प्रोटेम स्पीकर चयन - विवेकाधिकार का इस्तेमाल होना चाहिए था.
देश में 18 वीं लोकसभा गठित होने जा रही है. भारतीय परंपरा के अनुसार जब भी कोई नई लोकसभा गठित होती है तो संसद के निचले सदन अर्थात लोकसभा में सबसे लम्बा समय गुजारने वाले सदस्य या निर्वाचित सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते रहे हैं, प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाते है। नए सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सरकार दो-तीन नामों की सिफारिश करती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। इस प्राचीन परंपरा के अनुसार कांग्रेस के आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश को 18 वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर चुना जाना चाहिए था. किन्तु कटक से भाजपा सांसद भतृहरि महताब जो कि कॉंग्रेस पार्टी के सांसद के. सुरेश से 1 बार कम 7 बार के सांसद हैं इसलिए ...