राष्ट्रीय पुरस्कार :ड्रेस कोड बनाना ही होगा .

शालीनता भारतीय नारी का सर्वश्रेष्ठ आभूषण रहा है और आजतक भारतीय नारी इस आभूषण को अपने वस्त्रों के चयन के माध्यम द्वारा पूरी दुनिया के समक्ष रख एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत  करती  रही है .देश के बहुत से समारोहों में इस परंपरा का पालन किया जाता रहा है विशेषकर राष्ट्रपति जी द्वारा प्रदत्त पुरस्कारों के अवसर पर .भले ही राष्ट्रपति स्वयं महिला हों वे भी इसी परंपरा को निभाने में ही स्वयं को गौरवान्वित महसूस करती रही हैं -
Image result for president award function pictures

भले ही खेल के मैदान में स्कर्ट पहनने के कारण विवादों से घिरी रही हो लेकिन राष्ट्रपति जी से पुरस्कार लेते समय अपने देश की परंपरा निभाना नहीं  भूलती
Image result for president award function pictures

खिलाडी वर्ग खेल के वक़्त बहुत सी ऐसी वेशभूषा धारण करती हैं जो हमारे देश की संस्कृति के अनुरूप नहीं हैं किन्तु वे वेशभूषाएं खेल के लिए ज़रूरी है तब भी वे पुरस्कार लेते वक़्त एक शालीन वेशभूषा में राष्ट्रपति जी से पुरस्कार लेने के लिए उपस्थित होती हैं -
Image result for president award function pictures

ऐसे ही फिल्मों में दृश्य की मांग पर अभिनेत्रियों को बहुत कुछ ऐसा पहनने की छूट मिली हुई है जो भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है लेकिन वहां ये छूट उन्हें देनी पड़ती है किन्तु धीरे धीरे इस छूट का वे नाजायज फायदा उठाने में लगी हैं पहले जहाँ अभिनेत्रियां राष्ट्रीय पुरस्कार में शालीनता से उपस्थित होती थी -
Image result for president award function pictures

उसे अब पुरस्कार लेने आने वाली अभिनेत्री कंगना द्वारा पूरी तरह से तोड़ दिया गया -
Image result for president award function picturesImage result for president award function pictures

जिसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि आगे ऐसी धृष्टता न हो इसके लिए इस सम्बन्ध में ड्रेस कोड बनाना आवश्यक होना चाहिए .वर्ना एक पुराना फ़िल्मी गाना यहाँ तो पूरी तरह से फिट बैठ ही जायेगा और भारतीय संस्कृति का पूरी तरह से हो जायेगा बेडा गर्क -
''पहले तो था चोला बुरका ,
फिर कट-कटकर वो हुआ कुर्ता ,
चोले की अब चोली है हुई ,
चोली के आगे क्या होगा ?

ये प्रश्न तो हम सबको अब विचारना ही होगा .

शालिनी कौशिक 
        [कौशल ]

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-05-2016) को "किसान देश का वास्तविक मालिक है" (चर्चा अंक-2338) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Anita ने कहा…
विचारणीय पोस्ट
Unknown ने कहा…
शालिनी जी आप की ये सोच बहुत ही सराहनीय है क्योकि स्त्रियों के पहनावे ही हमारी संस्कृति को प्रदर्शित करती है लेकिन आज के दौर में वेस्टर्न कल्चर हमारी संस्कृति में सम्म्लित होता जा रहा है इसलिए ड्रेस कोड जरुरी है आप इसी तरह के सुझाव शब्दनगरी पर भी प्रकाशित कर सकती हैं। .....

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी माँ - मेरा सर्वस्व

बेटी का जीवन बचाने में सरकार और कानून दोनों असफल

बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना