कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .
एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,
दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .
जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,
आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .
लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,
देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .
सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,
बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .
आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,
सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .
मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,
स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .
दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया
ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .
शालिनी कौशिक
[कौशल]
टिप्पणियाँ
सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,
बापू ने अपनी लाठी से नीव (नींव )जमाई भारत की .............नींव .........
दोनों महान विभूतियों के योगदान और काम को काव्य प्रबंध में बांधा है आपने खूबसूरती से .
आज के दिन आकाशवाणी से समाचार सुनकर हर साल ठेस पहुँचती है जब वहां से कहा जाता है :आज पूर्वप्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री
का भी जन्म दिन है .एक क्षेपक या पुनश्च :की तरह जोड़ा जाता है यह समाचार जैसे कुछ कहना छूट गया हो .
यही है इस देश में गांधी तत्व को हड़प करने वाले लोगों की असलियत .उपनाम गांधी की पदवी का इस्तेमाल अलंकरण की तरह इस्तेमाल
करने वालों की हकीकत .
चलिए ये अच्छा किया आपने अपने ब्लॉग का परिसीमन कर लिया ,संयम ,संतुलन बोले तो फ़िल्टर(माडरेशन ) लगा लिया .कोई भी ऐरा
गैरा नथ्थू खैरा ,एवरी टॉम एंड हेरी आके कुछ भी टिपिया जाता था .
एक प्रतिक्रिया: नीचे दी हुई पोस्ट पर .
कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .
एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,
दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .
जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,
आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .
लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,
देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .
सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,
बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .
आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,
सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .
मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,
स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .
दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया
ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .
शालिनी कौशिक
[कौशल]
प्रस्तुतकर्ता शालिनी कौशिक पर 9:49 am 1 टिप्पणी:
ram ram bhai
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मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .
वाह ... बहुत ही बढिया।
जैसे खारे सिंधु में,'मोती और प्रवाल' ||
इन दोनों को आपने,दे रचना में मान |
दो अक्तूबर का किया,है 'सटीक सम्मान'||
जैसे 'खारे सिंधु'में 'मोती और प्रवाल' ||
इन दोनों को आप ने,दे रचना में मान |
'दो अक्टूबर'का किया,है 'सटीक सम्मान' ||
devdutta.prasoon@gmail.com