हे प्रभु !अब तो सद्बुद्धि दे ही दो मोदी पथभ्रष्ट को .
हे प्रभु !अब तो सद्बुद्धि दे ही दो मोदी पथभ्रष्ट को . |
एक कहावत है -
'' बड़ा नाम रखकर कोई आदमी बड़ा नहीं हो जाता ,बड़ा वह होता है जो बड़े काम करता है.''
पर शायद नरेन्द्र दामोदर मोदी ने यह नहीं सुनी क्योंकि जैसे जैसे लोकसभा चुनाव के दिन नज़दीक आ रहे हैं ,भाजपा के फायर ब्रांड नेता नरेन्द्र मोदी अपना आपा खोते जा रहे हैं .ब्लीचिंग पाउडर लेकर अपने चेहरे के दाग धोने में जुटे मोदी अपनी हडबडाहट में जो कर रहे हैं उससे उनके चेहरे पर दाग और बढ़ते जा रहे हैं और उसे लेकर वे इस कदर परेशान हैं कि अब वे हाथ पैर मारने की स्थिति में
पहुँचते जा रहे हैं .कभी राहुल गाँधी को बच्चा कह अपने से कम आंकने वाले मोदी आज उनकी परिपक्वता के आगे स्वयं को हताश महसूस कर रहे हैं . और यही कारण है कि पहले गाँधी के गुजरात को मोदी के गुजरात कह उसका नाम डुबोने वाले आज अटल बिहारी वाजपेयी जैसी संतुलित ,धर्मनिरपेक्ष शख्सियत से तुलनाकर उनकी भी किरकिरी करने को आतुर हैं .
जब जब संकट आता है सेक्युलरिज्म का बुर्का पहनकर बनकर में छिप जाती है कॉंग्रेस'' |
'मैं जन्म से हिंदू और राष्ट्रवादी हूं, यह कोई गुनाह नहीं है'
ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि -
''रिश्ता -ए-खून तोड़ डाला है ,सच का मज़मून तोड़ डाला है ,
आज वो देशभक्त बनता है ,जिसने कानून तोड़ डाला है .''
मोदी कहते हैं कि'' सिर्फ कानून बनाने से थाली में नहीं आएगा खाना ''तो ये तो स्पष्ट ही है कि खाना थाली में आने से पहले तो कई प्रक्रियाओं से गुजरता है ..मसलन अगर दाल रोटी तो दाल भिगोई जाती है फिर बनायीं जाती है ,आटा गूंथा जाता है फिर कहीं जाकर थाली के लिए रोटी दाल का जुगाड़ होता है और यदि ये ही न किया जाये तो क्या कच्ची दाल व् आटा कोई खा सकता है ऐसे ही यह कानून लोगों को खाना उपलब्ध करने की यू.पी,ए.सरकार की पुनीत पहल है और स्वागत योग्य है फिर क्यूं इस पर बढ़ते सरकार के कदम रोककर मोदी आम आदमी के पेट पर लात मारने में जुटे हैं ?
मोदी कहते हैं'' राष्ट्रमंडल खेल आयोजित कर हमारे देश ने भ्रष्टाचार की वजह से अपना सम्मान खो दिया'' .इस तरह तो सारे विश्व को वे भ्रष्टाचारी कहने में जुटे हैं और फिर ये भी कहते हैं कि ''कोई पडोसी दोस्त नहीं ''अब जब इन जैसे अनर्गल प्रलाप करने वाले नेता हो तो हम दोस्त कैसे पा सकते हैं क्योंकि सभी यही कहते हैं इनके बारे में -
''हुए तुम दोस्त जिसके उसका दुश्मन आसमां क्यूं है ''
भला कौन अपने पर यह झूठा इल्जाम बर्दाश्त करेगा .राष्ट्रमंडल खेलों के बाद सारे विश्व में भारतीय सफल आयोजन की सराहना हुई और भारत को अभी हाल ही में क्रिकेट टी-२० ,विश्वकप व् चैम्पियन ट्राफी के अधिकार मिले हैं .अब यदि मोदी जी की ही बात को हम माने तो सारा विश्व भ्रष्टाचारी है और वह इस क्षेत्र में भारत की काबिलियत का लोहा मान रहा है और ऐसे आयोजन के अधिकार दे रहा है .
