मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई .


मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई .



Indian_culture : indian flag with map of india Stock Photo
''तरन्नुम,तरन्नुम,तरन्नुम,तरन्नुम ,
है गुमसुम,है गुमसुम,है गुमसुम,है गुमसुम,
ये लोगों का लश्कर कहाँ जा रहा है ,
जहन्नुम,जहन्नुम,जहन्नुम,जहन्नुम.''  
 आज सारा देश होली के रंगों में सराबोर है और जिसे देखो इसे पूर्ण रूप से भारतीय सभ्यता संस्कृति के अनुसार मनाये जाने की बात कह रहा है किन्तु भारतीय सभ्यता संस्कृति की जो धज्जियाँ हमारे कुछ माननीय नेतागण को लेकर उड़ाई जा रही हैं उस और सभी इस बात को कहते हैं कि ''जो जैसा करेगा वैसा भरेगा ,''अर्थात ये हमारे नेतागणों के कुकृत्य ही हैं जिनके कारण आज उनके साथ इस तरह के बर्ताव को अंजाम दिया जा रहा है .जनता तो इस बात को कह सकती है किन्तु जब हमारे नेतागण ''जो कि उसी मंडली के सदस्य हैं ''वे ऐसा कहते हैं तो क्या हमें  हमें विचार नहीं करना चाहिए कि ये ऐसा कहने के कैसे अधिकारी हो सकते हैं किन्तु ऐसा नहीं है हम भी उनके साथ जुड़कर उसी असभ्यता पर उतर आते हैं और भुला देते हैं उस संस्कृति को जिसके गुणगान सारा विश्व करता है और जिसके कारण सभी जगह इस संस्कृति की पूजा की जाती है .
     भारतीय सभ्यता संस्कृति विश्व में हमारी पहचान है ,भारतीयों की सबसे बड़ी संपत्ति है .विश्व की कितनी ही संस्कृतियाँ भारत में आई और सभी को भारत और भारतीयों ने ''अतिथि देवो भवः''कहकर आत्मसात कर लिया और सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह रहा कि भारतीय संस्कृति तब भी जीवन्त रही.हम भारतीयों ने अपने मित्रों के साथ साथ शत्रुओं को भी गले लगाया और उन्हें प्रेम का पथ पढाया .बड़ों को आदर देना ,छोटों से स्नेह करना हमारी संस्कृति सिखाती है .न केवल भारतीय समाज बल्कि भारतीय राजनीति भी इसी सभ्यता को अपनाती रही जहाँ अपने विरोधियों की भी मुक्त कंठ से प्रशंसा की जाती थी .पंडित जवाहर लाल नेहरु जी जो कौंग्रेस के थे उन्होंने भाजपा के अटल बिहारी वाजपयी जी की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा था कि ''ये युवक राजनीति में बहुत आगे जायेगा .''सोनिया गाँधी जी जो कौंग्रेस की अध्यक्ष है और भाजपा के लिए आलोचना का सबसे बड़ा मुद्दा वे तक मोदी जी की तारीफ करती हैं और उनके प्रधानमंत्री  बनने की आशा करती हैं .



Sonia Gandhi takes credit for Modi’s victory in Gujarat, says he should become the PM 

 ये भारतीय संस्कृति ही है कि आपसी मतभेदों की प्रचुरता होने पर भी भूतपूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी जी  वर्तमान कौंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी जी को अपने बेटे की शादी में आमंत्रित करते हैं

The Times Of India

सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जी भाजपा के भूतपूर्व अध्यक्ष लाल कृष्ण अडवाणी जी के बारे में अपने बेटे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश जी से कहते  हैं -

''......अडवाणी जी  कभी झूठ नहीं बोलते ''

  Samajwadi Party supremo Mulayam's high praise for Advani has BJP divided

 Mulayam Singh and LK Advani

 ये भारतीय संस्कृति है जो उन्हें ऐसा करने को प्रेरित करती है .ये भारतीय संस्कृति है जो संसद का सत्र आरम्भ होने पर सभी दलों के नेताओं को एक दूसरे के अभिवादन करने को प्रेरित करती है जो सिखाती है कि आपसी मतभेद कभी भी हमारे आपसी शिष्टाचार से ऊपर नहीं होने चाहियें .

भारत एक विकासशील देश है और यहाँ के नागरिकों का विकसित राष्ट्रों की चकाचौंध की ओर आकर्षित होना एक सामान्य बात है किन्तु विदेशियों का भारत की ओर आकृष्ट होना मात्र इसे बाजार समझकर नहीं बल्कि इसकी संस्कृति ही वह चुम्बक है जो विदेशियों को अपनी ओर खींचती है और उन्हें अपने ही रंग में रंग देती है .सेवा सत्कार परोपकार की महत्ता ने मेरी टेरेसा को मदर टेरेसा बनाकर भारत में ही बसा लिया .''पूरब और पश्चिम'' फिल्म का यह गाना भारतीय संस्कृति की महिमा को कुछ यूँ व्यक्त करता है -

''इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कहके बुलाते हैं ,
इतना आदर इन्सान तो क्या पत्थर भी पूजे जाते हैं ..''

