कायरता की ओर बढ़ रहा आदमी .
दरिंदा है मनोज, अपनी पत्नी से भी किया था रेप
'गुड़िया' खतरे से बाहर, आरोपी ने कबूला गुनाह
झुलसाई ज़िन्दगी ही तेजाब फैंककर ,
acp slapped girl in delhi
''कायर होता जा रहा है आदमी ''
दिल्ली में एक पञ्च वर्षीय बालिका से गैंगरेप
,शामली में चार सगी बहनों पर तेजाब उडेला ,मायके गयी पत्नी तो जल मरा ,महिला से छेड़खानी मारपीट ,रामपुर में अज़ीम नगर
थाना क्षेत्र में सामूहिक दुष्कर्म के बदले सामूहिक दुष्कर्म ,मोदीनगर में कैथवादी में पानी भरने गयी छात्रा से छेड़छाड़ कपडे
फाड़े आदि आदि आदि दिल दहल जाता है मन क्षुब्ध हो जाता है रोज रोज ये समाचार देखकर पढ़कर
किन्तु नहीं रुक रहे हैं ये और नहीं मिल पा रहा है कोई समाधान इन्हें रोकने का .पुरुष जो नारी को अपने से दोयम दर्जा समाज में ,इस सृष्टि में प्रदान करता है और उसके संरक्षण का दायित्व अपने ऊपर लेता है .वही पुरुष आज बात बात पर स्त्री पर हमले कभी यौनाचार ,कभी तेजाब उडेलना कभी मारपीट करना आदि के रूप में करने लगा है और वह भी उस देश में जहाँ नारी की पूजा की जाती है ,जहाँ कहा जाता है -
''यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ,रमन्ते तत्र देवता .''
विभिन्न धर्मग्रंथों में नारी का सम्मान ,सुरक्षा का दायित्व पुरुषों को दिया गया है -
-मनुस्मृति के ८/३४९ में कहा गया है -नारी और ब्राह्मण की रक्षा करने के लिए धर्मयुद्ध में किसी को मारना पड़े तो भी दोष नहीं होता है .
-नारी के सम्बन्ध में अन्य स्मृतियाँ कहती है -
''जो लोग नारी जाति से घृणा करते हैं ,समझना चाहिए कि वे अपनी माता का ही अपमान करते हैं .जिस पर नारी की कोप दृष्टि है उस पर भगवान का भी अभिशाप लगा हुआ है .जिस दुष्ट के व्यवहार से नारी की आँखों से आंसू बहते हैं वह देवता के क्रोधानल से भस्म हो जाता है .जोव्यक्ति नारी के दुःख दर्द में उसकी हंसी उडाता हैं उसका अकल्याण होता है .ईश्वर भी उसकी प्रार्थना नहीं सुनते . ''
बचपन से युवावस्था हो या प्रौढ़ावस्था नारी सम्मान और संरक्षण संस्कारों के रूप में पुरुषों को पहनाया जाता है अनार्य और संस्कारों से दूर परिवारों का तो नहीं पता किन्तु सभ्य सुसंस्कृत परिवार अपने बच्चों को इसी तरह के आभूषणों से विभूषित करते हैं और अपने परिवार के पुरुषों पर महिलाओं के सम्मान व् संरक्षण का भार सौंपते है .रक्षा बंधन का पर्व मनाया तो हिन्दू धर्मावलम्बियों द्वारा जाता है किन्तु उसके कच्चे धागे का मान मुसलमान भी रखते हैं .रानी पद्मावती की राखी पर हुमायूँ का आना सभी जानते हैं .नारी को परिवार की समाज की इज्ज़त माना जाता है और आज यही मान्यता नारी के जीवन के लिए खतरा बन चुकी है क्योंकि आदमी में जो प्रतिशोध की भावना है उसका शिकार नारी को ही होना पड़ रहा है .प्यार और वह भी एकतरफा अगर लड़की ने स्वीकार नहीं किया तो या तो उसे बलात्कार का शिकार होना पड़ता है या फिर तेजाब से झुलसना पड़ता है .
छेड़खानी ,जिसका आमतौर पर सभी महिलाएं शिकार होती हैं चुपचाप सहना इसे अपनी नियति मान रहती हैं किन्तु यदि कोई इसका शेरनी बन प्रतिरोध कर देती है तो इससे भी पुरुष के पौरुष को चोट पहुँचती है जबकि वह जानता है कि वह गलत कर रहा है तब भी यह नहीं सोच पाता कि ज़रूरी नहीं है कि आज की नारी भी बरसों से चुपचाप रहने वाली कोई गुडिया नहीं होगी और जब वह नारी का शेरनी रूप देखता है तो जो ढंग वह उससे निबटने के लिए आजमा रहा है वे उसकी कायरता की ही गवाही दे रहे हैं .वह अपने गलत काम के लिए माफ़ी नहीं मांग रहा ,शर्मिंदा नहीं हो रहा बल्कि महिला के साथ मारपीट को उतारू हो रहा है और इस श्रेणी में वह किसी भी महिला की उम्र का अंतर नहीं कर रहा है उसका यह व्यवहार चाहे दो साल की मासूम हो या ६० साल की वृद्धा सबके साथ ही नज़र आ रहा है .पहले जहाँ महिलाओं के ,लड़कियों के अपहरण की घटनाएँ न के बराबर ही सुनने में आती थी ,आज निरंतर बढती जा रही हैं .पहले जहाँ लोगों के आपसी झगड़ों में महिलाओं को , लड़कियों को एक तरफ कर दिया जाता था आज बर्बरता का शिकार बनाया जा रहा है .