पश्चिमी करण की चाह न रखने वाले मोदी हर जगह गुजरात व् गुजरातियों की ही रट लगाये फिरते हैं और बात उनकी खिलाफत की ही करते हैं .आज विश्व के विभिन्न देशो में सबसे ज्यादा गुजरातियों का ही जमावड़ा है जिनमे कहीं से लेकर कहीं तक भी पूर्व के प्रति प्यार सम्मान की भावना दृष्टिगोचर नहीं होती यदि दृष्टिगोचर होती है तो केवल ''मनी मेकिंग प्लान्स 'के प्रति जागरूकता और जो उनके प्रिय मोदी जी में भी दिखती है जो विश्व के विभिन्न बैंकों में जमा भारतीय काले धन का पूरा हिसाब ऐसे रखते हैं जैसे वे बैंक इन्हीं के हों और ''जैसा खाए अन्न वैसा बने मन ''भावों को संजोने वाली भारतीय संस्कृति में वे काले धन को भारतीय जनता में बाँटने की बात करते हैं और कहते हैं -''यदि यह बाँट दिया जाये तो हर भारतीय के पास ३ लाख रूपए होंगे ''ये कैसे भारतीय संस्कृति के पुरोधा बनने की कोशिश कर रहे हैं मोदी जबकि भारतीय संस्कृति से इनका कोई लेना देना ही नहीं है जहाँ -
''यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ''है वहीँ मोदी विवाह तो रचाते हैं किन्तु उसके बाद जशोदा बेन की पूजा तो दूर वे उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं .
जहाँ -
''बच्चे मन के सच्चे ....ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे ''
और जिन्हें बड़ों द्वारा जीते रहो कामयाब बनो जैसे आशीर्वाद दिए जाते हैं वहीँ एक तरफ तो ये राहुल गाँधी को बच्चा कहते हैं दूसरी तरफ उनके अशुभ की भावना रखते हैं और कहते हैं कि उन्हें देश में कहीं नौकरी नहीं मिलेगी .
जहाँ -
''पिता के वचन निभाने और उनकी आज्ञा पालन के लिए राम १४ वर्ष का वनवास काटने राजसत्ता को त्याग कर वन में चल देते हैं वहीँ मोदी अपने दाल के पितामह की उपाधि प्राप्त लाल कृष्ण अडवाणी को सत्ता पाने की खातिर खून के आंसू रोने व् अपमान के घूँट पीने को मजबूर कर देते हैं .
जहाँ -
''घर की बहू लक्ष्मी का रूप मानी जाती है वहां ये निरंतर उसका ही अपमान करने में जुटे हैं और ऐसा करके अपने शीश को घमंड से ऊँचा उठाते हैं
और जहाँ हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई का नारा लगता है वहीँ ये गुजरात के दंगों में मारे गए मुसलमान भाइयों को कुत्ते के बच्चों की संज्ञा दे इस देश के सौहार्द में आग लगाने की कोशिश करते हैं जबकि ऐसे ही पथभ्रष्टों के बारे में किसी ने कहा है -
''उजाड़े हैं गुलिस्ताँ तुमने
जिन हाथों से दीवानों ,
अगर तुम चाहते तो
वीराने उनसे संवर जाते .''
ऐसे में बस यही कहा जा सकता है -
''ईश्वर अल्लाह तेरे नाम ,मोदी को सम्मति दे भगवान ''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
आदमियत गायब है !
