उड़ती खुशखबरी -जनपद न्यायाधीश कैराना बैठेंगे



जिला न्यायालय के लिए शामली के अधिवक्ताओं ने पहले भी  इस सत्य को परे रखकर  न्यायालय के कार्य  को ठप्प किया और अब भी जब से कैराना में जनपद न्यायाधीश के बैठने की सम्भावना बनी है तबसे फिर उनके द्वारा काम ठप्प किये जाने ,आंदोलन किये जाने की धमकियाँ दी जा रही हैं  जबकि सभी के साथ शामली इस प्रयोजन हेतु कितना उपयुक्त है वे स्वयं जानते हैं.
             शामली 28 सितम्बर २०११ को मुज़फ्फरनगर से अलग करके  एक जिले के रूप में स्थापित किया गया .जिला बनने से पूर्व शामली तहसील रहा है और यहाँ तहसील सम्बन्धी कार्य ही निबटाये जाते रहे हैं. न्यायिक कार्य दीवानी ,फौजदारी आदि के मामले शामली से कैराना और मुज़फ्फरनगर जाते रहे हैं .
    आज कैराना न्यायिक व्यवस्था  के मामले में उत्तरप्रदेश में एक सुदृढ़ स्थिति रखता है    कैराना में न्यायिक व्यवस्था की पृष्ठभूमि के बारे में बार एसोसिएशन कैराना के पूर्व अध्यक्ष ''श्री कौशल प्रसाद एडवोकेट ''जी ने बताया था -
                                    '' सन १८५७ में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रथम  स्वतंत्रता संग्राम के द्वारा ऐतिहासिक क्रांति का बिगुल बजने के बाद मची उथल-पुथल से घबराये ब्रिटिश शासन के अंतर्गत संयुक्त प्रान्त [वर्तमान में उत्तर प्रदेश ] ने तहसील शामली को सन 1887 में महाभारत काल के राजा कर्ण की राजधानी कैराना में स्थानांतरित कर दिया तथा तहसील स्थानांतरण के दो वर्ष पश्चात् सन 1889 में मुंसिफ शामली के न्यायालय  को भी कैराना में स्थानांतरित कर दिया .ब्रिटिश शासन काल की संयुक्त प्रान्त सरकार द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश [तत्कालीन संयुक्त प्रान्त ]में स्थापित होने वाले चार मुंसिफ न्यायालयों -गाजियाबाद ,नगीना ,देवबंद व् कैराना है.मुंसिफ कैराना के क्षेत्राधिकार  में  पुरानी तहसील कैराना व् तहसील बुढ़ाना का  परगना कांधला सम्मिलित था .मुंसिफी कैराना में मूल रूप से दीवानी मामलों का ही न्यायिक कार्य होता था .विचाराधीन वादों  की संख्या को देखते हुए समय समय पर अस्थायी अतिरिक्त मुंसिफ कैराना के न्यायालय की स्थापना भी हुई ,परन्तु सन 1975 के आसपास माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा कैराना में स्थायी अतिरिक्त मुंसिफ कैराना के न्यायालय की स्थापना की गयी .इस न्यायालय के भवन के लिए 9 मार्च सन 1978 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद के प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री ह्रदयनाथ सेठ द्वारा भवन का शिलान्यास किया गया .बार एसोसिएशन कैराना  की निरंतर मांग के उपरांत दिनांक 6 मई 1991 को कैराना में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय की स्थापना की गयी .तथा बाद में 4 जनवरी 1993 से कैराना में सिविल  जज सीनियर डिविजन का न्यायालय स्थापित हुआ  2 अप्रैल 2011 में यहाँ ए.डी.जे.कोर्ट की स्थापना हुई .''
ऐसे में राजनीतिक फैसले के कारण शामली को भले ही जिले का दर्जा मिल गया हो किन्तु न्यायिक व्यवस्था के सम्बन्ध में अभी शामली बहुत पीछे है .शामली में अभी जिला जज कोर्ट के लिए स्थान चयन के बाद केवल बॉउंड्री की दीवार के लिए पैसे का आवंटन हुआ है और पूरी  सम्भावना है कि कोर्ट भवन के लिए पैसे का आवंटन होने व् कोर्ट भवन बनने में लगभग दस साल लग जायेंगे  जबकि कैराना में  पूर्व अध्यक्ष महोदय के अनुसार तहसील भवन के नए भवन में स्थानांतरित होने के कारण ,जहाँ १८८७ से २०११ तक तहसील कार्य किया गया वह समस्त क्षेत्र इस समय रिक्त है और वहां जनपद न्यायाधीश के न्यायालय के लिए उत्तम भवन का निर्माण हो सकता है .साथ ही कैराना कचहरी में भी ऐसे भवन हैं जहाँ अभी हाल-फ़िलहाल में भी जनपद न्यायाधीश बैठ सकते हैं और इस सम्बन्ध में किसी विशेष आयोजन की आवश्यकता नहीं है.
          फिर कैराना कचहरी शामली मुख्यालय से मात्र १० किलोमीटर दूरी पर है जबकि शामली के अधिवक्ताओं की मेहरबानी से यहाँ के जिला जज की कोर्ट जहाँ चल रही है वह मुज़फ्फरनगर शामली से चालीस किलोमीटर है और जिसके कारण शामली जिले के स्थानीय निवासियों को फैमिली कोर्ट  ,जमानत व् अपील के लिए अपना सारा काम ठप्प कर दूसरे जिले की ठोकरें खानी पड़ रही हैं और यह केवल इसलिए कि शामली के अधिवक्ताओं को मुज़फ्फरनगर के अधिवक्ताओं ने यह बरगला दिया है कि अगर जनपद न्यायाधीश कैराना बैठ गया तो वह शामली कभी नहीं बैठेगा और देखिये कमाल सबको बरगलाने वाले उनके जाल में फंस गए क्या नहीं जानते कि वे इस तरह अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं और पूरा इंतज़ाम कर रहे हैं शामली क्षेत्र को जिला जज की कोर्ट से वंचित रखने का ,जबकि  नियम यह है कि जनपद न्यायाधीश जिले पर ही बैठेगा तो फिर इसमें संशय कैसा ,जब शामली में कोर्ट भवन तैयार हो जायेगा कोर्ट कैराना से शामली स्थानांतरित हो जाएगी और इस तरह कम से कम जिले की संकल्पना तो पूरी होगी ,जनपद न्यायाधीश अपने जिले में तो बैठेगा ,
       और जैसी ख़बरें हैं पुष्ट या अपुष्ट ,शामली के अधिवक्ता समझें न समझें ,सरकार व् हाईकोर्ट यह समझ गयी हैं और जनपद न्यायाधीश कैराना बैठने जा रहे हैं ,
               शालिनी कौशिक 
                    [कौशल ]

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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-03-2017) को "फूल और व्यक्ति" (चर्चा अंक-2906) (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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