर बात सच लिखी है।
मोदी को बोलते देख ऐसा लग रहा था की कोई लोकल कॉलोनी लेवल का कक्का जी कही टाइप नेता बोल रहा हो।
# PSU के सवाल पर निहायत ही बचकाना जवाब दिया और आखिर में उसके निजीकरण की वकालत कर डाली ,,बीच में जबरदस्ती गुजरात में PSU की बात डाल दी। कोई इन्हें बताये की ONGC और बीएसएनएल जैसे PSU की लाभ और हानि का डाटा जो गुजरात में है वोही असाम में भी है।

" How To HOLD and How to HEAL "का सवाल ही जनाब को समझ नहीं आया की बन्दा पूछ क्या रहा है

# 2002 के कत्ले आम को बड़ी सफाई से टाल कर अपनी फिर छिछा लिदर करवा बैठे .

Congrats for this fabulous write up.

Vishvnath.
रविकर ने कहा…
बढ़िया है आदरेया-
आभार-
Neetu Singhal ने कहा…
हमारे गाँव के लोग बहुंत सारी उपाधियाँ एवं विशिष्ट योग्यता प्राप्त करके ही
शिक्षक बने । हाँ ! गाँव के बाहरवीं फेल लफाढु-निकम्मे, नेता-मंत्री जरुर बन गए.....,
रविकर ने कहा…
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
मोदी अभी से ही अपने को प्रधान मंत्री मान कर चल रहे है,अगर उन्हें भाजापा दवारा प्रधानमंत्री के लिए घोषित कर दिया जाय तो NDA बिखर जायगी,,,
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Agyaani ने कहा…
विश्वनाथ जी आपको कुछ और नजर नहीं आया क्या? वो विदेशी व्यक्ति अगर गुजराती के कुछ शब्द सीख चुका है तो इसका कुछ तो अर्थ निकालिए? और राहुल कंवल जैसे पढे लिखे एडिटर को यूं ही छोड़ दिया आपने......उनकी अनुवाद शैली पर दो शब्द लिख देते....!!! गुलामी की मानसिकता से कब बाहर आएंगे हम लोग?
राजनीति के दाँव हैं, विचित्र से हे मीत |
कडवे भावों से भरे, मीठे मीठे गीत ||
nayi disha, nayi soch....in netaaon ko bas bhrasachaar se pyar hai, desh inki variyata soochi me nahi aata.


kuch din pahle maine ek kavita likha post kiya tha apne blog pe, netaon ka shi upchaar usmein maine likha hai samaya mile to padhiyega link hai, www.omjaijagdeesh.blogspot.com

Bhola-Krishna ने कहा…
"प्रभुता पाय काहि मद नाहीं" ? प्रभु सभी मदमातों को सुबुद्धि दें !
vishvnath ने कहा…
प्रिय अज्ञानी जी
केम छो ,,मजा माँ ..ये चार शब्द तो लगभग आधी दुनिया जानती है ,,,फिरंगी भाई ने ये बोल दिए तो इनका मुझे कोई अर्थ समझ नहीं आया ,,आपको आया हो तो मुझे भी कृतार्थ कीजिये .
इण्डिया टुडे ग्रुप ही पूरा बीजेपी पोषित है, अब वो बात भी राहुल कँवल को समझ आई या नहीं , या जान बुझ कर उसे सिंपल बनाया ताकि मोदी जी की इज्जत बनी रहे ये तो राहुल कँवल ही जाने , लेकिन ये बात पक्की है की की आखिर के दोनों सवाल पर मोदी जी को समझ आ गया था की अब असली हमले शुरू हो गए है ..तभी वो बंगले झाँक रहे थे .
आपने सही कहा की हमें गुलामी की मानसिकता से बहार आने की जरुरत है,,,गुजरात और गुजराती लोग जो हमेशा से ही संपन्न रहे है वो ना जाने क्यों मोदी जी को इतना बोलने देते है की जैसे उनके विकास का कारण सिर्फ और सिर्फ मोदी हो। इसे अगर आप दिमागी गुलामी कहते है तो मैं काफी हद तक आपसे सहमत हूँ
vijai Rajbali Mathur ने कहा…
मोदी खुद मे कुछ भी नहीं हैं न ही उनकी पार्टी के नेता उनको पी एम के काबिल मानते हैं। यह तो CIA/RSS की मिलीभगत है कि उनका नाम पी एम हेतु उछाला जा रहा है। जिनको इस देश या देशवासियों से कोई लगाव ही नहीं है केवल वे ही मोदी का जैकारा कर सकते हैं।
जहां तक सवाल राहुल गांधी का है उनको उनकी माताजी और ननसाल के लोग ही पी एम हेतु नहीं पेश करेंगे। वह खुद ही इंकार कर चुके हैं। भाजपा के लोगों के मुक़ाबले तो निश्चय ही सोनिया जी का ही पलड़ा भारी है।
सब एक-से ही. नेताओं का चरित्र ऐसा ही होता, क्या कहा जाए... बहुत बेबाकी से आपने अपनी राय जताई है. सटीक अवलोकन और लेखन के लिए बधाई.
Unknown ने कहा…
यहां कोई भी दूध का धुला नहीं है, सब के सब एक ही चीज पाना चाहते हैं.....‘कुर्सी’

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