प्रतिशोध की भावना में झुलसता आदमी ,हार का दंश झेलता आदमी आज इतना गिर गया है कि प्राकृतिक रूप से ताकत में अपने से कमजोर बनायीं गयी नारी पर ज़ुल्म करने पर आमादा हो गया है .
लड़कियां परिवार की इज्ज़त होती हैं ,लड़कियां शरीर से कोमल होती हैं ,लड़कियां मेहनती होती हैं ,वे पराया धन होती हैं ,परिवार में सबकी प्रिय होती हैं आदि आदि आदि सभी बातें आज उनके खिलाफ ही जा रही हैं .किसी परिवार की इज्ज़त ख़राब करनी हो तो उसकी बहु बेटी से बलात्कार करो ,किसी लड़की ने यदि एकतरफा प्यार का प्रस्ताव ठुकरा दिया तो उसे उसके सौंदर्य का घमंड मान तेजाब से झुलसा देना आज आम प्रतिक्रिया हो गयी है किसी को समाज में मुहं दिखने के काबिल न छोड़ना हो तो उसके साथ दुष्कर्म करो ,काम वासना को पूरी करना हो तो लड़की के साथ हैवानियत करो और यदि वह न मिल पाए तो ऐसे में ये कायर पुरुष आज छोटे मासूम लड़कों को भी शिकार बनाने से नहीं चूक रहे हैं .अपनी एक से बढ़कर एक कुत्सित इच्छाओं को पूरी करने के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं और इस सबके बाद अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने शिकार की हत्या और सभी कुछ इतना आसान कि क्या कहने ?लड़की में इतने बलशाली पुरुषों ,हैवान जानवरों का सामना करने की हिम्मत ही कहाँ ?वह तो इस सबके बाद भी दोषी न केवल समाज की नज़रों में बल्कि अपनी स्वयं की नज़रों में और इसका परिणाम भी आज दिखाई दे रहा है लड़कियां स्वयं को मौत के हवाले कर रही हैं ,कहीं तेजाब पी कर तो कहीं आग में झुलस कर .
लड़कियों की तो नियति पुरुषों ने यही बना दी है जिसके कारन कन्या भ्रूण हत्या तक को लोग अंजाम देते हैं क्योंकि ऐसी घटनाएँ देख हर किसी में हिम्मत नहीं है कि वह लड़कियों को पैदा होते देख सके नहीं दे सकते वे अपने लड़के को ऐसे संस्कार जिनसे ऐसी घटनाएँ घटित ही न हों और परिणाम स्वरुप पुरुषों का परचम लहराता रहता है ,अभिमान बढ़ता जाता है और आज यही अभिमान है जो हैवानियत में तब्दील हो गया है और पुरुष को कायरता की ओर बढ़ा रहा है .
शालिनी कौशिक
''यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ,रमन्ते तत्र देवता .''
-मनुस्मृति के ८/३४९ में कहा गया है -नारी और ब्राह्मण की रक्षा करने के लिए धर्मयुद्ध में किसी को मारना पड़े तो भी दोष नहीं होता है .
-नारी के सम्बन्ध में अन्य स्मृतियाँ कहती है -
बचपन से युवावस्था हो या प्रौढ़ावस्था नारी सम्मान और संरक्षण संस्कारों के रूप में पुरुषों को पहनाया जाता है अनार्य और संस्कारों से दूर परिवारों का तो नहीं पता किन्तु सभ्य सुसंस्कृत परिवार अपने बच्चों को इसी तरह के आभूषणों से विभूषित करते हैं और अपने परिवार के पुरुषों पर महिलाओं के सम्मान व् संरक्षण का भार सौंपते है .रक्षा बंधन का पर्व मनाया तो हिन्दू धर्मावलम्बियों द्वारा जाता है किन्तु उसके कच्चे धागे का मान मुसलमान भी रखते हैं .रानी पद्मावती की राखी पर हुमायूँ का आना सभी जानते हैं .नारी को परिवार की समाज की इज्ज़त माना जाता है और आज यही मान्यता नारी के जीवन के लिए खतरा बन चुकी है क्योंकि आदमी में जो प्रतिशोध की भावना है उसका शिकार नारी को ही होना पड़ रहा है .प्यार और वह भी एकतरफा अगर लड़की ने स्वीकार नहीं किया तो या तो उसे बलात्कार का शिकार होना पड़ता है या फिर तेजाब से झुलसना पड़ता है .
