शामली अधिवक्ता अनैतिक धरना-प्रदर्शन की राह पर
शामली के अधिवक्ता अनैतिक धरना-प्रदर्शन की राह पर चल पड़े हैं ,जहाँ कैराना में जिला न्यायाधीश की कोर्ट की स्थापना के लिए हाईकोर्ट व् सरकार के कदम बढ़ते हैं तभी शामली के अधिवक्ता अपना काम-काज ठप्प कर धरना प्रदर्शन करने बैठ जाते हैं ,
2011 में प्रदेश सरकार ने शामली को जिला बनाया किन्तु वहां एक तो स्थान का अभाव है दूसरे वहां अभी तक केवल तहसील स्तर तक के ही न्यायालय काम कर रहे हैं ऐसे में वहां जनपद न्यायालय की कोर्ट की स्थापना से पहले की सारी कोर्ट्स की स्थापना ज़रूरी है जिसमे अभी लगभग 8 से 10 साल लगने संभव हैं दूसरी और शामली जिले की ही तहसील कैराना में एडीजे कोर्ट तक के न्यायालय स्थापित हैं और वहां कई ऐसे भवन भी हैं जहाँ जनपद न्यायाधीश आनन्-फानन में बैठ सकते है ,
इतनी अच्छी व्यवस्था अपने जनपद में ही होते हुए भी जब तक शामली जिले का जनपद न्यायाधीश का कार्य मुज़फ्फरनगर से चलता रहता है तब तक शामली के अधिवक्ताओं के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती और जैसे कैराना में जनपद न्यायाधीश के बैठने की बात सामने आती है वे मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं ,केवल इसलिए कि उन्हें मुज़फ्फरनगर के अधिवक्ताओं ने यह बरगलाया हुआ है कि अगर जनपद न्यायाधीश एक बार कैराना बैठ गए तो फिर वे उसे शामली बैठने नहीं देंगे ,
और इसलिए मात्र दस किलोमीटर की दूरी को लेकर वे आये दिन तमाशे करते रहते हैं जबकि शामली के कितने ही अधिवक्ता कैराना ही प्रैक्टिस करते हैं और यह समझने को तैयार नहीं कि कम से कम इस तरह जिले को अपने न्यायाधीश की कोर्ट तो मिलेगी ,
पर वास्तव में समझाया उसे जाता है जो सही राह पर चलते चलते गलती से हो भटक रहा हो उसे नहीं जो शुरू से गलत राह को ही अपनाये हुए हो सात साल इस मायने में बहुत महत्वपूर्ण हैं अगर हमारे स्वतंत्रता सेनानी पूरे देश की आज़ादी न मांगकर टुकड़े टुकड़े की आज़ादी मांगते तो भारत पाकिस्तान की तरह इस देश के और टुकड़े भी होते और आज़ादी भी हमारे लिए आज तक एक सपना ही बन गयी होती वैसे ही जैसे आज तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच का सपना भी ऐसी गलत नीतियों के कारण संभव नहीं हुआ है जैसी गलत नीति पर शामली के अधिवक्ता चल रहे हैं ,वहां आगरा-मेरठ के चयन को लेकर रार पैदा की गयी है यहाँ कैराना-शामली को लेकर फूट डाल दी गयी है जिसे शामली के अधिवक्ता अपनी नासमझी के कारण सफल किये जा रहे हैं ,इसलिए शामली के अधिवक्ताओं से कैराना के अधिवक्ताओं का यही नम्र निवेदन है कि जागो और सही निर्णय करो ,कम से कम जनपद न्यायाधीश को अपने जिले में तो बैठाओ और बाहरी तत्वों के झांसे में न आओ ,
शालिनी कौशिक
[ कौशल ]
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