भारत की शेरनी प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी - कोटि कोटि नमन 💐

 


अदा रखती थी मुख्तलिफ ,इरादे नेक रखती थी ,
वतन की खातिर मिटने को सदा तैयार रहती थी .
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मोम की गुड़िया की जैसी ,वे नेता वानर दल की थी ,,
मुल्क पर कुर्बां होने का वो जज़बा दिल में रखती थी .
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पाक की खातिर नामर्दी झेली जो हिन्द ने अपने ,
वे उसका बदला लेने को मर्द बन जाया करती थी .
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मदद से सेना की जिसने कराये पाक के टुकड़े ,
शेरनी ऐसी वे नारी यहाँ कहलाया करती थी .
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बना है पञ्च-अग्नि आज छुपी है पीछे जो ताकत ,
उसी से चीन की रूहें तभी से कांपा करती थी .
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जहाँ दोयम दर्जा नारी निकल न सकती घूंघट से ,
वहीँ पर ये आगे बढ़कर हुकुम मनवाया करती थी .
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कान जो सुन न सकते थे औरतों के मुहं से कुछ बोल ,
वो इनके भाषण सुनने को दौड़कर आया करती थी .
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न चाहती थी जो बेटी का कभी भी जन्म घर में हो ,
मिले ऐसी बेटी उनको वो रब से माँगा करती थी .
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जन्मदिन ये मुबारक हो उसी इंदिरा की जनता को ,
जिसे वे जान से ज्यादा हमेशा चाहा करती थी .

शालिनी कौशिक
[एडवोकेट ]
कैराना (शामली) 

टिप्पणियाँ

Onkar ने कहा…
सुंदर सृजन
रेणु ने कहा…
क्या बात है प्रिय शालिनी जी।लौह नारी इन्दिरा को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दुर्गा कहकर पुकारा था।विरोधी भी जिनके अदम्य साहस और कार्य कौशल को देख सराहे बिना नहीं रह सकते थे उन्हीं इन्दिरा जी की पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏🙏🙏🙏
Meena sharma ने कहा…
इंदिरा गांधी ने सचमुच भारतीय नारी के लिए सोच और क्षमता के नए द्वार खोल दिए। आपकी रचना बहुत अच्छी व सटीक है।
Shalini kaushik ने कहा…
ओंकार जी, रेणु जी और मीना शर्मा जी सुन्दर शब्दों में सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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