योगी सरकार का आदेश सर्वजन हितकारी
कांवड़ यात्रा 2024 को सुविधाजनक और सद्भावना पूर्ण बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा एक अति महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. योगी सरकार ने कहा है -"कि यात्रा मार्ग पर दुकानों के संचालक या मालिक को अपनी पहचान लिखनी होगी."
योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने कहा है कि ये फैसला कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए लिया गया है. ये आदेश पूरे उत्तर प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है .
उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश में कहा है-" कि दुकानें हों या ठेले, सभी पर अपना नाम लिखें, जिससे कांवड़ यात्री ये जान सकें कि वो किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं.".
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा है कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर नेम प्लेट लगानी होगी. साथ ही दुकानों पर मालिक का नाम लिखना होगा. आदेश के अनुसार, हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी.
उत्तर प्रदेश हो या पूरा भारत, यहां राजनीति का आरंभ बहुत ही जल्दी हो जाता है. मौजूदा सरकार ने कोई आदेश दिया नहीं कि तुरंत विपक्ष के नेता उस आदेश को सद्भाव विरोधी, ज़न विरोधी की संज्ञा देने लगते हैं. अभी हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में संविधान की रक्षा के लिए विपक्ष ने बहुत नारे लगाए, सरकार की मंशा पर बहुत से दोषारोपण किए, फिर अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संविधान के आदर्श का अनुसरण करते हुए दुकानों पर दुकान मालिकों के नाम लिखे जाने के आदेश पर क्यूँ सियासी तकरार की जा रही है?
भारतीय संविधान का भाग 4 राज्य के नीति निर्देशक तत्वों से संबंधित है. जिसमें अनुच्छेद 37 में कहा गया है - "कि इस भाग में अंतर्विष्ट उपबन्ध किसी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे किन्तु फिर भी इनमें अधिकथित तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इन तत्वों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा.".
और इसी भाग 4 के अनुच्छेद 38 (1) जिसे 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम की धारा अनुच्छेद 38(1) के रूप में पुनः संख्याकित किया गया और 20 जून 1979 से प्रभावी कर देश में राज्य सरकारों द्वारा नीति निर्माण में सम्मिलित करने हेतु आवश्यक बनाया गया, में कहा गया है - "कि राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था को, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं को अनुप्रमाणित करे, भरसक प्रभावी रूप में स्थापना और संरक्षण करके लोक कल्याण की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा."
अब राजनीति से परे होकर अगर हम देखते हैं तो हिन्दू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. कांवड़ यात्रा का उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति और आराधना करना और उनकी कृपा प्राप्त करना होता है.कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर एक लम्बे सड़क मार्ग से पैदल चलकर शिव मंदिर में पहुंचते हैं और वहां महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पवित्र शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करते हैं किन्तु रुद्राभिषेक से पूर्व और हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर चलने की जो कठिन, पैदल यात्रा की जो प्रक्रिया है, उसे लेकर कांवड़ के कई नियम होते हैं, जिनका सख्ती से पालन करना धार्मिक विश्वास और आस्था से जुड़ा होने के कारण बहुत जरूरी है और जिसमें जरा सी भी चूक न केवल कांवडियों की कांवड़ के लिए बल्कि पूरे ज़न समुदाय के लिए खतरनाक साबित हो सकती है और ऐसा पिछले कुछ सालों में सामने आता भी रहा है और ऐसे में भोलों के अर्थात कांवडियों के क्रोध पर काबू पाना समस्त पुलिस प्रशासन के बूते से बाहर की बात होती है और यही स्थिति अराजक तत्वों के लिए सोने पर सुहागा का कार्य करती है जिससे उन्हें आग में घी डालकर अपनी रोटी सेंकने का सुनहरा अवसर हाथ लग जाता है और फिर से प्रदेश में व्यवस्था बनाने में आम आदमी, सरकार और प्रशासन में कितनों को शहादत देनी पड़ती है और कितनों को जेल के सींखचों के भीतर करना होता है.
ऐसे में, पुराने अनुभवों से सीखते हुए वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जो दुकानों पर मालिकों के नाम लिखे जाने का और कांवड़ मार्ग पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया गया है यह सर्वजन हिताय ही कहा जाएगा. इस आदेश में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कांवडियों को निश्चित धर्मावलंबियों की दुकान से ही सामान खरीदना है. भारतीय परंपरा और संस्कृति सर्व धर्म समभाव की रही है और वही रहेगी. कल के भारत में हिंदू-मुस्लिम भाई भाई थे, आज भी भारत में हिंदू मुस्लिम भाई भाई हैं और आगे भी रहेंगे. ऐसे किसी आदेश से उनका सद्भाव टूटने वाला नहीं है और न ही टूटेगा. भारतीय परंपरा और भारतीय संस्कृति के लिए कहा भी गया है -
"हजार बर्फ गिरें, लाख आंधियां उठें,
वो फूल खिलकर रहेंगे जो खिलने वाले हैं.
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
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