औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .
फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार ,
औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .
करता अदा हर फ़र्ज़ हूँ मक़बूलियत के साथ ,
माँ की करूँ सेवा टहल ,बेगम को दे पगार .
मनसबी रखी रहे बाहर मेरे घर से ,
चौखट पे कदम रखते ही इनकी करो मनुहार .
फैयाज़ी मेरे खून में ,फरहत है फैमिली ,
फरमाइशें पूरी करूँ ,ये फिर भी हैं बेजार .
हमको नवाज़ी ख़ुदा ने मकसूम शख्सियत ,
नादानी करें औरतें ,देती हमें दुत्कार .
माँ का करूँ तो बीवी को बर्दाश्त नहीं है ,
मिलती हैं लानतें अगर बेगम से करूँ प्यार .
बन्दर बना हूँ ''शालिनी ''इन बिल्लियों के बीच ,
फ़रजानगी फंसने में नहीं ,यूँ होता हूँ फरार .
शालिनी कौशिक
[WOMAN ABOUT MAN]
शब्दार्थ :फरमाबरदार -आज्ञाकारी ,बेजार-नाराज ,मक़बूलियत -कबूल किये जाने का भाव ,मनुहार-खुशामद,मनसबी-औह्देदारी ,फरहत-ख़ुशी ,फैयाजी-उदारता मकसूम -बंटा हुआ .फर्ज़ंगी -बुद्धिमानी .
टिप्पणियाँ
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शुक्रवार (19-04-2013) के धरा खून से लाल, लाल पी एम् बनवाओ- चर्चा मंच 1219 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
माँ दुर्गा आप सबका कल्याण करें!
सूचनार्थ...सादर!
nice.