#क्या वाकई निर्भया?

जो दिखाई देता है, हम सभी जानते हैं कि वह हमेशा सत्य नहीं होता है किन्तु फिर भी हम कुछ ऐसी मिट्टी के बने हुए हैं  कि तथ्यों की जांच परख किए बगैर दिखाए जा रहे परिदृश्य पर ही यकीन करते हैं और इसका फायदा भले ही कोई भी उठाता हो लेकिन हम अपनी भावुकतावश नुकसान में ही रहते हैं. 
अभी दो दिन पहले ही तेलंगाना में एक पशु चिकित्सक डॉ प्रियंका रेड्डी की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी और हत्या भी ऐसे कि लाश को इस बुरी तरह जला दिया गया कि उसकी पहचान का आधार बना एक अधजला स्कार्फ और गले में पड़ा हुआ गोल्ड पैंडैंट और मच गया चारों ओर कोहराम महिला के साथ निर्दयता का, सोशल मीडिया पर भरमार छा गई #kabtaknirbhaya की, सही भी है नारी क्या यही सब कुछ सहने को बनी हुई है, क्या वास्तव में उसका इस दुनिया में कुछ भी करना इतना मुश्किल है कि वह अगर घर से बाहर कहीं किसी मुश्किल में पड़ गई तो अपनी इज्ज़त, जिंदगी सब गंवाकर ही रहेगी, आज की परिस्थितियों में तो यही कहा जा सकता है किन्तु अगर बाद में सच कुछ और निकलता है तब हम सोशल मीडिया पर क्या लिखेंगे? सोचिए.
          स्टार भारत पर प्रसारित किए जा रहे सावधान इंडिया में दिखाए गए एक सच ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया और उनकी दिखाई गई एक सत्य घटना के बारे में सर्च की और थोड़ी मशक्कत के बाद मुझे वह घटना इस तरह प्राप्त भी हो गई, जिसे आप सब भी पढ़ सकते हैं -
कक्षा आठ की छात्रा आरती हाथरस के मुरसान थाना क्षेत्र के गांव करील में पिछले छह साल से अपने मामा भूरा के घर रह रही थी। गांव वालों ने बताया कि भूरा के घर से धुंआ उठने पर जब वे घर के अंदर गए तो उन्हें आरती जली मिली। थोड़ी देर तक तो वे समझे कि ये बहू ममता है, लेकिन बाद में उसकी पहचान आरती के रूप में हुई। दरअसल ग्रामीणों को आरती की पहचान में इसलिए गफलत हुई क्योंकि उसके हाथ में चूड़ियां और पांव में बिछुआ थे। ममता ने आरती को क्यों मारा, इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। वारदात के समय मामी और भांजी ही घर पर थे।
ऐसे ही थोड़ा अवलोकन अब इस मामले का करते हैं, ध्यान दीजिये - 
डॉक्टर को हैदराबाद-बेंगलुरु हाईवे पर स्थित जिस टोल प्लाजा पर आखिरी बार देखा था, वहां से करीब 30 किमी दूर एक किसान ने गुरुवार सुबह उसका जला हुआ शव देखा। उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर के परिवार के लोगों को घटनास्थल पर बुलाया। अधजले स्कार्फ और गले पड़े गोल्ड पेंडेंट से डॉक्टर के शव की पहचान हुई। पुलिस को आसपास से शराब की बोतलें भी मिलीं। 
        जैसे कि उपरोक्त पहले मामले में मृतका की पहचान चूड़ी और बिछुवे से कर आरती को ममता मान लिया गया था क्या ऐसे ही इस मामले में नहीं हो सकता है ? क्या यह प्रश्न विचारणीय नहीं है कि जिस आग ने शरीर की यह दशा कर दी वह स्कार्फ को अधजला छोड़ देती है ? सब ये कह रहे हैं कि यह शव डॉ प्रियंका रेड्डी का है क्योंकि स्कार्फ व गोल्ड पैंडैंट उसी के थे किंतु जब ममता अपनी चूडिय़ां व बिछुवे आरती को पहना कर गांव के लोगों के मन में यह बिठा सकती है कि वह शव आरती का है तो क्या अन्य कोई किसी और के शव को डॉ प्रियंका रेड्डी का शव मानने को विवश नहीं कर सकता है.
      घटनाक्रम के अनुसार आरोपियों का कहना है कि उसे दुष्कर्म के दौरान ही चीखने से मुँह दबाकर मों आरिफ द्वारा रोका गया था जिसमें दम घुटने से वह मर गई थी ऐसे में उसके द्वारा आरोपियों को पहचानने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था और आमतौर पर आरोपियों द्वारा पीड़ित को तभी मारा जाता है जब वह उन्हें पहचान सकती हो और इसी क्रम में बहुत सी बार मारने का एक तरीका उसे जलाने के रूप में अपना लिया जाता है लेकिन यहां तो वह पहले ही मर चुकी थी और यह आरोपियों की जानकारी में था फिर उनके द्वारा उसकी लाश को ट्रक में ले जाया जाना, फिर पेट्रोल पम्प से पेट्रोल ख़रीदना और लाश को जलाकर फैंकना, ये सब बेवजह के खतरे मोल लेना ही कहा जाएगा, जो शायद कोई भी अपराधी नहीं करेगा.
ऐसे में, पूरी तरह से यह विश्वास कर हंगामा किया जाना कि वह लाश डॉ प्रियंका रेड्डी की है, सही प्रतीत नहीं होता. इसके लिए पहले जरूरी यह है कि उस लाश का डी एन ए टेस्ट हो और उसके बाद यदि यह साबित हो कि वह डॉ प्रियंका रेड्डी का शव है तब उसके लिए न्याय की मांग की जाए और इससे विपरीत परिस्थितियों में डॉ प्रियंका रेड्डी की ही तलाश की जाए.
शालिनी कौशिक एडवोकेट 
(कौशल)

टिप्पणियाँ

Anita Laguri "Anu" ने कहा…
.. जी बात तो आपने बहुत सही कही है बहुत बारीकी से देखा जाए तो यह सारी बातें जैसा हम सब समझ रहे हैं हो सकता है गलत भी निकले.. अगर वह जीवित है तो यह बहुत अच्छी बात है परंतु अगर जीवित है तो उसने ऐसा क्यों किया यह सब चीजें सामने आनी चाहिए खैर आपने एक बहुत ही संवेदनशील मामले में अपनी बात रखी है पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूं लेकिन बहुत प्रभावित होकर के जा रही हूं बहुत-बहुत धन्यवाद आपको
Shalini kaushik ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद अनु जी.

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