ए सी जे एम कोर्ट - कैराना की कोर्ट के अधिकारों को लेकर सक्रिय
On 20.09.1991 President of Bar Association Kairana Babu Kaushal Prasad Advocate ji had presented a memorandum on behalf of Bar Association Kairana to the Administrative Judge of High Court Allahabad Hon'ble Justice Shri S.L. Bhatt, On his arrival in Muzaffarnagar, in which Babuji expressed his concern about the Court of Additional Chief Judicial Magistrate, Kairana, established from May 15, 1991 in Kairana, that said court not getting the same powers as the court , also said that-
1- The remand of trial cases by the Sessions Court is in Muzaffarnagar, which should now be in Kairana and four police stations of Munsfi Kairana area Tehsil Kairana and Pargana Kandla Tehsil Budhana, Thana Bhawan, Babri, Fugana and Bhourakala are not affiliated to the court of Munsfi Magistrate Kairana till now. The work of planning and hearing the cases of these police stations should be done as it comes under the policy of decentralization of the government.
2- Munsif courts have the jurisdiction to hear cases up to Rs 25,000, so the cases of Kairana area which are pending in the courts of various civil judges of Muzaffarnagar, those cases should now be heard in the court of Kairana.
3- It is necessary to transfer the cases from the civil judge Muzaffarnagar to the court of ACJM Kairana.
दिनाँक 20.09.1991 को अध्यक्ष बार एसोसिएशन कैराना बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी ने प्रशासकीय न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद माननीय न्यायमूर्ति श्री एस. एल. भट्ट जी के मुजफ्फरनगर आगमन पर बार संघ कैराना की ओर से उनकी सेवा में एक ज्ञापन प्रस्तुत किया जिसमें बाबूजी ने कैराना कचहरी में 15 मई सन 1991 से स्थापित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कैराना के न्यायालय को न्यायालय के समान शक्तियां प्राप्त न होने के सम्बन्ध में चिंता व्यक्त की, साथ ही यह भी कहा कि
1- सत्र न्यायालय द्वारा परीक्षण वादों का रिमांड मुजफ्फरनगर में होता है, जो अब कैराना में होना चाहिए तथा मुंसफी कैराना क्षेत्र तहसील कैराना व परगना कांधला तहसील बुढ़ाना के चार पुलिस स्टेशन थाना भवन, बाबरी, फुगाना व भौंराकला अभी तक मुंसफी मजिस्ट्रेट कैराना के न्यायालय में संबद्ध नहीं किए गए हैं, इन पुलिस स्टेशनों के मुकदमों के योजन व सुनवाई का कार्य कैराना होना चाहिए क्योंकि यह शासन की विकेन्द्रीकरण की नीति के अंतर्गत आता है.
2- 25,000 रुपये तक के वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार मुंसिफ न्यायालयों को हो गया है इसलिये कैराना क्षेत्र के मुकदमे जो मुजफ्फरनगर के विभिन्न सिविल जज के न्यायालयों में विचाराधीन हैं उन मुकदमों की सुनवाई अब कैराना के न्यायालय में होनी चाहिए.
3- ए सी जे एम कैराना के न्यायालय में सिविल जज मुजफ्फरनगर से मुकदमों का हस्तांतरित होना आवश्यक है.
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