आपके लिखे लेखो दो देख कर लगता है कि आप भी कांग्रेसियों की तरह मोदी फोबिया से ग्रस्त हैं। आपने इतने सारे मोदी जी पर लेख लिखे हैं शायद ही अन्य किसी विषय या व्यक्ति पर लिखे होंगे। वह कहते हैं न और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा।
बहुत सारे विषय हैं उन पर लिखे। अच्छा लगेगा।
बन जाने दो उन्हें प्रधान मंत्री , हम भी देखते हैं कितना विकास करते हैं। क्या है इतने साल कांग्रेस सत्ता में रही है एक बार मौका दो उन्हें भी , पता लग जायेगा कि केवल बाते करते हैं या कुछ देश के लिए कर दिखाते हैं।
ETANE SALO SE RAJ KARANE WALI PARTY KA ARBON KHARBON RUPYA VIDESHI BANKO ME KALE DHAN KE ROOP ME JAMA HAI AP VICHARDHAR VAHAN BHI NAHI PAHUCH PATI .....APKO GUJRAT KA VIKAS BHI NAHI DIKHEGA ..KYONKI AP KI BHI AANKHO PR VAHI BURKA HAI .....DESH KI SEEMA PR JAWANO KE SR KATE GYE AUR APKI SARKAR GEEDAD KI TARAH SIRF BAYAN BAJI HI KARTI RHI ....DESH KA KISAN ATM HATYA KARATA HAI AP MOOK DARSHK BN KR DEKHATI HAIN
DHANY HAI APKI LEKHNI KI SAMVEDNA ...NIHSANDEH AGAR SAHITYKAR APNI SAMVEDNAON KO MAR KR JB LEKH LIKHTA HAI TO USE PURASKAR MILATA HAI ....APKO BHI MILEGA BS BLOG PR LIKHATE RAHIYE CONGRES GOVT. KISI DIN RASHTRPATI PURASKAR SE SMMANIT BHI AP KO KRA DEGI ...SACH LIKHNE KE LIYE JIGAR CHAHIYE VH AP ME NAHI HAI ...AP NAHI BN SAKTI HAIN NIRAL , PREMCHAND KI TARAH KYOKI AB APNE SAMVEDANON KO GIRWI RAKH KR LEKH LIKHAN PRARAMBH KR DIYA HAI .......JYA CHAND ,DIGVIJAY SINGH AUR MAN SIGH JAISE YAD KIYE JATE HAIN VAISI HI APKI LEKHNI AUR VICHARDHARA BHI YAD KI JAYEGI ....MAI ANTIM BAR APKE BLOG PR HOON AAGE SE MUJHE AB APKA BLOG PADHANA BHI NAHI HAI SHALINI JI ...........MN DUKHI HAI ....BRAHMAN HOKAR AISI VICHARDHAR RAKHATI HAIN AP ..
उनमें पिरोने की ना -कामयाब कोशिश की जाती है। कुत्ते के पिल्लै का अर्थ कुत्ते का
पिल्ला ही होता है। रही बात भारत के संविधान की इसमें धर्मनिरपेक्ष का पैवंद इंदिरा माता ने
लगाया
था। किसी एक राजनीति के धंधे बाज़ से मिलवा दो जो इसका अर्थ जानता हो।
राज्य अपना काम करे ,उसे अपना काम करने दिया जाए। राज्य की गतिविधियों में चर्च का
हस्तक्षेप
न हो। इस अवधारणा से यह शब्द पल्लवित हुआ था।
अब राज्य बुर्का क्या सेकुलर राम नौमि पहने रहता है। अल्पसंख्यक सिमरनी फेरता रहता है
निसिदिन।
कोई भी ऐसी विधि जो धर्म से अलहदा हो सेकुलर कहलायेगी। मंदिर मस्जिदों से तथा नारियल
फोड़
के चुनाव प्रचार तथा पर्च भरने की शुरू आत करने वाले पैन्तरे बाज़ सेकुलर कैसे हो सकते हैं।
और ये नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी क्या है चर्च की एक एजेंट को इसके सर्वाधिकार दे दिए गए हैं।
जो अल्प संख्यक कहेगा अवह सच माना जाएगा इस अवधारणा पर खड़ी है यह राष्ट्रीय सुरक्षा
एजेंसी .
इंतजामिया जिसकी आप हिमायत कर रहीं हैं सेकुलर कैसे हो गई।
ॐ शान्ति। शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का। टिप्पणियों का लेन देन परस्पर सहजीवन है पल्लवन
हैं.यह विचार धारा का भी विनिमय है। आप विमत को आदरणीय स्थान देती हैं। स्वागतेय है यह।