हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी
हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी
आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा.
गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर,
डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा.
आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा.
तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा.
संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.
जुड़ सकेंगे पंख उसमे आशा और विश्वास के ,
''शालिनी'' का नाम भी पहचान नयी पायेगा.
टिप्पणियाँ
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.
वाह ! यही जज्बा हरेक में होना चाहिए..
अच्छी रचना
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा.
सुन्दर मनो भावों को दर्शाती रचना
आशा ही जीवन है !!
आशा ही जीवन है !!
आशा ही जीवन है !!
आशा ही जीवन है !!
आशा ही जीवन है !!
संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.
Kitni sundar panktiyan hain! Bahut dino baad blog jagat me aayi hun...mera aalekh padhana na bhoolen!