”ये भी मुमकिन है वक़्त ले करवट …..”

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''बस तबाही के ही आसार नज़र आते हैं ,
लोग जालिम के ही तरफदार नज़र आते हैं ,
ज़ुल्म भी हम पे ही होता है ज़माने में सदा
और फिर हम ही गुनाहगार नज़र आते हैं .''
डॉ. तनवीर गौहर की ये पंक्तियाँ आज अगर हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा की गयी नोटबंदी से उपजे हालात पर गौर करें तो गुनाहगारों की भीड़ में निर्दोष आम जनता पर ही खरी उतरती हुई पाते हैं .कालाधन ख़त्म करने के मुद्दे को जोर-शोर से उठा सत्ता में आये मोदी जी ने ८ नवम्बर की रात से ५००-१००० के नोट बंद कर दिए और स्वयं के इस कदम को दुस्साहसिक कदम की श्रेणी में लिखा दिया और अपने समर्थकों को अपनी तारीफ के लिए कुछ और शब्दों का जाल दे दिया लेकिन अपने इस कदम से जिस आम जनता का उन्होंने जीना-मरना-खाना-पीना मुहाल कर दिया उसके लिए सिवाय ५० दिन मांग आंसू बहाने के स्थान पर सहयोग का ,सांत्वना का कोई कदम नहीं उठाया और वह बेचारी आम जनता जो भले ही कोई सरकार आ जाये दुखों का बोझ कंधें पर उठाकर फिरने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती, अब भी वही कर रही है. लगभग महीना भर बीतने के बावजूद बैंकों की कतार में खड़ी है और रोज़ी रोटी को तरसती ये जनता ,भूखी प्यासी मरती ये जनता बैंकों में अपना ही पैसा होने के बावजूद अपने ही ऐसे साथियों द्वारा जो मोदी के अंध-समर्थक हैं चोर व् नाटकबाज कही जा रही हैं .मोदी के ये समर्थक इस हद तक मोदी के हाथों की कठपुतली हैं कि अपने रोजमर्रा के कामकाज बगैर पैसों के होने पर मोदी के इस कदम के खिलाफ ऊँगली उठाने वालों को ललकारते हुए कहते हैं कि '' तुम्हें कोई दिक्कत हुई ?'' वे इस बात को बिलकुल नज़रअंदाज़ कर रहे हैं कि ये स्थिति हर किसी के साथ नहीं है ,हर आदमी क्रेडिट नहीं रखता ,हर आदमी को सामान मुफ्त में नहीं मिलता और यदि ये कहें कि वे दिमाग से खुद को पैदल दिखा रहे हैं तो ऐसा भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि जैसे ही उनसे कहा जाता है कि नोटबंदी से पहले बैंकों में बदलने की व्यवस्था पूरी कर देनी चाहिए थी तो ये अंध समर्थक तपाक से कहते हैं-''वाह जी ऐसे तो सारी बात पहले ही लीक हो जाती और कालाधन कैसे बाहर आता ?''
हिन्दू समाज में देवोत्थान एकादशी से आरम्भ विवाह का मौसम मोदी के इस कदम के कारण मृत्युकाल में परिवर्तित हो गया है ,पैसे न मिलने के कारण कहीं बाप मर रहा है तो कहीं ब्याहने जा रही कन्या ही अपने परिजनों पर पड़ी विपत्ति को देख छत से कूदकर आत्महत्या कर रही है और मोदी समर्थक इसे मीडिया की कोरी अफवाह बता रहे हैं .वही मीडिया जिसे अबसे कुछ ही समय पूर्व ''मोदी महिमा मंडन'' के कारण सिर आँखों पर बैठाया जा रहा था आज वही मीडिया पैरों तले कुचली जाने को विवश है क्योंकि वह आम जनता का दर्द सबके सामने ला रही है .
