तुम राम बनके दिल यूँ ही दुखाते रहोगे .
अवसर दिया श्रीराम ने पुरुषों को हर कदम , अग्नि-परीक्षा नारी की तुम लेते रहोगे , करती रहेगी सीता सदा मर्यादा का पालन पर ठेकेदार मर्यादा के यहाँ तुम ही रहोगे . .......................................................... इक रात भी नारी अगर घर से रही बाहर घर से निकाल तुम उसे बाहर ही करोगे , पर लौटके तुम आ रहे दस साल में भी गर पवित्रता की मूर्ति बन सजते रहोगे . ................................................... इज़्ज़त के नाम पे यहां नारी की खिंचाई इज़्ज़त के वास्ते उसे तुम क़त्ल करोगे , हमको खबर है बहक कलियुगी सूर्पणखा से सबकी नज़र में इज़्ज़तदार बने रहोगे . ....................................................... कुदरत ने दिया नारी को माँ बनने का जो वर उसको कलंक तुम ही बनाते रहोगे , नारी की लेके कदम-कदम अग्नि-परीक्षा तुम राम बनके दिल यूँ ही दुखाते रहोगे . ........................................................... शालिनी कौशिक [कौशल ]