बहन की असलियत
''भैय्या ''भाभी का सुना ,बड़ा दुःख हुआ ,आप और दोनों बेटियां तो अब बिल्कुल अकेले ही रह गए और देखो कितने दुःख की बात है ये और मैं आ भी नहीं सकते बहुत बीमार हैं ना और इतनी उम्र में इतनी दूर आना जाना संभव भी तो नहीं है . कोई बात नहीं तुम्हारे आने से हो भी क्या जायेगा ,जो होना था सो हो गया अपना और प्रमोद जी का ध्यान रखो ,पत्नी की मृत्यु पर भाई को लखनऊ बैठी बहन उत्तरा के सांत्वना देने पर मुजफ्फरनगर बैठे भाई कुमार ने समझाते हुए कहा .
दो महीने बाद ............
''भैय्या''आप यहाँ नहीं आ रहे ?छोटे की बेटी की शादी है ,मैं और ये तो यहाँ आये हुए हैं और आपके पास भी आना चाहते हैं .आप घर पर ही मिलोगे न ?
अरे नहीं उत्तरा ,कोई ज़रुरत नहीं है .....सड़के बहुत ख़राब हैं ,बेकार में तुझे और प्रमोद जी को बहुत तकलीफ होगी और मैंने पहले ही कह दिया था ,जो होना था सो हो गया ,अब ये सब बेकार की बाते हैं .तुझे कोई ज़रुरत नहीं यहाँ आने की .तू आराम से मेरठ में गीता की शादी में शामिल हो ,''मौज कर ''दिखावटी अपनापन दिखाने वाली बहन को फिर टालते हुए कुमार जी ने कहा .
और उधर .....चलो भाई अब हमें कोई कुछ नहीं कह सकता ,आखिर हम तो आना चाहते थे ,भैया ने ही मना कर दिया ,उत्तरा सुस्ताते हुए बोली ......पर दीदी आपको नहीं लगा ,हमें तो लग गया कि जेठ जी आपकी असलियत को पहचान गए ,मुस्कुराती उत्तरा पर छोटे की बहु अमला की इस बात से घड़ों पानी गिर गया और छोटे की बहु ......चुटकी लेते हुए नहाने चल दी .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
सम्बन्धों पर चढ़ चुके, मोटी चमड़ी,गोश्त |
मोटी चमड़ी,गोश्त, भाँजना झूठ बोलना |
गायब मासूमियत, राज ले, पोल खोलना |
घर घर की लघु कथा, बड़ा दम दिखे बात में |
अपनी चिंता छोड़, लीन जग खुराफात में ||
शालिनी जी संबंधों की आंच अब बुझ चुकी है इन्हें निभाना अब एक सुविधा है मजबूरी नहीं। ॐ शान्ति। बढ़िया प्रस्तुति।