यही नहीं नोटबंदी इफेक्ट जो इस वक़्त सामने आ रहे हैं उनसे पूरी तरह बर्बादी की तस्वीर हमें दिखाई दे रही है .आलू बीज बाजार में मंदी,बीस लाख बोरी से अधिक आलू बीज फैंकने की नौबत से किसान मुश्किल में ,ढाबों की आमदनी घटी,करोड़ों के चेक डंप होने से ग्राहकों की परेशानी आदि बहुत सी ऐसी परेशानियां हैं जिन्हें मोदी जी की तानाशाही के रूप में आम जनता को भुगतना पड़ रहा है  और मोदी जी को ये सारी जनता बेईमान ही नज़र आ रही है  क्योंकि उनके अनुसार उनके इस कदम से केवल बेईमान ही परेशान हैं तो इसका साफ साफ़  मतलब सारी जनता अगर परेशान है तो सारी जनता ही बेईमान सिर्फ  मोदी के अंधभक्तों को छोड़कर क्योंकि उनका काम बगैर पैसे के हो रहा है और जो मोदी जी के कैशलैस सोसायटी का सपना देखने से पहले ही उसे अमल में ला रहे  है .
मोदी जी का ये कदम आम जनता को भले ही रोज़ी-रोटी के बारे में सोचने को विवश कर दे पर इनके समर्थकों व् पार्टी के लिए संजीवनी के समान समझा जा रहा है .नोटबंदी के बाद से चुनावों में मिली सफलता उन्हें उत्तर-प्रदेश को अपने कब्जे में लेने के सपने सजाने को तैयार कर रही है उसी यूपी की जनता जिसे उन्होंने रात-दिन बैंकों की लाइन में खड़े रहने को विवश कर दिया ,काले धन की सबसे बड़ी कब्जेदार मानी जाने वाली उसी यूपी की जनता को पहले राम मंदिर बनाने के नाम पर और अब नोटबंदी से भ्रष्टाचार के खिलाफ अचूक हथियार के नाम पर फुसलाया जा रहा है ,ठगा जा रहा है और नहीं देखा जा रहा है आम जनता की परेशानी को ,दिक्कत को .अपने स्वार्थ हित की पूर्ति के लिए मजबूर जनता को बैंकों के आगे कतार में खड़ा कर दिया गया जो  नोट बदलने का नंबर आ जाये इस इंतज़ार में रात के २-३ बजे से ही लिहाफ लेकर बैंक के आगे लाइन में सो रही है और सुबह से भूखे पेट खड़े रहकर भी खाली हाथ घर लौट रही है और कहीं कहीं लाइन में खड़ा आदमी आता जिन्दा है और जाता लाश बनकर है .और बैंक सरकार के पास जनता की मांग के अनुरूप नोट न होने पर मजबूरीवश जनता का आक्रोश झेल रहे हैं और निरंतर खौफ में जी रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि जितनी संख्या में जनता यहाँ उपस्थित है उतनी संख्या में सुरक्षा बल उन्हें प्राप्त नहीं है और अगर सुरक्षा बल यहाँ लगा दिया जाये तो देश की उन सीमाओं का क्या होगा जहाँ देश के दुश्मन निरंतर घात लगाए बैठे हैं और हमले भी कर रहे हैं .
राम मंदिर के नाम पर यूपी की जनता को पहले ही छला जा चुका  है और आजतक भी उस राम मंदिर की नींव की खुदाई तक का काम शुरू नहीं हो पाया है जिसके लिए भाजपा ने खुद की खाल बचाते हुए उत्तर प्रदेश की जनता को बलिदान देने तक को विवश कर दिया और अब नोटबंदी ,बेनामी संव्यवहार ,सोने पर नियंत्रण द्वारा भ्रष्टाचार की नकेल कसने का बहाना कर जिस तरह मोदी-शाह और इनकी भाजपा ने इस देश के रहनुमा बनने का ढोंग किया है वह कितना सफल रहेगा ये तो आने वाला वक़्त बताएगा ,हमारा मन तो मात्र इतना ही कह सकता है -
''आज माना कि इक्तदार में हो .
हुक्मरानी के तुम खुमार में हो ,
ये भी मुमकिन है वक़्त ले करवट
पांव ऊपर हों सिर तगार में हो .''

शालिनी कौशिक
[कौशल ]

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-12-2016) को "ये भी मुमकिन है वक़्त करवट बदले" (चर्चा अंक-2546) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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