छेड़खानी ,जिसका आमतौर पर सभी महिलाएं शिकार होती हैं चुपचाप सहना इसे अपनी नियति मान रहती हैं किन्तु यदि कोई इसका शेरनी बन प्रतिरोध कर देती है तो इससे भी पुरुष के पौरुष को चोट पहुँचती है जबकि वह जानता है कि वह गलत कर रहा है तब भी यह नहीं सोच पाता कि ज़रूरी नहीं है कि आज की नारी भी बरसों से चुपचाप रहने वाली कोई गुडिया नहीं होगी और जब वह नारी का शेरनी रूप देखता है तो जो ढंग वह उससे निबटने के लिए आजमा रहा है वे उसकी कायरता की ही गवाही दे रहे हैं .वह अपने गलत काम के लिए माफ़ी नहीं मांग रहा ,शर्मिंदा नहीं हो रहा बल्कि महिला के साथ मारपीट को उतारू हो रहा है और इस श्रेणी में वह किसी भी महिला की उम्र का अंतर नहीं कर रहा है उसका यह व्यवहार चाहे दो साल की मासूम हो या ६० साल की वृद्धा सबके साथ ही नज़र आ रहा है .पहले जहाँ महिलाओं के ,लड़कियों के अपहरण की घटनाएँ न के बराबर ही सुनने में आती थी ,आज निरंतर बढती जा रही हैं .पहले जहाँ लोगों के आपसी झगड़ों में महिलाओं को , लड़कियों को एक तरफ कर दिया जाता था आज बर्बरता का शिकार बनाया जा रहा है .
प्रतिशोध की भावना में झुलसता आदमी ,हार का दंश झेलता आदमी आज इतना गिर गया है कि प्राकृतिक रूप से ताकत में अपने से कमजोर बनायीं गयी नारी पर ज़ुल्म करने पर आमादा हो गया है .
लड़कियां परिवार की इज्ज़त होती हैं ,लड़कियां शरीर से कोमल होती हैं ,लड़कियां मेहनती होती हैं ,वे पराया धन होती हैं ,परिवार में सबकी प्रिय होती हैं आदि आदि आदि सभी बातें आज उनके खिलाफ ही जा रही हैं .किसी परिवार की इज्ज़त ख़राब करनी हो तो उसकी बहु बेटी से बलात्कार करो ,किसी लड़की ने यदि एकतरफा प्यार का प्रस्ताव ठुकरा दिया तो उसे उसके सौंदर्य का घमंड मान तेजाब से झुलसा देना आज आम प्रतिक्रिया हो गयी है किसी को समाज में मुहं दिखने के काबिल न छोड़ना हो तो उसके साथ दुष्कर्म करो ,काम वासना को पूरी करना हो तो लड़की के साथ हैवानियत करो और यदि वह न मिल पाए तो ऐसे में ये कायर पुरुष आज छोटे मासूम लड़कों को भी शिकार बनाने से नहीं चूक रहे हैं .अपनी एक से बढ़कर एक कुत्सित इच्छाओं को पूरी करने के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं और इस सबके बाद अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने शिकार की हत्या और सभी कुछ इतना आसान कि क्या कहने ?लड़की में इतने बलशाली पुरुषों ,हैवान जानवरों का सामना करने की हिम्मत ही कहाँ ?वह तो इस सबके बाद भी दोषी न केवल समाज की नज़रों में बल्कि अपनी स्वयं की नज़रों में और इसका परिणाम भी आज दिखाई दे रहा है लड़कियां स्वयं को मौत के हवाले कर रही हैं ,कहीं तेजाब पी कर तो कहीं आग में झुलस कर .
लड़कियों की तो नियति पुरुषों ने यही बना दी है जिसके कारन कन्या भ्रूण हत्या तक को लोग अंजाम देते हैं क्योंकि ऐसी घटनाएँ देख हर किसी में हिम्मत नहीं है कि वह लड़कियों को पैदा होते देख सके नहीं दे सकते वे अपने लड़के को ऐसे संस्कार जिनसे ऐसी घटनाएँ घटित ही न हों और परिणाम स्वरुप पुरुषों का परचम लहराता रहता है ,अभिमान बढ़ता जाता है और आज यही अभिमान है जो हैवानियत में तब्दील हो गया है और पुरुष को कायरता की ओर बढ़ा रहा है .
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
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नैतिक बल में कमी, भौतिक भूक बढ़ रही है ... जो दरिंदगी में बदल रही है आदमी के ...
है . वो बात ही नहीं रही जो हिम्मत
पहले जामने के लोगो में होती थी
है . वो बात ही नहीं रही जो हिम्मत
पहले जामने के लोगो में होती थी