परीक्षाओं की धांधली से डूबता युवाओं का भविष्य
परीक्षाओं में धांधली इस समय चरम पर है. वैसे ऐसा कभी नहीं रहा है जब परीक्षाओं में और उनके परिणामों में धांधली न की गई हो. बस इतना है कि कॉंग्रेस पार्टी द्वारा आरटीआई कानून लाने के बाद से परीक्षार्थियों को इन धांधलियों को खोलने का एक हथियार हाथ लग गया. आजकल के समाचारों में पी सी एस(जे) मुख्य परीक्षा 2022 और NEET परिक्षा मे हुई धांधली को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
NEET और पी सी एस (जे) जैसी परीक्षाओं में लाखों बच्चे मेहनत से तैयारी करते हैं और अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण घण्टे इस तैयारी में लगाते हैं। पूरा परिवार अपने बच्चे के इस प्रयास में अपनी श्रद्धा और शक्ति डालता है। लेकिन साल दर साल इन परीक्षाओं में पेपर लीक, रिजल्ट से जुड़ी गड़बड़ियाँ सामने आ रही है।
NEET परीक्षा का परिणाम 4 जून को घोषित किया जाता है. लखनऊ की आयुषी पटेल का रिजल्ट नेट पर नहीं दिखाई देता है बाद में उसके मोबाइल पर मैसेज आता है कि आपका रिजल्ट जेनेरेट नहीं किया जा सकता है क्योंकि आपकी ओ एम आर शीट फटी हुई है. अब क्या करे आयुषी पटेल, सिवाय कोर्ट की शरण में जाने के.
पी सी एस (जे) मुख्य परीक्षा 2022 में शामिल श्रवण पांडे भी जब अपने रिजल्ट मे अँग्रेजी के पेपर में 200 मे से 47 अंक पाते हैं तो कोर्ट की शरण में जाते हैं और उनकी याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके 6 प्रश्न पत्रों की कॉपियां कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का आयोग को निर्देश दिया गया. आरटीआई के अंतर्गत अपनी कॉपी कोर्ट में मंगाने पर श्रवण पांडे पाते हैं कि जो कॉपी उनकी कही जा रही है उसमें हैंड राइटिंग बदली हुई है, श्रवण पांडे को अपनी एक अन्य उत्तर पुस्तिका के कई पृष्ठ फटे हुए दिखाई देते हैं.
पी सी एस (जे) परीक्षा में हुई इस धांधली पर कार्यवाही करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर अब आयोग पी सी एस(जे) परीक्षा की सभी 18042 कॉपियों की फिर से जांच करेगा.
NEET परीक्षा में हुई धांधली को लेकर भी जांच कराए जाने की बड़े पैमाने पर मांग की जा रही है और जहां तक कोर्ट की शरण में अभ्यर्थियों के जाने की बात है कोर्ट निश्चित रूप से इसमे भी जांच किए जाने के आदेश अवश्य जारी करेगा.
किन्तु सवाल ये उठता है कि इस तरह की धांधली हमारे युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रही है. केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को इसका फायदा मिल जाता है जो कोर्ट के समीप हैं या जिनके माता पिता थोड़ी हिम्मत कर कोर्ट का सहारा ले लेते हैं. स्वयं आयुषी पटेल के अनुसार उसकी मम्मी ने हिम्मत दिखाई और उसे डिप्रेशन में जाने से बचाया और उसके मामा के एडवोकेट होने के कारण वे कोर्ट की शरण में गए और उस माध्यम से एन टी ए ने उसे उसकी फटी हुई ओ एम आर शीट की फोटो उसके मोबाइल पर भेजी. 2004 की पी सी एस (जे) परीक्षा में भी धांधली की बड़ी खबरें आई किन्तु दब कर रह गई क्योंकि कोर्ट की शरण में जाना हर अभ्यर्थी के बस से बाहर की बात है और केवल तभी नहीं, लगभग हर परीक्षा में धांधली की खबरें आती हैं जो पिछले समय में संचार माध्यमों की कमी के कारण फैलने से रोक दी गई, आर टी आई जैसे कानून के अभाव में, उसकी जानकारी के अभाव में बहुत सी धांधली को सफलता का जामा पहना गई, किन्तु आज रोज रोज परीक्षाओं की धांधली की खबरों का फैलना हमारे युवाओं में असंतोष पैदा कर रही हैं और वह कोर्ट की शरण में जाने से भी हिचकिचा नहीं रहा है क्योंकि उसे यह लग गया है कि अंततः न्याय कोर्ट से ही मिलेगा.
परीक्षा में पेपर लीक, रिजल्ट में कॉपी में धांधली से सही अपेक्षित परिणाम न मिलना युवाओ का भविष्य तो अधर में डाल ही रहा है साथ ही, उनके परिजनों के हृदय में अपने बच्चों के भविष्य और जीवन के महत्वपूर्ण समय की बर्बादी की चिंता पैदा कर रहा है और यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या वास्तव में, हमारे पढ़े लिखे बच्चों को पकौड़े तलने के लिए ही विवश होना पड़ेगा.
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना(शामली)
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