 किन्तु आज स्थिति पलटती जा रही है .जैसे कि 'पूरब और पश्चिम' से 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी 'में हुआ परिवर्तन -
   ''पूरब और पश्चिम''में कहा जाता है -
 ''होठों पे सच्चाई रहती है ,जहाँ दिल में सफाई रहती है ,
 हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है .''

 और फिर भी दिल है हिंदुस्तानी  में हुआ परिवर्तन -
''हम लोगों कोसमझ सको तो समझो दिलबर जानी ,
जितना भी तुम समझोगे उतनी होगी हैरानी ,
थोड़ी हममे सच्चाई है ,थोड़ी बेईमानी  ,
उलटी सीधी जैसी भी है अपनी यही कहानी....''

 पहले भी राजनीति  में छींटाकशी होती थी किन्तु वह नीतियों सिद्धांतों तक सीमित थी .पहले भी राजनीतिज्ञों की बुराइयाँ होती रही हैं किन्तु जो स्वरुप आज राजनीतिक दलों,मीडिया व् जनता ने लिया है वह निंदनीय है .बुराई की जा रही है किन्तु बहुत सोच-समझकर .आज शराफत की हंसी उड़ाई जा रही है और दबंगई गुंडागर्दी की मसाज की जा रही है .

भारत में सत्तापक्ष हमेशा से आलोचना का शिकार रहा है और भारत ही क्या समस्त विश्व में यही हाल है किन्तु भारत में ये हाल ज्यादा ख़राब यूँ है क्योंकि यहाँ आरम्भ से लेकर अब तक वर्चस्व एक ही दल का है और वह है ''कॉंग्रेस '' 

कॉंग्रेस जिस नेतृत्व के बलबूते ये मुकाम हासिल किये है वह ''खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे''बने दलों व् इनके समर्थकों की आँख की किरकिरी बना हुआ है .साथ ही किरकिरी बनता है वह नेता जिसका झुकाव व् श्रृद्धा इस परिवार के लिए होती है .

From left, Indian Prime Minister Manmohan Singh, Congress party president Sonia Gandhi and Congress party general secretary Rahul Gandhi wave to party supporters during a public rally, in New Delhi, India , Sunday, Nov. 4, 2012.

सोनिया गाँधी- राहुल गाँधी आज इस परिवार के सदस्य हैं और डॉ. मनमोहन सिंह -देश के प्रधानमंत्री इस दल के सदस्य और इस परिवार से गहराई से जुड़े हैं ,ईमानदारी से जुड़े हैं तो न तो किसी को इन सबकी देश के विकास के  प्रति एकनिष्ठ भक्ति ,मेहनत दिखती है और न ही देश से इनका प्यार का जज्बा ,हर एक को दिखती है मात्र वह लोकप्रियता और प्यार जो जनता के मन में इनके लिए है नहीं दीखता वह बलिदान जो इस श्रृद्धा ,विश्वास की नींव है और जिसे ये अपने  चेहरे पर शराफत का पेंट लगाकर भी हासिल नहीं कर सकते .
      भाजपा के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी  के लिए जबरदस्ती फेविकोल से चिपकने की कोशिश करने में जुटे नरेन्द्र मोदी जी को कौंग्रेस का भविष्य अधर में डालने वाले सीताराम केसरी व् राजीव गाँधी जी की आतंकवादी हादसे में हुई मृत्यु की सद्भावना में प्रधानमंत्री बने पी.वी.नरसिम्हाराव जी में इस परिवार के प्रति निष्ठां में कुछ कमी दिखी तो वे उनकी कुछ तारीफ कर गए नहीं तो ये कम न्होंने कभी सीखा ही नहीं और वे ही वे महान शख्सियत हैं जो आज स्वयं और अपने अंध समर्थकों के जरिये भारतीय राजनीति की परम्पराएँ तोड़ने में लगे हैं . 

राहुल गाँधी जी को यह कहकर की उन्हें देश में कहीं नौकरी भी नहीं मिलेगी कह वे उन्हें कोई चोट नहीं पहुंचाते क्योंकि उन्हें किसी नौकरी की कोई आवश्यकता ही नहीं है वे अपने में देश सँभालने की योग्यता रखते हैं और बेकार में गाल बजाते नहीं फिरते किन्तु इस माध्यम से वे या ज़रूर साबित करते हैं की राजनीति में जहाँ शिक्षा कोई योग्यता नही है वहां लगभग ८०%राजनीतिज्ञ जो यहाँ अपनी पूरी रसोई बना रहे हैं देश में चपरासी बनने की हैसियत भी नही रखते .

