ये सच है.
ये सच है जो कल के हिंदुस्तान के मुख्य पृष्ठ पर सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ सफल लड़ाई लड़ने वाले सर्व श्री किसान बाबूराव हजारे[अन्ना हजारे]के मुख से प्रकट हुआ.मैं पहले भी कई बार कह चुकी हूँ और अब भी कह रही हूँ की नेताओं,प्रशासन आदि को भ्रष्ट बनाने वाली जनता ही है जो काका हाथरसी के इस वक्तव्य को सर माथे पर रखती है-
''क्यों घबराता है नर तू रिश्वत लेकर,
रिश्वत पकड़ी जाये छूट जा रिश्वत देकर.''
वह जनता जो आज अन्ना हजारे जी को सर पर बैठा रही है वही उनके चुनाव में खड़े होते ही पलट जायेगी,और संभव है की उनकी जमानत ही जब्त हो जाये क्योंकि सिद्धांतवादी अन्ना शायद जनता की वह इच्छा पूरी नहीं करेंगे जो आज के जीतने वाले नेता गण कर रहे हैं.पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक सभी में पैसा,शराब का ही बोलबाला हो चूका है.और ऐसे भी नेता हैं जो मात्र लाठी के दम पर ही चुनाव लड़ते और जीतते हैं.हर जगह सुसंस्कृत,सभ्य लोगों का राजनीति से मन हट चुका है.क्योंकि उछ्रिंखिल ,असभ्य लोगों का इसमें जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है जिनके लिए किसी के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग आम है और ये उनका अपमान तक करने से बाज नहीं आते.सभी जानते हैं और इससे आगे शायद जानना भी नहीं चाहते की आज की राजनीति में न तो कोई अच्छा टिक सकता है और न ही चुना जा सकता है क्योंकि सभी को रिश्वत देने और लेने की लत पद चुकी है.अब तो वह पागल कहलाता है जो ईमानदारी से काम करता है या करवाना चाहता है.इस पर तो मुझे प्रख्यात शायर ''बशीर बद्र ''की ये पंक्तियाँ याद आ रही हैं-
''कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नए मजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो.''
टिप्पणियाँ
हम भी तो भ्रष्ट हो चुके है सिस्टम के साथ..थोडा समय लगेगा ...मगर ये व्योस्था बदलेगी..
रिश्वत पकड़ी जाये छूट जा रिश्वत देकर.''
Daravna sahee,magar yahee sach hai! Yahee janta jo Anna ko aaj sar aankhon pe chadha rahee hai,Anna gar chunav me khade rahe to mukar jayegee!Aakhirkaar brashtacharee logbhee hamaree hee maa bahnon ke jaye,pale pose hain!
संगठित प्रयासों के बिना व्यवस्था में बदलाव नामुमकिन हैं !
आपके इशारे दुरुस्त हैं !