जानते भी हो दिल क्या होता है-----शाहिद
सैफ़ी सिरोजी की एक ग़ज़ल की पंक्तियाँ कहती हैं-
"उम्र भर करता रहा हर शख्स पर मैं तबसरे,
झांक कर अपने गिरेबाँ में कभी देखा नहीं."
मुझे इस वक़्त ये पंक्तियाँ पूर्ण रूप से पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान ''शाहिद आफरीदी ''पर अक्षरश : खरी उतरती प्रतीत हो रही हैं क्योंकि एक ऐसे देश के नागरिक होते हुए ,जिसने कई बार एक ऐसे देश पर आक्रमण किये जिसने हमेशा उसे छोटे भाई का दर्जा दिया और उसकी गुस्ताखियों को नजरंदाज करते हुए उसे सुधरने का अवसर दिया है,वे तंग दिल का ठीकरा उसी बड़े दिल वाले भारत पर ठोक रहे हैं दिल जैसी शै से शायद वे अनजान हैं क्योंकि दिल जिस उदारता का परिचायक है वह उदारता पाकिस्तानी खिलाडियों के व्यवहार में कहीं से लेकर कहीं तक भी दृष्टिगोचर नहीं होती .भारत वह देश है जिसका रिकोर्ड है कि उसने आज तक भी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है वह हमेशा से दुश्मनों से अपने बचाव के लिए ही हथियार जुटाता रहा है क्योंकि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है और इस सोने की चिड़िया को लूटने विश्व भर के यहाँ जुटे रहे और यहाँ की धरती को रक्त रंजित करते रहे ऐसे देश ने हमेशा दोस्तों का साथ दिया है और दुश्मनों का मुहं तोडा है.ऐसे में भारतीयों को तंगदिल कहना शाहिद के दिमागी तनाव का ही परिचायक है.शाहिद स्वयं कितने दिलदार हैं इसका पता तो सचिन के शतक को लेकर उनके कथन से ही जाहिर है हालाँकि बाद में वे उस कथन से अपना पल्ला झाड़ चुके हैं किन्तु जो बात मुहं से निकल चुकी है उसे वे चाह कर भी वापस नहीं ले सकते .मीडिया के बारे में वे कुछ न ही बोलें तो बेहतर है क्योंकि ये मीडिया ही है जो गलत को गलत और सही को सही का आईना दिखाता है और पाकिस्तान में क्रिकेट खिलाडियों के हालिया हाल से भारतीय जनता को रू-ब-रू करता है.यह पाकिस्तानियों की दिलदारी ही है जो भारत पाकिस्तान के मैच को जोश व् जूनून से देखने का माद्दा तैयार करती है और यह भारतीयों की तंगदिली ही है जो किसी के भी कुछ कहने को सिरे से नकार देती है और अपनी दोस्ती में आड़े नहीं आने देती-
"अरफान ज़माने की आदत है बुरा कहना,है अपनी तबियत के नासाज़ नहीं होती.''
टिप्पणियाँ
है अपनी तबियत के नासाज़ नहीं होती.''
Aina dikha diya hai aapne Shahid ko ... bahut hi shaaleenta se ...
आशा
:)
बहुत बहुत शुभकामना