शशि थरूर की पत्नी की तुलना ५० करोर की गर्ल फ्रैंड से करना और अपनी पत्नी यशोदा बेन को शादी कर सारी उम्र गाँव में छोड़कर वे नारी शक्ति का अपमान करते हैं और वह भारतीय जनता के पुरोधा बनने को आगे आना चाहते हैं किन्तु भारतीय जनता में से कोई भी आगे आ उनके इन कृत्यों की निंदा नहीं करता .क्या उनकी अपने देशवासियों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है ?क्या ऐसे कृत्यों को वे जायज़ ठहरा सकते हैं ?

narendra Modi labels Shashi Tharoor's wife a 'Rs 50 crore girlfriend'

Shashi Sunanda  

 और उधर शशि थरूर एक सच्चे भारतीय होने का फ़र्ज़ निभाते हुए व्हार्टन मुद्दे पर उनका साथ देते हैं तब भी  मोदी जी के समर्थक शशि थरूर की गाड़ी के शीशे तोड़ देते हैं .
      २७ साल तक पश्चिमी बंगाल पर शासन करने वाले ज्योति बासु जी तक भारत में कभी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी  के लिए इस तरह कभी प्रचारित नही किये गए जिस तरह मात्र  तीन  जीत पर नरेन्द्र मोदी जी का नाम उछाला जा रहा है और उनका समर्थन करने के लिए कौंग्रेस के सुसभ्य सुसंस्कृत नातों का अपमान किया जा रहा है जबकि भाजपा में स्वयं उनके नाम को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है और न ही उनके द्वारा अपनाये जा रहे इन हथकंडों को लेकर क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ व् कद्दावर  नेता गण जानते हैं कि राष्ट्रीय राजनीति में एक क्षेत्रीय नेता की कोई महत्ता नहीं है और राष्ट्रीय चुनाव की हवा को उस तरह के मोड़ नहीं दिए जा सकते जैसे मोड़ एक राज्य की राजनीति में दिए जाते हैं और जो मोड़ मोदी जी अपने राज्य की सत्ता हासिल करने के लिए आज तक देते आये हैं .

 ये प्रधानमंत्री डॉ..मनमोहन सिंह जी ,यू.पी.ए.अध्यक्ष सोनिया गाँधी जी और कौंग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी जी ही हैं जो विरोधी दलों के निरंतर अपमानजनक भाषा के प्रयोग किये जाने पर भी विरोधी पक्ष को कोई आंच नहीं आ रही है जबकि सभी जानते हैं कि  अभी हाल में ही माननीय बाल ठाकरे जी के सम्बन्ध में विवादस्पद टिप्पणी करने के कारण  दो लड़कियां आफत का शिकार हुई बसपा प्रमुख मायावती जी पर अपमानजनक टिप्पणी दैनिक जागरण के कार्यालय को तोड़ फोड़ के रूप में झेलनी पड़ी और ममता बेनर्जी का कार्टून बनाना कार्टूनिस्ट को जेल ले गया .

इसका सीधा साफ मतलब ये है कि आज भारत में कुछ राजनेता और जनता में उनके समर्थक भारतीय सभ्यता संस्कृति के अपमान द्वारा अपना स्थान बनाने में लगे हैं जबकि सभ्यता  संस्कृति इस ओर ध्यान न दे उन्हें बढ़ने के लिए ही प्रेरित कर रही हैं जबकि उनको भी अब इसी ओर कदम बढ़ने होंगे ताकि ऐसी परवर्तियों पर अंकुश लगाया जा सके क्योंकि ईंट  का जवाब हमेशा पत्थर होता है फूल नहीं .महात्मा गाँधी के ''एक गाल पर चांटे के जवाब में दूसरा गाल आगे करने ''का प्रेरक वचन आज की परिस्थितयों में लागू नहीं होता .आज लागू होता है तो बस यही-
     ''दुनिया के लात मारो  दुनिया सलाम करे ,
      कभी नमस्ते जी तो कभी राम राम करे ,
    दुनिया के बाप हो तुम दुनिया तुम्हारी  है .
            शालिनी कौशिक 
                [कौशल ]
 

 

 

 

 









टिप्पणियाँ

vishvnath ने कहा…
बढ़िया कटाक्ष दिए है आपने, सही लिखा है .
सुन्दर लेख के लिए बधाईया
आभार
बेनामी ने कहा…
सार्थक प्रस्तुति
Neetu Singhal ने कहा…
तबस्सुम, तबस्सुम, तबस्सुम, तबस्सुम..,
लबे खुश्क जू से तब्बस्सुम है महरूम..,
बहर की वजू से उठा जा रहा है..,
तलातुम, तलातुम,तलातुम, तलातुम.....
Bhola-Krishna ने कहा…
गहन चिंता का विषय है ! इस देश में सभी अपने को "देश भक्त" कहते हैं पर हैं सब के सब "सिंघासन भक्त" और हमारा दुर्भाग्य है कि "हमको उनसे [ही] वफा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफा क्या है "! [जो नहीं जानते कि वे [स्वयम] क्या हैं ] ! बेटा, समाधान की तलाश आप जैसे चिंतकों को ही करनी है ! -- आप जितना कर रहीं हैं , उसके लिए धन्यवाद ! आप सफल हों , शुभ कामनाएं = भोला - कृष्ण
Anita ने कहा…
यथार्थ वादी रोचक पोस्ट..
तकरारें यूँ ही चलती जायेगी और सच्चाइयां सामनें आती जायेगी !!
आभार !!
Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
सटीक आलेख।

सादर

(कृपया स्पैम भी चेक करते रहा करें। )
Rajendra kumar ने कहा…
बहुत सही व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार

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