कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से।
फरमा रहा है फख्र से ,ये मुल्क शान से ,
कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से।
..................................................
फराखी छाये देश में ,फरेब न पले ,
कटवा दिए शहीदों ने यूँ शीश शान से .
..................................................
देने को साँस लेने के ,काबिल वो फिजायें ,
कुर्बानी की राहों पे चले ,मस्त शान से .
..................................................
आज़ादी रही माशूका जिन शूरवीरों की ,
साफ़े की जगह बाँध चले कफ़न शान से .
.....................................................................
कुर्बानी दे वतन को जो आज़ाद कर गए ,
शाकिर है शहादत की हर नस्ल शान से .
.................................................................
इस मुल्क का गुरूर है वीरों की शहादत ,
फहरा रही पताका यूँ आज शान से .
...............................................................
मकरूज़ ये हिन्दोस्तां शहीदों तुम्हारा ,
नवायेगा सदा ही सिर सरदर शान से .
.........................................................................
पैगाम आज दे रही कुर्बानियां इनकी ,
घुसने न देना फिर कभी सियार शान से .
..................................................................
करते हैं अदब दिल से अगर हम शहीदों का ,
छोड़ेंगे बखुशी सब मतभेद शान से .
.........................................................
इस मुल्क की हिफाज़त दुश्मन से कर सकें ,
सलाम मादरे-वतन कहें आप शान से .
.....................................................
मुक़द्दस इस मुहीम पर कुर्बान ''शालिनी'' ,
ऐसे ही सिर उठाएगा ये मुल्क शान से .
शालिनी कौशिक
[कौशल]
[शब्दार्थ-सरदर-सब मिलकर एक साथ ]
टिप्पणियाँ
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
“प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं "
सादर
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ,
वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।
जय जवान जय किसान ,मेरे हिन्द की तू ही शान। तुझ पे दिल कुबान।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ,
वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।
जय जवान जय किसान ,मेरे हिन्द की तू ही शान। तुझ पे दिल होता कुर्बान । तू ही असली है
अजान। सब कौमों की तू ही जान। फरिश्तों की तू ही पहचान।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
बुधवार, 14 अगस्त 2013
कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से।
फरमा रहा है फख्र से ,ये मुल्क शान से ,
कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से।
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फराखी छाये देश में ,फरेब न पले ,
कटवा दिए शहीदों ने यूँ शीश शान से .
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देने को साँस लेने के ,काबिल वो फिजायें ,
कुर्बानी की राहों पे चले ,मस्त शान से .
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आज़ादी रही माशूका जिन शूरवीरों की ,
साफ़े की जगह बाँध चले कफ़न शान से .
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कुर्बानी दे वतन को जो आज़ाद कर गए ,
शाकिर है शहादत की हर नस्ल शान से .
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इस मुल्क का गुरूर है वीरों की शहादत ,
फहरा रही पताका यूँ आज शान से .
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मकरूज़ ये हिन्दोस्तां शहीदों तुम्हारा ,
नवायेगा सदा ही सिर सरदर शान से .
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पैगाम आज दे रही कुर्बानियां इनकी ,
घुसने न देना फिर कभी सियार शान से .
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करते हैं अदब दिल से अगर हम शहीदों का ,
छोड़ेंगे बखुशी सब मतभेद शान से .
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इस मुल्क की हिफाज़त दुश्मन से कर सकें ,
सलाम मादरे-वतन कहें आप शान से .
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मुक़द्दस इस मुहीम पर कुर्बान ''शालिनी'' ,
ऐसे ही सिर उठाएगा ये मुल्क शान से .
शालिनी कौशिक
[कौशल]
[शब्दार्थ-सरदर-सब मिलकर एक साथ ]
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...
बहुत सुंदर
शाकिर है शहादत की हर नस्ल शान से .
बहुत सुंदर
दिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com